Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/145/2014

Shri Kamal Kumar Verma - Complainant(s)

Versus

National Insurance Comapny Ltd. - Opp.Party(s)

07 Nov 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/145/2014
 
1. Shri Kamal Kumar Verma
R/o Preet Vihar Colony, Meerpur Majholi, Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. National Insurance Comapny Ltd.
Branch Office IInd Floor Deepak Building Station Road, Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 07 Nov 2016
Final Order / Judgement

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि विपक्षी से उसे चोरी गई मोटर साईकिल की बीमा राशि अंकन 21,090/- रूपया ब्‍याज सहित दिलाई जाऐ। क्षतिपूर्ति की मद में 30,000/-रूपया   तथा परिवाद व्‍यय परिवादी ने अतिरिक्‍त मांगा है।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अपनी मोटर साईकिल यू0पी0 21 जैड-4411 का दिनांक 06/10/2012 से 05/10/2013  तक की अवधि का बीमा विपक्षी से कराया था। दिनांक 17/4/2013 को  मोटर साईकिल परिवादी के घर के बाहर से अज्ञात चोरों द्वारा चोरी कर ली गई। इसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट परिवादी ने थाना मझोला में दर्ज कराई। दिनांक 22/4/2013 को एफ0आई0आर0 सहित चोरी की सूचना विपक्षी को दे दी गई। पुलिस मोटर साईकिल बरामद नहीं कर सकी। मामले में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी जिसे न्‍यायालय ने दिनांक 7/8/2014 को स्‍वीकार कर लिया। परिवादी ने बीमा दावा के भुगतान हेतु आवश्‍यक प्रपत्र दिनांक 28/8/2014 को विपक्षी के यहॉं दिऐ, किन्‍तु सम्‍बन्धित क्‍लर्क ने लेने से इन्‍कार कर दिया तब दिनांक 2/9/2014 को परिवादी ने क्‍लेम प्रपत्र डाक से विपक्षी को भेजे विपक्षी ने अपने पत्र दिनांक 3/9/2014 द्वारा बीमा  दावा भुगतान करने से इन्‍कार करते हुऐ बीमा प्रपत्र परिवादी को वापिस  कर दिऐ। परिवादी ने यह कथन करते हुऐ कि विपक्षी ने बीमा दावा का भुगतान करने से इन्‍कार करके त्रुटि की है, उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
  3.    परिवाद कथनों के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-3/3 प्रस्‍तुत किया। इसके अतिरिक्‍त उसने बीमा पालिसी, एफ0आई0 आर0, फाइनल रिपोर्ट, फाइनल रिपोर्ट स्‍वीकृत करने सम्‍बन्‍धी   न्‍यायालय के आदेश, दिनांक 2/9/2014 को डाक द्वारा विपक्षी को बीमा प्रपत्र भेजे जाने सम्‍बन्‍धी पत्र तथा विपक्षी की और से बीमा दावा भुगतान करने से इन्‍कार किऐ जाने सम्‍बन्‍धी विपक्षी के पत्र दिनांक 3/9/2014 की  नकलों को दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/4 लगायत 3/11 है।
  4.   विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-8/1 लगायत 8/6  दाखिल हुआ जिसमें मोटर साईकिल का बीमा होने से तो इन्‍कार नहीं किया गया, किन्‍तु शेष परिवाद कथनों से इन्‍कार किया गया। विपक्षी की  ओर से कहा गया कि परिवादी ने एफ0आई0आर0 दर्ज कराने और बीमा कम्‍पनी को सूचना देने में विलम्‍ब किया है। परिवादी का यह कथन  असत्‍य है कि उसने दिनांक 22/4/2013 को विपक्षी को मोटर साईकिल  चोरी की कोई सूचना दी थी बल्कि वास्‍तविकता यह है कि मोटर साईकिल चोरी हो जाने की सूचना विपक्षी को परिवादी के पत्र दिनांकित 2/9/2014  के माध्‍यम से दिनांक 3/9/2014 को प्राप्‍त हुई। इस प्रकार चोरी की  सूचना प्राप्‍त होने में लगभग एक वर्ष 4 माह का विलम्‍ब किया गया। प्रथम सूचना रिपेर्ट भी चोरी से अगले दिन दर्ज कराई गई जिस कारण  पुलिस तत्‍काल मोटर साईकिल तलाश करने का प्रयास नहीं कर सकी। देरी से एफ0आई0आर0 दर्ज कराने और देरी से बीमा कम्‍पनी को सूचना  देने के कारण परिवादी ने बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन किया जिस कारण परिवादी का दावा अस्‍वीकृत करके विपक्षी ने कोई त्रुटि नहीं की। विपक्षी की ओर से परिवाद को सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की  गई।
