द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष
- इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुरोध किया है कि विपक्षीगण से उसे बीमित माल की क्षतिपूर्ति के रूप में अंकन 9,06,425/- रूपये की धनराशि 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित दिनांक 27/7/2010 से दिलाई जाऐ। क्षतिपूर्ति की मद में 5,00,000/- रूपया और परिवाद व्यय की मद में 20,000/- रूपया परिवादी ने अतिरिक्त मांगें है।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने दिनांक 14/4/2010 से 13/4/2011 तक की अवधि हेतु विपक्षी सं0-2 से अपने माल का मैरिन इंश्योरेंस करा रखा था। पालिसी नं0-460806/81/10/0000000379 है तथा बीमा राशि अंकन 2,00,00,000/- रूपया है। विपक्षीगण ने बीमा पालिसी के अतिरिक्त परिवादी को कोई अन्य प्रपत्र /शर्ते इत्यादि न तो कभी दीं और न ही उनके बारे में कभी कुछ बताया। परिवादी के अनुसार दिनांक 20/7/2010 को परिवादी ने 226 कार्टेन्स जिनकी भारतीय मुद्रा में कीमत 9,06,425/- रूपया थी मुरादाबाद वेयर हाउस से ब्राजील निर्यात करने हेतु प्रेम रोडलाइन्स, मुरादाबाद से मुम्बई पोर्ट हेतु भेजे थे। चॅूंकि दिनांक 26/7/2010 को मार्स कारगो लोजिस्टिक ड्रोनगिरी मुम्बई के यहां जहां पर उक्त माल उतारा जाना था वहां पर माल को रखे जाने की जगह उपलब्ध नहीं थी और कस्टम द्वारा क्लीयरेंस न होने की वजह से उस जहाज में जिसके जरिऐ माल ब्राजील जाना था, कार्टन्स को नहीं रखा जा सकता था अत: ट्रासपोर्टर ने उक्त माल दिनांक 26//7/2010 को अपने किराये के गोदाम मैसर्स हिना वेयर हाउसिंग कारपोरेशन मुम्बई में उतार दिया। उसी रात हिना वेयर हाउसिंग के गोदाम में आग लग गई जिस कारण परिवादी द्वारा भेजा गया सारा माल जलकर रख हो गया। इस घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 26/27-7-2010 की रात्रि में पुलिस द्वारा दर्ज की गई। पुलिस ने तत्काल मौके का पंचनामा बनाया। जैसे ही परिवादी को आग लगने की उक्त घटना की सूचना मिली तत्काल उसने विपक्षीगण के कार्यालय को सूचित किया और आवश्यक प्रपत्रों सहित बीमा दावा प्रस्तुत किया। विपक्षीगण ने अपनी सर्वे एजेंसी से परिवादी के क्षतिग्रस्त माल का सर्वे कराया जिसने समस्त प्रपत्रों का अवलोकन कर 9,06,425/- रूपया की परिवादी की क्षति का आंकलन किया किन्तु विपक्षीगण ने परिवादी को न तो सर्वे रिपोर्ट की कोई प्रति प्रेषित की और न ही परिवादी के क्लेम का निस्तारण किया। परिवादी के अनुसार उसने विपक्षीगण को क्लेम राशि के भुगतान हेतु अनेकों पत्र भेजे किन्तु आज तक भी परिवादी के दावे का उन्होंने निस्तारण नहीं किया है। विपक्षीगण के कृत्य सेवा में कमी की श्रेणी में आते हैं, उन्होंने अनुचित व्यापार प्रथा भी अपनाई है। परिवादी के अनुसार उसके पास परिवाद योजित करने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है। उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादी फर्म के भागीदार श्री संजीव ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-3/7 दाखिल किया जिसके साथ उसने बीमा कवरनोट, भेजे गऐ माल की इन्वायस, प्रेम रोडलाइन्स द्वारा माल ले जाने की विल्टी, प्रथम सूचना रिपोर्ट, पुलिस द्वारा बनाऐ गऐ घटनास्थल के पंचनामें, हिना वेयर हाउसिंग कारपोरेशन तथा प्रेम रोडलाइन्स के मध्य निष्पादित एग्रीमेन्ट/इकरारनामा, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के समक्ष प्रस्तुत क्लेम फार्म दिनांकित 31-7-2010 तथा विपक्षीगण को क्लेम राशि के भुगतान हेतु भेजे गऐ पत्रों और अनुस्मारक पत्रों की नकलों को बतौर संलग्नक-1 लगायत संलग्नक-8 दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/8 लगायत 3/35 हैं।
- विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-12/1 लगायत 12/4 दाखिल हुआ जिसमें दिनांक 14/4/2010 से 13/4/2011 तक की अवधि हेतु पालिसी की शर्तों एवं प्रतिबन्धों के अधीन विपक्षीगण से परिवादी का बीमा होना, परिवाद के पैरा सं0-2 व 3 में परिवादी का प्रेम रोड लाइन्स द्वारा माल भेजा जाना, हिना वेयर हाउस में आग लगने की सूचना प्राप्त होना और आग लगने की सूचना मिलने पर क्षति आंकलन एवं जॉंच हेतु ट्रांस ओशन मरिन एण्ड जनरल सर्वे एजेन्सी को सर्वेयर नियुक्त किया जाना तो स्वीकार किया गया, किन्तु शेष परिवाद कथनों से इन्कार किया गया है। विशेष कथनों में कहा गया है कि परिवादी को उत्तरदाता विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद योजित किऐ जाने का कोई वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ, परिवाद असत्य कथनों पर आधारित है और परिवादी ने सही तथ्यों को छिपाते हुऐ परिवाद योजित किया है अत: परिवाद इन्ही्ं कारणों से खण्डित होने योग्य है। प्रतिवाद पत्र में अग्रेत्तर कथन किया गया है कि आग लगने की घटना दिनांक 26/27/7/2010 की है, परिवाद पत्र लगभग 4 वर्ष बाद दायर किया गया है जो टाइमबार्ड है। विपक्षीगण की ओर से अग्रेत्तर कथन किया गया कि जैसे ही माल हिना वेयर हाउसिंग कारपोरेशन में पहुँच गया तो ट्रांजिट कम्पलीट हो गया। यह भी कहा गया कि हिना वेयर हाउसिंग कारपोरेशन ट्रांसपोर्टर प्रेम रोड लाइन्स का गोदाम नहीं है। आग लगने से जो नुकसान हुआ वह बीमा अवधि में नहीं हुआ। यह कि हिना वेयर हाउसिंग कारपोरेशन ट्रांसपोर्टर प्रेम रोड लाइन्स के किराऐ में नहीं था। परिवाद के साथ परिवादी ने जो एग्रीमेंट/ किरायानामा दाखिल किया है वह फर्जी और कपटपूर्ण तरीके से बनाया गया दस्तावेज है। विपक्षीगण ने यह कहते हुऐ कि परिवादी का दावा सकारण अस्वीकृत करते हुऐ परिवादी को पत्र दिनांक 10/9/2013 द्वारा सूचित कर दिया गया था, परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवादी की ओर से फर्म के भागीदार संजीव धवन ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-13/1 लगायत 13/8 दाखिल किया जिसके साथ उसने नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी गजरौला जिला मुरादाबाद की ओर से विपक्षी सं0-1 को भेजे गऐ पत्र दिनांकित 07/5/2011 की नकल बतौर संलग्नक दाखिल की।
- विपक्षीगण की ओर से बीमा कम्पनी के मण्डलीय कार्यालय में सहायक प्रबन्धक श्री रमन ओबेराय ने साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-16/1 लगायत 16/4 दाखिल किया जिसके साथ उन्होंने सर्वेयर की सर्वे रिपोर्ट तथा परिवादी को भेजे गऐ रिप्यूडिऐशन लेकटर दिनांकित 10/9/2013 की नकलों को बतौर संलग्नक दाखिल किया, यह संलग्नक पत्रावली के कागज सं0-16/5 लगायत 16/21 हैं।
- प्रत्युत्तर में परिवादी के भागीदार श्री संजीव धवन ने रिज्वाइंडर शपथ पत्र कागज सं0-18/1 लगायत 18/2 दाखिल किया।
- विपक्षीगण की ओर से उनके सर्वेयर श्री ए0एम0 गावरीकरका साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-20/1 लगायत 20/3 दाखिल हुआ।
- परिवादी की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
- विपक्षीगण की ओर से लिखित बहस दाखिल हुई।
- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- पक्षकारों के मध्य इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि दिनांक 14/4/2010 से 13/4/2011 तक की अवधि हेतु परिवादी के माल का मरिन इंश्योरेंस विपक्षीगण से था। पालिसी सर्टिफिकेट विपक्षी सं0-2 द्वारा जारी हुआ जिसकी नकल पत्रावली का कागज सं0-3/8 है। पक्षकारों के मध्य इस बिन्दु पर भी कोई विवाद नहीं है कि ब्राजील को निर्यात करने हेतु परिवादी के माल के 226 कार्टन्स प्रेम रोड लाइन्स, मुरादाबाद द्वारा दिनांक 20/7/2010 को मुरादाबाद वेयर हाउस से मुम्बई पोर्ट हेतु भेजे गऐ थे इस माल की भारतीय मुद्रा में कीमत अंकन 9,06,425/- रूपया थी। विपक्षी को यह भी स्वीकार है कि दिनांक 26/7/2010 को यह माल जब नवी मुम्बई स्थित हिना वेयर हाउस में रखा हुआ था तो वहां आग लग गई जिससे परिवादी का माल नष्ट हो गया। आग लगने की सूचना मिलना और उसकी जांच व क्षति के आंकलन हेतु सर्वेयर नियुक्त किया जाना भी विपक्षी को स्वीकार है। विपक्षी की ओर से दाखिल सर्वे रिपोर्ट की नकल कागज सं0-16/5 लगायत 16/20 के अवलोकन से स्पष्ट है कि विपक्षी के सर्वेयर ने मौके पर सर्वे और क्षति आंकलन का कार्य दिनांक 28/7/2010 को प्रारम्भ कर दिया था।
- विपक्षी के सर्वेयर ने अपनी जांच रिपोर्ट में इस तथ्य की पुष्टि की कि दिनांक 26/7/2010 को हिना वेयर हाउस में आग लगने की वजह से परिवादी के वहॉं रखे 226 कार्टन्स जल गऐ थे और इस माल का विपक्षीगण से 9,06,425/- रूपये का बीमा था।
- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने बीमा सर्टिफिकेट की नकल कागज सं0-3/8 लगायत 3/9 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया और कहा कि बीमा पालिसी के अनुसार परिवादी का माल बीमा अवधि में मुरादाबाद अथवा भारत वर्ष में अन्य किसी स्थान से सड़क मार्ग अथवा रेल द्वारा भारत वर्ष के भीतर किसी भी इन्टरनेशनल कस्टम क्लीयरेंस डिपार्टमेंट अथवा मुम्बई पोर्ट पहुँचाने हेतु बीमित था। वर्तमान मामले में विधमान विवाद के विनिश्चय हेतु यह तथ्य अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि बीमा पालिसी के अनुसार परिवादी के माल का डेस्टीनेशन भारत वर्ष में कोई भी इन्टर नेशनल कस्टम क्लीयरेंस डिपार्टमेंट अथवा मुम्बई पोर्ट था। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने परिवाद में अवस्थित प्रेम रोड लाइन्स की परिवादी के 226 कार्टन्स ले जाऐ जाने की विल्टी की नकल कागज सं0-3/11 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुऐ तर्क दिया कि इस विल्टी के अनुसार परिवादी के माल का डेस्टीनेशन मार्स कारगो लोजिस्टिक ड्रोनगिरी मुम्बई था। हमने इन्टर नेट के माध्यम से सर्च करने पर पाया कि ‘’ मार्स कारगो लोजिस्टिक ड्रोनगिरी, मुम्बई ‘’ कस्टम क्लीयरेंस कम्पनी है। हमारे कहने का आशय यह कि प्रेम रोड लाइन्स द्वारा ले जाऐ जा रहे माल की डेस्टीनेशन द्रोणा गिरि मुम्बई स्थित उक्त कस्टम क्लीयरेंस कम्पनी थी।
- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि कस्टम क्लीयरेंस न होने की वजह से दिनांक 26/7/2010 को मुम्बई पहुँचने पर ट्रांसपोर्टर-प्रेम रोड लाइन्स ने परिवादी का माल हिना वेयर हाउस नवी मुम्बई में रख दिया था यह वेयर हाउस ट्रांसपोर्टर ने किराऐ पर ले रखा है। परिवादी के अनुसार उसी दिन शार्ट सर्किट से हिना वेयर हाउस में आग लग गई और परिवादी का सारा माल उसमें नष्ट हो गया। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि कस्टम क्लीयरेंस न होने तथा मुम्बई पोर्ट में माल ले जाने हेतु जहाज उपलब्ध न हो पाने की वजह से ट्रासपोर्टर ने हिना वेयर हाउस में माल रखा था और माल प्रेम रोड लाइन्स की विल्टी कागज सं0-3/11 के अनुसार अपने डेस्टीनेशन पर पहुँच नहीं पाया था ऐसी दशा में जब माल कस्टम क्लीयरेंस डिपार्टमेंट अथवा मुम्बई पोर्ट पर पहुँच ही नहीं पाया था और माल आग में नष्ट हो गया तब परिवादी को पालिसी के अनुसार बीमा क्लेम मिलना चाहिए। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने परिवाद के साथ दाखिल विपक्षीगण को लिखे पत्रों और अनुस्मारक पत्रों (कागज सं0-3/30 लगायत 3/35) की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुऐ कथन किया कि बार-बार अनुरोध के बावजूद विपक्षीगण ने परिवादी का क्लेम नहीं दिया और ऐसा करके विपक्षीगण ने सेवा में कमी की और अनुचित व्यापार प्रथा अपनाई। उनके अनुसार परिवाद में अनुरोधित अनुतोष परिवादी को दिलाऐ जाने चाहिऐ।
