द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष
- परिवादिनी ने इस परिवाद के माध्यम से अनुरोध किया है पुत्र की मृत्यु के फलस्वरूप बीमा क्लेम के रूप में विपक्षीगण से उसे 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 1,00,000/- रूपये दिलाऐ जाये। क्षतिपूर्ति के रूप में 50,000/- रूपया और विधिक व्यय परिवादिनी ने अतिरिक्त दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि विपक्षी सं0-3 के माध्यम से अपने पुत्र राहुल के नाम परिवादिनी ने विपक्षी सं0-2 से एक बीमा पालिसी सं0-10030042048200012 ली थी। बीमा की किश्त 550/- रूपया परिवादिनी ने अदा की। विपक्षी सं0-2 ने पालिसी कन्फर्म करके पालिसी वाण्ड जारी किया। दुर्भाग्य से दिनांक 17/4/2006 को परिवादिनी के पुत्र राहुल का कत्ल हो गया। परिवादिनी पालिसी में नामिनी है मृत्यु क्लेम प्राप्त करने हेतु उसने विपक्षी सं0-2 के पास दिनांक 18/4/2006 को लिखित अनुरोध भेजा। दिनांक 16/1/2007 को बीमा कम्पनी ने मृतक राहुल का मृत्यु प्रमाण पत्र, एफ0आई0आर0, चार्जशीट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आदि की मांग की जिन्हें परिवादिनी ने विपक्षी सं0-1 व 2 के कार्यालय में भेज दिया। विपक्षी सं0-3 ने असल पालिसी वाण्ड और असल रसीद भी परिवादिनी से यह कहकर ले ली कि बीमा क्लेम परिवादिनी को वह जल्दी दिला देगा। परिवादिनी ने अग्रेत्तर कथन किया कि विपक्षीगण के कार्यालय के वह अनेकों चक्कर लगा चुकी है। उसने कानूनी नोटिस भी विपक्षीगण को दिलवाया, किन्तु विपक्षीगण ने न तो कोई उत्तर दिया और न ही क्लेम राशि का भुगतान किया अत: उसे यह परिवाद योजित करने की आवश्यकता हुई। परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के साथ परिवादिनी ने विपक्षीगण को भेजे गऐ कानूनी नोटिस दिनांक 24/2/2007, क्लेम अस्वीकृत किऐ जाने सम्बन्धी विपक्षीगण से प्राप्त पत्र दिनांकित 16/1/2007 तथा राहुल की हत्या के सम्बन्ध में थाना सिविल लाइन्स में दर्ज कराई गई प्रथम सूचना रिपोर्ट की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया।
- सूची कागज सं0-11 के माध्यम से परिवादिनी अपने पुत्र राहुल के बीमा का विवरण कागज सं0-12 भी दाखिल किया।
- विपक्षीगण सं0-1 व 2 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-16/1 लगायत 16/2 प्रस्तुत हुआ जिसमें परिवादिनी के पुत्र की जीवन बीमा पालिसी जारी किऐ जाने से इन्कार करते हुऐ अतिरिक्त कथनों में कहा गया कि उत्तरदाता विपक्षीगण के विरूद्ध परिवादिनी को कोई वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ, फोरम को परिवद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है बल्कि इसकी सुनवाई का क्षेत्राधिकार कलकत्ता न्यायालय को है। अग्रेत्तर कथन किया गया कि परिवादिनी के पुत्र राहुल की मृत्यु किसी दुर्घटना में नहीं हुई बल्कि उसकी हत्या हुई है अत: बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार क्लेम देय नहीं है। यह भी कहा गया कि राहुल की मृत्यु के 4 माह 13 दिन बाद दावा प्रस्तुत किया गया। उक्त कथनों के आधार पर परिवाद को सव्यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई।
- विपक्षी सं0-3 पर फोरम के आदेश दिनांक 07/8/2007 द्वारा तामीला पर्याप्त मानी गई उनकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुऐ अत: विपक्षी सं0-3 के विरूद्ध परिवाद की सुनवाई एकपक्षीय किऐ जाने के आदेश हुऐ।
- परिवादिनी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-17/1 लगायत 17/3 दाखिल किया। विपक्षीगण सं0-1 व 2 की ओर से बीमा कम्पनी के उप प्रबन्धक श्री डी0पी0 सिंह ने साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-37/2 लगायत 37/3 संलग्नकों सहित दाखिल किया। इस साक्ष्य शपथ पत्र के साथ क्लेम अस्वीकृत किऐ जाने सम्बन्धी परिवादिनी को भेजे गऐ रजिस्टर्ड पत्र दिनांकित 16/1/2007 तथा परिवादिनी के पुत्र राहुल की बीमा पालिसी की नकल बतौर संलग्नक दाखिल की गई जो पत्रावली के कागज सं0- 37/3 व 37/4 हैं।
- परिवादिनी ने सूची कागज सं0-25/2 के माध्यम से विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से भेजे गऐ कानूनी नोटिस दिनांकित 24/2/2007 की कार्बन प्रति तथा विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से प्राप्त क्लेम अस्वीकृति का पत्र दिनांकित 16/1/2007 मूल रूप में दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-25/3 लगायत 25/6 हैं।
- विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से सूची कागज सं0-53/1 द्वारा बीमा पालिसी की शर्तें कागज सं0-53/2 लगायत 53/3 दाखिल हुई।
- किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
