जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 195/14
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
राधेष्याम सिंह पुत्र कल्याण सिंह शेखावत जाति राजपूत निवासी मकान नं0 37 षिव पार्क, सीरसी रोड़, जयपुर तहसील व जिला जयपुर (राज.) - परिवादी
बनाम
1. नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी लि0 जरिए शाखा प्रबंधक, ने. इं. कं. लि. एम. आई. रोड़, जयपुर (राज0)
2. नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी लि0 जरिए शाखा प्रबंधक, शाखा कार्यालय, शाहों के कुए के पास, स्टेषन रोड़, झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू (राज0)
- विपक्षीगण
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री द्वारका प्रसाद वर्मा, अधिवक्ता - परिवादी की ओर से।
2. श्री इन्दुभूषण शर्मा, अधिवक्ता - विपक्षीगण की ओर से।
- निर्णय - दिनांक: 24.03.2015
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 04.04.2014 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी वाहन मारूती वैन (ओमनी) नम्बर आर.जे. 14 यू.बी. 8408 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 11.04.13 से 10.04.14 तक की अवधि के लिए बीमित था। विपक्षीगण ने उक्त वाहन वेल्यू 1,75,905/-रूपये मानकर प्रीमियम राषि लेकर वाहन बीमित किया था, जिसकी पालिसी नम्बर 35101031136133013174 है। इस प्रकार परिवादी, विपक्षीगण का उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी का वाहन दिनांक 27.05.13 को ग्राम चंवरा तहसील उदयपुरवाटी में आग लगने के कारण पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना पुलिस थाना गुढ़ागौड़जी पर दे दी गई। परिवादी द्वारा उक्त घटना की सूचना विपक्षी नं0 1 को दी गई तथा दावा फार्म प्रस्तुत कर दिया, जिस पर विपक्षीगण बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा परिवादी के वाहन का सर्वे किया गया तथा विपक्षीगण के सर्वेयर ने परिवादी को बीमित राषि 1,75,905/-रूपये का भुगतान करने का आष्वासन दिया। परिवादी ने विपक्षी नं0 1 से सम्पर्क किया तो कहा कि परिवादी की पत्रावली विपक्षी नं0 2 के यहां भिजवादी है। विपक्षी नं0 2 ने दिनांक 14.02.14 को परिवादी को पत्र लिखा कि परिवादी का क्लेम रेपुडियट कर दिया गया। परिवादी द्वारा दिनांक 17.02.14 को विपक्षी नं0 2 से सम्पर्क करने पर बताया गया कि परिवादी की गाडी में गैस कीट से आग लगी है इसलिये क्लेम खारिज कर दिया है। परिवादी का उक्त वाहन विपक्षी नं0 1 के यहां बीमित करवाया उस वक्त फ्यूल कीट का इन्द्राज किया गया था परन्तु विपक्षीगण ने जानबूझकर परिवादी को नुकसान पहुचाने के लिये वाहन की बीमित राषि का भुगतान नहीं किया । इस प्रकार विपक्षीगण का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षीगण से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की बीमित राषि मय ब्याज दिलाये जाने का निवेदन किया।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादी को वाहन मारूती वैन (ओमनी) नम्बर आर.जे. 14 यू.बी. 8408 का मालिक होना तथा उक्त वाहन विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 11.04.13 से 10.04.14 तक की अवधि के लिये बीमा पालिसी में वर्णित शर्तो के अधीन बीमित होना स्वीकार किया है।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने बहस के दौरान उक्त तर्को का विरोध करते हुए यह कथन किया है कि परिवादी द्वारा कथित वाहन में आग लगने की सूचना दिए जाने पर बीमा कम्पनी द्वारा श्री जहीर अहमद खान को सपोट सर्वेयर नियुक्त किया गया तथा प्रकरण की जांच हेतु श्री बी.के. मोदी ने दिनांक 27.12.2013 को विस्तृत जांच रिपोर्ट पेष की, जिसके अनुसार बीमित वाहन में विधि विरूद्व एल.पी.जी. गैस बिना सावधानी के भरी गई जिसके कारण गैस लीकेज हुआ तथा वाहन में आग लगी। इस प्रकार स्वंय परिवादी द्वारा विधि विरूद्ध कार्य कर रिस्क आयातित की है । वाहन की कीमत स्वंय परिवादी की घोषणा के आधार पर 1,75,905/-रूपये मानी गई है।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी ने कथित दुर्घटना से पूर्व उक्त वाहन को श्री मातादीन सिंह को विक्रय कर दिया था। स्वंय मातादीन सिंह के कथनानुसार राधेष्याम सिंह परिवादी ने उक्त वाहन अप्रेल, 2011 में क्रय किया था, जिसके दो माह बाद से लगातार उक्त वाहन मातादीन सिंह के भौतिक कब्जे अधिकार एवं नियंत्रण में चल रहा था। इस प्रकार कथित दुर्घटना के दिन उक्त वाहन में राधेष्याम सिंह का बीमित हित निहित नहीं था और न ही उक्त वाहन पर उसका कोई हित एवं नियंत्रण था। उक्त वाहन विक्रय करने का इन्डोर्समेंट न तो वाहन के रजिस्ट्रेषन में करवाया गया है और ना ही बीमा पालिसी में करवाया है। इस कारण ही बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का क्लेम रेपूडिएट किया गया है।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादी राधेष्याम सिंह वाहन मारूती वैन (ओमनी) नम्बर आर.जे. 14 यू.बी. 8408 का रजिस्टर्ड मालिक है। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 11.04.13 से 10.04.14 की अवधि तक विपक्षीगण बीमा कम्पनी के यहां बीमित था।
