जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 306/13
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
महावीर ट्रांसपोर्ट कम्पनी झुंझुनू प्रो0 रामोतार मालसरिया जाति जांगिड़ निवासी रोड़ नम्बर 3 झुंझुनू तहसील व जिला झुन्झुनू (राज.) - परिवादी
बनाम
प्रबंधक, नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी ब्रांच स्टेषन रोड़, एस.बी.आई. बैंक के पास झुंझुनू (राज0) - विपक्षी
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री जाफर अली, अधिवक्ता - परिवादी की ओर से।
2. श्री इन्दुभूषण शर्मा, अधिवक्ता - विपक्षी की ओर से।
- निर्णय - दिनांक: 20.01.2015
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 21.06.2013 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी महावीर ट्रांसपोर्ट कम्पनी झुंझुनू वाहन ट्रक नम्बर आर.जे. 18 जी.ए. 2669 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 21.10.2010 से 20.10.2011 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादी, विपक्षी का उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह कथन रहा है कि परिवादी का वाहन दिनांक 01.08.2011 व 02.08.2011 की रात्रि को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। परिवादी द्वारा उक्त घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 372/11, पुलिस थाना डूंगरगढ़ में दर्ज कराई गई। उक्त दुर्घटना में परिवादी के ट्रक का 6,62,297/-रूपये का नुकसान हुआ। विपक्षी बीमा कम्पनी को दुर्घटना की सूचना करने पर बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा परिवादी के वाहन का सर्वे किया गया परन्तु परिवादी को विपक्षी कम्पनी ने उक्त दुर्घटना के संबंध में कोई क्लेम नहीं दिया। परिवादी ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन को रिपेयर करवाया तथा विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में समस्त बिल पेष कर दिये । समस्त दस्तावेजात पेष नहीं करने के संबंध में विपक्षी की ओर से परिवादी को किसी भी प्रकार का नोटिस प्राप्त नहीं हुआ, यदि रजिस्टर्ड नोटिस परिवादी को दिया होता तो उसकी रसीद विपक्षी द्वारा परिवाद पत्र में पेष की जाती । परिवादी ने दिनांक 01.05.2013 तक इंतजार किया गया लेकिन विपक्षी बीमा कम्पनी ने उक्त वाहन की दुर्घटना के संबंध में किसी भी प्रकार की क्लेम राषि अदा नहीं की । इस प्रकार विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है।
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षी से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन में हुए नुकसान की राषि दिलाये जाने का निवेदन किया।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादी को वाहन ट्रक नम्बर आर.जे. 18 जी.ए. 2669 का मालिक होना तथा उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 21.10.2010 से 20.10.2011 तक की अवधि के लिये बीमा पालिसी में वर्णित शर्तो के अधीन बीमित होना स्वीकार किया है।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने बहस के दौरान उक्त तर्को का विरोध करते हुए यह कथन किया है कि परिवादी ने उक्त वाहन दुर्घटनाग्रस्त के संबंध में कोई क्लेम फार्म भरकर बीमा कम्पनी को प्रस्तुत नहीं किया है तथा न ही कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट एवं पुलिस द्वारा दौराने तफ्तीष तैयार किए गये कागजात व चार्जषीट आदि विपक्षी बीमा कम्पनी को उपलब्ध कराये हैं। परिवादी के वाहन में 6,62,297/-रूपये का नुकसान नहीं हुआ है बल्कि यह राषि मनगढ़ंत रूप से बढ़ा चढ़ा कर अंकित की गई है। परिवादी द्वारा दुर्घटना की सूचना विपक्षी बीमा कम्पनी को दिनांक 02.08.2011 को दिये जाने पर बीमा कम्पनी द्वारा स्पोट सर्वेयर नियुक्त किया गया एवं लोस एसेस किए जाने हेतु बीमा कम्पनी ने नियमानुसार सर्वेयर एवं लोस एसेसर नियुक्त किया। सर्वेयर ने कुल क्षति 1,43,110/-रूपये होना माना है। बीमा कम्पनी द्वारा नियमानुसार क्लेम की स्क्रुटनी किए जाने पर 43,335/-रूपये पार्टस की तथा प्लास्टिक व रबर पार्टस के 1139/-रूपये एवं लेबर चार्जेज के 65,000/-रूपये, इस प्रकार कुल 1,09,474/-रूपये की क्षति का अवधारण किया है जिसमें से परिवादी द्वारा लोड चालान प्रस्तुत नहीं किए जाने पर बीमा कम्पनी के नियमानुसार क्लेम को सबस्टेन्डेड मानते हुए 25 प्रतिषत राषि की कटौती किए जाने पर 82,106/-रूपये तथा अदर पार्टस के सालवेज के 3606/-रूपये एवं पालिसी क्लाज का 1500/-रूपये घटाये जाने पर नेट देय राषि 77,000/-रूपये पेयबल बनती है जो परिवादी द्वारा क्लेम फार्म एवं फौजदारी प्रकरण के दस्तावेजात प्रस्तुत किए जाने पर पेयबल है। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को दिनांक 04.05.2012, 19.07.2012 व दिनांक 19.09.2012 को रजिस्टर्ड पत्र प्रेषित कर क्लेम के निस्तारण हेतु वांछित कार्यवाही किए जाने हेतु कागजात बिल एवं पुलिस द्वारा प्रस्तुत चार्जषीट आदि दस्तावेजात प्रस्तुत किए जाने एवं वाहन का रि-इन्सपेक्षन करवाये जाने हेतु निवेदन किया गया परन्तु परिवादी द्वारा वांछित दस्तावेजात पेष नहीं किये गये, इसके बावजूद दिनांक 19.09.2013 को अन्तिम पत्र में उल्लेखित कारणों के आधार पर परिवादी द्वारा वांछित दस्तावेजात उपलब्ध नहीं कराये जाने पर परिवादी की फाईल को नो क्लेम किया गया। इसलिये विपक्षी बीमा कम्पनी की सेवा में कोई कमी नहीं है।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादी वाहन ट्रक नम्बर आर.जे. 18 जी.ए. 2669 का रजिस्टर्ड मालिक है। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 21.10.2010 से 20.10.2011 की अवधि तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था।
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी का वाहन दिनंाक 01.08.2011 व 02.08.2011 की रात्रि को दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसके संबंध में पुलिस थाना डूंगरगढ़ पर एफ0आई.आर0 संख्या 372/11, अंतर्गत धारा 279,304-ए भारतीय दण्ड संहिता में दर्ज हुई। वक्त दुर्घटना उक्त वाहन बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। दुर्घटना के संबंध में परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना दी गई। विपक्षी बीमा कम्पनी द्धारा नियुक्त सर्वेयर ने क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण कर 1,43,110/-रूपये कुल क्षति मानते हुये अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसे विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब में स्वीकार किया है। परिवादी द्वारा वांछित दस्तावेजात की पूर्ति किए जाने के बावजूद भी विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी को सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार भुगतान नहीं किया। इसलिये विपक्षी बीमा कम्पनी किसी भी तरह से क्षतिपूर्ति की अदायगी से विमुख नहीं हो सकती है।
अतः उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को वाहन की क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये उत्तरदायी है।
परिवादी ने परिवाद पत्र के साथ मोदी ओटो मोबाईल्स, झुंझुनू, खोखर ट्रक बोडी रिपेयरिंग वक्र्स, मारवाड़ मूण्डवा जिला नागौर, शारदा मोटर्स जयपुर, मै0 रामस्वरूप मनोज कुमार जैन अजमेर, मिर्जा आॅटो इलेक्ट्रिक वक्र्स, झुंझुनू, महालक्ष्मी एयर बक्र्स, भिवानी आदि के बिलों की फोटो प्रतियां पेष की हैं । लेकिन परिवादी द्वारा बिलों में अंकित राषि बढ़ा चढ़ा कर बताई गई है, जिस पर विष्वास किए जाने का कोई युक्तियुक्त आधार नहीं है। विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने बहस के दौरान दावा निर्धारण सीट की फोटो प्रति पेष की है जिस पर किसी अधिकृत व्यक्ति के हस्ताक्षर नहीं है। इसलिए उस पर विष्वास किए जाने का भी कोई युक्तियुक्त आधार नहीं है।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा लोड चालान के संबंध में क्लेम को सबस्टेन्डेड मानते हुए 25ः राषि कटौति करना बताया है इस संबंध में विपक्षी की ओर से केाई स्पष्टीकरण पेष नहीं किया गया है तथा अदर पाटर्स के सालवेज की राषि व पालिसी क्लाज की राषि किस आधार पर पर कम की गई है इसका भी कोई स्पष्टीकरण पेष नहीं किया गया है।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षी आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी, विपक्षी बीमा कम्पनी से 1,43,110/रुपये (अक्षरे रूपये एक लाख तियालीस हजार एक सौ दस मात्र) बीमा क्लेम राषि बतौर वाहन क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त राषि पर विपक्षी से संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 21.06.2013 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 20.01.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।