Rajasthan

Jhunjhunun

433/2013

BAHADUR SINGH - Complainant(s)

Versus

NATIONAL INSURANCE COMPANY - Opp.Party(s)

D.P. VERMA

01 Dec 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 433/2013
 
1. BAHADUR SINGH
BUHANA
...........Complainant(s)
Versus
1. NATIONAL INSURANCE COMPANY
JHUNJHUNU
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 433/13

समक्ष:-    1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।     
            2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
            3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।

बहादुर सिंह पुत्र रामकुमार सिंह जाति राजपूत निवासी धूलवा तहसील बुहाना जिला झुन्झुनू (राज.)                                                  - परिवादी
                         बनाम
नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए शाखा प्रबंधक, नेषनल इंष्योरेंस कम्पनी लि0 शाखा कार्यालय स्टेषन रोड़, झुंझुनू (राज)                             - विपक्षी

        परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986 

उपस्थित:-
1.    श्री द्वारका प्रसाद वर्मा अधिवक्ता   -  परिवादी की ओर से।
2.    श्री इन्दुभूषण शर्मा़, अधिवक्ता  -  विपक्षी की ओर से।

                  - निर्णय -             दिनांक: 01.12.2015
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक         12.08.2013 को संस्थित किया गया। 
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादी बहादुर सिंह वाहन संख्या RJ-18 U.A.- 3237 का रजिस्टर्ड मालिक है। उक्त वाहन विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 14.05.2012 से 03.11.2012 तक की अवधि के लिए बीमित था। इस प्रकार परिवादी, विपक्षी का उपभोक्ता है। 
विद्धान अधिवक्ता परिवादी का बहस के दौरान यह भी कथन रहा है कि परिवादी का वाहन दिनांक 18.10.2012 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना परिवादी द्वारा तुंरत विपक्षी बीमा कम्पनी तथा पुलिस थाना को दी गई। उक्त सूचना के क्रम में विपक्षी ने सर्वेयर नियुक्त किया । विपक्षी द्वारा नियुक्त सर्वेयर ने वाहन का स्पोट सर्वे कर रिपोर्ट तैयार कर विपक्षी को दी तथा विपक्षी ने परिवादी से कहा कि वाहन की मरम्मत का एस्टीमेट बनवाकर पेष करो। परिवादी द्वारा वाहन मरम्मत का एस्टीमेट 3,94,696/-रूपये बनवाकर पेष कर दिया परन्तु विपक्षी के सर्वेयर द्वारा वाहन मरम्मत पर 2,64,000/-रूपये व्यय होना मानकर रिपोर्ट पेष की तथा उक्त राषि के लिये परिवादी से विपक्षी द्वारा सहमति मांगी जो परिवादी द्वारा दिनांक      22.03.2013 को दे दी गई तथा समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करदी । विपक्षी ने दिनांक 08.05.2013 को एक पत्र जारी कर परिवादी की पत्रावली निरस्त करना बताया। परिवादी ने विपक्षी से सम्पर्क किया तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इस प्रकार विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा-दोष की श्रेणी में आता है। 
अन्त में विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार करने एंव विपक्षी से उक्त दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्लेम राषि 3,94,696/- रूपये मय ब्याज भुगतान दिलाये जाने का निवेदन किया।   
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादी के वाहन संख्या RJ-18 U.A.- 3237 का रजिस्टर्ड मालिक बहादुर सिंह होना तथा वाहन दिनांक 14.05.2012 से 03.11.2012 तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित होना स्वीकार करते हुये यह कथन किया है कि दिनांक 20.10.2012 को परिवादी द्वारा वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना दिये जाने पर विपक्षी द्वारा वाहन का स्पोट सर्वे करवाया गया । सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में उक्त बीमित वाहन के पंजीकृत स्वामी द्वारा वाहन को दीगर व्यक्ति श्रवण कुमार पुत्र औम प्रकाष जाति अहीर के पक्ष में दिनांक 26.07.2012 को विक्रय किये जाने तथा क्लेम आवेदन पत्र बहादुर सिंह द्वारा प्रस्तुत किये जाने का तथ्य अंकित कर पेष की। परिवादी ने गलत तथ्य अंकित कर अधिक राषि का एस्टीमेट बनाकर बीमा कम्पनी में पेष किया जबकि विपक्षी के सर्वेयर प्रेम रतन अग्रवाल मोटर सर्वेयर द्वारा नेट लोस बेसिस पर बीमा कम्पनी का नेट दायित्व 1,64,000/-रूपये का माना है, जो बीमा पालिसी की शर्तो की पालना किये जाने पर देय माना है। बीमा कम्पनी द्वारा जाचं के दौरान यह तथ्य प्रकट हुआ है कि परिवादी ने अपने वाहन को दुर्घटना तिथि से पूर्व विक्रय कर दिया तथा क्रेता के साथ बीमा कम्पनी का कोई प्रीविटी आफ कान्ट्रेक्ट नहीं है ना ही वाहन के क्रेता ने बीमा पालिसी में अपने नाम से इन्डोर्समेंट करवाये जाने हेतु शुल्क अदा किया है। दुर्घटनाग्रस्त वाहन में बीमित हित निहित नहीं होने के कारण बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति हेतु उत्तरदायी नहीं है। परिवादी ने क्लेम प्राप्त करने के