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 27.05.13 को ग्राम चंवरा तहसील उदयपुरवाटी में आग लगने के कारण पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो गया। वक्त दुर्घटना उक्त वाहन बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। दुर्घटना के संबंध में परिवादी द्वारा विपक्षीगण बीमा कम्पनी व संबंधित पुलिस थाना को सूचना दी गई। विपक्षीगण बीमा कम्पनी द्धारा नियुक्त सर्वेयर ने क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत की गई तथा वाहन को बीमित कराते समय वाहन की कीमत 1,75,905/-रूपये मानी गई है।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण का बहस के दौरान यह तर्क होना कि परिवादी ने कथित दुर्घटना से पूर्व उक्त वाहन को श्री मातादीन सिंह को विक्रय कर दिया था तथा उक्त वाहन मातादीन सिंह के भौतिक कब्जे अधिकार एवं नियंत्रण में चल रहा था तथा राधेष्याम सिंह का उक्त बीमित वाहन पर कोई हित एवं नियंत्रण नहीं था।
हम विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण के उक्त तर्क से सहमत नहीं हंै क्योंकि पत्रावली में प्रस्तुत दस्तावेजात से यह स्पष्ट है कि उक्त वाहन का मालिक रजिस्ट्रेषन सर्टिफिकेट के अनुसार राधेष्याम सिंह ही है। इसके अतिरिक्त बीमा पालिसी के अनुसार वाहन का बीमा राधेष्याम सिंह के नाम से ही किया हुआ है। वाहन मालिक अपने वाहन को चलाने के लिये चालक रख सकता है और उसे वाहन चलाने हेतु दिया जा सकता है। पालिसी के अनुसार चालक का प्रीमियत भी बीमा कम्पनी को अदा किया हुआ है। मातादीन सिंह को उक्त वाहन चलाने हेतु स्वंय राधेष्याम सिंह द्वारा दिया गया था । इस कारण से उक्त वाहन को स्वंय वाहन मालिक राधेष्याम सिंह के नियंत्रण व हित में ही चलाया जा रहा था। इसलिये प्रस्तुत पत्रावली के विवरण से यह स्पष्ट है कि उक्त वाहन का न तो मातादीन सिंह मालिक है और न ही उसके नाम से वाहन ट्रांसफर किया गया है। वक्त दुर्घटना वाहन बीमा कम्पनी के यहां राधेष्याम सिंह के नाम से ही बीमित था।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षीगण का बहस के दौरान यह तर्क होना कि वाहन में विधि विरूद्व एल.पी.जी. गैस बिना सावधानी के भरी गई जिसके कारण गैस लीकेज हुआ तथा वाहन में परिवादी की लापरवाही से आग लगी।
हम विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण के उक्त तर्क से भी सहमत नहीं हैं क्योंकि बीमा पालिसी के अनुसार उक्त वाहन में एल.पी.जी. गैस (फ्यूल) किट का प्रीमियम 60/-रूपये बीमा कम्पनी द्वारा लिया गया है। परिवादी द्वारा गैर कानूनी रूप से एल.पी.जी. गैस लापरवाही से भरी जाने का कथन विपक्षीगण ने किस आधार पर किया है, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पत्रावली में पेष नहीं किया है। वास्तविकता तो यह है कि सर्वेयर ने अपनी मनमर्जी से गवाहान के बयान लिये हैं जिन पर विष्वास किये जाने का कोई कारण नहीं है। शार्ट सर्किट के कारण उक्त वाहन में आग नही लगी हो इसका कोई युक्तियुक्त आधार विपक्षीगण द्वारा पेष नहीं किया गया है।
उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षीगण बीमा कम्पनी, परिवादी को दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्षतिपूर्ति अदायगी के दायित्व से किसी भी तरीके से विमुख नहीं हो सकती।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षीगण स्वीकार किया जाकर विपक्षीगण बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी, विपक्षीगण बीमा कम्पनी से 1,75,905/रुपये (अक्षरे रूपये एक लाख पचहतर हजार नो सौ पांच मात्र) बीमा क्लेम राषि बतौर वाहन क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त राषि पर विपक्षीगण से संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 04.04.2014 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है। पक्षकारान खर्चा मुकदमा अपना-अपना वहन करेंगे।
इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 24.03.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।