Bihar

Darbhanga

CC/09/12

ALOK NATH THAKUR - Complainant(s)

Versus

NATIONAL INSURANCE COMPANY Ltd. - Opp.Party(s)

23 Sep 2019

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/09/12
( Date of Filing : 15 Feb 2012 )
 
1. ALOK NATH THAKUR
MOHALLA- HANUMANGANJ, MISHRA TOLA, PS- TOWN, DISTT- DARBHANGA
...........Complainant(s)
Versus
1. NATIONAL INSURANCE COMPANY Ltd.
BRANCH AT MOHALLA- SENAPAT (BACK SIDE OF NAGAR NIGAM) PO- LALBAGGH, PS- TOWN, DISTT- DARBHANGA
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SRI SARVJEET PRESIDENT
 HON'BLE MR. Sri Ravindra Kumar MEMBER
 HON'BLE MRS. Dr. Mala Sinha MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 23 Sep 2019
Final Order / Judgement

आदेश

  1.  परिवादी ने इस आशय का परिवाद पत्र फोरम के समक्ष दाखिल किया कि वह महिंद्रा बलेरो DI जिसका

निबंधन नंबर BR-07P-1354 चेचिस नंबर- MAIXAZGF-72BI5408 है। उक्त वाहन का बिमा विपक्षी सं० एक एवं दो कंपनी से कराया है, जो दिनांक-20.02.2009 से 19.02.2010 तक वैध था जिसका पालिसी नंबर 6300030592 था। उक्त वाहन की चोरी दिनांक 30.05.2009 को गाड़ी के चालक तथा गैरेज मालिक की मिलीभगत से हो गयी जिस सन्दर्भ में परिवादी ने सदर थाना दरभंगा कांड सं० 141/09 दिनांक 01.06.2009 के अंतर्गत धारा 406,407 एवं 379 भा०द०वि० दर्ज कराया और परिवादी ने उक्त चोरी की सूचना दिनांक 12.06.2009 को विपक्षी सं 02 को पत्र के माध्यम से दिया एवं बीमा धनराशि 3,30,215 रु० की मांग किया। शिकायतकर्ता का यह भी कथन है की उसने सभी सुसंगत दस्तावेज विपक्षी सं० 02 को बीमा दावा के प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए दिया विपक्षी बीमा कंपनी उक्त केस के अंतिम प्रतिवेदन का इंतजार करने लगी जिसे अनुसंधानकर्ता ने दिनांक 28.07.2009 को न्यायालय के समक्ष समर्पित किया जिसमे चालक रितेश कुमार को आरोपित करते हुए अंतिम प्रतिवेदन धारा 406,407 एवं 379 भा०द०वि० में समर्पित किया  बाकि दो के विरुद्ध अनुसन्धान जारी था बाद में इनके विरुद्ध भी आरोप पत्र समर्पित किया गया लेकिन गाड़ी के सन्दर्भ में अभियुक्त द्वारा कोई विश्वसनीय सुराग नहीं दिया गया।

विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा सर्वेयर की नियुक्ति किया गया जिसने उक्त चोरी की जाँच किया और अपना प्रतिवेदन बीमा कंपनी को समर्पित किया उसके बाद भी बीमा दावा का निस्तारण आजतक नहीं किया जबकि शिकायतकर्ता ने अनेकों बार डाक से विपक्षी सं० एक एवं दो को उक्त दावा के भुगतान के सन्दर्भ में अनुरोध किया। विपक्षी बीमा कंपनी जानबूझ कर परिवादी के बीमा दावा का भुगतान नहीं कर रही है। कोई रास्ता नहीं देखकर परिवादी ने बीमा कंपनी के विरुद्ध यह शिकायत पत्र इस आशय का लाया कि उसे विपक्षीगण से 330215 रु० की धनराशि 18% ब्याज की दर से दावा की तिथि से भुगतान कराने की कृपा करे इसके आलावा विपक्षीगण से 10000 रु० परिवादी को मानसिक पीड़ा पहुँचाने के लिए एवं अन्य अनुतोष जो भी फोरम आवश्यक समझे दिलाने का कष्ट करे।

  1. परिवादी ने अपने केस के समर्थन में मौखिक साक्ष्य के रूप में साक्षी सं०-1 आलोक ठाकुर जो कि स्वयं

परिवादी है, का परीक्षण कराया दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में परिवादी द्वारा एनेक्सचर 1 चोरी हुए गाड़ी का निबंधन कागज, एनेक्सचर-2 प्रश्नगत वाहन का बीमा का कागज, एनेक्सचर-3 प्रश्नगत वाहन के चोरी की प्रथम सूचना रिपोर्ट, एनेक्सचर-4,5 एवं 6 विपक्षीगण को दिया गया सूचना कि प्रश्नगत वाहन चोरी हो गया, एनेक्सचर-7 निबंधन की रसीद, एनेक्सचर-8 परिवाहन पदाधिकारी को दी गयी सूचना, एनेक्सचर-9 जिला परिवाहन पदाधिकारी से चालक के लाइसेंस के सन्दर्भ में मांगी गयी सूचना, एनेक्सचर-10 जिला परिवाहन पदाधिकारी द्वारा दी गयी सूचना, एनेक्सचर-11 सरचि इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस लिमिटेड का पत्र दाखिल किया गया।