  5.   परिवादी ने  अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-9/1 लगायत 9/2  दाखिल किया जिसके साथ उसने पालिसी वाण्‍ड, अभिकथित रूप से   दिनांक 22/9/2013 को विपक्षी के कार्यालय में प्राप्‍त कराऐ गऐ पत्र, न्‍यायालय द्वारा फाइनल रिपोर्ट स्‍वीकृति के आदेश, फाइनल रिपोर्ट दिनांक 2/9/2014 को आवश्‍यक प्रपत्रों सहित विपक्षी को बीमा दावा भेजे जाने सम्‍बन्‍धी पत्र की नकलें तथा डाकखाने की असल रसीद और दावा अस्‍वीकृति के विपक्षी के असल पत्र दिनांक 3/9/2014 को दाखिल किया  गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-9/4 लगायत 9/11 हैं।
  6.   विपक्षी की ओर से कम्‍पनी के सहायक मण्‍डलीय प्रबन्‍धक श्री रमन  आवेराय का साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-13/1 लगायत 13/5 दाखिल   हुआ।
  7.   दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल की।
  8.   हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और  पत्रावली का अवलोकन किया।
  9. परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि मोटर साईकिल की  उसने तत्‍काल रिपोर्ट पुलिस में दर्ज करवाई और बिना कोई अनावश्‍यक   विलम्‍ब किऐ विपक्षी को चोरी की सूचना दे दी इसके बावजूद उसका क्‍लेम   विपक्षी ने दर्ज तक नहीं किया और पत्र दिनांकित 3/9/2014 द्वारा उसका  दावा वापिस कर दिया ऐसा करके विपक्षी ने त्रुटि की। प्रत्‍युत्‍तर में विपक्षी  के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि परिवादी के अनुसार मोटर साईकिल   दिनांक 17/4/2013 को चोरी हो गई जिसकी पुलिस में रिपोर्ट उसने अगले दिन दर्ज कराई। उनका यह भी तर्क है कि परिवादी को चोरी की सर्वप्रथम जानकारी परिवादी के पत्र दिनांकित 2/9/2013 (पत्रावली का कागज सं0-3/10) द्वारा हुई। इस प्रकार विपक्षी को चोरी की सूचना देने में परिवादी  ने एक वर्ष साढ़े चार महीने का विलम्‍ब किया और ऐसा करके परिवादी  ने बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन किया। इन परिस्थितियों में परिवादी का दावा वापिस करके विपक्षी ने कोई त्रुटि नहीं की। हम विपक्षीगण की  ओर से दिऐ गऐ तर्कों से सहमत नहीं हैं।
  10.   मोटर साईकिल दिनांक 17/4/2013 को चोरी हुई थी। प्रथम सूचना  की नकल पत्रावली का कागज सं0-3/5 है। इसके अवलोकन से प्रकट है  कि परिवादी ने मोटर साईकिल चोरी की रिपोर्ट घटना से अगले दिन    दिनांक 18/4/2013 को थाना मझोला पर दर्ज करा दी थी। रिपोर्ट दर्ज  होने से पूर्व परिवादी ने चोरी की सूचना पुलिस को 100 नम्‍बर पर भी  कर दी थी। प्रकट है कि चोरी की पुलिस को सूचना देने और प्रथम सूचना   रिपोर्ट दर्ज कराने में परिवादी के स्‍तर से कोई विलम्‍ब नहीं हुआ है।
  11.   परिवादी की ओर से पत्रावली में अवस्थित नकल प्रार्थना पत्र कागज  सं0-9/5 की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित करते हुऐ तर्क दिया गया कि   चोरी की लिखित रिपोर्ट परिवादी ने विपक्षी को दिनांक 22/4/2013 को  दे दी थी। यधपि विपक्षी की ओर से अपने साक्ष्‍य शपथ पत्र में इस बात  से इन्‍कार किया गया है कि परिवादी ने दिनांक 22/4/2013 को चोरी की सूचना विपक्षी को दे दी थी, किन्‍तु नकल प्रार्थना पत्र कागज सं0-9/5 पर  रिसिविंग की मोहर तथा हस्‍ताक्षर से विपक्षी इन्‍कार नहीं कर पाऐ हैं। विपक्षी अपने कार्यालय में प्रयुक्‍त हुई मोहर का सैम्पिल भी दाखिल करने का सास नहीं कर पाऐ हैं ऐसी दशा में हम सन्‍तुष्‍ट है कि नकल प्रार्थना पत्र कागज सं0-9/5 पर लगी मोहर विपक्षी के कार्यालय की है। पत्रावली  पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य सामग्री से हम परिवादी पक्ष के इस कथन से सहमत  है कि दिनांक 22/4/2013 को परिवादी ने विपक्षी के कार्यालय में मोटर  साईकिल चोरी की सूचना लिखित में प्राप्‍त करा दी थी।
  12.   हमने वर्ष,2913 के कलेण्‍डर का अवलोकन किया तो हमने पाया  कि दिनांक 20 एवं 21 अप्रैल, 2013 के क्रमश: शनिवार एवं रविवार थे।  शनिवार एवं रविवार को विपक्षी के कार्यालय बन्‍द रहते हैं ऐसी दशा में   दिनांक 20 एवं 21 अप्रैल, 2013 को चोरी की सूचना विपक्षी के कार्यालय   में लिखित रूप में उपलब्‍ध कराया जाना सम्‍भव नहीं था। विपक्षी के  विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि 19/4/2013 को परिवादी विपक्षी के  कार्यालय में चोरी की सूचना दे सकता था, किन्‍तु उसने ऐसा नहीं किया  और सूचना देने में विलम्‍ब किया। हम इस तर्क से सहमत नहीं हैं कि   परिवादी ने चोरी की सूचना विपक्षी को देने में विलम्‍ब किया है।