- परिवादी पक्ष की ओर से दिऐ गऐ तर्को के उत्तर में विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा सर्वप्रथम यह कहा गया कि परिवाद कालबाधित है। इस तर्क को आगे बढ़ाते हुऐ विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने कहा कि आग लगने की घटना दिनांक 26/7/2010 की बताई गई है जबकि परिवाद दिनांक 02/6/2014 को प्रस्तुत किया गया है। इस प्रकार उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-24 (क) के अनुसार परिवाद कालबाधित है। उन्होंने अग्रेत्तर यह भी तर्क दिया कि परिवादी का यह कथन असत्य है कि उसका क्लेम निस्तारित नहीं किया गया। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने रिप्यूडिऐशन लेटर दिनांकित 10/9/2013 की नकल कागज सं0-16/21 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुऐ कथन किया कि परिवादी का क्लेम इस रिप्यूडिऐशन लेटर द्वारा अस्वीकृत किया जा चुका है और इसकी सूचना परिवादी को दे दी गई है। प्रत्युत्तर में परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने कहा कि रिप्यूडिऐशन लेटर दिनांकित 10/9/2013 नितान्त फर्जी अभिलेख है और ऐसा कोई पत्र विपक्षीगण की ओर से न तो परिवादी को भेजा गया और न परिवादी को ऐसा कोई पत्र प्राप्त हुआ। रिज्वांइडर शपथ पत्र कागज सं0-18/1 लगायत 18/2 में परिवादी ने इस रिप्यूडिऐशन लेटर को कूटरचित प्रपत्र बताया है और यह भी कहा है कि विपक्षीगण ने इस पत्र को भेजे जाने का कोई प्रमाण पत्रावली में प्रस्तुत नहीं किया ऐसी दशा में यह माने जाने योग्य है कि यह पत्र विपक्षीगण ने फर्जी तैयार किया है।
- कथित रिप्यूडिऐशन लेटर को डाक अथवा अन्य किसी रीति से परिवादी को भेजे जाने का कोई प्रमाण यथा डाक खाने की रसीद इत्यादि विपक्षीगण की ओर से दाखिल नहीं की गई है। ऐसी दशा में परिवादी पक्ष का यह तर्क स्वीकार किऐ जाने योग्य है कि कदाचित रिप्यूडिऐशन लेटर विपक्षीगण ने फर्जी तैयार किया है। यदि तर्क के तौर पर यह मान लिया जाऐ कि दिनांक 10/9/2013 के पत्र द्वारा विपक्षीगण ने परिवादी का क्लेम अस्वीकृत कर दिया था और पत्र उन्होंने परिवादी को भेजा था तब भी यह परिवाद कालबाधित नहीं है।
- मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा रिवीजन पिटीशन सं0-1409 सन् 2005, न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम प्रदीप माहेश्वरी के मामले में यह व्यवस्था दी गयी है कि यदि बीमित व्यक्ति ने बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम प्रस्तुत कर दिया है तो वाद हेतुक क्लेम अस्वीकृत किऐ जाने की तिथि से उत्पन्न होगा। यदि बीमित व्यक्ति का क्लेम बीमा कम्पनी के पास लम्बित है तो ऐसी दशा में परिवाद के कालबाधित होने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता। यह निगरानी मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिनांक 04/3/2009 को निरस्तारित की गयी थी।
- लिमिटेशन एक्ट के आर्टीकल-44 (बी.) के अनुसार यदि बीमित व्यक्ति ने बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम प्रस्तुत कर दिया है तो क्लेम को अस्वीकृत किऐ जाने की तिथि से वाद हेतुक उत्पन्न होना माना जायेगा।
