Uttar Pradesh

Muradabad-II

cc/265/2009

Smt. Rama - Complainant(s)

Versus

National Insurance Comapny Ltd. - Opp.Party(s)

26 Dec 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. cc/265/2009
 
1. Smt. Rama
R/0 Dubble Falak Sitapuri Thana Katghar Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. National Insurance Comapny Ltd.
Branch Manager Wazid Nagar Prince Road Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम परिवादिनी ने अनुरोध किया है विपक्षी से उसे पति के पर्सनल एक्‍सीडेंटल बीमा दावा की राशि 5,00,000/- रूपये 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित विपक्षी से दिलाई जाऐ। मानसिक पीड़ा की मद में क्षतिपूर्ति और परिवाद व्‍यय परिवादिनी ने अतिरिक्‍त मांगा है।
  2.   परिवाद कथन संक्षेप  में  इस  प्रकार हैं  कि  परिवादिनी  के  पति  स्‍व0  श्री घनश्‍याम  ने  अपने  जीवन काल में  5,00,000/-  रूपया  की एक  पर्सनल  एक्‍सीडेंट पालिसी  विपक्षी से  दिनांक  03/12/2008 को  ली थी।  पालिसी  में   परिवादिनी  नोमिनी  है। दिनांक 21/1/2009  को  रात  के लगभग 12  बजे  छत  से  उतरते समय पैर  फिसलने के  कारण वे  गिर  गऐ  उन्‍हें  सिर  में चोट  लगी,  उन्‍हें तुरन्‍त  इलाज  के  लिए ले जाया गया,  किन्‍तु  रास्‍ते  में उनकी मृत्‍यु  हो  गई। परिवादिनी  अगले  दिन  से  पीलिया  की  बीमारी से  ग्रसित हो  गई।  दिनांक  22/7/2009  को  जब   परिवादिनी  कुछ   ठीक  हुई  तो  अपने  अधिवक्‍ता  से  मिलकर उसने  पति  की  मृत्‍यु  की  सूचना  विपक्षी को  पंजीकृत डाक  से  भिजवाई।  दिनांक  28/7/2009  को  पत्र द्वारा  विपक्षी  ने परिवादिनी  के  बीमा दावे  को  इस  आधार पर  अस्‍वीकृत  कर  दिया कि   बीमा कम्‍पनी  को  सूचना देने में  देरी  की  गई।  परिवादिनी के अनुसार दिनांक 19/8/2009  को  उसने क्‍लेम  दिलाऐ जाने हेतु विपक्षी को  एक कानूनी  नोटिस भिजवाया, किन्‍तु  उसके बावजूद विपक्षी ने  क्‍लेम  का  भुगतान न करके सेवा  में  कमी  की  है,  उसने परिवाद  में  अनुरोधित  अनुतोष स्‍वीकार किऐ   जाने  की  प्रार्थना की। 
  3.   परिवाद के साथ   परिवादिनी  ने  अपना राशन कार्ड,  बीमा कवरनोट, पति के  डेथ  सर्टिफिकेट,  विपक्षी को  भिजवाऐ  गऐ  कानूनी  नोटिस  दिनांक  22/7/2008, इस  नोटिस  को  भेजे  जाने  की  डाकखाने  की  रसीद,  विपक्षी की  ओर  से  बीमा  दावा अस्‍वीकृत किऐ  जाने  सम्‍बन्‍धी   प्राप्‍त   हुऐ  पत्र दिनांकित  28/7/2009, क्‍लेम  दिलाऐ  जाने  हेतु  विपक्षी को  भिजवाये गऐ  नोटिस  दिनांक  19/8/2009 तथा  इस  नोटिस को  भेजे जाने  की  डाकखाने  की  रसीद  की फोटो  प्रतियों  को  दाखिल  किया  गया  है,  यह  प्रपत्र  पत्रावली  के  कागज सं0-3/4 लगायत  3/12 हैं।