3.    विपक्षी ने उपस्थित होकर अपना व्यान तहरीर दाखिल किया विपक्षी बीमा कंपनी का कथन है कि शिकायतकर्ता ने जो परिवाद पत्र दाखिल किया है वह चलने योग्य नहीं है एवं शिकायतकर्ता को परिवाद पत्र दाखिल करने का कोई अधिकार नहीं था। परिवाद पत्र में पक्षकारों का दोष है तथा परिवाद पत्र तेजन तथा स्वीकृत के दोष से दोषपूर्ण है। शिकायतकर्ता द्वारा विपक्षी को प्रश्नगत वाहन के चोरी होने के 13 दिन बाद सूचना दिया गया इससे लगता है कि शिकायतकर्ता ने यह मामला फर्जी तैयार किया है शिकायतकर्ता द्वारा आवश्यक कागजात जैसे प्रथम सूचना रिपोर्ट, अंतिम प्रतिवेदन, अंतिम प्रतिवेदन की स्वीकृति, टैक्स टोकन, परमिट, MVI फिटनेस प्रमाण पत्र, पोलुशन प्रमाण पत्र तथा ड्राइविंग लाइसेंस उपलब्ध नहीं कराया गया ऐसी स्थिति में शिकायतकर्ता किसी दावा का अधिकारी नहीं  है चूँकि प्रश्नगत वाहन का पता नहीं चल रहा है, ऐसी स्थिति में इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि प्रश्नगत वाहन के पुनः मिल जाने की संभावना है।

4.             विपक्षीगण का यह भी कथन है कि शिकायतकर्ता ने यह झूठा दावा एक षड़यंत्र के तहत दाखिल किया है। वास्तव में शिकायतकर्ता को यह वाद लाने का कोई वाद कारण नहीं है। शिकायतकर्ता ने झूठा एवं मनगढंत वाद लाया है जो ख़ारिज होने योग्य है। शिकायतकर्ता द्वारा साक्षी के रूप में ना तो कोई दस्तावेजी साक्ष्य ना तो कोई मौखिक साक्ष्य दाखिल किया गया।

5.             परिवादी द्वारा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में एनेक्सचर-1  जो कि पंजीयन प्रमाण पत्र है जिसमें स्पष्ट है कि प्रश्नगत वाहन सं० BR-7P-1354 बेलोरो प्राइवेट गाड़ी के मालिक शिकायतकर्ता आलोक कुमार ठाकुर पुत्र श्याम नंदन ठाकुर है। उक्त वाहन का निबंधन दि० 20.04.2007 को जिला परिवाहन पदाधिकारी के यहाँ हुआ था। एनेक्सचर-2 जो कि नेशनल इन्सुरेंस कंपनी NIC MAGMA द्वारा प्रश्नगत वाहन के बीमा का प्रमाण पत्र है जिसमें स्पष्ट है कि उक्त वाहन दि० 20.02.2009 से दि० 19.02.2010 तक बीमित था। शिकायतकर्ता प्रीमियम कि धनराशि के रूप में 10374 रु० का भुगतान किया था। प्रश्नगत वाहन जो बीमित था उसका मूल्य 330215 रु०, एनेक्सचर-3  को देखने से स्पष्ट है कि प्रश्नगत वाहन कि चोरी दि० 30.05.2009 की रात्रि में हो गया जिसकी सूचना दि० 01.06.2009 को सुबह सदर थाना दरभंगा को दिया जिसके आधार पर सदर थाना दरभंगा कांड 141/2009 दि० 01.06.2009 निबंधित किया गया। एनेक्सचर-4, एनेक्सचर-5 तथा एनेक्सचर-6  को देखने से स्पष्ट है की शिकायतकर्ता आलोक कुमार ठाकुर विपक्षीगण को प्रश्नगत वाहन के चोरी होने के सन्दर्भ में दि० 12.06.2009 को सूचित किया। एनेक्सचर-7 निबंधित डाक की रसीद है, एनेक्सचर-8  शिकायतकर्ता द्वारा परिवाहन पदाधिकारी दरभंगा को दी गयी सूचना है, एनेक्सचर-9 एवं एनेक्सचर-10  जिला परिवाहन पदाधिकारी द्वारा प्रश्नगत वाहन के चालक का ड्राइविंग लाइसेंस के सन्दर्भ में दी गयी सूचना है, एनेक्सचर-11 सरचि इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस लिमिटेड का प्रमाण पत्र है इन सभी दस्तावेजी साक्ष्यों को देखने से इस बात की संभावना बलवती हो जाती है कि प्रश्नगत वाहन जिसका नंबर BR-7P-1354 था का मालिक शिकायतकर्ता आलोक कुमार ठाकुर था। उक्त वाहन दि० 20.02.2009 से 19.02.2010 तक विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा बीमित था जिसका नंबर 6300030592 था। जिसकी प्रीमियम की धनराशि 10374 रु० का भुगतान शिकायतकर्ता द्वारा प्रश्नगत वाहन के परिपेक्ष्य में किया गया। प्रश्नगत वाहन का मूल्य 330215 रु० था।