- हमने परिवादिनी तथा विपक्षी सं0-1 व 2 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी सं0-3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुऐ।
- पक्षकारों के मध्य इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादिनी ने अपने पुत्र राहुल के नाम से परिवाद पत्र के पैरा सं0-1 में उल्लिखित बीमा पालिसी विपक्षी सं0-2 से ली थी जिसमें परिवादिनी बतौर नामिनी दर्ज है। बीमा पालिसी की नकल पत्रावली का कागज सं0-37/6 है। परिवादिनी ने स्वयं भी इस बीमा पालिसी का विवरण दाखिल किया है जो पत्रावली का कागज सं0-12 है।
- परिवादिनी के अनुसार दिनांक 17/4/2006 को उसके पुत्र राहुल की हत्या हुई थी। प्रथम सूचना रिपोर्ट की नकल पत्रावली का कागज सं0-5/6 है। प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार राहुल की हत्या Intentional murder है। बीमा सर्टिफिकेट की नकल के अनुसार यह Group Personal Accident policy है। बीमा पालिसी की शर्तें बीमा पालिसी कागज सं0-37/6 की पुश्त पर हैं जिसके अनुसार इस पालिसी में बीमित व्यक्ति का Intentional murder शामिल नहीं है।
- Smt.Rita Devi v/s New India Assurance Co.Ltd. II (2000) ACC page 291 के मामले में मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने निम्न व्यवस्था दी है:-
“ The question, therefore, is can a murder be an accident in any given case? There is no doubt that ‘murder’ as it is understood, in the common parlance is a felonious act where death is caused with intent and the perpetrators of that act normally have a motive against the victim for such killing. But there are also intances where murder can be by accident on a given set of facts. The difference between a ‘murder’ which is not an accident and ‘murder’ which is an accident depends on the proximity of the cause of such murder. In our opinion, if the dominant intention of the act of felony is to kill any particular person then such killing is not an accidental murder but is a murder simplicitor, while if the cause of murder or act of murder was originally nor intended and the same was caused in furtherance of any other felonious act then such murder is an accidental muder.”
15.वर्तमान मामले में बीमा पालिसी चॅूंकि Group Personal Accident policy पालिसी थी और प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार राहुल की हत्या Intentional murder है अत: मा0 सर्वोच्च न्यायालय की उपरोक्त विधि व्यवस्था के अनुसार बीमा पालिसी के अधीन राहुल की मृत्यु पर बीमा राशि परिवादिनी को देय नहीं है।
16.बीमा पालिसी की नकल कागज सं0-37/6 की शर्त सं0-1 के अनुसार राहुल की मृत्यु की सूचना विपक्षी बीमा कम्पनी को तत्काल दी जानी चाहिऐ थी और किसी भी दशा में सूचना देने में एक माह से अधिक का विलम्ब नहीं होना चाहिए था, किन्तु राहुल की मृत्यु की सूचना विपक्षी को एक माह 13 दिन बाद दी गई। इस प्रकार मृत्यु की सूचना देने में विलम्ब कारित करके बीमा पालिसी की शर्त सं0-1 का परिवादिनी ने उल्लंघन किया। इस आधार पर भी परिवादिनी बीमा राशि पाने की अधिकारिणीं नहीं है। बीमा पालिसी की शर्त सं0-1 के उलल्ंघन विषयक हमारे इस मत की पुष्टि मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा 2015 (2) सी0पी0आर0 पृष्ठ-821, परमजीत कौर आदि बनाम ओरियन्टल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 आदि में दी गई विधि व्यवस्था से होती है।
17.जहॉं तक विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से क्षेत्राधिकार के सन्दर्भ में उठाई गई इस आपत्ति का प्रश्न है कि इस परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार कलकत्ता न्यायालय को है, यह आपत्ति निरर्थक एवं आधारहीन है। विपक्षी सं0-2 का शाखा कार्यालय इस फोरम के भौगोलिक क्षेत्राधिकार में स्थित है ऐसी दशा में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-11 (2) (a) की व्यवस्थानुसार इस फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार है।
18.उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादिनी का बीमा दावा अस्वीकृत करके न तो कोई त्रुटि की और न ही यह सेवा में कमी का मामला है। हमारे मत में परिवाद खारिज होने योग्य है।
परिवाद खारिज किया जाता है।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
29.09.2015 29.09.2015
हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 29.09.2015 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
29.09.2015 29.09.2015