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Surekha patni filed a consumer case on 13 Aug 2015 against National Insurance Company ltd. in the Kota Consumer Court. The case no is CC/161/2008 and the judgment uploaded on 14 Aug 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, मंच, झालावाड केम्प कोटा ( राजस्थान )
पीठासीनः-
01. नंदलाल शर्मा ः अध्यक्ष
02. महावीर तंवर ः सदस्य
परिवाद संख्या:-161/08
श्रीमती सुरेखा पाटनी पत्नी प्रदीप कुमार आयु 41 साल जाति जैन निवासी 4-ए-4, तलवंडी, कोटा। ............परिवादिया
बनाम
नेशनल इंशोरेन्स कंपनी लि0 25, शाखा झालावाड रोड कोटा। ........... अप्रार्थी
प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति:-
01. श्री राजेश अडसेला, अधिवक्ता,परिवादिया की ओर से ं।
02. श्री बी0एस0 यादव, अधिवक्ता, अप्रार्थी की ओर से।
निर्णय दिनांक 13.08.2015
परिवादिया का यह परिवाद जिला मंच कोटा से स्थानान्तरण होकर वास्ते निस्तारण जिला मंच, झालावाड, केम्प कोटा को प्राप्त हुआ, जिसमें अंकित किया .कि उसका एक मिनी ट्रक वाहन नं. आर जे /20/जी-4636 का संपूर्ण बीमा दिनांक 09.02.05 को 8,291/- रूपये अप्रार्थी को अदा कर दिनांक 10.02.05 से 09.02.06 तक की अवधि का बीमा धन 3,22,000/- रूपये का बीमा करवाया था। परिवादिया ने उक्त वाहन का व्यवसायिक कार्य में अपने स्वरोजगार के लिये करती थी। परिवादिया के उक्त वाहन को श्याम बिहारी वाहन चालक लेकर झालावाड गया था, जिसकी दिनांक 05.02.06 को सुबह सात बजे झालावाड से वापस कोटा आते समय डम्पर आर जे 20 जी 3349 से टक्कर होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। जिसकी रिपोर्ट दिनांक 05.02.06 को पुलिस थाना मंडाना में रिपोर्ट दर्ज करवाई। दुर्घटना की रिपोर्ट परिवादिया के पति ने दर्ज करवाई थी, इसलिये उसने चालक का नाम चन्दर सिंह लिखवा दिया। परिवादिया ने अपने पति को बताया कि वाहन का चालक श्याम बिहारी था न कि चन्दर सिंह, चन्दर सिह तो साथ गया था। परिवादिया को पुलिस ने एम वी एक्ट के तहत नोटिस दिया उसके जवाब मंे परिवादिया ने चालक का नाम श्याम बिहारी ही लिखा था। पुलिस के अनुसंधान में स्वयं चन्दर सिंह ने बयान किया कि वाहन को श्याम बिहारी चला रहा था तथा वह स्वयं चन्दर सिंह खल्लासी साइड में बैठा था। वाहन चालक के कोई चोट नहीं आई। गवाहान मांगी लाल, बद्रीलाल, ओम प्रकाश,त्रिलोक, सत्यनारायण ने व प्रदीप ने भी परिवादिया के कथनों की पुष्टि की। पुलिस ने वाहन चालक श्याम बिहारी को गिरफ्तार किया, उससे पूछतातछ की गई तो उसने स्वयं को वाहन चालक बताया। परिवादिया ने समस्त औपचारिकताऐ पूर्ण कर बीमा क्लेम अप्रार्थी के यहाॅ पेश किया। वाहन अधिकृत डीलर गंगानगर मोटर्स के यहाॅ खडा किया गया जिसने दुर्घटनाग्रस्त वाहन में हुई क्षति का एस्टीमेट 4,06,780/- रूपये का दिया। अप्रार्थी के सर्वेयर ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन में 2,50,000/-रूपये का लोस पाया। परिवादिया ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन को कबाडे के रूप में 1,40,000/- रूपये में बेच दिया। अप्रार्थी ने परिवादिया को दिनांक 20.08.06 को अपने पत्र द्वारा सूचित किया कि प्रथम सूचना रिपोर्ट में वाहन का चालक चन्दर सिंह को बताया गया है इसलिये श्याम बिहारी का वक्त दुर्धटना वाहन चालक होना गंभीर संदेह उत्पन्न करता है, इसलिये परिवादिया का बीमा क्लेम अदेय मानते हुये खारिज कर दिया। अप्रार्थी ने परिवादिया का बीमा क्लेम अवैध रूप से खारिज कर उसकी सेवा में कमी की है। परिवादिया को अप्रार्थी से बीमा क्लेम की राशि मय ब्याज, मानसिक क्षति, परिवाद खर्च दिलवाया जावे।
