जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, सवाई माधोपुर
समक्ष:- श्री कैलाश चन्द्र शर्मा, अध्यक्ष
श्री सौभाग्यमल जैन, सदस्य
परिवाद सं0:-187/2014 परिवाद प्रस्तुति दिनांकः- 3.04.2014
बेवा चांद कॅवर पत्नि स्व. देवीसिंह जाति राजपुत उम्र 55 वर्ष पेशा खेता निवासी ग्राम सेवती खुर्द थाना रवाजना डॅूंगर जिला सवाई माधोपुर।
– परिवादिया
विरुद्ध
1. नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड मण्डलीय कार्यालय 94 बी हरिकृपा जवाहर नगर सवाई माधोपुर जरिये मण्डलीय प्रबन्धक
2. सवाई माधोपुर केन्द्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड प्रधान कार्यालय बजरिया मानटाउन सवाई माधोपुर जरिये शाखा प्रबन्धक
3. व्यवस्थापक/अध्यक्ष रामपुरा ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड ग्राम रामपुरा वाया फलोदी तहसील व जिला सवाई माधेापुर।
विपक्षीगण
उपस्थिति:-
1. श्री अंजनी कुमार थारवान अधिवकता परिवादिया
2. श्री गोविन्द दीक्षित अधिवक्ता विपक्षी संख्या 1
3. श्री दिनेश गोयल अधिवक्ता विपक्षी संख्या 2
4. श्री रघुनन्दन सिंह अधिवक्ता विपक्षी संख्या 3
द्वारा कैलाश चन्द्र शर्मा (अध्यक्ष) दिनांक:- 23 फरवरी, 2015
नि र्ण य
परिवादिया ने यह परिवाद संक्षेप में इन कथनों के साथ प्रस्तुत किया है कि मृतक देवीसिंह जो प्रार्थीया का पति था वह विपक्षी संख्या 3 ग्राम सेवा सहकारी समिति लि. रामपुरा का सदस्य था। उक्त ग्राम सेवा सहकारी समिति विपक्षी संख्या 2 बेंक के माध्यम से किसानों को ऋण की सुविधा उपलबध करवाती है। किसानों की ऋण की सुविधा के साथ में समिति द्वारा व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना के अन्तर्गत बीमा किया जाता है। बीमा कम्पनी व बैंक के मध्य लिखित में समझौता स्टाम्प पेपर पर किया जाता है जिसमें बैंक, समिति व बीमा कम्पनी की आपसी सहमति होती है। कृषकों के बीमा प्रिमियम की राशि कृषक के खाते में से काटी जाकर बीमा कम्पनी को एक मुश्त लिस्ट बनाकर बीमा कम्पनी को जमा करा दी जाती है। किसान की दुर्घटनावश मृत्यु होने पर बीमा धनराशी का भुगतान बीमा कम्पनी को करना पडता है। बीमा कम्पनी संयुक्त बीमा पाॅलिसी बैंक व ग्राम सेवा समिति के नाम से जारी करती है। बीमित कृषकों की लिस्ट बीमा कम्पनी द्वारा बैंक को भेज दी जाती है। परिवादिया के पति देवी सिंह द्वारा अपने जीवन काल में विपक्षी बैंक के माध्यम से व्यक्ति दुर्घटना बीमा योजना के अन्तर्गत बीमा कराया था जिसके प्रीमियम की राशि उसी समय उसके खाते से काटी जाकर बीमा कम्पनी का जरिये बैंक भिजवा दी गई। सारी औपचारिकताएं पूर्ण करने पर विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा पाॅसिल संख्या 1371200/47/12/9600001027 जारी की गई थी जो दिनांक 8.6.12 से 7.6.