दुराषय से बीमा कम्पनी के समक्ष दिनांक 22.03.2013 को शपथ पत्र प्रस्तुत किया है, जो विष्वसनीय नहीं है क्योंकि उक्त शपथपत्र का स्टाम्प दिनांक 19.03.2013 को ट्रेजरी, झुंझुनू से जारी किया गया है जिस पर बहादुर सिंह द्वारा दिनांक 22.03.2013 को बुहाना में स्टाम्प वेण्डर से उक्त स्टाम्प खरीदा गया तथा नोटेरी पब्लिक फुलचंद बरबड, झुंझुनू से अटेस्टेड करवाया है। उक्त शपथपत्र किस तारीख को निष्पादित किया गया व किस तारीख को अटेस्टेड किया गया है, अंकित नहीं किया है। कथित दुर्घटना स्टाम्प खरीद किये जाने से 5 माह पूर्व की है। परिवादी ने क्लेम प्राप्त करने के दुराषय से गलत शपथपत्र पेष किया है। इसलिये बीमा शर्तों का उल्लंघन होने पर परिवादी विपक्षी से कोई क्षतिपूर्ति क्लेम राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता विपक्षी ने परिवादी का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के तर्को पर विचार कर पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहा है कि परिवादी वाहन संख्या RJ-18 U.A.- 3237 का रजिस्टर्ड मालिक है। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक  14.05.2012 से 03.11.2012 की अवधि तक विपक्षी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। उक्त वाहन बीमा अविध में दुर्घटनाग्रस्त हुआ है।
विद्धान अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी का बहस के दौरान यह तर्क होना कि बीमित वाहन के पंजीकृत स्वामी द्वारा दिनांक 26.07.2012 को वाहन को दीगर व्यक्ति श्रवण कुमार पुत्र औम प्रकाष जाति अहीर को विक्रय कर दिया तथा क्लेम आवेदन पत्र बहादुर सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया है। इस संबंध में विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से बहादुर सिंह द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र व सरपंच ग्राम पंचायत खान्दवा की लिखावट विष्वसनीय नहीं है। इसलिये बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन होने पर बीमा कम्पनी क्लेम राषि अदायगी के लिये उत्तरदायी नहीं है। 
   हम विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी के उक्त तर्क से सहमत नहीं हैं। परिवादी की ओर से उक्त वाहन का मूल रजिस्ट्रेषन सर्टिफिकेट पेष किया गया है, जिसके अनुसार उक्त वाहन बहादुर सिंह के नाम से रजिस्टर्ड है तथा चालक के रूप में श्रवण कुमार पुत्र औम प्रकाष का लाईसेंस पेष किया गया है। वक्त दुर्घटना चालक का लाईसेंस वैध एवं प्रभावी था। श्रवण कुमार परिवादी बहादुर सिंह का चालक ही था इस संबंध में ग्राम पंचायत, खान्दवा (झुंझुनू) की ओर से सरपंच द्वारा प्रमाण पत्र जारी किया गया है तथा श्रवण कुमार के पिता औम प्रकाष की ओर से व स्वंय परिवादी की ओर से  शपथ पत्र भी पेष किया गया है जिन्होंनेे अपने शपथ पत्र में स्पष्ट रूप से यह अंकित किया गया है कि उक्त वाहन का सौदा श्रवण कुमार ने किया था परन्तु फाईनेंस कम्पनी द्वारा नाम बदलने से मना कर देने पर उक्त वाहन श्रवणकुमार द्वारा नहीं खरीदा गया।  विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से उक्त वाहन की बीमा के संबंध में जो कवरनोट जारी किया गया है उसमें भी मालिक का नाम बहादुर सिंह दर्ज है। परिवादी की ओर से प्रस्तुत उक्त दस्तावेजात पर अविष्वास किये जाने का कोई कारण नहीं है तथा विपक्षी बीमा कम्पनी उक्त दस्तावेजात का खण्डन करने में असफल रही है। 
 इस प्रकार पत्रावली के अवलोकन से यह भी स्पष्ट होता है कि परिवादी का वाहन दिनंाक 18.10.2012 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वक्त दुर्घटना उक्त वाहन बीमा कम्पनी के यहां बीमित था। दुर्घटना के संबंध में परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना दी गई। विपक्षी बीमा कम्पनी द्धारा नियुक्त सर्वेयर ने क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण कर कुल 1,64,000/-रूपये Net liability on net loss basis  मानते हुये अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इस प्रकार परिवादी द्वारा वांछित दस्तावेजात की पूर्ती किए जाने के बावजूद भी विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी को सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार भुगतान क्यों नहीं किया, इसका कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा पेष नहीं किया गया है । इसलिये विपक्षी बीमा कम्पनी किसी भी तरह से परिवादी को वाहन की क्षतिपूर्ति की अदायगी से विमुख नहीं हो सकती है।
विद्वान् अधिवक्ता विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से प्रस्तुत न्यायदृष्टांत IV(2012)CPJ 639 (NC)- DHARAMBIR Vs. NEW INDIA ASSURANCE CO. LTD    का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
उपरोक्त न्यायदृष्टांत में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा जो सिद्वांत प्रतिपादित किया गया है उससे हम पूर्णतया सहमत हैं। लेकिन प्रस्तुत प्रकरण के तथ्य एवं परिस्थितियां भिन्न होने के कारण उक्त न्यायदृष्टांत विपक्षी को कोई मदद नहीं करता।