अप्रार्थी ने परिवादिया के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया कि वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने की प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना मंडाना में 11/06 परिवादिया के पति प्रदीप कुमार पाटनी ने दर्ज करवाई, उसमें वाहन चालक का नाम चन्दर सिंह होना दर्ज कराया गया। इस माल वाहक वाहन में अवैधानिक यात्री के तौर पर लीलाधर उर्फ बंटी नागर को दुर्घटना में चोटग्रस्त होना अंकित करते हुए दर्ज कराई गई। उक्त दुर्घटना दिनांक 05.02.06 की है। अप्रार्थी ने परिवादिया से अपने पत्र दिनांक 19.04.06 के माध्यम से बीमाधारी से 6 बिन्दुओ पर स्पष्टीकरण चाहा गया। अप्रार्थी ने दुर्घटना के बारे में अनुसंधान करवाया गया जिसने भी परिवादिया से अपने पत्र दिनांक 09.05.06, 23.05.06 के माध्यम से वांछित दस्तावेज व सूचनाओं की मांग की परन्तु बीमाधारी ने न तो वांछित दस्तावेज उपलब्ध कराये और ना ही सूचना समय पर दी। अनुसंधान कर्ता के अनुसार दुर्घटनाग्रस्त वाहन को चन्दन सिंह के द्वारा चलाया जा रहा था। चन्दन सिंह के पास वैद्य लाइसेन्स नहीं होने के कारण श्याम बिहारी को चालक के तौर पर उपस्थित करा है। अप्रार्थी ने परिवादिया का बीमा क्लेम नियमानुसार खारिज कर उसकी सेवा में कोई कमी नहीं की है। अप्रार्थी के दुर्घटनाग्रस्त वाहन में नेट लोस 1,25,000/- रूपये का पाया है। परिवादिया 4,90,000/- रूपये की बीमा क्लेम के रूप में मांग की गई। परिवादिया का परिवाद सव्यय खारिज किया जावे।
उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-
01. आया परिवादिया अप्रार्थी की उपभोक्ता है ?
परिवादिया के परिवाद, शपथ-पत्र व बीमा पालिसी से परिवादिया, अप्रार्थी की उपभोक्ता है।
02. आया अप्रार्थी ने सेवा दोष किया है ?
उभय पक्षों को सुना गया। पत्रावली में उपलब्ध दस्तावेजी रेकार्ड का अध्य्यन व अवलोकन किया गया तो स्पष्ट हुआ कि परिवादिया के वाहन नं. आर जे /20/जी-4636 को श्याम बिहारी वाहन चालक लेकर झालावाड गया था, जिसकी दिनांक 05.02.06 को सुबह सात बजे झालावाड से वापस कोटा आते समय डम्पर आर जे 20 जी 3349 सं टक्कर होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। जिसकी रिपोर्ट परिवादिया के पति ने दिनांक 05.02.06 को पुलिस थाना मंडाना में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी, इसलिये उसने चालक का नाम चन्दर सिंह लिखवा दिया। जबकि उक्त वाहन को श्याम बिहारी चालक चला रहा था, इस तथ्य को अप्रार्थी ने इंकार किया और बताया कि दुर्घटनाग्रस्त वाहन को श्याम बिहारी नहीं चला रहा था, बल्कि चन्दर सिंह चला रहा था। विशेष रूप से इस प्रकरण के निर्णय में यह तथ्य सारभूत है कि आया वाहन को बर वक्त दुर्घटना चन्दर सिंह चला रहा था या श्याम बिहारी चला रहा था? एफ0आई0आर0 कर्ता ने वाहन चालक का नाम चन्दर सिंह लिखाया है। यद्यपि दुर्घटना दावा अधिकरण, कोटा नें निर्णय पारित करते हुये श्याम बिहार को वाहन चालक माना था, परन्तु दावा अधिकरण, कोटा के निर्णय को मानने के लिये यह मंच बाध्य नहीं है। क्योंकि इस प्रकरण के निर्णय के लिये बर वक्त दुर्घटना वाहन चालक का तय करना अति आवश्यक है और वाहन चालक श्याम बिहारी होने का निम्न तथ्यों के आधार पर गंभीर संदेह उत्पन्न होता है । क्योंकि एफ0आई0आर0 में चन्दर सिंह का नाम है। पुलिस गवाह मंागीलाल ने भी चन्दर सिंह के साथ अन्य 2 व्यक्तियों के साथ इनके मकान पर आना बताया है। एफ0आई0आर0 कर्ता प्रदीप के दो बयान है जिसमें एक में श्याम बिहारी को वाहन चालक और दूसरे बयान में चन्दर सिंह को वाहन चालक बताया है। ओम प्रकाश व त्रिलोक ने भी चन्दर सिंह को साथी वाहन चालक बताया है।
