Final Order / Judgement | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुरोध किया है कि उसे उसकी इनोवा कार की बीमित राशि 3,60,000/-रूपया 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित विपक्षीगण से दिलाई जाय। क्षतिपूर्ति की मद में 50,000/- रूपया और परिवाद व्यय की मद में 10,000/- रूपया परिवादी ने अतिरिक्त मांगे हैं।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी इनोवा कार सं0-डी0एल0-2 एफ0ए0डब्लू0-0062 का पंजीकृत स्वामी है। उसकी यह कार दिनांक 21/12/2012 से 20/12/2013 तक की अवधि हेतु विपक्षी सं0-1 से 3,60,000/- रूपया हेतु बीमित थी। दिनांक 22/2/2013 को परिवादी का ड्राईवर राजेन्द्र सिंह आवश्यक काम से गाड़ी लेकर 10-12 दिन के लिए इलाहाबाद गया था। दिनांक 06/3/2013 तक जब ड्राईवर गाड़ी लेकर नहीं लौटा तो परिवादी ने ड्राईवर के घर मालूमात की तो पता चला कि ड्राईवर गाड़ी लेकर वापिस नहीं आया है। परिवादी और ड्राईवर के घर वालों ने काफी तलाश की किन्तु ड्राईवर और गाड़ी का कुछ पता नहीं चला। अगले दिन अर्थात् दिनांक 07/3/2013 को परिवादी ने विपक्षीगण को सूचित किया। एफ0आई0आर0 लिखाने जब परिवादी थाना सिविल लाइन्स गया तो पता चला कि ड्राईवर और गाड़ी की गुमशुदगी की रिपोर्ट ड्राईवर के भाई निपेन्द्र सिंह ने 28 फरवरी, 2013 को ही थाने में दर्ज करा दी है। कुछ समय बाद पता चला कि गाड़ी के ड्राईवर को कुछ बदमाशों ने अगवा करके उसका मर्डर कर दिया और वे गाड़ी ले गऐ। बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया किन्तु गाड़ी अभी तक बरामद नहीं हुई। परिवादी के अनुसार घटना की रिपोर्ट और गाड़ी के समस्त कागजात की नकले परिवादी ने विपक्षीगण को दीं और क्लेम फार्म भी भरकर दिया किन्तु अनेकों चक्कर लगाने के बावजूद विपक्षीगण ने क्लेम का भुगतान नहीं किया और टालमटोल करते रहे। परिवादी के अनुसार अब फोरम के समक्ष परिवाद योजित करने के अतिरिक्त उसके पास कोई विकल्प नहीं है। उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-3/4 दाखिल किया।
- सूची कागज सं0-3/5 के माध्यम से परिवादी ने कार की आर0सी0, बीमा कवरनोट, एफ0आई0आर0 और दिनांक 07/3/2013 को अभिकथित रूप से विपक्षी सं0-2 को दिऐ गऐ सूचना पत्र की प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/6 लगायत 3/9 हैं।
- विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-6/1 लगायत 6/8 दाखिल किया गया जिसमें परिवादी की कार सं0-डी0एल0-2 एफ0ए0डब्लू0-0062 का बीमा विपक्षी सं0-1 से होना तो स्वीकार किया गया, किन्तु शेष परिवाद कथनों से इन्कार किया गया। विशेष कथनों में कहा गया कि परिवाद कथन मिथ्या है, परिवादी का यह कथन असत्य हैं कि ड्राईवर और गाड़ी की गुमशुदगी की कोई सूचना परिवादी ने दिनांक 07/3/2013 को विपक्षीगण को दी थी। विपक्षी सं0-1 को परिवादी ने कभी कोई सूचना नहीं दी। विपक्षीगण को सूचना दिऐ जाने सम्बन्धी परिवादी का पत्र कागज सं0-3/9 फर्जी है। विपक्षीगण की ओर से अग्रेत्तर कथन किया गया कि विपक्षीगण के समक्ष परिवादी ने कोई क्लेम प्रस्तुत नहीं किया। गाड़ी को बीमा पालिसी की शर्तों के विपरीत टैक्सी के रूप में चलाया जा रहा था। विपक्षीगण का यह भी कथन है कि परिवादी ने गाड़ी की आर0सी0, एफ0आई0आर0, पुलिस द्वारा लगाई गई अन्तिम रिपोर्ट, आर0टी0ओ0 को सूचना प्रेषित करने सम्बन्धी पत्र की प्रति, चालक का डी0एल0, परमिट, गाड़ी की मूल चाबी इत्यादि विपक्षीगण को उपलब्ध नहीं कराऐ गऐ हैं। अन्त में यह कहते हुऐ कि इस फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है, परिवाद को विशेष व्यय सहित खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-8/1 लगायत 8/3 दाखिल किया जिसके साथ बतौर संलग्नक उसने गाड़ी की आर0सी0, बीमा कवरनोट, एफ0आई0आर0, विपक्षी सं0-2 को प्रेषित पत्र, क्लेम फार्म, विपक्षीगण के इन्वेकस्टीगेटर की ओर से परिवादी को भेजे गऐ पत्र दिनांकित 20/3/2013 और विपक्षी सं0-2 की ओर से क्लेम अस्वीकृत करने सम्बन्धी परिवादी को भेजे गऐ पत्र की नकलों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-8/4 लगायत 8/8 हैं।
- विपक्षीगण की ओर से विपक्षी सं0-2 के सहायक प्रबन्धक श्री रमन ओबराय का साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-10/1 लगायत 10/7 दाखिल हुआ जिसके साथ बतौर संलग्नक बीमा पालिसी की शर्तों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-10/8 लगायत 10/11 हैं।