5.             शिकायतकर्ता द्वारा दाखिल दस्तावेजी साक्ष्यों से इस बात की भी पुष्टि हो जाती है कि उक्त वाहन की चोरी हो गयी जिसकी सूचना उसने सदर थाना दरभंगा में दिया जहाँ सदर थाना केस नंबर 141/2009 दि० 01.06.2009 दर्ज करके अनुसन्धान प्रारंभ किया गया प्रश्नगत वाहन की चोरी दि० 30.05.2009 सुबह 4:40 पर हुआ और दि० 01.06.2009 को इसका प्रथम सूचना किया गया। शिकायतकर्ता द्वारा दाखिल दस्तावेजी साक्ष्यों से यह भी साबित है कि उसने प्रश्नगत वाहन के चोरी हो जाने के बाद दि० 12.06.2009 को विपक्षीगण को इसकी सूचना दिया, सूचना को विलंब से देने के सन्दर्भ में शिकायतकर्ता का कथन है कि  गाड़ी के खोजबीन में लगे रहने के कारण सूचना देने में विलंब हुआ।

6.             शिकायतकर्ता द्वारा दाखिल अंतिम प्रपत्र से स्पष्ट है कि प्रश्नगत वाहन के सम्बन्ध में कोई सुराग नहीं मिला तथा न्यायालय द्वारा जिन अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र समर्पित किया गया था संज्ञान लेकर विचरण प्रारंभ कर दिया गया, शिकायतकर्ता द्वारा दाखिल दस्तावेजी साक्ष्यों के समर्थन में एवं शिकायत के समर्थन में शिकायतकर्ता का शपथ पर व्यान हुआ। शिकायतकर्ता का विस्तृत परिक्षण विपक्षी द्वारा किया गया लेकिन उसके प्रतिपरीक्षण से ऐसा कुछ भी निकलकर नहीं आया जिससे इस बात की संभावना से इंकार किया जाय कि प्रश्नगत वाहन विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा बीमित नहीं था तथा उसकी चोरी नहीं हुआ था। यद्पि कि इस बिंदु पर शिकायतकर्ता ने कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया कि उसने बीमा कंपनी द्वारा मांगे गए समस्त कागजात को उसे उपलब्ध करा दिया गया था। लेकिन परिस्थितियां बताती है कि यदि बीमा कंपनी द्वारा दावा की धनराशि भुगतान कर दिया गया होता तो शिकायतकर्ता को इस फोरम में शिकायत करने का कोई मतलब नहीं था। जहाँ तक बीमा कंपनी को दि० 12.06.2009 को सूचित करने का प्रश्न है तो शिकायतकर्ता ने स्पष्ट कहा है कि वह गाड़ी की खोज में लगा था इस कारण सूचना देने में विलंब हुआ उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह फोरम इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि शिकायतकर्ता प्रश्नगत वाहन का मालिक था उक्त वाहन चोरी हो गया जिसकी सूचना उसने थाना में दिया जिसमें पुलिस ने अनुसन्धान करके एक अभियुक्त के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया बांकी के विरुद्ध अनुसन्धान जारी था, मामले के सभी अभियुक्तों के विरुद्ध अनुसंधानकर्ता ने आरोप पत्र समर्पित किया है तथा गाड़ी के सम्बन्ध में उसने स्पष्ट कहा है कि इस मामले के अभियुक्तगण द्वारा कोई भी सही सूचना नहीं दिया गया  प्रश्नगत वाहन  का चालक  जो कि  इस मामले में अभियुक्त भी है के ड्राइविंग लाइसेंस को जिला परिवाहन पदाधिकारी के कार्यालय से मांगने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि उस समय उसका लाइसेंस वैध था । शिकायतकर्ता ने प्रश्नगत वाहन के बीमा के प्रीमियम की धनराशि का भुगतान कर दिया था ऐसी स्थिति में इस फोरम के मंतव्य के अनुसार विपक्षीगण द्वारा शिकायतकर्ता के दावे का समय से भुगतान नहीं करना उनकी सेवा में त्रुटि है विपक्षीगण को यह आदेश दिया जाता है कि वह प्रश्नगत वाहन जो बीमा कंपनी  से बीमित था जिसका मूल्य 330215 रु० था का भुगतान एवं शिकायतकर्ता को पहुंची मानसिक पीड़ा के कारण हुई क्षति के रूप में 10000 रु० एवं वाद खर्चा 5000 रु० कुल मूल्य 345215 रु० का भुगतान आदेश के पारित होने के तीन महीना के अंदर शिकायतकर्ता को कर दे नहीं तो उपरोक्त धनराशि 6% वार्षिक ब्याज कि दर से आदेश पारित होने की तिथि से विपक्षीगण से विधिक प्रक्रिया द्वारा वसूला जायेगा।

 
 
[HON'BLE MR. SRI SARVJEET]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Sri Ravindra Kumar]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. Dr. Mala Sinha]
MEMBER
 

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