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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 120 सन् 2014
प्रस्तुति दिनांक 04.07.2014
निर्णय दिनांक 10.04.2019
श्री रवी प्रताप सिंह पुत्र श्री रामनरायन सिंह निवासी साo तिहाइतपुर, पोस्ट- राजेसुल्तानपुर, जिला- अम्बेडकरनगर।.................................................................................परिवादी।
बनाम
नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी शाखा कार्यालय ठण्डी सड़क मड़या आजमगढ़, बजरिये शाखा प्रबन्धक।
...................................................................................विपक्षी।
उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव
अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसने आल्टो कार नं. यू.पी. 45 ई. 6995 का बीमा विपक्षी के यहां से दिनांक 11.06.2012 को कराया था। परिवादी का कार दिनांक 21.07.2012 के दुर्घटनाग्रस्त हो गयी जिसकी सूचना विपक्षी को दिया गया तथा विपक्षी ने अपने सर्वेयर को दीप मोटर्स में भेजकर क्षतिग्रस्त वाहन का सर्वे कराया। परिवादी ने क्लेम के निपटारे के लिए वाहन से सम्बन्धित कागजात व चालक सन्दीप का डी.एल. का फोटो प्रति दिया था। चूंकि सन्दीप का डी.एल. जो बस्ती जिले से बना हुआ था। उक्त डी.एल. बनने के पश्चात् यह पता चला कि बस्ती से बना डी.एल. फर्जी है तो चालक सन्दीप ने उक्त डी.एल. को फाड़कर फेक दिया था, परन्तु भूलवश उसकी फोटो प्रति रह गयी थी जो जल्दबाजी में विपक्षी के शाखा में दिया गया, परन्तु जब परिवादी को चालक सन्दीप द्वारा यह बात बताया गया कि जो डी.एल. दाखिल किया है वह फर्जी है जो कि जल्दबाजी में दिया गया तता उसका मूल प्रति पहले ही फाड़क फेक दिया है दुसरा डी.एल. जो आजमगढ़ से बना है उसको दिनांक 04.01.2013 को विपक्षी के शाखा आजमगढ़ में जमा P.T.O.
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कर दिया। जिसके पश्चात् विपक्षी के यहां से दिनांक 10.01.2013 को पत्र भेजा गया कि आपने जो डी.एल. दिया था वह डी.एल. दुर्घटना के तिथि पर वैध व प्रभावी नहीं है। उक्त तथ्यों पर क्यो न आपका दावा निरस्त कर दिया जाए। जिस पर परिवादी ने दिनांक 08.02.2013 को पुनाः शपथ पत्र देकर अपने बात को कहा कि परन्तु विपक्षी ने उक्त बातों को न मानते हुए दिनांक 25.02.2013 को बस्ती के डी.एल. के आधार पर दावा निरस्त कर दिया। परिवादी ने उक्त क्षतिग्रस्त वाहन को दीप मोटर्स आजमगढ़ मे बनवाया जिसमें परिवादी का कुल 72,450/- रुपया लगा तथा वाहन को सीट बनवाने में 2050/- रुपया तथा वाहन को टोचन करके दीप मोटर्स तक लाने में 1900/- रुपया तथा टायर का मूल्य 2925/- रुपया लगा तथा कुल व्यय 79,325/- रुपया खर्च हुआ। अतः विपक्षी से परिवादी को 79,325/- रुपये मय 12% वार्षिक ब्याज पर उसे दिलावाया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 7/1 ता 7/2 इन्श्योरेन्स के कागजात, कागज संख्या 7/3 टायर पर हुए खर्च की छायाप्रति, 7/4 लक्ष्मी ट्रेवेल्स द्वारा जारी प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/5 श्याम सीट मेकर्स द्वारा जारी प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/7 व 7/8 जॉब कार्ड टैक्स इनवायस की छायाप्रति, कागज संख्या 7/9 डी.एल. की छायाप्रति, कागज संख्या 7/10 शाखा प्रबन्धक को लिखे गए पत्र की छायाप्रति तथा कागज संख्या 7/13 इन्श्योरेन्स कम्पनी को परिवादी को लिखे गए पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
कागज संख्या 12क जवाबदावा द्वारा विपक्षी प्रस्तुत कर परिवाद के विवरण से इन्कार किया और अतिरिक्त कथन में यह कहा कि परिवाद से सम्बन्धित तथाकथित दुर्घटना का विवरण जरिये प्रथम सूचना रिपोर्ट, चार्जशीट, विपरीत दिशा में दुर्घटना करने वाली गाड़ी P.T.O.