- सिरपुर पेपर मिल्स लिमिटेड बनाम नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी, II (1997) सी.पी.जे. पेज-36 की निर्णयज विधि मे मा0 राष्ट्रीय आयोग की पूर्ण पीठ द्वारा तथा ओरियन्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम प्रेम प्रिटिंग प्रेस, I (2009) सी.पी.जे. पृष्ठ-55 की निर्णयज विधि में मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह व्यवस्था दी गयी है कि जिस तिथि को बीमा कम्पनी बीमित व्यक्ति के क्लेम को अस्वीकृत करती है, उस तिथि से परिवाद योजित करने का वाद हेतुक उत्पन्न होता है।
- IV(2013) सी.पी.जे. पृष्ठ-607 (एन.सी.), देवेन्द्र सिंह बनाम ओरियन्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड के मामले में मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा निर्णय के पैरा सं0-9 में निम्न व्यवस्था दी गई है:-
‘’ ……… Admittedly this is a case of Insrance claim which was still under consideration of the Insurance Company. Therefore, till the Insurance Company had taken the decision on the complaint, the cause of action for filing the complaint continued. Therefore, in our considered view the State Commission has committed a gave error in holding that the complaint was barred by limitation. ‘’
22. उपरोक्त निर्णयेज विधियो के अनुसार किसी भी दृष्टि से परिवाद टाइमवार्ड नहीं है।
23. अब देखना यह है कि क्या परिवादी द्वारा प्रेम रोड लाइन्स के माध्यम से मुम्बई भेजा गया माल डेस्टीनेशन पर पहुँच गया था अथवा नहीं ?
24-.इस सन्दर्भ में परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि माल डेस्टीनेशन पर नहीं पहुँचा और चूँकि कस्टम क्लीयरेंस नहीं मिला था और मुम्बई पोर्ट पर जहाज उपलब्ध नहीं था अत: माल को प्रेम रोड लाइन्स ने किराऐ पर लिऐ गऐ हिना वेयर हाउस में रख दिया था। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि कस्टम क्लीयरेंस हो जाने की बाद हिना वेयर हाउस से माल को मुम्बई पोर्ट तक ले जाने की जिम्मेदारी प्रेम रोड लाइन्स की ही थी। बीमा पालिसी के अनुसार हिना वेयरहाउस में रखा हुआ परिवादी का माल बीमित अवस्था में था। जवाब में विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि माल हिना वेयर हाउस में पहुँचने पर ट्रांसपोर्टेशन पूरा हो गया था। उनका यह भी कथन है कि अनेकों कस्टम हाउस एजेन्ट्स इसे अपने स्टोरेज के लिए इस्तेमाल करते हैं। उनका यह भी कथन था कि नुकसान बेलिडिटी पीरिऐड में नहीं था और हिना वेयर हाउस प्रेम रोड लाइन्स की किरायेदारी में भी नहीं था। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने नकल कागज सं0-3/22 को भी फर्जी और कूटरचित अभिलेख बताया और कहा कि इस अभिलेख को किसी भी दृष्टि से किरायानामा नहीं कहा जा सकता क्योंकि इसमें कथित किराये की राशि तक का उल्लेख नहीं है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत उक्त तर्कों का प्रबल प्रतिवाद किया और उन्होंने एग्रीमेंट/ इकरारनामा कागज सं0-3/22 को वैध अभिलेख बताया और कहा कि यह अभिलेख हिना वेयर हाउस के मालिक और प्रेम रोड लाइन्स के मध्य निष्पादित हुआ था जो वैध प्रपत्र है।
25- विपक्षीगण के सर्वेयर की सर्वे रिपोर्ट के पृष्ठ सं0-14, जो इस पत्रावली का कागज सं0-16/18 है, में स्थल- ‘‘ ए ’’ पर निम्न उल्लेख है कि :-
‘’ We understand that rates of this godown is Rs: 2/- per kg. for loading and unloading and Rs: 1/- per kg. for storage.’’