हमारे द्वारा सर्वे रिपोर्ट के संबंध में निम्न न्यायदृष्टांतों का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया:-  
I (2013) CPJ 440 (NC)- ANKUR SURANA  VS. UNITED INDIA INSURANCE CO.LTD. & ORS,  II (2014) CPJ 593 (NC)-  MURLI COLD STORAGE LIMITED VS ORIENTAL INSURANCE CO. LTD & ANR., I (2013) CPJ 40B (NC) (CN)-  MANJULA DAS  VS ASHOK LEYLAND FINANCE LTD & ANR.    
  उक्त न्यायदृष्टांतों में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा जो सिद्वांत प्रतिपादित किये हंै, उनसे हम पूर्णतया सहमत हैं । माननीय राष्ट्रीय आयोग ने उक्त न्यायदृष्टांतों में सर्वे रिपोर्ट को ही महत्व दिया है। अतः उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को वाहन की क्षतिपूर्ति अदायगी के लिये उत्तरदायी है। 
  परिवादी ने परिवाद पत्र में अपने वाहन की मरम्मत का जो एस्टीमेट 3,94,696/-रूपये का बताया है, वह बढ़ा चढ़ा कर बताया गया है, उस पर विष्वास नहीं किया जा सकता।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षी बीमा कम्पनी आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेष दिया जाता है कि परिवादी, विपक्षी बीमा कम्पनी से          1,64,000/-रूपये (अक्षरे रूपये एक लाख चैसठ हजार मात्र) बीमा क्लेम राषि बतौर वाहन क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी उक्त राषि पर विपक्षी से संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 12.08.2013 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।  
   निर्णय आज दिनांक 01.12.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया। 

 

 

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