़13 तक के लिए जारी की गई थी। परिवादिया के पति की अचानक सडक दुर्घटना में दिनांक 18.4.13 को मृत्यु हो गई। जिसकी सूचना परिवादिया द्वारा दिनांक 10.5.13 को ग्राम सेवा सहकारी समिति लि0रामपुरा को करने पर समिति द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचित कर क्लेम दावा प्रपत्र मंगाकर पूर्ण रूप से भरकर मय सभी आवश्यक दस्तावेजात संल्गन करके दिनांक 4.6.13 को प्रेषित कर दिये गये तथा क्लेम दिलाये जाने हेतु निवेदन किया गया। बीमा कम्पनी द्वारा दिनांक 18.2.14 को जरिये पत्र बैंक को सूचित किया कि सूचना देरी से भिजवाये जाने के कारण बीमा पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंघन होने के कारण उपरोक्त क्लेम दावा भुगतान करने में असमर्थ है और दावा क्लेम खारिज कर दिया जो विपक्षी बीमा कम्पनी का भारी सेवा दोष है। अतः परिवादिया का परिवाद स्वीकार फरमाया जाकर अनुतोष दिलाये जाने का कथन किया।
विपक्षी संख्या 1 ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत कर कथन किया है कि परिवादिया के पति की मृत्यु दिनांक 18.4.13 की सर्व प्रथम सूचना विपक्षी बीमा कम्पनी को दिनांक 4.6.़13 को काफी विलम्ब से एक माह 16 दिन देरीना भिजवाई गई है जो विपक्षी बीमा कम्पनी को 6.6.13 को प्राप्त हुई है। जो कि बीमा पाॅलिसी की शर्ता का स्पष्ट उल्लंघन है। बीमा पाॅलिसी के तहत एक अहम तथा आवश्यक शर्त थी कि बीमित व्यक्ति के मृत्यु बाबत तत्काल अविलम्ब 24 घंटे के अन्दर-2 लिखित सूचना बीमा कम्पनी को दी जावेगी तथा अविलम्ब क्लेम दावा भरकर मय वांछित समस्त दस्तावेजात समस्त प्रपत्रों को बीमा कम्पनी को प्रस्तुत किया जावेगा जिसका उल्लंघन होने पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी का कोई दायित्व नहीं बनता है। बीमित व्यक्ति की मृत्यु की सूचना काफी विलम्ब से दिनांक 6.6.13 को बीमा कम्पनी को प्राप्त होने से बीमा कम्पनी उपरोक्त क्लेम दावे का समय पर अन्वेषण नहीं करवा पाई। जिससे दावे की सत्यतता का पता लगाया जा सके। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा दिनांक 28.1.14 को बैंक को पत्र भेजा गया कि केसीसी धारक देवीसिंह की दुर्घटना दिनांक 7.4.13 को हुई थी एवं मृत्यु दिनांक 18.4.13 को हुई थी जिसकी सूचना मय कागजात आप द्वारा 4.6.13 को लगभग दो माह देरी से भिजवाई गई जो हमें 6.6.13 को प्राप्त हुई। जबकि सूचना तुरन्त 24 घंटे के अन्दर अन्दर दी जानी चाहिए। अतः देरी से सूचना देने के कारणों से अवगत करायें। जिसका बैंक द्वारा 30.1.14 को जवाब प्रस्तुत किया गया, परन्तु बैंक द्वारा संतोषप्रद एवं उचित जवाब नहीं दिया गया। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिया के क्लेम पत्रावली का गहन अध्ययन एवं विश्लेषण कर बीमा पाॅलिसी की शर्तो के अधीन नियमानुसार अपने पत्र दिनांकित 18.2.14 कारण सहित परिवादिया के क्लेम दावें को खारिज कर फाईल बन्द कर दी गई। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा नियमानसार क्लेम निरस्त करने की कार्यवाही सेवा दोष नहीं है। अतः परिवादिया का परिवाद मय हर्जा खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