26- उकत उल्लेख यह इंगित करता है कि कदाचित हिना वेयर हाउस प्रेम रोड लाइन्स के मालिकों द्वारा मासिक किराये पर नहीं लिया गया था बल्कि आवश्यकतानुसार इसमें माल रखने का उन्होंने हिना वेयर हाउस के मालिकान से एग्रीमेंट /इकरारनामा कर रखा था। यहॉं हम यह उल्लेख करना भी प्रासंगिक समझते कि हिना वेयर हाउस के मालिक अथवा प्रेम रोड लाइन्स के मालिकान की ओर से इस एग्रीमेंट कागज सं0-3/22 की वैधता पर कोई प्रश्न चिन्ह नहीं लगाया है। प्रेम रोड लाइन्स की ओर से परिवादी को भेजे गऐ पत्र कागज सं0-3/24 ,कागज सं0-3/25 तथा परिवादी की ओर से भेजे गऐ पत्र कागज सं0-3/27 व 3/29 तथा प्रतिवाद पत्र के साथ दाखिल संलग्नक कागज संख्या- 13/9 के अवलोकन से प्रकट है कि हिना वेयर हाउस में प्रेम रोड लाइन्स द्वारा परिवादी का माल कस्टम क्लीयरेंस न होने की वजह से रख दिया गया था और इसी मध्य दिनांक 26/7/2010 को हिना वेयर हाउस में आग लगने से वह माल नष्ट हो गया। परिवादी का माल विल्टी कागज सं0-3/11 में उल्लिखित डेस्टीनेशन पर नहीं पहुँच पाया था इस तथ्य की पुष्टि सर्वे रिपोर्ट के पृष्ट-2, जो पत्रावली का कागज सं0-16/6 है, में उल्लिखित निम्न अंश से भी होती है :-
4 (डी) Date of receipt of cargo to : Intermediate storage atHeena
final destination Warehouse, Uran on 26/72010
आग लगने के समय माल डेस्टीनेशन पर नहीं पहुँचा था और ट्रांजिट में ही था पुन: इस तथ्य की पुष्टि विपक्षीगण के सर्वेयर की सर्वे रिपोर्ट के पृष्ठ— 3, जो इस पत्रावली कागज सं0-16/17 है, के निम्न अंश से भी होती है :-
In which stage of transit damage : During stirage at M/s Heena
Has taken place. Warehousing Corporation.
27- उपरोक्त साक्ष्य एवं विवेचना से सिद्ध है कि दिनांक 26/7/2010 को द्रोणागिरि नवी मुम्बई स्थित हिना वेयर हाउस में रखा हुआ परिवादी का माल जब आग में जलकर नष्ट हुआ तब तक उक्त माल बीमा पालिसी में और प्रेम रोड लाइन्स की विल्टी में उल्लिखित डेस्टीनेशन पर नहीं पहुँचा था बल्कि वह ट्रांजिट में ही था ऐसी दशा में परिवादी का क्लेम लम्बित रखकर अथवा उसे अस्वीकृत कर जैसा कि विपक्षीगण कहते हैं, विपक्षीगण ने सेवा में कमी की है और अनुचित व्यापार प्रथा अपनाई है। परिवाद कालबाधित होना भी नहीं पाया गया।
28- नष्ट हुऐ परिवादी के 226 कार्टन्स की कीमत 9,06,425/- रूपया थी। परिवादी यह धनराशि परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित विपक्षीगण से पाने का अधिकारी है। इसके अतिरिक्त क्षतिपूर्ति की मद में परिवादी को एकमुश्त 25,000/- (पच्चीस हजार रूपया) तथा परिवाद व्यय की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) अतिरिक्त दिलाया जाना भी न्यायोचित होगा। तदानुसार परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 9,06,425/- (नो लाख छ: हजार चार सौ पच्चीस रूपये) की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादी के पक्ष में और विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। क्षतिपूर्ति की मद में परिवादी एकमुश्त 25,000/- (पच्चीस हजार रूपया) तथा परिवाद व्यय की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) अतिरिक्त विपक्षीगण से पाने का अधिकारी होगा। समस्त धनराशि की अदायगी इस आदेश की तिथि से दो माह के भीतर की जाय।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन)
सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
12.05.2016 12.05.2016 12.05.2016
हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 12.05.2016 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन)
सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
12.05.2016 12.05.2016 12.05.2016