  4.   विपक्षी  की ओर   से   प्रतिवद पत्र  कागज सं0-14/1  लगायत 14/4  दाखिल  हुआ जिसमें  बीमा पालिसी  की  शर्तों  के  अधीन  परिवादिनी  के  पति  को पर्सनल  एक्‍सीडेंट पालिसी  जारी  किया  जाना  तथा बीमा  पालिसी की  शर्त सं0-7  के उल्‍लंघन के  आधार पर परिवादिनी  का  बीमा  दावा  अस्‍वीकृत  किया  जाना  तो  स्‍वीकार  किया  गया  है,  किन्‍तु  शेष परिवाद कथनों  से  इन्‍कार किया  गया। विशेष कथनों  में  विपक्षी  की  ओर  से   कहा  गया  कि  परिवादिनी  ने  अपने पति  की  मृत्‍यु  की  सूचना मृत्‍यु   की  तिथि के 6  माह  बाद  विपक्षी को  प्रेषित  की  जबकि बीमा  पालिसी की  शर्त  सं0-7  के अनुसार  परिवादिनी को मृत्‍यु  की  सूचना  विपक्षी को  मृत्‍यु के  तुरन्‍त  पश्‍चात  एवं  विलम्‍बतम 30 दिन में  प्रेषित  करनी चाहिए थी।  चॅूंकि परिवादिनी  ने  देरी  से  सूचना देकर  इस  शर्त  का  उल्‍लंघन किया है  अत: परिवादिनी  का  बीमा दावा अस्‍वीकृत  करके विपक्षी ने  कोई  त्रुटि  नहीं की।  अग्रेत्‍तर  कथन किया कि  इस  मामले  में  विपक्षी ने  अपने इन्‍वेस्‍टीगेटर श्री एस0के0 अग्रवाल से जॉंच कराई थी  जिन्‍होंने  विस्‍तृत   जॉंच करके अपनी जॉंच रिपोर्ट दिनांकित 22/10/2009 विपक्षी को  प्रस्‍तुत   की  जिसमें  परिवादिनी  के  पति  की  मृत्‍यु  किसी  दुर्घटना के  कारण  न होकर बीमारी की बजह  से  होना पाया गया। परिवादिनी  ने  इन्‍वेस्‍टीगेटर के  समक्ष अन्‍य के अतिरिक्‍त यह कथन किया कि  उसके पति की मृत्‍यु  हार्ट अटैक से हुई थी। उपरोक्‍त कथनों के आधार पर यह कहते हुऐ कि विपक्षी ने सेवा प्रदान करने में कोई त्रुटि नहीं की, परिवाद विशेष व्‍यय सहित खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
  5.   परिवादिनी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र 18/1 लगायत 18/3 दाखिल  किया जिसके साथ उसने डा0 एच0एच0 शैफी का प्रमाण पत्र संलग्‍नक के  रूप में प्रस्‍तुत किया, यह प्रपत्र पत्रावली का कागज सं0-18/1 लगायत18/4  हैं।
  6.   विपक्षी की ओर से बीमा कम्‍पनी के सहायक प्रबन्‍धक श्री रमन  ओबराय ने  अपना साक्ष्‍य  शपथ पत्र कागज सं0-24/1 लगायत 24/4  प्रस्‍तुत  किया जिसके साथ  उन्‍होंने  परिवादिनी  की  ओर  से  दिनांक  22/7/2009  को भेजे गऐ पत्र, पर्सनल एक्‍सीडेंट क्‍लेम फार्म तथा  इन्‍वेस्‍टीगेटर श्री एस0के0  अग्रवाल की जॉंच रिपोर्ट की फोटो प्रतियों को संलग्‍नक  के रूप  में दाखिल  किया, यह  प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-25/5  लगायत 25/27 हैं।
  7.   प्रत्‍युत्‍तर  में परिवादिनी ने साक्षी बबलू, धर्मेन्‍द्र , सन्‍तराम और  हरीश के शपथ पत्र दाखिल किये।
  8.   विपक्षी  की  ओर से  इन्‍वेस्‍टीगेटर श्री एस0के0  अग्रवाल  का  साक्ष्‍य  शपथ पत्र  कागज सं0-33/1  लगायत  33/2 दाखिल किया  गया।
  9.   परिवादिनी की ओर से क्‍लेम  अस्‍वीकृत  किऐ जाने  सम्‍बन्‍धी  विपक्षी के असल पत्र दिनांकित 28/7/2009 और मूल बीमा कवरनोट कागज सं0-36/2 एवं कागज सं0-36/3 को दाखिल किया गया। विपक्षी ने बीमा पालिसी की  शर्तों की प्रतिलिपि दाखिल की जो कागज सं0-38/2 लगायत 39/4 हैं।
  10.   दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल की।
  11.   हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और  पत्रावली का अवलोकन किया।  
