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Dev karan singh filed a consumer case on 25 Jan 2016 against National Insurance Company Ltd. in the Kota Consumer Court. The case no is CC/7/2010 and the judgment uploaded on 27 Jan 2016.
देवकरण आदि बनाम नेशनल इं. क. लि. कोटा।
परिवाद संख्या 07/2010
25.01.2016 दोनों पक्षों को सुना जा चुका है। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
परिवादीगण ने विपक्षी-बीमा कम्पनी का यह सेवा-दोष बताया है कि ट्रेक्टर आर.जे. 33 आर. 0046 का बीमा 11.05.2003 से 10.05.2004 के लिये निर्धारित प्रीमियम देकर कराया, जिसकी पालिसी 47/03/6700067 जारी की गई थी। ट्रेक्टर व ट्रोली 11.05.2003 को चोरी हो गये, काफी तलाश करने पर भी नहीं मिले तो 05.06.2003 को पुलिस थाना मोड़क पर एफ.आई.आर नं. 72/03 दर्ज कराइर्, विपक्षी कम्पनी को 10.06.2003 को सूचना दी गई। पुलिस ने अनुसंधान कर एफ.आर. न्यायालय में प्रस्तुत की जिसे स्वीकार कर लिया गया। विपक्षी को क्लेम पेश किया, सभी आवश्यक जानकारी दी गई लेकिन बीमा राशि का भुगतान नहीं किया। विपक्षी को लीगल नोटिस भेजा इसके बावजूद भुगतान नहीं किया इससे आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ है।
विपक्षी के जवाब का सार है कि वाहन आर.जे. 30 आर. 0046 बीमित नहीं है अपितु आर.जे. 30 आर. 0066 का बीमा किया गया था। परिवाद मियाद बाहर है । चैरी 11.05.03 को होना बताया है परिवाद सात वर्ष पश्चात पेश किया है। बार-बार आवश्यक दस्तावेज व जानकारी मांगने पर भी उपलब्ध नहीं कराई गई इसलिये परिवादीगण स्वयं उत्तरदायी हैं।
परिवादीगण की ओर से साक्ष्य में परिवादी बाबुलाल ने शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है, इसके अलावा विपक्षी को प्रेषित लीगल नोटिस, विपक्षी से प्राप्त पत्र, प्रेषित जवाब, एफ.आर. पालिसी आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की है। विपक्षी ने साक्ष्य में राजेन्द्र कुमार जैन के शपथ-पत्र के अलावा बीमा पालिसी, परिवादीगण को पे्रषित पत्र दिनांक 12.11.03, 24.11.03, 10.12.03, 26.12.03, 09.03.04, अन्वेषण रिपोर्ट 11.03.04 आदि की प्रतियां प्रस्तुत की हैं।
हमने विचार किया।
विपक्षी-कम्पनी ने परिवादी पक्ष को क्लेम के संबध्ंा में बार-बार पत्र लिखकर आवश्यक सूचना एवं दस्तावेज मांगे लेकिन परिवादी पक्ष ने प्रस्तुत नहीं किये इसलिये विपक्षी कम्पनी को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। स्वयं परिवादी पक्ष लापरवाह रहा है इसलिये परिवाद खारिज होने योग्य है। न्याय-हित में यह सुविधा परिवादी पक्ष को दी जा सकती है कि अब यदि उसके द्वारा 15 दिवस में वांछित सूचना/जानकारी व दस्तावेज विपक्षी-कम्पनी को उपलब्ध करा दिये जावें तो विपक्षी-कम्पनी द्वारा नियमानुसार क्लेम को सेटल कर परिवादी-पक्ष को सूचित किया जावे।
अतः परिवाद खारिज किया जाता है। यदि परिवादी पक्ष 15 दिवस में विपक्षी-कम्पनी को रजिस्टर्ड ए.डी. डाक से वांछित सूचना/जानकारी एवं दस्तावेज उपलब्ध करा दे तो विपक्षी-कम्पनी विधि अनुसार परिवादी के क्लेम के संबंध में सूचना/दस्तावेज प्राप्त होने से अधिकतम तीन माह में निर्णय लेकर परिवादी पक्ष को रजिस्टर्ड डाक से सूचित करें।
आदेश खुले मंच में सुनाया गया। पत्रावली फैसल शुमार होकर रिकार्ड में जमा हो।
(हेमलता भार्गव) (महावीर तॅंवर) (भगवान दास)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
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