Rajasthan

Jhunjhunun

CC/602/2014

Kalas Chandar - Complainant(s)

Versus

National Insurance Company - Opp.Party(s)

Hidayat Husain

28 Jan 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/602/2014
 
1. Kalas Chandar
Chidava, Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. National Insurance Company
Jhunjhunu
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

    जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
                    परिवाद संख्या -602/14

 समक्ष:-    1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष। 
        2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
        3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
कैलाषचन्द्र वर्मा पुत्र श्री रामकुमार उम्र 45 साल जाति कुम्हार निवासी अडूका वाया चिडावा जिला झुन्झुनू (राज0)                              - परिवादी
                बनाम
युनाईटेड इंडिया इंष्योरेंस कम्पनी लि. चैन्नई क्षेत्रीय कार्यालय टोंक रोड जयपुर जरिये वरिष्ठ मण्डलीय प्रबंधक झुंझुनू जरिये प्रबंधक                     - विपक्षी
    
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ताद सरंक्षण अधिनियम 1986 
उपस्थित:-
1.     श्री हिदायत हुसैन, अधिवक्ता    -  परिवादी की ओर से।
2.     श्री भगवान सिंह शेखावत एवं श्री हरिषचन्द्र जोषी, अधिवक्ता-विपक्षी की 
                                                      ओर से।
                      - निर्णय -          दिनांकः 24.04.2015
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक         26.11.2014 को संस्थित किया गया। 
परिवाद पत्र के संक्षिप्त तथ्य इस प्रकार है कि - परिवादी, वाहन मोटर साईकिल हीरो होण्डा ब्क् क्मसनगम नम्बर आर.जे. 18 एस.जे. 3582 इन्जन नम्बर भ्।11म्ब्ठ9ळ11758 का चेचिस नम्बर डठस्भ्।11म्डठ9ळ0886 का रजिस्टर्ड मालिक है । उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 25.09.2012 से 24.09.2013 तक की अवधि के लिए बीमित था जिसका प्रिमीयम विपक्षी ने परिवादी से नियमानुसार प्राप्त किया था । इस प्रकार परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है। 
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह भी कथन किया है कि परिवादी का उक्त वाहन कस्बा चिडावा में चोरी हो गया जिसकी सूचना परिवादी ने तुरंत विपक्षी को करदी तथा पुलिस थाना चिड़ावा को भी रिपोर्ट दूरभाष पर करदी परन्तु थानाधिकारी द्वारा परिवादी की रिपोर्ट  संख्या 194/13 एक दिन की देरी से दर्ज की गई। परिवादी ने मोटरसाईकिल चोरी होने की सूचना विपक्षी को देने के बाद क्लेम की कार्यवाही की तथा वाहन के समस्त कागजात विपक्षी के कार्यालय में पेष कर दिये। दिनांक 05.08.2014 को विपक्षी ने परिवादी को उक्त मोटरसाईकिल का क्लेम 15,900/-रूपये मानकर सूचित किया कि वाहन की आर.सी. जिला परिवहन अधिकारी, झुंझुनू के कार्यालय में सरेण्डर करके उसका प्रमाण पत्र पेष किया जावे। परिवादी ने वाहन की आर.सी. सरेंडर नहीं की जिस पर विपक्षी ने परिवादी को पूर्ण क्लेम राषि देने से मना कर दिया। 
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षी से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 28000/-रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया।   
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से जवाब पेष किया गया कि परिवादी के वाहन का बीमा पाॅलिसी की शर्तो के अनुसार बीमा होना स्वीकार है परन्तु शर्तो की अवहेलना करने पर बीमा कम्पनी का केाई उतरदायित्व नही बनता है। तथाकथित वाहन चोरी की सूचना परिवादी द्वारा विपक्षी को दिनांक 10.07.2013 को दी गई जो घटना से लगभग दो माह बाद दी गई है तथा परिवहन विभाग को वाहन चोरी की सूचना नहीं दी गई तथा न ही असल  आर.सी. परिवहन कार्यालय में पेष की गई । परिवादी ने विपक्षी को एफ.आर. व अन्य दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं करवाये हैं जो बीमा पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंघन है। 
