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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 76 सन् 2007
प्रस्तुति दिनांक 04.05.2007
निर्णय दिनांक 07.03.2019
अखिलेश विश्वकर्मा उम्र तखo 26 साल पुत्र श्याम करम साकिन मौजा- खानपुर फतेह, थाना- अतरौलिया, जिला- आजमगढ़।
बनाम
नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड सिविल लाईन आजमगढ़।
..................................................................................विपक्षी।
उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव
अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसने 50,000/- रुपये का लोन यू.बी.आई. शाखा अतरौलिया से कराया और दुकान का इन्श्योरेन्स बीमा कम्पनी लिमिटेड सिविल लाईन आजमगढ़ से दिनांक 13.12.1999 ई. को कराया, जिसका क्रम संख्या 514600 है। इन्श्योरेन्स इस आशय से कराया गया था कि दुकान में कोई क्षति होने पर उसकी सुरक्षा हो सके। याची अपने दुकान का कारोबार करता रहा। दिनांक 27/28 मार्च, 2000 ई. को की रात में उसके दुकान में चोरी हो गयी। जिसकी सूचना उसने थाने अतरौलिया में अपराध संख्या 105/2000 अन्तर्गत धारा 380 भा.द.वि. के अन्तर्गत रिपोर्ट दर्ज करायी। परन्तु प्रभावशाली व्यक्तियों के प्रभाव के कारण मुकदमें में कार्यवाही आगे नहीं हो सकी और उसमें फाइनल रिपोर्ट लगा दी गयी। दिनांक 04.09.2004 ई. न्यायालय ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट सिविल जज जे.डी. आजमगढ़ मुकदमा संख्या 03/2000 सरकार बनाम अज्ञात अन्तर्गत धारा 380 भा.द.वि. थाना अतरौलिया जिला आजमगढ़ में दिनांक 04.09.2000 ई. सतीश बनाम सोहित आदि परिवाद दाखिल किया, जिसमें दिनांक 08.12.2000 को अन्तर्गत धारा 379/380 भा.द.वि. के अन्तर्गत तलब किया गया और वह न्यायालय में विचाराधीन है। चूंकि इन्श्योरेन्स कम्पनी द्वारा दुकान का बीमा
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कराया गया था। अतः क्षतिपूर्ति करने का दायित्व उन्हीं के ऊपर है। परिवादी का सगा भाई सतीश उससे रंजिस रखता है और उसकी नियत खराब हो गयी है। उसने जानबूझकर कोई दावा दाखिल नहीं किया। सतीश निजी तौर पर सारा का सारा पैसा हड़प लेना चाहता है और तन्हा रूप से मुकदमा दाखिल किया है। इस कारण यह मुकदमा दाखिल करने में विलम्ब हुआ है। अतः परिवादी को इन्श्योरेन्स कम्पनी से 50,000/- रुपया का मुआवजा दिलवाया जाए।
परिवाद द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा रसीद रजिस्ट्री, तलबी आदेश की नकल, अन्तिम रिपोर्ट स्वीकृत करने के सम्बन्ध में पारित आदेश की छायाप्रति तथा कागज संख्या 20/3 जे.टी.आयरन एण्ड स्टील कार्पोरेशनकी रसीद प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र में किए गए कथनों से इन्कार किया है। विशेष कथन में उसने यह कहा है कि याची ने गलत आधार पर याचना प्रस्तुत किया है। चोरी में उसका कोई सामान चोरी नहीं गया है। याची के नाम से कोई कोई दुकान अतरौलिया बाजार में स्थित नहीं है। याचिका में वर्णित तथाकथित चोरी से सम्बन्धित प्रतिकर हेतु एक अन्य मुकदमा 146/02 सतीश विश्वकर्मा बनाम न्यू इण्डिया आदि के नाम न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है जो अभी विचाराधीन है। याची के दुकान का न तो रजिस्ट्रेशन है न तो उसके दुकान में दर्ज सामान की सूची है। याची द्वारा दुकान में चोरी होने के कारण प्रतिकर हेतु विपक्षी के यहाँ क्लेम किया गया था और विपक्षी द्वारा उससे कुछ कागजात मांगे गए थे, लेकिन उसने नहीं दिया। अतः दिनांक 31.03.2004 को इसकी सूचना याची को दी गयी। विपक्षी क्षतिपूर्ति देने का जिम्मेदार नहीं है। याचिका अस्पष्ट एवं भ्रामक है। विपक्षी ने सेवा प्रदान करने में कोई गलती नहीं की है। याची ने दुर्भावना से ग्रस्त होकर ऋण की धनराशि को अदा करने से बचने के लिए यह याचिका प्रस्तुत किया
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है। याची वर्णित दुकान का मालिक नहीं है। चोरी 27/28.03.2000 के बाबत न तो कोई सूचना दर्ज करायी गयी है और न विपक्षी द्वारा मांगे गए कागजातों को दिया है। याची ने अपने याचिका में कथन किया है कि याची के दुकान में “मेसर्स मशीनरी स्टोर” अतरौलिया बाजार में स्थित है, जिसमें मशीनरी स्टोर बाल बेयरिंग के पार्ट्स एवं अन्य लोहा सम्बन्धित सामानों का कारोबार करता है, जिसमें तथाकथित चोरी के बाबत याची ने “मेसर्स मशीनरी स्टोर” अतरौलिया से सम्बन्धित किसी कागजात को प्रस्तुत नहीं किया। अतः याचिका खारिज किया जाए।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
बहस के समय याची तथा उसके विद्वान अधिवक्ता अनुपस्थित पाए गए। अतः ऐसी स्थिति में विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। याची द्वारा अपने याचना पत्र के पैरा 3 में यह कहा गया है कि उसने अपने दुकान का बीमा नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी सिविल लाईन आजमगढ़ से दिनांक 13.12.1999 को कराया था। उसके द्वारा परिवाद पत्र के पैरा 2 में यह कहा गया है कि उसकी अतरौलिया बाजार में मेसर्स मशीनरी स्टोर के नाम से दुकान है। परिवादी ने न तो मेसर्स मशीनरी स्टोर का कोई सबूत प्रस्तुत किया है न तो उसके इन्श्योरेन्स का कोई कागज प्रस्तुत किया है।
ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद निरस्त होने योग्य है।
आदेश
परिवाद निरस्त किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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दिनांक 07.03.2019
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)