विपक्षी संख्या 2 ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत कर कथन किया है कि परिवादिया के पति देवीसंिह विपक्षी संख्या 3 ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड रामपुरा का सदस्य था, उक्त ग्राम सेवा सहकारी समिति विपक्षी संख्या 2 के माध्यम से कृषकों को ऋण सुविधा उपलब्ध करवाती है, कृषकों की ऋण सुविधा के साथ में समिति द्वारा व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना के अन्तर्गत बीमा किया जाता है। बीमा कम्पनी ने बैंक के माध्यम से लिखित व समझौता किया जाता है जिसमें बैंक, समिति व बीमा कम्पनी की आपसी सहमति होती है। किसानों के बीमा प्रीमियम की राशि कृषक के खाते से काटी जाकर एक मुश्त लिस्ट बनाकर बीमा कम्पनी को उपलब्ध करवा दी जाती है। कृषकों के दुर्घटना वश मृत्यु होने पर बीमा धन राशि का भुगतान बीमा कम्पनी का करना पडता है। बीमा कम्पनी संयुक्त बीमा पाॅलिसी बैंक व ग्राम सेवा सहकारी समिति के नाम जारी करती है। परिवादिया के पति देवीसिंह के द्वारा अपने जीवन काल में विपक्षी संख्या 3 के माध्यम से व्यक्तिगत बीमा दुर्घटना बीमा योजना के अन्तर्गत बीमा करवाया था, जिसकी प्रिमियम की राशि उसी समय उसके खाते से काटी जाकर बीमा कम्पनी को विप्क्षी संख्या 2 के द्वारा भिजवा दी गई थी। उसके उपरान्त विप्क्षी संख्या 1 के द्वारा बीमा के नियमों के अनुसार सभी औपचारिकता कर बीमा पाॅलिसी संख्या 1371200/47/12/9600001027 जारी की गइ थी। बीमा अवधि 8.6.12 से 7.6.13 तक मान्य थी। परिवादिया के पति की दिनांक 18.4.13 को सडक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी जो बीमा अवधि में थी। परिवादिया द्वारा दिनांक 10.5.13 को उसके पति की मृत्यु की सूचना विपक्षी संख्या 3 ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड रामपुरा को प्रस्तुत की। विपक्षी बैंक द्वारा बीमा कम्पनी को सूचित कर क्लेम दावा प्रपत्र मंगवा कर पूर्ण रूप से भर कर सभी आवश्यक दस्तावेजात संल्गन कर दिनांक 4.6.13 को प्रस्तुत कर दिये गये थे। इस प्रकार विपक्षी संख्या 2 ने सम्पूर्ण क्लेम प्रपत्र को तैयार कर सही समय पर विप्क्षी बीमा कम्पनी को भिजवा दी गई। अतः उक्त परिवाद विरूद्व विपक्षी संख्या 2 खारिज किये जाने का निवेदन किया।
विपक्षी संख्या 3 ने परिवाद का जवाब प्रस्तुत कर कथन किया है कि परिवादिया का मृतक पति विपक्षी संख्या 3 का ऋणी सदस्य था जिसकी मृत्यु दिनांक 18.4.13 को सडक दुर्घटना में हो गयी थी। जिसकी सूचना परिवादिया द्वारा विपक्षी संख्या 3 को दिनांक 10.5.13 को दी गयी। उसी दिन विप्क्षी संख्या 3 ने नियमानुसार विपक्षी संख्या 2 का जरिये पत्र एवं आवश्यक दस्तावेजात सहित भिजवा दिये। इसलिए परिवादिया विपक्षी संख्या 3 से क्लेम राशि प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं है। विपक्षी संख्या 3 द्वारा तत्परता से कार्यवाही कर अग्रिम प्रेषितकरने का दायित्व था जिसे विपक्षी संख्या 3 ने बखूबी अपना दायित्व पूर्ण किया है। अतः उक्त परिवाद विप्क्षी संख्या 3 के विरूद्व मय हर्ज खर्चे के खारिज किये जाने का निवेदन किया।
