Final Order / Judgement | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि विपक्षी सं0-1 से उसे कार की बीमा राशि 5,10,000/- रूपया ब्याज सहित दिलाई जाऐ। क्षतिपूर्ति की मद में 1,00,000/-रूपया तथा परिवाद व्यय परिवादी ने अतिरिक्त मांगा है।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि विपक्षी सं0-3 से फाईनेंस कराकर परिवादी ने जाईलो कार सं0- यू0पी0 20 टी./ 2838 खरीदी थी। यह कार विपक्षी सं0-1 से दिनांक 06/01/2014 से 05/1/2015 तक के लिए परिवादी ने बीमित कराई, बीमा राशि 5,10,000/-रूपया थी, प्रीमियम परिवादी ने अदा किया। दिनांक 04/3/2014 की रात में उक्त कार विपक्षी सं0-2 के घर के सामने से चोरी हो गई। चोरी की रिपोर्ट विपक्षी सं0-2 ने दिनांक 05/3/2014 को थाना स्योहारा जिला बिजनौर में धारा-379 आई0पी0सी0 के अधीन अज्ञात चोर के विरूद्ध दर्ज कराई। पुलिस कार बरामद नहीं कर सकी। मामले में पुलिस ने फाइनल रिपार्ट लगाई जिसे ए0सी0जे0एम0 कोर्ट नं0-1 बिजनौर द्वारा दिनांक 27/7/2014 को स्वीकार कर लिया गया। परिवादी ने अग्रेत्तर कथन किया कि आर्थिक कठिनाईयों के चलते वह कार की किश्तें जमा नहीं कर पा रहा था इसलिए उसने कार विपक्षी सं0-2 को इस शर्त के साथ दे दी कि जब विपक्षी सं0-2 कार की सारी किश्तें अदा कर देगा तो परिवादी कार उसके नाम अन्तरित करवा देगा। परिवादी के अनुसार उसने विपक्षी सं0-2 की सहमति से बीमा भुगतान प्राप्त करने हेतु विपक्षी सं0-1 के समक्ष बीमा दावा प्रस्तुत किया और सारी औपचारिकताऐं पूर्ण कीं, किन्तु कई बार चक्कर लगाने के बावजूद विपक्षी सं0-1 ने उसे दावे का भुगतान नहीं किया बल्कि पत्र दिनांकित 17/9/2014 द्वारा यह कहते हुऐ कि परिवादी का बीमा हित कार में नहीं था, बीमा दावे को अस्वीकृत कर दिया। परिवादी के अनुसार बीमा दावा विपक्षी सं0-1 ने गलत तरीके से खारिज किया है, उसका यह कृत्य सेवा में कमी है। कार का पंजीकृत स्वामी होने के कारण वह बीमा दावे का भुगतान पाने का अधिकारी है। यह कहते हुऐ कि विपक्षी सं0-1 ने उसका बीमा दावा अस्वीकृत करके त्रुटि की है, परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की परिवादी ने प्रार्थना की।
- परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादी ने शपथ पत्र कागज सं0-3/5 दाखिल किया उसने कार कार की आर0सी0, बीमा कवरनोट, न्यायालय के एफ0आर0 स्वीकृति के आदेश, विपक्षी सं0-1 द्वारा मांगे गऐ प्रपत्र उपलब्ध कराने सम्बन्धी पत्र दिनांक 03/6/2014 तथा विपक्षी सं0-1 द्वारा बीमा दावा अस्वीकृत किऐ जाने सम्बन्धी पत्र दिनांकित 17/9/2014 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/6 लगायत 3/10 हैं।
- विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-6/1 लगायत 6/7 दाखिल किया गया जिसमें यह तो स्वीकार किया गया कि विपक्षी सं0-3 से फाईनेंस कराकर परिवादी ने जाईलो कार सं0-यू0पी0 20 टी. /2838, खरीदी थी और दिनांक 06/2/2014 से 05/1/2015 तक की अवधि के लिए परिवादी ने विपक्षी सं0-1 से 5,10,000/- रूपया हेतु यह कार बीमित कराई थी और परिवादी द्वारा प्रस्तुत किऐ गऐ बीमा दावे को विपक्षी सं0-1 द्वारा अस्वीकृत किया गया, किन्तु शेष परिवाद कथनों से इन्कार किया गया। विशेष कथनों में कहा गया है कि परिवादी का प्रश्नगत कार में अभिकथित चोरी के समय बीमा हित निहित नहीं था क्योंकि इस कार को कथित चोरी से पहले ही वह विपक्षी सं0-2 आफताब आलम उर्फ गूड्डू को 4,50,000/-रूपया में बेच चुका था। बेचने