  12.   पक्षकारों के मध्‍य इस बिन्‍दु पर कोई विवाद नहीं है कि दिनांक 21/1/2009, जब परिवादिनी अपने पति घनश्‍याम की मृत्‍यु होना बताती है, को परिवादिनी के पति की 5,00,000/- रूपये की एक पर्सनल एक्‍सीडेन्‍ट  पालिसी अस्तित्‍व में थी। परिवादिनी ने परिवाद पत्र के पैरा सं0-3 में स्‍वत: यह उल्‍लेख किया है कि उसने अपने पति की मृत्‍यु की सूचना विपक्षी को दिनांक 22/7/2009 को अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से भिजवाई थी।​परिवादिनी के  विद्वान  अधिवक्‍ता  ने  पत्रावली  में अवस्थित रिप्‍यूडिऐशन लेटर दिनांकित 28/7/2009 की फोटो प्रति (कागज सं0-3/10) की ओर हमारा ध्‍यान  आकर्षित करते हुऐ कथन किया कि विपक्षी को मृत्‍यु की सूचना देने में कथित देरी   को आधार बनाकर परिवादिनी का बीमा दावा विपक्षी ने अस्‍वीकृत कर दिया  जो परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार गलत है। परिवादिनी के  विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार पति की मृत्‍यु के अगले ही दिन परिवादिनी पीलिया की बीमारी से ग्रसित हो गई जिस वजह से वह मृत्‍यु की सूचना  विपक्षी को नहीं दे पाई थी। उनका अग्रेत्‍तर कथन है कि सूचना देने में  जानबूझकर परिवादिनी ने विलम्‍व नहीं किया।
  13.    प्रत्‍युत्‍तर में विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने बीमा पालिसी की शर्तो  की फोटो प्रमाणित प्रति कागज सं0-38/3 लगायत 38/4 को इंगित करते हुऐ   कहा कि बीमा पालिसी की शर्त सं0-1, जो पृष्‍ठ 38/4 पर दृष्‍टव्‍य है, के  अनुसार बीमित व्‍यक्ति की मृत्‍यु की दशा में उसके दाह संस्‍कार से पूर्व मृत्‍यु   की सूचना बीमा कम्‍पनी को लिखित रूप में दी जानी चाहिए थी और यदि ऐसा नहीं हो पाता तो मृत्‍यु की सूचना प्रत्‍येक दशा में मृत्‍यु के बाद  विलम्‍वतम एक माह के भीतर दे दी जानी चाहिए। वर्तमान मामले में परिवादिनी के पति  की मृत्‍यु दिनांक 21/1/2009 को होना बताया गया है जबकि परिवादिनी  द्वारा मृत्‍यु की लिखित सूचना विपक्षी को दिनांक 22/7/2009 को डाक से  भिजवाऐ जाने का कथन किया गया है। यह लिखित सूचना विपक्षी को दिनांक 24/7/2009 को प्राप्‍त  हुई जैसा कि पत्रावली में अवस्थित पत्र की नकल कागज सं0 24/5 लगायत 24/6 से प्रकट है। स्‍पष्‍ट है कि मृत्‍यु की लिखित सूचना विपक्षी को भेजने में लगभग 6 माह का विलम्‍व हुआ है। परिवादिनी  की ओर से पत्रावली पर ऐसा कोई चिकित्‍सीय प्रमाण प्रस्‍तुत नहीं किया गया   जिसके आधार पर यह माना जा सके कि पति की मृत्‍यु के अगले दिन वह  पीलिया की बीमारी से ग्रस्त हो गई थी और पीलिया से वह दिनांक  22/7/2009 तक पीडि़त रही। चिकित्‍सीय प्रमाण के अभाव में यह  स्‍वीकार किऐ जाने योग्‍य नहीं है कि विपक्षी को मृत्‍यु की सूचना देने में हुऐ  विलम्‍ब का कारण परिवादिनी का कथित रूप से पीलिया की बीमारी से पीडि़त हो जाना था। प्रकट है कि विपक्षी को पति की मृत्‍यु की लिखित सूचना भेजने में लगभग 6 माह का विलम्‍ब कारित करके परिवादिनी ने बीमा पालिसी की  शर्तों का उल्‍लंघन किया है और इस आधार पर उसका बीमा दावा अस्‍वीकृत  करके विपक्षी ने कोई त्रुटि नहीं की।