परिवादिया ने परिवाद के समर्थन में स्वयं का शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में बीमा पाॅलिसी, सूचना पत्र दिनांकित 18.2.14, पत्र दिनांकित 10.5.13, पत्र दिनांकित 4.6.13, मृत्यु प्रमाण पत्र दिनांकित 18.4.13, पंचायत नामा, रसीद लाश सुपुर्दगी, फर्द पंचायत नामा, रसीद सुपुर्दगी लाश एसएमएस अस्पताल, पोस्ट मार्टम रिपोर्ट, प्रार्थना पत्र पुलिस थाना मोती डॅूंगरी जयपुर एवं नकल प्रमाणित प्रति आवेदन पत्र बाबत नकल मंजूरी एफआर मर्ग संख्या 15/2013 पुलिस थाना रवांजना डूूगर आदि की फोटो प्रतियां पेश की। जबकि विपक्षी संख्या 1 की ओर से जवाब के समर्थन में अनिल कुमार लूथरा का शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में पत्र दिनांकित 4.6.13, 28.1.14, 30.1.14 एवं 18.2.14 की फोटो प्रतियां पेश की है। विपक्षी संख्या 2 की ओर से जवाब के समर्थन में विजय कुमार ब्राम्हण का शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में दावा खारिज किये जाने का पत्र, बीमा पाॅलिसी की फोटो प्रति, बैंक द्वारा बीमा कम्पनी को भेजा गया पत्र, बैंक द्वारा बीमा कम्पनी को भेजा गया बीमा दावा, मृतक देवी सिंह का मृत्यु प्रमाण पत्र, पत्र दिनांकित 5.6.12, आदि की फोटो प्रतियां पेश की है। जबकि विपक्षी संख्या 3 की ओर से जवाब के समर्थन में श्री कनीराम कुशवाह का शपथ पत्र पेश किया गया है। दस्तावेजी साक्ष्य पेश नहीं की गई है।
उभय पक्षकारान की बहस अंतिम सुनी गई। पत्रावली का अध्योपान अध्ययन किया गया।
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि विपक्षी संख्या 1 नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड द्वारा जीएसएस रामपुरा को बीमा पाॅलिसी नम्बर 371200/47/12/9600001027 जारी की थी। जिसमें केसीसी कार्ड होल्डर्स का बीमा सम्मिलित था। जिसकी बीमा अवधि 8.6.2012 से दिनांक 7.6.2013 तक प्रभावी थी। परिवादिया के पति की मृत्यु दिनांक 18.4.2013 को हुई है। जिसकी सूचना प्रार्थीया द्वारा दिनांक 10.5.2013 को जीएसएस रामपुरा को देने एवं उनके द्वारा विपक्षी बैंक को दिये जाने का कथन किया गया है। विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनांक 18.2.14 के द्वारा परिवादिया का क्लेम खारिज किया गया है । जिसमें कथन कियागया है कि केसीसी धारक की मृत्यु दिनांक 18.4.13 को हुई थी जिसकी सूचना दिनांक 4.6.13 को भिजवाई गई है। देरी से सूचना देकर पाॅलिसी की शर्तो का उल्लंघन किया है। अतः दावा खारिज किया है। प्रस्तुत परिवाद में परिवादिया के मृतक पति का विपक्षी संख्या 1 से बीमा होना साबित है। जो बीमित सदस्यों की सूची पर क्रमांक संख्या 138 पर दर्ज है। पत्रावली में विपक्षी संख्या 3 जीएसएस रामपुरा का पत्र दिनांक 10.5.13 उपलब्ध है। जिससे यह प्रमाणित होता है कि परिवादिया ने दिनांक 10.5.13 से पूर्व जीएसएस रामपुरा को उसके पति की दुर्घटना में मृत्यु के बाबत सूचित कर दिया था। ग्राम पंचायत लहसोडा पंचायत समिति खण्डार द्वारा दिनांक 4.5.13 को परिवादिया के मृतक पति का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया किया गया है। जिसमें रजिस्ट्शन संख्या 19 एवं रजिस्ट््रीकरण की तारीख दिनांक 21.4.13 अंकित है। इससे यह स्पष्ट होता है कि परिवादिया ने ग्राम पंचायत में उसके पति की दिनांक 18.4.13 को हुई मृत्यु के बाबत दिनांक 21.4.13 को मृत्यु प्रमाण पत्र हेतु ग्राम पंचायत को सूचित कर दिया गया था।