बीमा कम्पनी ने अपने जवाब मे यह भी कथन किया है कि परिवादी को बीमा कम्पनी द्धारा दिनांक 22.08.2014 को अंतिम बार स्मरण पत्र प्रेषित कर सूचित किया गया कि वाहन के बाउचर तथा रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र व परिवहन कार्यालय में सरेण्डर कर प्रमाण पत्र बीमा कम्पनी को प्रेषित करे परन्तु परिवादी ने आर.सी. सरेण्डर नहीं की, इसलिए परिवादी की दावा पत्रावली बंद करदी गई।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष की बहस सुनी गई पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहे है कि परिवादी अपनी मोटरसाईकिल हीरो होण्डा ब्क् क्मसनगम नम्बर आर.जे. 18 एस.जे. 3582 का रजिस्टर्ड मालिक है । उक्त वाहन दिनांक 25.09.2012 से 24.09.2013 तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। दिनांक 14.05.2013 को उक्त वाहन चोरी हुआ है।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षी का बहस के दौरान यह तर्क होना कि मोटरसाईकिल चोरी की रिपोर्ट पुलिस थाना, चिडावा में परिवादी ने जानबुझकर अपनी लापरवाही से देरी से दर्ज करवाई है तथा बीमा कम्पनी को भी उक्त घटना की सूचना देरी से दी गई है, जिसके कारण बीमा पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंघन होने पर बीमा कम्पनी किसी भी तरह से क्लेम अदा करने के लिए उतरदायी नही है।
हम, विद्धान अधिवक्ता विपक्षी के उक्त तर्को से सहमत नही है क्योंकि अब हमें यह देखना है कि क्या परिवादी की लापरवाही के कारण बीमा पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंघन हुआ है ? 
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हुआ है कि परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 14.05.2013 को कस्बा चिड़ावा में चोरी हो गया था जिसकी सूचना परिवादी द्वारा सम्बन्धित पुलिस थाना मे दूरभाष पर घटना के दिन ही करदी गई थी लेकिन उसकी रिपोर्ट दूसरे दिन अर्थात दिनांक 15.05.2013 को दर्ज की गई। एफ.आई.आर. एवं एफ.आर. की फोटो काॅपी पत्रावली मे सलंग्न है। इसके अतिरिक्त परिवादी ने वाहन चोरी के संबंध में दूरभाष पर घटना के दिन ही विपक्षी  बीमा कम्पनी को सूचना देना बताया है तथा परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी को वाहन चोरी के संबंध में भी लिखित में भी सूचना दी है जो पत्रावली में संलग्न है। उक्त सूचना रिपोर्ट में परिवादी ने यह अंकित किया है कि वाहन चोरी होने के पश्चात वाहन की तलाष में इधर-उधर जाना पड़ा तथा पुलिस थाना से एफ.आई.आर. की नकल भी विलंब से  मिली । परिवादी द्वारा विलम्ब से वाहन चोरी के संबंध में विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना दी है उसका युक्तियुक्त कारण रिपोर्ट में अंकित किया है। इस प्रकार परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी को विलम्ब से दी गई सूचना के लिये उसकी लापरवाही नही मानी जा सकती। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा वाहन के क्लेम की क्षतिपूर्ति 15800/-रूपये मानकर परिवादी को उक्त राषि अदायगी के लिये सूचित किया  गया था लेकिन विपक्षी ने उक्त राषि 15800/-रूपये किस आधार पर आंकलन किया है, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण पेष नहीं किया है। जिस वक्त बीमा कम्पनी ने उक्त वाहन का बीमा किया था उस वक्त वाहन की कीमत 28000/-रूपये आंकलन कर परिवादी से प्रीमियम लिया था। विपक्षी बीमा कम्पनी किसी भी तरह से क्लेम राषि के उतरदायित्व से विमुख/मुक्त नही हो सकती। 
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्ध विपक्षी बीमा कम्पनी स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी विपक्षी से बीमा क्लेम राषि 28000/रुपये  (अक्षरे रूपये अट्ठाईस हजार मात्र) बतौर क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त क्लेम राषि पर संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 26.11.2014 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। इस निर्देष के साथ प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।  
       निर्णय आज दिनांक 24.04.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 
           पत्रावली फैषल शुमार होकर बाद तकमील दाखिल दफ्तर हो।

 

 

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