जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 392/13
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
1. चावली देवी उम्र 60 साल पत्नी स्व0 बिषनाराम।
2. अनिल कुमार उम्र 20 साल पुत्र श्री सुरेष कुमार।
3. सावित्री देवी पत्नी स्व0 सुरेष कुमार उम्र 40 साल।
समस्त जाति जाट निवासीगण अजाडीकला जिला झुन्झुनू (राज.) - परिवादीगण
बनाम
युनाईटेड इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, घूमचक्कर के पास, जयपुर रोड़, उदयपुरवाटी तहसील उदयपुरवाटी जिला झुंझुनू जरिये प्रबंधक। - विपक्षी
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री अमित शर्मा, अधिवक्ता - परिवादीगण की ओर से।
2. श्री हरिषचन्द्र जोषी़, अधिवक्ता - विपक्षी की ओर से।
- निर्णय - दिनांक: 19.11.2015
परिवादीगण ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 24.07.2013 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादीगण ने परिवादिया संख्या 1 के पुत्र, परिवादी संख्या 2 के पिता एवं परिवादिया संख्या 3 के पति स्व0 सुरेष कुमार पुत्र बिषनाराम ने विपक्षी से एक बीमा पालिसी संख्या 141881/42/11/01/00000119 ली थी, जिसकी बीमित राषि 2,00,000/-रूपये थी। स्व0 सुरेष कुमार की दिनांक 19.11.2011 को मृत्यु हो गई । इसलिए परिवादीगण स्व0 सुरेषकुमार के विधिक उतराधिकारी होने से विपक्षी के उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया कि परिवादी संख्या 3 ने उक्त पालिसी का क्लेम प्राप्त करने हेतु सम्यक प्रारूप में आवेदन किया परन्तु विपक्षी द्वारा दिनांक 02.07.2012 के पत्र द्वारा सूचित किया कि उक्त पालिसी में नोमिनी मृतक का पिता बिषनाराम है, इसलिये बिषनाराम के द्वारा आवेदन करने पर ही क्लेम दिया जावेगा। इस संबंध में परिवादी संख्या 3 द्वारा विपक्षी को सूचित किया गया कि स्व0 सुरेष कुमार के पिता बिषनाराम की मृत्यु हो चुकी है तथा वर्तमान में स्व0 सुरेषकुमार के विधिक उतराधिकारी परिवादीगण ही हैं परन्तु विपक्षी ने दिनांक 27.07.2012 को क्लेम देने से इन्कार कर दिया। परिवादीगण ने अपने अधिवक्ता से विपक्षी को लीगल नोटिस दिलवाया परन्तु नोटिस मिलने के बावजूद भी विपक्षी ने उक्त बीमा पालिसी की बीमित राषि का भुगतान नहीं किया।
अन्त में परिवादीगण ने अपना परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार कर विपक्षी से बीमा पालिसी संख्या 141881/42/11/01/00000119 की क्लेम राषि का भुगतान व अन्य देय लाभ मय ब्याज के दिलाये जाने का निवेदन किया।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान स्व0 सुरेष कुमार द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी से पर्सनल एक्सीडेंट पालिसी संख्या 141881/42/11/01/00000119 लिया जाना एवं नामिनी के स्थान पर बिषनाराम का नाम के अलावा अन्य किसी का नाम नहीं सुझाया जाना विवादित नहीं होना मानते हुये कथन किया है कि बीमाधारी सुरेष कुमार ने अपने पिता बिषनाराम का नाम नोमिनी के रूप में पालिसी प्रस्ताव में नामित किया था जबकि परिवादिया के अनुसार बीमाधारी सुरेष कुमार का पिता बीमा कराते वक्त जीवित नहीं था। इसलिये बीमाधारी द्वारा बीमा प्रस्ताव में गलत सूचना देकर बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन किया गया। परिवादीगण विपक्षी बीमा कम्पनी के उपभोक्ता नहीं है। बीमाधरी सुरेषकुमार तथा उसके द्वारा नामित पिता बिषनाराम दोनो की मृत्यु हो चुकी है। इसलिये बीमाधारी के वारिसान के संबंध में न्यायालय द्वारा उतराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त कर प्रस्तुत किये जाने पर ही बीमा पालिसी का निपटारा किया जाना संभव है।
अन्त में विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादीगण का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
प्रस्तुत प्रकरण के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ हंै कि परिवादिया संख्या 1 के पुत्र, परिवादी संख्या 2 के पिता एवं परिवादिया संख्या 3 के पति स्व0 सुरेष कुमार पुत्र बिषनाराम द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी से एक बीमा पालिसी संख्या 141881/ 42/ 11/01/00000119 परिपक्व राषि 2,00,000/-रूपये ली थी। बीमाधारी सुरेष कुमार की दिनांक 19.11.2011 को मृत्यु हो गई। परिवादीगण की ओर से विपक्षी के यहां मृत्यु दावा विचार हेतु सभी दस्तावेजात विपक्षी बीमा कम्पनी को पेष किया, जिस पर विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा विचार किया जाकर बीमाधारी एवं नोमिनी दोनो की मृत्यु हो जाने
के कारण उतराधिकार प्रमाण पत्र के अभाव में क्लेम राषि का भुगतान नहीं किया जा सका। अब परिवादीगण द्वारा सक्षम न्यायालय से उतराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया गया है, जिसकी प्रति पत्रावली में संलग्न है। इसलिये परिवादीगण विपक्षी से स्व0 सुरेष कुमार की मृत्युदावे के भुगतान पेटे 2,00,000/-रूपये मय देय हित लाभ प्राप्त करने के अधिकारी हैं।
उपरोक्त विवेचन के आधार पर परिवादीगण का परिवादपत्र विरूद्ध विपक्षी स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि परिवादीगण विपक्षी बीमा कम्पनी से रूपये 2,00,000/- (अक्षरे रूपये दो लाख मात्र) बतौर बीमा क्लेम राषि क्षतिपूर्ति के रूप में मय देय हित लाभ के प्राप्त करने के अधिकारी है। परिवादीगण उक्त बीमा क्लेम राषि पर दायरी परिवाद पत्र दिनांक 24.07.2013 से ता वसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 19.11.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।