की रसीद विपक्षी सं0-2 ने परिवादी के पक्ष में निष्पादित की थी। विपक्षी सं0-1 की ओर से अग्रेत्तर कथन किया गया कि उनके इन्वेस्टीगेटर श्री सुनील कुमार शर्मा के समक्ष परिवादी ने अपने ब्यानों में कार विपक्षी सं0-2 को बेचने और विपक्षी सं0-2 द्वारा अपने ब्यानों में परिवादी से कार खरीदना स्वीकार किया है। कार चोरी की रिपोर्ट विपक्षी सं0-2 ने लिखाई है और कार विपक्षी सं0-2 के घर के सामने से चोरी होना बताया गया है। कार को बेच दिऐ जाने की परिवादी ने विपक्षी सं0-1 को कोई सूचना नहीं दी। इन परिस्थितियों में परिवादी का बीमा दावा अस्वीकृत करके विपक्षी सं0-1 ने न तो कोई त्रुटि की और न ही यह सेवा में कमी का मामला है। उक्त कथनों के आधार पर परिवाद को सव्यय खण्डित किऐ जाने की प्रार्थना विेपक्षी सं0-1 की ओर से की गई।
- विपक्षी सं0-1 के प्रतिवाद पत्र के साथ इन्वेस्टीगेटर श्री सुनील कमार शर्मा की जॉंच रिपोर्ट कागज सं0-6/8 लगायत 6/15 को बतौर संलग्नक दाखिल किया गया।
- विपक्षी सं0-2 आफताब आलम उर्फ गुड्डू ने उत्तर पत्र कागज सं0-11 प्रस्तुत किया जिसमें उसने कहा कि जाईलो कार के चोरी होने की रिपोर्ट पुलिस में उसने स्वयं दर्ज कराई थी जिसमें विवेचना के बाद पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी। विपक्षी सं0-2 ने अग्रेत्तर कथन किया कि यदि परिवादी को बीमा दावे का भुगतान कर दिया जाता है तो उसे इस पर कोई आपत्ति नहीं है।
- विपक्षी सं0-3 प्रश्नगत जाईलो कार की फाइनेन्स कम्पनी है। विपक्षी सं0-3 की ओर से तामील के बावजूद न तो कोई उपस्थित हुऐ और न ही प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया अत: फोरम के आदेश दिनांक 26/5/2016 के अनुपालन में विपक्षी सं0-3 के विरूद्ध परिवाद की सुनवाई एकपक्षीय की गई।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-15/1 लगायत 15/3 दाखिल किया जिसके साथ उसने सूची कागज सं0-15/4 के माध्यम से चोरी गई कार की आर0सी0, बीमा कवरनोट, प्रथम सूचना रिपोर्ट और न्यायालय द्वारा फाइनल रिपोर्ट स्वीकृत करने के आदेशों की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-15/5 लगायत 15/9 हैं।
- विपक्षी सं0-1 की ओर से बीमा कम्पनी के सहायक प्रबन्धक श्री रमन ओवेराय का साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-16/1 लगायत 16/5 दाखिल हुआ।
- विपक्षी सं0-2 ने पृथक से कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किया बल्कि उसने अपने उत्तर पत्र कागज सं0-11 के समर्थन में शपथ पत्र कागज सं0-12 प्रस्तुत किया जिसमें उसने कथन किया कि यदि परिवादी को बीमा दावा का भुगतान कर दिया जाता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है।
- परिवादी ने लिखित बहस दाखिल की। विपक्षीगण की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
- हमने परिवादी तथा विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया शेष विपक्षीगण की ओर से बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुऐ।
- पत्रावली में अवस्थित जाइलो कार की आर0सी0 की नकल कागज सं0-3/6 के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी इस कार का स्वामी है जो उसने विपक्षी सं0-3 से फाइनेन्स कराकर खरीदी थी। परिवादी के अनुसार उसकी यह कार दिनांक 04/3/2014 को बीमा की अवधि के दौरान चोरी हो गई थी। पत्रावली में अवस्थित न्यायालय के आदेश दिनांकित 27/7/2014 (पत्रावली का कागज सं0-3/8) के अनुसार चोरी के इस मामले में पुलिस ने न्यायालय में फाइनल रिर्पोट प्रेषित की जिसे न्यायालय द्वारा स्वीकार कर लिया गया। परिवादी ने कार का बीमा दावा विपक्षी सं0-1 के समक्ष प्रस्तुत किया जिसे विपक्षी सं0-1 ने पत्र दिनांकित 17/9/2014 द्वारा इस आधार पर अस्वीकृत कर दिया कि अभिकथित चोरी के समय परिवादी का कोई बीमा हित चोरी गई कार में नहीं था।
- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि आर0सी0 के अनुसार परिवादी चोरी गई कार का पंजीकृत स्वामी है। ऋण की किश्तें न दे पाने की वजह से उसने उक्त कार को विपक्षी सं0-2 को दे दिया था। परिवादी ने विपक्षी सं0-2 के शपथ पत्र कागज सं0-12 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुऐ कहा कि विपक्षी सं0-2 ने इस बात की सहमति दे रखी है कि यदि कार की बीमित राशि बीमा कम्पनी परिवादी को अदा करती है तो उसे इस पर कोई आपत्ति नहीं है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि आर0सी0 के अनुसार जब परिवादी जाइलो कार का स्वामी है और कार चोरी के समय कार विपक्षी सं0-1 से बीमित थी और विपक्षी सं0-2 ने इस बात पर सहमति दे दी थी कि कार की बीमित राशि परिवादी को अदा कर दी जाऐ तो उसे कोई आपत्ति नहीं है तब परिवादी द्वारा प्रस्तुत किया गया बीमा दावा अस्वीकृत करके विपक्षी सं0-1 ने त्रुटि की है।
- प्रत्युत्तर में विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता ने कहा कि अभिकथित चोरी से पूर्व परिवादी प्रश्नगत कार को 4,50,000/- रूपया में विपक्षी सं0-2 को बेच चुका था ऐसी दशा में परिवादी का उक्त कार में कोई बीमा हित नहीं रह गया था। इस स्थिति में विपक्षी सं0-1 द्वारा बीमा दावा अस्वीकृत करके कोई त्रुटि नहीं की गई। हम विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों से सहमत हैं। बीमा कम्पनी के इन्वेस्टीगेटर के समक्ष दिऐ गऐ अपने ब्यानों में परिवादी ने यह स्वीकार किया है कि उसने दिनांक 03/1/2014 को प्रश्नगत कार विपक्षी सं0-2 आफताब आलम उर्फ गुड्डू को बेच दी है। आफताब आलम उर्फ गुड्डू ने अपने ब्यान कागज सं0-6/13 में परिवादी से उक्त कार खरीदना स्वीकार किया है। कार विक्रय की रसीद की नकल पत्रावली का कागज सं0-6/15 है जिसमें स्पष्ट शब्दों में यह उल्लेख है कि परिवादी ने 4,50,000/-रूपया में प्रश्नगत कार दिनांक 03/1/2014 को विपक्षी सं0-2 को बेच दी। इस प्रकार यह भली-भॉंति प्रमाणित है कि प्रश्नगत कार की अभिकथित रूप से हुई चोरी से पूर्व परिवादी इस कार को विपक्षी सं0-2 को बेच चुका था अत: कार चोरी के समय परिवादी का कार में कोई बीमा हित नहीं रह गया था। हमारे इस मत की पुष्टि एच0डी0एफ0सी0 इरगो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम बलराज सिंह, Iv (2015)सी0पी0जे0 पृष्ठ-682 तथा राम सिंह बनाम रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड II (2014) सी0पी0जे0 पृष्ठ-99 की निर्णयज विधियों में मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा दी गई विधि व्यवस्थाओं से होती है।
- उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे है कि विपक्षी सं0-1 ने परिवादी का बीमा दावा अस्वीकृत करके कोई त्रुटि नहीं की है। परिवाद खारिज होने योग्य है।
परिवाद खारिज किया जाता है। (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
18.10.2016 18.10.2016 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 18.10.2016 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
18.10.2016 18.10.2016 | |