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SHARDA DEVI filed a consumer case on 14 Mar 2022 against NATIONAL INSURANCE CO.LTD. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/94/2021 and the judgment uploaded on 21 Mar 2022.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 94 सन् 2021
प्रस्तुति दिनांक 02.08.2021
निर्णय दिनांक 14.03.2022
शारदा देवी पत्नी स्वo गंगा प्रसाद उम्र तखo 63 वर्ष ग्राम- हुसेनगंज, पोस्ट- जमालपुर, तहसील- सदर, जिला- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह एक गरीब असहाय निराश्रित महिला है। परिवादिनी के पति गाँव में ही रहकर खेती-बाड़ी व मजदूरी करके अपना तथा अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। परिवादिनी के पति गंगा प्रसाद पुत्र सम्हारू ग्राम हुसेनगंज पोस्ट- जमालपुर, तहसील- सदर, परगना- निजामाबाद की मृत्यु दिनांक 09.05.2017 को गाँव के तालाब में गए थे, अचानक गिरकर डूब जाने से उनकी मृत्यु हो गयी। दुर्घटना की सूचना परिवादिनी के पुत्र संतोष गुप्ता ने थाना सिधारी आजमगढ़ को दिया। जिस पर रपट नं. 31 दिनांक 09.05.2017 दर्ज हुआ। परिवादिनी के पति ही मुख्य रोटी अर्जक थे तथा उन्हीं की कमायी पर परिवार की रोजी-रोटी आश्रित थी। परिवादिनी के पति की मृत्यु के बाद स्थानीय प्रशासन के लेखपाल तेरही आदि के कार्यक्रम कार्यक्रम के बाद आए व सूचना व ग्राम प्रधान से प्रमाण पत्र लेने के बाद अपनी रिपोर्ट में यह दर्शाए कि परिवादिनी के पति एक गरीब व्यक्ति थे इनकी मृत्यु दिनांक 09.05.2017 को पोखरे में डूबने से हो गयी। मृतक गरीब व्यक्ति था तथा मजदूरी करके अपनी जीविका चलाता था। उसके नाम से कोई भूमि नहीं है तथा वार्षिक आय 75,000/- रुपए से कम है। परिवादिनी बतौर पत्नी मुख्यमंत्री किसान बीमा योजना पाने की पात्र है। आदि रिपोर्ट के साथ तहसीलदार व उपजिलाधिकारी कार्यालय आजमगढ़ से अग्रसारित करके जिलाधिकारी आजमगढ़ के द्वारा सम्बन्धित बीमा कम्पनी ने नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड शाखा आजमगढ़ को किसान एवं सर्वहित बीमा योजना दावा प्रपत्र समय से प्रेषित कर दिया गया। सरकार की उक्त योजना का लाभ पाने के लिए हर तरह से पात्र होने के बावजूद सम्बन्धित बीमा कम्पनी नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड शाखा कार्यालय आजमगढ़ द्वारा परिवादिनी का कागज पूरी औपचारिकताएं पूर्ण करने हेतु जाँचकर्ता के माध्यम से कहा गया तो परिवादिनी ने सारी औपचारिकताएँ/ मृत्यु प्रमाण पत्र, सूचना पत्र, पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट, परिवार रजिस्टर की नकल, पासबुक आदि दिया। परन्तु बीमा कम्पनी द्वारा टाल मटोल किया जाता रहा। अंततः मार्च 2021 में विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादिनी को बताया कि मृतक गंगा प्रसाद के पुत्र के तहरीर व उसके द्वारा दी गयी बयानहल्फी के अनुसार मृतक दुर्घटना के समय नशे में था। उक्त आधार पर दावा नो क्लेम कर दिया गया। परिवादिनी के पति का पोस्टमॉर्टम सदर अस्पताल आजमगढ़ में हुआ जिसमें मृत्यु का कारण डूबना बताया गया है, एल्कोहल का कोई जिक्र नहीं है। उक्त नो क्लेम की सूचना परिवादिनी को काफी विलम्ब से मौखिक रूप से दिया गया जो सत्य के विल्कुल विपरीत व निराधार है। परिवादिनी कम पढ़ी-लिखी महिला है, परन्तु अपने बैंक में हस्ताक्षर बनाकर खाता खोला है तथा अपना हस्ताक्षर हर सरकारी कागजात व आवश्यकता पर बनाती है, अंगूठा हरगिज