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का नम्बर व अन्य विवरण के अभाव में सम्पूर्ण कथन अपुष्ट है। अतः परिवाद पोषणीय नहीं है। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 01 द्वारा जारी बीमा की तिथि 12.06.2012 सम्बन्धित बीमा कागजात से पुष्ट है। विपरीत इसके परिवादी द्वारा प्लीडेड बीमा की तिथि 11.06.2012 झूठ व काल्पनिक होने के कारण स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है। परिवादी द्वारा विपक्षी के कार्यालय में संस्थित क्लेम में फर्जी डी.एल. दिया गया था, जिसकी जाँचोपरान्त उक्त फर्जी डी.एल. ए.आर.टी.ओ. ऑफिस बस्ती से पुष्ट होने के उपरान्त परिवादी का क्लेम सही तौर पर दिनांक 25.02.2013 को निरस्त किया गया। उपरोक्त फर्जी डी.एल. की पुष्टि ए.आर.टी.ओ. ऑफिस बस्ती से होने के उपरान्त परिवादी ने जरिये प्रार्थना पत्र व नोटरी बयाहल्फी दिनांक 08.02.2013 को स्वयं उक्त लाइसेन्स को फर्जी होना स्वीकार किया है। परिवादी का सम्पूर्ण कथन परिवाद पत्र फ्राड़ पर आधारित होने के कारण निरस्त होने योग्य है। परिवादी का फ्राड पुष्ट होने पर परिवादी का क्लेम निरस्त कर दिया गया था। परिवादी दूसरा डी.एल. दुर्घटना के समय का फ्राड के रैकेट के जरिये संस्थित किया जाना तथा डबुल लाईसेंस परिवादी द्वारा एक ही समय का अपने कस्टडी में रखने के कारण परिवादी का दूसरे डी.एल. पर आधारित कथन मोटर वैहकिल ऐक्ट के नियमों के विपरीत है। डबुल डी.एल. का कथन फ्राड पर आधारित होने के कारण विधिक रूप से परिवाद पत्र के कथन वायड है। परिवादी द्वारा संस्थित टायर क्रय करने से सम्बन्धित कथन व सबूत कैश मेमों के रूप में पठनीय नहीं है इसी प्रकार का लक्ष्मी ट्रेवेल्स का बिल भी कैशमेमो नहीं है। बिलों का कोई रजिस्ट्रेशन है। इसी प्रकार श्याम सीट मेकर्स का भी कोई रजिस्ट्रेशन सम्बन्धित बिल पर उल्लिखित नहीं है। जॉबकार्ड टैक्स इनवायस भी परिवादी द्वारा साजिशी तौर पर मरत्तब किया गया है। जिसकी किसी अदायती के लिए कम्पनी दुर्घटना की पुष्टि न होने पर, परिवादी का फर्जी डी.एल. रहने तथा परिवाद उपरोक्त परिवाद फ्रॉडुलेन्ट कथनों व सबूतों पर आधारित होने के कारण निरस्त होने योग्य है। अतः परिवाद पत्र P.T.O. 4 निरस्त किया जाए।
विपक्षी द्वारा प्रलेखीय साक्ष्य में रवी प्रताप द्वारा लिखे गए पत्र की छायाप्रति, शपथ पत्र की छायाप्रत, रवी प्रताप को दिनांक 25.02.2013 को कम्पनी द्वारा दिए गए सूचना की छायाप्रति संलग्न है।
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट हो रहा है कि परिवादी की कार दिनांक 21.07.2012 को दुर्घटना ग्रस्त हुई थी जिसकी सूचना उसने विपक्षी को दिया और उसने सर्वेयर भेजकर क्षतिग्रस्त वाहन का सर्वे करवाया। परिवादी ने दुर्घटना के सन्दर्भ में कोई एफ.आई.आर. थाने पर नहीं लिखवाया है। यहाँ इस बात का भी उल्लेख कर देना आवश्यक है कि परिवादी इन्श्योरेन्स कम्पनी के समक्ष किस तारीख को क्लेम प्रस्तुत किया था इसका भी कोई साक्ष्य पत्रावली पर नहीं है। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड बनाम हुकम भाई मीना एवं अन्य (iv) 2018 सी.पी.जे. 478 एन.सी.” का यदि अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में यह अभिधारित किया गया है कि बीमा कम्पनी को दुर्घटना की सूचना युक्त-युक्त समय में दी जानी चाहिए, लेकिन पत्रावली पर इस तरह का कोई प्रमाण पत्र प्रस्तूत नहीं किया गया है, जिससे यहां स्पष्ट हो कि परिवादी ने बीमा कम्पनी को सूचना युक्त-युक्त समय में दिया था। परिवादी ने कागज संख्या 7/11 एक शपथ पत्र दिया है और उस शपथ पत्र की यह छायाप्रति है। इस शपथ पत्र में परिवादी द्वारा यह कहा गया है कि दिनांक 10.01.2013 को उसने वैध एवं प्रमाणित डी.एल. शाखा में जमा कर दिया था। पूर्व में जमा किया गया डी.एल. जल्दीबाजी, हड़बड़ी में दिया गया था। यह शपथ पत्र दिनांक 08.02.2013 को कम्पनी को दिया गया था। यदि हम कम्पनी का क्लेम निरस्त करने सम्बन्धी आदेश का अवलोकन करें तो यह आदेश 25.02.2013 को निरस्त कर दिया गया था और वह निरस्तीकरण को डी.एल. के आधार पर किया गया था जो कि बस्ती का था। परिवादी ने दूसरा डी.एल. आजमगढ़ का पत्रावली में लगाना कहा गया P.T.O.
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है। विधि का यह सुस्थापित सिद्धान्त है कि कोई भी व्यक्ति दो डी.एल. नहीं रख सकता है। इस प्रकार हमारे विचार से परिवादी का क्लेम जो निरस्त हुआ है वह सही है और परिवादी याचित अनुतोष पाने के लिए अधिकृत नहीं है। उपरोक्त विवेचन से परिवाद निरस्त होने योग्य है।
आदेश
परिवाद निरस्त किया जाता है।
पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 10.04.2019
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)