  14.   विपक्षी  की  ओर  से एक  बिन्‍दु यह  भी  उठाया गया है कि परिवादिनी  के  पति की मृत्‍यु  ‘’ एक्‍सीडेन्‍टल डेथ ’’ नहीं थी बल्कि उसकी मृत्‍यु हार्ट अटैक  से हुई थी। परिवादिनी के विद्वान  अधिवक्‍ता ने प्रत्‍युत्‍तर में कहा कि  घनश्‍याम की  मृत्‍यु हार्ट अटैक  से नहीं हुई बल्कि दिनांक 21/1/2009 को  रात्रि लगभग 12 बजे अपने  घर की छत पर लेटरीन करने के लिऐ गऐ थे  जब वे वापिस छत से  नीचे उतर रहे थे तब उनका पैर सीढि़यों से  फिसल गया वे नीचे  गिर गऐ और उनके सिर  में चोट लगी जिस वजह से घनश्‍याम  की  मृत्‍यु हुई। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता ने इस  प्रकार परिवादिनी के पति  घनश्‍याम की मृत्‍यु ‘’ एक्‍सीडेन्‍टल डेथ ‘’ होना बताया। पत्रावली पर  उपलब्‍ध अभिलेखों  के आधार पर हम परिवादिनी पक्ष की ओर से दिऐ इस  कथन से सहमत  नहीं हैं कि घनश्‍याम की मृत्‍यु एक्‍सीडेन्‍टल डेथ थी। 
  15.   बीमा राशि प्राप्‍त करने  हेतु परिवादिनी  ने जो क्‍लेम फार्म  विपक्षी  के  समक्ष प्रस्‍तुत  किया था उसकी नकल  पत्रावली का कागज  सं0-24/7 है। यह  क्‍लेम फार्म दिनांक 07/10/2009  को विपक्षी के समक्ष  प्रस्‍तुत किया गया था।  इस क्‍लेम फार्म के  कालम सं0-2 में परिवादिनी ने यह उल्‍लेख किया है कि  उसके पति  घनश्‍याम की मृत्‍यु हार्ट अटैक  से हुई थी।  परिवादिनी की यह स्‍वीकारोति कि पति  की मृत्‍यु हार्ट  अटैक की वजह से हुई, यह दर्शाने के लिए  पर्याप्‍त है कि घनश्‍याम की मृत्‍यु  एक्‍सीडेन्‍टल डेथ नहीं थी  बल्कि उसकी मृत्‍यु  का कारण हार्ट अटैक था। घनश्‍याम के शव का पोस्‍ट मार्टम न कराना तथा  उसके शरीर पर जाहिरा चोट न होना भी इस बात को बल  प्रदान  करते हैं कि  उसकी मृत्‍यु एक्‍सीडेन्‍टल नहीं थी।   
  16.   उपरोक्‍त  विवेचना  के आधार  पर  हम  इस निष्‍कर्ष  पर  पहुँचे हैं कि  परिवादिनी के पति घनश्‍याम  की मृत्‍यु की सूचना  देने में 6 माह का विलम्‍व  कारित  करके  परिवादिनी  ने बीमा  पालिसी  की शर्तों  का उल्‍लंघन  किया  है तथा  घनश्‍याम  की मृत्‍यु  एक्‍सीडेन्‍टल  डेथ नहीं  थी बल्कि वे हार्ट अटैक से मरे थे। हमारे अभिमत में परिवादिनी का  बीमा  दावा अस्‍वीकृत  करके  विपक्षी  ने  कोई  त्रुटि नहीं की। परिवाद खारिज होने योग्‍य है।
  •  

परिवाद खारिज किया जाता है।

 

 

  •    

            सामान्‍य सदस्‍य                  अध्‍यक्ष

  •  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद           जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

              26.12.2015                     26.12.2015

  हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 26.12.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

             

         सामान्‍य सदस्‍य                     अध्‍यक्ष

  •  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद           जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

           26.12.2015                     26.12.2015 

 

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