लेकिन ग्राम पंचायत द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र दिनांक 4.5.13 को जारी किया गया है। इस प्रकार ग्राम पंचायत द्वारा ही मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने में 15 दिवस का समय लिया गया है। जिसके लिए परिवादिया जिम्मेदार नहीं ठहराई जा सकती है। दिनांक 4.5.13 के पश्चात परिवादिया ने विपक्षी संख्या 3 जीएसएस रामपुरा को मृत्यु के बाबत सूचित किया होगा और उसके पश्चात विपक्षी संख्या 3 द्वारा विपक्षी संख्या 2 केन्द्रीय सहकारी बैंक को इस बाबत दिनांक 10.5.13 को पत्र लिख दिया गया था। पत्रावली में कार्यालय पुलिस अधीक्षक जिला सवाई माधोपुर के पत्र क्रमांक 8497 दिनांक 29.5.13 की प्रति भी संलग्न है। जिसमें मृग नं. 15/2013 दफा 174 सीआरपीसी में जांच श्री प्रताप सिंह ए एस आई के सुपुर्द किये जाने का अंकन है। मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट दिनांक 18.4.13 संलग्न पत्रावली है। विपक्षी संख्या 3 जीएसएस रामपुरा द्वारा अपने जवाब के पैरा संख्या 10 में परिवादिया के पति की मृत्यु सडक दुर्घटना में होना स्वीकार किया है। विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी का यह कथन है कि परिवादिया के पति की मृत्यु दिनांक 18.4.13 की सूचना सर्वप्रथम विपक्षी बीमा कम्पनी को दिनांक 4.6.13 को काफी विलम्ब से एक माह 16 दिन देरीना भिजवाई गई है। जो विपक्षी बीमा कम्पनी को दिनांक 6.6.13 को प्राप्त हुई है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने पाॅलिसी शर्तो के अधीन क्लेम निरस्त कर सूचना दिनांक 18.2.14 को बैंक के माध्यम से परिवादी को भिजवाई गई है। लेकिन पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादिया ने अपने पति की मृत्यु दिनांक 18.4.13 के तीन दिन पश्चात दिनांक 21.4.13 को मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने हेतु ग्राम पंचायत को सूचित किया था। उसके 15 दिन पश्चात देरी से ग्राम पंचायत ने दिनांक 4.5.13 को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया है। उक्त 15 दिन की देरी के लिए परिवादिया को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के पश्चात परिवादिया ने विपक्षी संख्या 3 जीएसएस रामपुरा को सूचित कर दिया। जिनके द्वारा दिनांक 10.5.13 को विपक्षी संख्या 2 केन्द्रीय सहकारी बैंक को सूचित कर दिया। विपक्षी संख्या 2 सहकारी बैंक द्वारा विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी को अपने पत्र क्रमांक 1104 दिनांक 4.6.2013 के द्वारा विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी को परिवादिया के मृतक पति के क्लेम के कागज प्रेषित किये है। इस प्रकार विपक्षी संख्या 3 द्वारा दिनांक 10.5.13 को सूचित किये जाने के बावजूद लगभग 25 दिन की देरी से विपक्षी संख्या 2 बैंक द्वारा विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी को क्लेम के कागजात प्रेषित किये है। इस 25 दिन की देरी के लिए भी विपक्षी संख्या 2 जिम्मेदार है और इसके लिए परिवादिया को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। परिवादिया का मृतक पति एक किसान था। जिसके केसीसी कार्ड होल्डर होने के कारण उसने सम्बन्धित सहकारी समिति विपक्षी संख्या 3 के द्वारा अपना बीमा विपक्षी संख्या 2 एवं विपक्षी संख्या 1 के मध्य