  13.    विपक्षी ने अपने प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-19 में उल्‍लेख किया है   कि बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार चोरी की सूचना विपक्षी को ‘’इम्‍मीडेटली ’’  दिया जाना आवश्‍यक था। ‘’ इम्‍मीडेटली ‘’ शब्‍द को मा0   राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली  द्वारा न्‍यू  इण्डिया एश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड बनाम त्रलोचन जाने, IV ( 2012) सी0पी0जे0  पृष्‍ठ-440 की निर्णयज विधि में परिभार्षित किया गया है। इस निर्णयज   विधि के अनुसार बीमा पालिसी की शर्त में उल्लिखित शब्‍द                   ‘’ इम्‍मीडेटली ‘’  का तात्‍पर्य तथ्‍यों एवं परिस्थितियों के आलोक में  युक्तियुक्‍त समय से है। यूनाईटेड इण्डिया इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड  बनाम दुर्गा कोरियर्स प्रा0 लि0, I (2013) सी0पी0जे0 पृष्‍ठ-2012 के  मामले में मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली    द्वारा यह अभिमत दिया गया है कि चोरी की एफ0आई0आर0 दर्ज होने  के कुछ दिन के भीतर यदि बीमा कम्‍पनी को चोरी की सूचना दे दी गई  हो तो बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमा दावा अस्‍वीकृत नहीं किया जाना चाहिए।
  14.   मामले के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों के आलोक में उपरोक्‍त निर्णयज  विधियों के दृष्टिगत हम इस मत के हैं कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने  तथा बीमा कम्‍पनी को चोरी की सूचना देने में परिवादी द्वारा न तो  अनावश्‍यक विलम्‍ब किया गया है और न ही बीमा पालिसी की किसी शर्त  का उल्‍लंघन हुआ है। बीमा कम्‍पनी ने पत्र दिनांक 3/9/2014 (पत्रावली  का कागज सं0-9/11) के माध्‍यम से परिवादी का बीमा दावा वापिस करके  त्रुटि की है।
  15.   उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचे हैं कि   विपक्षी से परिवादी को उसकी चोरी गई मोटर साईकिल की बीमित राशि  अंकन 21090/-रूपया परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से 9 प्रतिशत   वार्षिक ब्‍याज सहित दिलाई जानी चाहिए। परिवादी को क्षतिपूर्ति की मद   में 2000/- (दो हजार रूपया) और परिवाद व्‍यय की मद में 2500/- (दो  हजार पाँच सौ रूपया) अतिरिक्‍त दिलाया जाना भी हम न्‍यायोचित समझते   हैं। तदानुसार परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।

 

 

  परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित अंकन 21090/- (इक्‍कीस हजार नब्‍बे रूपया) की वसूली हेतु परिवादी के पक्ष में विपक्षी  के विरूद्ध यह परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। परिवादी विपक्षी से क्षतिपूर्ति  की मद में 2000/- (दो हजार रूपया) और परिवाद व्‍यय की मद में  2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) अतिरिक्‍त पाने का भी अधिकारी होगा।  इस आदेशानुसार समस्‍त धनराशि का भुगतान दो माह के भीतर किया जाय।

 

                                                                              (सुश्री अजरा खान)                (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य                       अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद              जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     07.11.2016                    07.11.2016

     हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 07.11.2016 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

      (सुश्री अजरा खान)             (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य                      अध्‍यक्ष

  •    0उ0फो0-।। मुरादाबाद             जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

    07.11.2016                    07.11.2016

 

 

 

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