नहीं लगाती। बीमा कम्पनी के जाँचकर्ता द्वारा गलत बयानी व रिपोर्ट तथा फर्जी मनगढ़न्त बयानहल्फी दिया गया कि उसके पति की मृत्यु शराब के सेवन से डूबने से हुई थी। उसके द्वारा इस प्रकार का कोई बयानहल्फी नहीं दिया गया। तथाकथित बयानहल्फी पर परिवादिनी का फर्जी अंगूठा लगाया गया है, जबकि वह हर जगह अपना हस्ताक्षर बनाती है। विपक्षी संख्या 01 बीमा कम्पनी द्वारा नो क्लेम की बात परिवादिनी से छिपाया गया और बताया गया कि अधिकारी के ट्रान्सफर हो जाने से फाइल छिपाया गया तथा उसे मार्च 2021 में पत्रावली पर नए अधिकारी के आने पर नो क्लेम करने की बात बतायी गयी जो दिनांक 20.03.2019 की थी। इस उसे सूचना दो वर्ष बाद मिली और उसे कोई रजिस्ट्री सूचना प्राप्त नहीं हुई। विपक्षीगण द्वारा जानबूझकर, झूठा व फर्जी बयानहल्फी के आधार पर परिवादिनी को मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा के लाभ से वंचित कर दिया गया। जिससे परिवादिनी को गहरा आघात हुआ और काफी हैरान व परेशान है। अतः विपक्षीगण बीमा कम्पनी से मुख्यमंत्री किसान सर्वहित बीमा योजना का लाभ मुo 5,00,000/- रुपया परिवादिनी को दिलाया जाए। साथ ही उपेक्षा व जानबूझकर क्लेम को नो क्लेम करने से परिवादिनी को दुर्घटना के दिनांक से उक्त धनराशि पर 12% वार्षिक ब्याज और शारीरिक, मानसिक, आर्थिक कष्ट के लिए 20,000/- रुपया व खर्चा मुकदमा 10,000/- रुपया परिवादिनी को दिलाया जाए।परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादिनी ने कागज संख्या 7/1 मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/2 नकल रपट की छायाप्रति, कागज संख्या 7/3 आय प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/4व5 किसान एवं सर्वहित बीमा योजना दावा प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/6 ग्राम पंचायत प्रधान द्वारा जारी प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/7 उपजिलाधिकारी कार्यालय द्वारा भेजे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/8 तहसीलदार सदर आजमगढ़ द्वारा अग्रसारित पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/9ता7/11 पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 7/12 परिवार रजिस्टर की छायाप्रति, कागज संख्या 7/13 नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड द्वारा जारी नो क्लेम प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/14व15 आधार कार्ड की छायाप्रति तथा कागज संख्या 14ग² लिखित बहस प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 11क² विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने वाद पत्र की दफा-3 में मृत्यु का केवल होना स्वीकार किया है तथा वाद पत्र के शेष कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादिनी को कोई वाद प्रस्तुत करने का विधिक अधिकार प्राप्त नहीं था। परिवादिनी का वाद निर्धारित प्रारूप में नहीं है, इसलिए निरस्त होने योग्य है। परिवादिनी ने जिलाधिकारी के माध्यम से क्लेम हेतु सभी औपचारिकताएँ पूर्ण कराकर विपक्षी के यहाँ क्लेम प्राप्त का दावा प्रपत्र प्राप्त हुआ है। विपक्षी द्वारा निष्पक्ष जाँचकर्ता श्री सुशील कुमार सिंह राजा से परिवादिनी के वाद का जाँच कराया जाँचकर्ता ने अपनी जाँच में यह पाया कि मृतक नशे की हालत में पोखरे में डूबने से मरा है। जाँचकर्ता की रिपोर्ट के आधार पर बीमा पॉलिसी की शर्तों के विखण्डन के कारण परिवादिनी के दावे को दिनांक 29.03.2019 को नो क्लेम कर दिया गया। विपक्षी द्वारा अपनी सेवा में कोई भी कमी नहीं गयी। अतः परिवाद खारिज किया जाए तथा खर्चा मुकदमा मय अधिवक्ता फीस विपक्षी को परिवादिनी से दिलाया जाए।
विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी संख्या 01 द्वारा कागज संख्या 15ग² लिखित तर्क, कागज संख्या 17/1ता17/3 इन्वेस्टीगेटर द्वारा जारी इन्वेस्टीगेशन रिपोर्ट की प्रति, कागज संख्या 17/4 इन्वेस्टीगेटर निष्कर्ष की प्रति तथा कागज संख्या 17/5व6 मृतक के उत्तराधिकारी होने का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर परिवादी के विद्वान अधिवक्ता तथा विपक्षी संख्या 01 के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित रहे। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता तथा विपक्षी संख्या 01 के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। यहाँ यह भी उल्लेख कर देना आवश्यक है कि विपक्षी संख्या 02 जो कि उत्तर प्रदेश सरकार है, उसकी तरफ से कोई भी जवाबदावा आदि प्रस्तुत नहीं किए जाने की स्थिति में परिवाद उसके विरुद्ध दिनांक 12.01.2022 को एक पक्षीय अग्रसारित की जा चुकी है।
परिवादी तथा विपक्षी संख्या 01 के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी संख्या 01 के द्वारा यह कहा गया है कि मृतक नशे की हालत में पोखरे में डूबने की वजह से मरा और इस बात का उसके द्वारा स्वतंत्र इन्वेस्टीगेटर की रिपोर्ट भी संलग्न की गयी है तथा मृतक के उत्तराधिकारी द्वारा अंगूठा का निशान लगाया हुआ शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया है, जबकि ऐसा कोई भी प्रपत्र साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत नहीं किया है जिससे यह प्रमाणित हो कि यदि कोई व्यक्ति नशे की हालत में जलाशय में डूबने से मृत्यु होती है तो उसके क्लेम को नो क्लेम किया जा सके। यहाँ यह भी उल्लेख करना आवश्यक है कि विपक्षी द्वारा प्रस्तुत नोटरी शपथ पत्र में अंगूठा लगाया गया है, जबकि परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र एवं शपथ में परिवादिनी द्वारा हस्ताक्षर किया गया है। ऐसी स्थिति में यह बात समझ से परे या अविश्वसनीय है कि परिवादिनी किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए सक्षम है तो अंगूठा क्यों लगाएगी। उक्त बयानहल्फी का परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र की धारा-11 में खण्डन भी किया है तथा कहा है कि यह फर्जी भी है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी द्वारा नो क्लेम करना किसी भी ठोस प्रमाण पत्र एवं दस्तावेज के अभाव में पूरी तरह अनुचित है। अतः ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद विपक्षी संख्या 01 के विरुद्ध स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी संख्या 01 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को “मुख्यमंत्री किसान सर्वहित बीमा योजना” के लाभ के रूप में मुo 5,00,000/- रुपए (रु.पांच लाख मात्र) अन्दर 30 दिन परिवाद दाखिला की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 09% वार्षिक ब्याज की दर से अदा करे साथ ही विपक्षी संख्या 01 को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को खर्चा मुकदमा के रूप में मुo 5,000/- रुपए (रु.पांच हजार मात्र) भी अदा करे।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 14.03.2022
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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