हुये एमओयू/ अनुबन्ध के द्वारा करवाया था। साधारण ग्रामिण किसान अथवा उसके प्राधिकारियों को बीमा पाॅलिसी की शर्तो का ज्ञान इसलिए नहीं होता है क्योंकि जो एमओयू दिनांक 1.8.13 को विपक्षी संख्या 2 एवं विपक्षी संख्या 1 के मध्य हुआ हैं। उसकी कोई सूचना या प्रति केसीसी कार्डस होल्डर्स को उपलब्ध नहीं कराई जाती है। माननीय राष्ट््रीय उपभोक्ता आयोग नई दिल्ली द्वारा अनेक न्यायिक विनिश्चयों में यह सिद्वान्त प्रतिपादित किया गया है कि Un communicated conditions are not binding upon consumers. अतः प्रस्तु त प्रकरण में विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी को सूचना देरी से दिये जाने के बारे में जो देरी हुई है उसमें प्रथम ग्राम पंचायत द्वारा 15 दिन देरी से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाना एवं विपक्षी संख्या 2 को विप्क्षी संख्या 1 द्वारा दिनांक 10.5.13 को सूचित किये जाने के बावजूद दिनांक 4.6.13 को विपक्षी संख्या 1 को विपक्षी संख्या 2 द्वारा क्लेम दस्तावेज प्रेषित किये जाने के बाबत 25 दिन की देरी की गई है। जिसके लिए परिवादिया को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। अतः देरी के कारण विपक्षी संख्या 1 द्वारा क्लेम निरस्त किया जाना न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है।
अतः प्रस्तुत प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये हम विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी को यह आदेश दिया जाना उचित समझते है कि वह परिवादिया को बीमा क्लेम की राशि 50,000 रूपये दो माह की अवधि में अदा करें। विपक्षी संख्या 2 केन्द्रीय सहकारी बेंक विपक्षी संख्या 1 को 25 दिन की देरी से सूचना प्रेषित किये जाने के कारण परिवादिया को मानसिक सन्ताप की राशि 10,000 रूपये दो माह में अदा करें। क्योंकि विपक्षी संख्या 1 एवं विपक्षी संख्या 2 के मध्य हुये एमओयू की शर्तो का ज्ञान केवल विपक्षी संख्या 2 को ही रहता है। विपक्षी संख्या 1 व 2 परिवादिया को परिवाद व्यय एवं अधिवक्ता फीस की राशि 2500 रूपये प्रत्येक कुल राशि 5000 रूपये दो माह में अदा करें।
आदेश
अतः प्रस्तुत प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये हम विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी को यह आदेश दिया जाना उचित समझते है कि वह परिवादिया को बीमा क्लेम की राशि 50,000 रूपये दो माह की अवधि में अदा करें। विपक्षी संख्या 2 केन्द्रीय सहकारी बेंक विपक्षी संख्या 1 को 25 दिन की देरी से सूचना प्रेषित किये जाने के कारण परिवादिया को मानसिक सन्ताप की राशि 10,000 रूपये दो माह में अदा करें। क्योंकि विपक्षी संख्या 1 एवं विपक्षी संख्या 2 के मध्य हुये एमओयू की शर्तो का ज्ञान केवल विपक्षी संख्या 2 को ही रहता है। विपक्षी संख्या 1 व 2 परिवादिया को परिवाद व्यय एवं अधिवक्ता फीस की राशि 2500 रूपये प्रत्येक कुल राशि 5000 रूपये दो माह में अदा करें।
सौभाग्यमल जैन कैलाश चन्द्र शर्मा
सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 23.02.2015 को खुले मंच में सुनाया गया।
सौभाग्यमल जैन कैलाश चन्द्र शर्मा
सदस्य अध्यक्ष