- परिवादी ने लिखित बहस दाखिल की। विपक्षीगण की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
- हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- पक्षकारों के मध्य इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि कार सं0-डी0एल0-2 एफ0ए0डब्ल0-0062 दिनांक 21/12/2012 से 20/12/2013 तक की अवधि हेतु नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी की अमरोहा शाखा-विपक्षी सं0-1 से बीमित थी। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने परिवाद कथनों तथा परिवादी के साक्ष्य शपथ पत्र और उसके साथ दाखिल संलग्नकों पर बल देते हुऐ तर्क दिया कि मामले की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने और विपक्षीगण को सूचना देने में परिवादी द्वारा कोई विलम्ब नहीं किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि गाड़ी को टैक्सी के रूप में नहीं चलाया जा रहा था और यदि तर्क के तौर पर यह मान भी लिया जाय कि गाड़ी को टैक्सी के रूप में चलाया जा रहा था तब भी नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम नितिन खण्डेलवाल IV (2008) सी0पी0जे0 पृष्ठ-1 की निर्णयज विधि में मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई व्यवस्थानुसार परिवादी का क्लेम इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि गाड़ी का बीमा प्राईवेट कार के रूप में था, किन्तु उसका उपयोग टैक्सी के रूप में किया जा रहा है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार रिप्यूडिऐकशन लेटर कागज सं0-8/10 द्वारा परिवादी का क्लेम अस्वीकृत करके विपक्षीगण ने सेवा में कमी की है। उन्होंने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
- विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने परिवादी के तर्कों का प्रतिवाद किया और रिप्यूडिऐकशन लेटर कागज सं0-8/10 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुऐ तर्क दिया कि बीमा कम्पनी को गाड़ी की गुमशुदगी की सूचना 13 दिन बाद दी गई और गाड़ी का उपयोग टैक्सी के रूप में किया जा रहा था। प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाऐं जाने में भी बिलम्व किया जाना बताया गया है। विपक्षीगण के अनुसार परिवादी ने चॅूंकि बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया है अत: उसका क्लेम अस्वीकृत करके विपक्षीगण ने कोई त्रुटि नहीं की।
- पत्रावली पर जो साक्ष्य सामग्री उपलब्ध है उसके आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाऐं जाने और विपक्षी को कार लूट की घटना की सूचना दिऐ जाने में विलम्ब किया जाना तो प्रमाणित नहीं है किन्तु इस फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है।
- प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार परिवादी का ड्राईवर गाड़ी लेकर दिनांक 22/2/2013 को गया था। प्रार्थी ने अपने साक्ष्य शपथ पत्र में कथन किया है कि ड्राईवर गाड़ी लेकर 10-12 दिन के लिए गया था इस दृष्टि से परिवादी का यह कथन असत्य नहीं माना जा सकता कि जब ड्राईवर गाड़ी लेकर वापिस नहीं लौटा तो उसने दिनांक 06/3/2013 को ड्राईवर के घर ड्राईवर और गाड़ी के बारे में मालूमात की, पता चला कि ड्राइर्वर गाड़ी लेकर अभी तक लौटा नहीं है। इस प्रकार गाड़ी और ड्राईवर के वापिस न लौटने की जानकारी परिवादी को दिनांक 06/3/2013 को हुई। अगले ही दिन दिनांक 07/3/2013 को परिवादी ने घटना की सूचना विपक्षीगण को दे दी थी जैसा कि रिप्यूडिऐशन लेटर कागज सं0-8/10 के अवलोकन से प्रमाणित है। प्रकट है कि घटना की विपक्षी को सूचना देने में परिवादी द्वारा कोई विलम्ब नहीं किया गया। जैसा कि हमने ऊपर कहा है कि परिवादी के अनुसार उसका ड्राईवर गाड़ी लेकर दिनांक 22/2/2013 को 10-12 दिन के लिए इलाहाबाद गया था। प्रथम सूचना रिपोर्ट से ड्राईवर के गाड़ी लेकर 22/2/2013 को जाने की पुष्टि होती है। परिवादी के अनुसार जब उसका ड्राईवर गाड़ी लेकर 10-12 दिन के लिए गया था तो 10-12 दिन से पहले परिवादी के पास गाड़ी और ड्राईवर की खोजबीन करने का कोई अवसर नहीं था। दिनांक 06/3/2013 को मालूम करने पर जब परिवादी को पता चला कि ड्राईवर गाड़ी लेकर नहीं लौटा है तो गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने वह थाना सिविल लाइन्स गया जहॉं उसे पता चला कि दिनांक 28/2/2013 को ही ड्राईवर के भाई निपेन्द्र सिंह ने घटना की रिपोर्ट थाना सिविल लाइन्स पर दर्ज करा दी है। इस प्रकार प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाऐ जाने में भी विलम्ब होना प्रकट नहीं है।
- विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादी के इन कथनों को यदि सही मान लिया जाय कि उसका ड्राईवर गाड़ी लेकर 10-12 दिन के लिए बाहर गया था, गाड़ी लेकर वह नहीं लौटा पता चला कि बीच रास्ते में बदमाशों ने ड्राईवर को मारकर गाड़ी लूट ली है, तब भी विपक्षीगण द्वारा क्लेम अस्वीकृत किया जाना त्रुटिपूर्ण और अविधिक नहीं कहा जा सकता। अपने इस तर्क के समर्थन में विपक्षीगण की ओर से प्रदीप गर्ग बनाम बजाज एलियांज जनरल इश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, I (2016) सी0 पी0 जे0 पृष्ठ-57 (एच0पी0) के मामले में मा0 हिमाचल राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, शिमला द्वारा दिऐ गऐ निर्णय का अबलम्व लिया। प्रदीप गर्ग की उक्त निर्णयज विधि वर्तमान मामले में लागू नहीं होती। प्रदीप गर्ग के मामले में तथ्य यह थे कि ड्राईवर गाड़ी लेकर भाग गया था और मामला आपराधिक दुर्विनियोग का था जबकि वर्तमान प्रकरण में ड्राईवर की हत्या कर गाड़ी लूट ले जाने के कथन हैं, वर्तमान मामला आपराधिक दुर्विनियोग का नहीं है। इस प्रकार वर्तमान मामले के तथ्य प्रदीप गर्ग की उक्त रूलिंग के तथ्यों से भिन्न हैं। अन्यथा भी नितिन खण्डेलवाल की निर्णयज विधि में मामला चूँकि गाड़ी लूट का था जिसमें मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम अस्वीकृत कर दिऐ जाने को गलत बताते हुऐ परिवादी को क्लेम देने के निर्देश दिऐ हैं ऐसी दशा में उक्त बिन्दु नितिन खण्डेलवाल की रूलिंग से आच्छादित है और प्रदीप गर्ग की रूलिंग इस मामले में विपक्षीगण के लिए सहायक नहीं है।
- 2012 (1) सी0पी00आर0 पृष्ठ-406, आशीष विश्वकर्मा बनाम ब्रांच मैनेजर नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड आदि के मामले में मा0 राष्ट्रीय प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा निम्न व्यवस्था दी गई :-
“ There is no Question of commercial purpose in obtaining insurance coverage.” - नितिन खण्डेलवाल की निर्णयज विधि में भी मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह अभिमत दिया गया है कि वाहन चोरी के मामलों में बीमा दावे के भुगतान हेतु यह सुसंगत नहीं है कि बीमित वाहन प्राईवेट के रूप में बीमित था, किन्तु उसे टैक्सी के रूप में चलाया जा रहा था। आशीष विश्वकर्मा और नितिन खण्डेलवाल की रूलिंग्स में दिऐ गऐ अभिमत के दृष्टिगत इस आधार पर बीमा दावा अस्वीकृत नहीं किया जा सकता था कि परिवादी की इनोवा कार प्राईवेट वाहन के रूप में बीमित होने के बावजूद उसका उपयोग टैक्सी के में किया जा रहा था।
- परिवादी दिल्ली का निवासी है। बीमा सर्टिफिकेट की नकल कागज सं0-3/7 के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादी की इनोवा गाड़ी बिजनौर रोड, अमरोहा अथात् विपक्षी सं0-1 से बीमित थी। परिवादी की गाड़ी की कथित लूट जनपद मुरादाबाद के क्षेत्रान्तर्गत होने का कोई अभिकथन नहीं है ऐसी दशा में इस फोरम के क्षेत्राधिकार में वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-11(2)(ए) में ‘’ ब्रांच आफिस ’’ की व्याख्या करते हुऐ सोनिक सर्जिकल बनाम नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लि0, IV (2009) सी0पी0जे0 पृष्ठ-40 (सुप्रीम कोर्ट) की निर्णयज विधि में मा0 सर्वोच्च न्यायाल द्वारा अवधारित किया गया है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-11(2)(ए) में ब्रांच आफिस का तात्पर्य ऐसे ब्रांच आफिस से है जहॉं वाद हेतुक उत्पन्न हुआ हो। परिवादी की इनोवा कार का बीमा नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी की अमरोहा शाखा से था। मुरादाबाद जिले के क्षेत्रान्तर्गत परिवाद का वाद हेतुक उत्पन्न होना प्रकट नहीं हुआ है ऐसी दशा में इस फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है।
- उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि इस फोरम को चॅूंकि परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है अत: परिवाद खारिज होने योग्य है।
परिवाद खारिज किया जाता है। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
18.07.2016 18.07.2016 18.07.2016 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 18.07.2016 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
18.07.2016 18.07.2016 18.07.2016 | |