इसके अलावा पत्रावली पर उपलब्ध पोस्ट मार्टम रिपोर्ट व चोट प्रतिवेदन से स्पष्ट है कि दुर्घटनाग्रस्त वाहन में राजू उर्फ राजेन्द्र व बन्टी उर्फ लीलाधर की घटना स्थल पर ही मौत हो गई तथा चन्दर सिंह के शरीर पर गंभीर चोटे आई। चोट प्रतिवेदन दिनांक 05.02.06 से चन्द्र सिंह के शरीर पर चोटे आना प्रमाणित है लेकिन यह बडे आश्चर्य की बात है कि दुर्घटनाग्रस्त वाहन में चार व्यक्ति बैठे हुये थ,े उनमें 2 व्यक्ति मर गये एक व्यक्ति के ंगंभीर चोटे आई और चैथे व्यक्ति के खरोच तक नहीं आई, यह तथ्य भी गंभीर संदेह उत्पन्न करता है। परिवादिया ने जो क्लेम फार्म प्रस्तुत किया उसमें भी वाहन चालक का नाम चन्दर सिंह ही लिखाया है। स्वयं सुरेखा पाटनी ने अपने 161 जाप्ता फौजदारी के बयान दिया उसमें चन्दर सिंह को अपनी कार पर ड्राइवर रखना माना है और दावा अधिकरण के समक्ष बयान में चन्दर सिंह को अपने यहाॅ नौकरी करना नहीं माना है इतना ही नही एफ0आई0आर0 कर्ता प्रदीप ने चन्दर सिंह को दुर्घटनाग्रस्त वाहन पर 2 वर्षो से नौकरी करना भी एफ0आई0 आर0 में लिखाया है, इन उपरोक्त तथ्यों से यह गंभीर संदेह उत्पन्न होता है कि आया दुर्घटनाग्रस्त वाहन को श्याम बिहारी चल रहा था या चन्दर सिंह? इस तथ्य को प्रमाणित करने का भार परिवादिया पर है लेकिन परिवादिया इस तथ्य को प्रमाणित करने में पूर्णतः असफल रही है कि दुर्घटनाग्रस्त वाहन को बर वक्त दुर्घटना श्याम बिहारी चला रहा था।
इस बिन्दु पर अप्रार्थी के विद्वान अभिभाषक ने न्यायिक दृष्टान्त 2010 ब्तण्स्ण्त्ण्ख्ैब्, 81 ।त्न्स्टम्स्न् - ।छत्ण् ध् ैज्।ज्म् ज्म्च्त्म्ैम्छज्म्क् ठल् ज्भ्म् च्न्ठस्प्ब् च्त्व्क्त्ब्न्ज्व्त् - ।छत्ण् पेश किया जिससे प्रकाश प्राप्त होता है।
अब प्रश्न आता है कि परिवादिया ने वाहन चालक का नाम क्यों बदला? इस संबंध में 161 जाप्ता फौजदारी के बयान तोड मरोड कर लेना, एफ0आई0आर0 कर्ता के विरोधाभासी बयान होने, चन्दर सिंह की जगह श्याम बिहारी को वाहन चालक बताने के पीछे यह कारण था कि चन्दर सिंह के पास माल वाहक वाहन को चलाने का वैध लाइसेन्स नहीं था।
अब प्रश्न आता है कि अप्रार्थी ने बीमा क्लेम खारिज करने में क्या लापरवाही या सेवा दोष किया? परिणमतः उपरोक्त वर्णित तथ्यों को परिवादिया स्पष्ट रूप से प्रमाणित नहीं कर पाई, दूसरे अप्रार्थी ने परिवादी को 3 पत्र जारी कर स्पष्टीकरण मांगा था लेकिन अन्त तक 6 बिन्दुओं का स्पष्टीकरण परिवादिया ने अप्रार्थी को प्रतुत नहीं किया और अन्त में स्मरण-पत्र जारी करने के बाद परिवादिया का बीमा क्लेम दावा खारिज कर दिया क्योंकि क्लेम लेने के लिये सारे दावे को प्रमाणित करने का भार परिवादिया पर था और अस्पष्ट प्रमाण के आधार पर क्षति पूर्ति दावा खारिज करना कोई सेवा दोष श्रेणी में नहीं आता है और परिवादिया ने यह भी नहीं बताया कि उसका दावा खारिज करने में अप्रार्थी ने क्या लापरवाही बरती, इस बिन्दु पर अप्रार्थी के विद्वान अभिभाषक ने न्यायिक दृष्टान्त 2000 क् छ श्र ख्ैब्, 13 त्ंअदममज ैपदही ठंहहं ध् डध्े ज्ञनउ त्वलंस क्नजबी ।पतसदमे -।दत पेश किया जिससे प्रकाश प्राप्त होता है। उपरोक्त विवेचन के आधार परिवादिया अप्रार्थी का सेवा दोष प्रमाणित करने में पूर्णतयाः विफल रही है।
03. अनुतोष ?
परिवादिया का परिवाद, अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादिया श्रीमती सुरेखा पाटनी का परिवाद, अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है। परिवाद खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।
(महावीर तंवर) (नंदलाल शर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
निर्णय आज दिनांक 13.08.2015 को खुले मंच में लिखाया जाकर सुनाया गया।
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
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