परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का संक्षेप में कथन यह है कि परिवादी ने वाहन सं0 यू0पी061 एन.7712 विपक्षी सं02 के माध्यम से खरीदा था। उक्त वाहन का इन्श्योरेंस नेशनल इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड शाखा गाजीपुर द्वारा दि015-5-2013 को कराया था जिसकी वैधता दि0 16-05-13 से 15-5-14 तक थी। पालिसी सं0 452161/31/13/6100001627 है। दि0 29-11-13 को रात्रि में इलाहाबाद के अल्लापुर मोहल्ला के तुलसी पार्क के पास से गाड़ी चोरी हो गयी। दि0 30-11-13 को वाहन गायब होने की प्रथम सूचना रिपोर्ट जार्ज टाउन थाने में अंकित करायी गयी। जार्ज टाउन थाना इलाहाबाद ने अन्तिम रिपोर्ट लगा दी जो न्यायालय से स्वीकृत हो गयी। वाहन गायब होने की सूचना परिवादी द्वारा दि0 02-12-13 को शाखा प्रन्धक नेशनल इन्श्योरेंस कम्पनी गाजीपुर को दी गयी। वाहन से सम्बन्धित कागाजात भी उसी गाड़ी में थे जो चोरी हो गये। वाहन की चाबी विपक्षी के यहॉ जमा करा ली गयी। वाहन जिस दिन चोरी हुई थी उस दिन वाहन का बीमा रू0 3,67,500/- का वैध था। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा फिटनेस फेल होने के कारण परिवादी द्वारा प्रस्तुत किये गये दावे की फाइल बन्द कर दी गयी जिसकी सूचना परिवादी को दि0 01-09-14 को दी गयी बीमा के समय पंजीयन की वैधता दि0 01-05-13 थी यदि फिटनेस 01-05-13 को नहीं था तो ऐसी स्थिति में दि0 15-05-13 को विपक्षी द्वारा वाहन का बीमा कराने का कोई औचित्य नहीं था। अनावश्यक रूप से आवेदक द्वारा प्रस्तुत दावे का भुगतान नहीं किया गया है। उक्त आधार पर परिवादी द्वारा विपक्षी प्रथम पक्ष से बीमा की रकम प्राप्त करने हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी सं01 ने अपने लिखित उत्तर में संक्षेप यह कथन किया है कि कथित घटना के समय वाहन चालक के पास वैध व प्रभावी चालक अनुज्ञप्ति नहीं थी। प्रश्नगत वाहन का बीमा हुआ था उसकी जोखिम तिथि दि0 16-5-13 से 15-5-14 तक थी इस तथ्य को स्वीकार किया गया है। घटना के समय रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र, फिटनेस पमाण पत्र, परमिट व चालक का वैध डी0एल0 प्रभावी होने पर ही बीमा कम्पनी क्षतिपूर्ति देने के लिए उत्तरदायी है। चोरी की दशा में 48 घण्टे के अन्दर बीमा कम्पनी को सूचित किया जाना भी अनिवार्य है। परिवादी द्वारा औपचारिकताऍ पूरी नहीं की गयीं। वाहन के चोरी होने की सूचना परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी को विलम्ब से दी गयी है। प्रश्नगत वाहन बिना फिटनेस प्रमाण पत्र के प्रयोग किया जा रहा था। वाहन की सुरक्षा का पर्याप्त इन्तजाम नहीं था। वाहन का फिटनेस प्रमाण पत्र न होने के कारण बीमा कम्पनी ने दावा स्वीकार नहीं किया क्योंकि बीमा शर्तेां का उल्लंघन करके वाहन प्रयोग किया जा रहा था। परिवादी उपभोक्ता नहीं है । उपरोक्त आधारों पर परिवाद निरस्त किये जाने की याचना की गयी है।
विपक्षी सं02 द्वारा अपने लिखित कथन में संक्षेप में यह कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा विपक्षी बैंक से ऋण लेकर बोलेरो गाड़ी क्रय की गयी थी। परिवादी द्वारा विपक्षी से किसी अनुतोष की याचना नहीं की गयी है। अत: उसके विरुद्ध परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है ।
परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में बीमा कम्पनी द्वारा पारित आदेश की छाया प्रति, छाया प्रति पालिसी, छाया प्रति पंजीकरण प्रमाण पत्र सूचना पत्र दि0 02-12-13 की छाया प्रति, नकल तहरीर दि0 30-11-13, अन्तिम रिपोर्ट अ0सं0 418/13 तथा शपथ पत्र एवं लिखित बहस प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी सं01 द्वारा छाया प्रति नो-क्लेम दि0 01-09-14, मूल बीमा पालिसी, जॉच रिपोर्ट, इनवेस्टिगेटर रिपोर्ट, फाइनल रिपोर्ट तथा न्यायालय द्वारा पारित आदेश शपथ पत्र एवं लिखित बहस प्रस्तुत की गयी है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी ने जिस वाहन का बीमा कराया था उससे सम्बन्धित बीमा की अवधि दि0 16-05-13 से 15-5-14 तक थी विपक्षी द्वारा भी इस तथ्य को स्वीकार किया गया है। परिवाद पत्र के अनुसार वाहन दि0 29-11-13 की रात में इलाहाबाद के अल्लापुर मुहल्ले से चोरी हो गया था । इस तथ्य को विपक्षी बीमा कम्पनी अस्वीकार नहीं करता। विपक्षी द्वारा मात्र यह कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा समस्त औपचारिकताऍ पूरी नहीं की गयी हैं। चोरी होने की सूचना परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी को विलम्ब से दी गयी। प्रश्नगत वाहन बिना फिटनेस पमाण पत्र के प्रयोग किया जा रहा था। प्रश्नगत वाहन की सुरक्षा का पर्याप्त इन्तजाम नहीं था परिवादी द्वारा बीमा की शर्तों का उल्लंघन किया गया है। परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में यह कथन किया गया है कि यदि फिटनेस दि0 01-05-13 को नहीं था, ऐसी स्थिति में दि0 15-5-13 को विपक्षी द्वारा वाहन का बीमा करने का कोई औचित्य नहीं था। उक्त कथन को ध्यान में रखते हुए यह तथ्य स्वीकार किये जाने योग्य है कि विपक्षी बीमा कम्पनी को वाहन का बीमा करते समय वाहन के फिटनेस के सम्बन्ध में जानकारी थी। यह भी तथ्य महत्वपूर्ण है कि वाहन किसी दुर्घटना में क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है, न ही तत्सम्बन्ध में परिवादी द्वारा बीमित धनराशि की याचना की गयी है। वाहन इलाहाबाद में चोरी हो गया था, अत: बीमा की शर्तों के अनुसार वह चोरी गये वाहन के सम्बन्ध में अनुतोष प्राप्त करना चाहता है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत न्याय व्यवस्था 2009 (4) टी.ए.सी. 549 केरला हाई कोर्ट, थारा बनाम श्यामला एवं मा0 इलाहाबाद उच्च न्यायालय की न्याय व्यवस्था 2005 (2) ए.डब्लू.सी.1565 चन्द्रेश कुमार अग्रवाल बनाम योगेन्द्र कुमार श्रीवास्तव एवं अन्य, प्रस्तुत प्रकरण में प्रभावी नहीं हैं क्योंकि उक्त प्रकरण में वाहन दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हुआ था। प्रस्तुत प्रकरण में वाहन चोरी गया है। दुर्घटना के समय फिटनेस प्रमाण पत्र महत्वपूर्ण है परन्तु वाहन चोरी के समय फिटनेस प्रमाण पत्र अत्यंत महत्पूर्ण नहीं है। इन परिस्थितियों में परिवादी का कथन स्वीकार किये जाने योग्य है।
तद्नुसार परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी बीमा कम्पनी को निर्देशित किया जाता है कि वह प्रश्नगत वाहन से सम्बन्धित समस्त देय बीमा धनराशि 60 दिन के अन्दर परिवादी को प्रदान करे। वाद योजित किये जाने की तिथि से सम्पूर्ण धनराशि की अदायगी परिवादी विपक्षी बीमा कम्पनी से 09प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा । यदि उक्त अवधि में समस्त धनराशि विपक्षी सं01 बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को नहीं प्रदान की जाती, ऐसी दशा में परिवादी विपक्षी बीमा कम्पनी से 12 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज की दर से ब्याज भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा। विपक्षी सं02 के विरुद्धवाद निरस्त किया जाता है।
इस निर्णय की एक-एक प्रति पक्षकारों को नि:शुल्क दी जाय।निर्णय आज खुले न्यायालय में, हस्ताक्षरित, दिनांकित कर,उद्घोषित किया गया।