1
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 27 सन् 2002
प्रस्तुति दिनांक 30.01.2002
निर्णय दिनांक 14.11.2018
रामजीत यादव उम्र तखo 39 साल पुत्र श्री देवनाथ यादव साकिन घिनहापुर तप्पा उतरहा, परगना- बेलहाबांस, तहसील- लालगंज, जिला- आजमगढ़।
......................................................................................................याची।
बनाम
- शाखा प्रबन्धक नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड शाखा कार्यालय 328 सिविल लाइन, आजमगढ़।
- शाखा प्रबन्धक भारतीय स्टेट बैंक शाखा लालगंज, आजमगढ़।
-
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा राम चन्द्र यादव “सदस्य”
निर्णय
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”-
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि साकिन- घिनहापुर तप्पा उतरहा, परगना- बेलहाबांस, तहसील- लालगंज, जिला- आजमगढ़ का रहने वाला है। वह व्यवसायी है। विपक्षी संख्या 01 बीमा का व्यवसाय करता है, जिसके एवज में वह प्रीमियम देता है। अतः वह उपभोक्ता की श्रेणी में आएगा। परिवादी ने शिक्षित बेरोजगार देने वाली योजना के अन्तर्गत वर्ष 1986 में कपड़ा की दुकान करने हेतु विपक्षी संख्या 02 से 25,000/- रुपये का ऋण लिया था। ऋण लेते वक्त विपक्षी संख्या 02 ने बताया कि उसके दुकान का बीमा विपक्षी संख्या 01 से कराया गया है। जिसका प्रीमियम विपक्षी संख्या 02 शिकायत कर्ता से लेता था। दिनांक 12/13.04.1989 को शिकायत कर्ता के दुकान में ताला तोड़कर चोरी हो गयी। जिसमें नकद 10,020/- रुपया का, पैन्ट शर्ट का कपड़ा 8014/- रुपया, साड़ी धोती बनियान आदि 13054/- रुपया, तथा रजाई फर्द व केटी आदि 9096/- रुपया। कुल 40184/- रुपया चोरी चला गया, जिसका विवरण दिया गया है। घटना की सूचना दिनांक 13.04.1989 को विपक्षीगण व पुलिस को दी गयी। घटना के समय में ही परिवादी की भी दुकान का बीमा था। चोरी किए गए सामान की भरपाई करने
2
का उत्तरदायित्व विपक्षी संख्या 01 का था। चोरी चले जाने के बाद उसकी दुकान टूट गयी। दुकान टूटन के बाद परिवादी द्वारा पुनः मार्च 1991 में बीमा कराया गया। विपक्षी संख्या 01 द्वारा क्लेम न अदा करने पर 27.04.1989 को पत्र भेजा। क्लेम अदा न करने के कारण परिवादी को काफी शारीरिक, आर्थिक व मानसिक कष्ट हुआ व नोटिस देने में 110/- रुपये का खर्च हुआ। अतः विपक्षी संख्या 01 से 42,000/- रुपये प्रतिकर दिलवाया जाए। चोरी की घटना दिनांक 12/13.04.1989 के बाद विपक्षी संख्या 02 द्वारा ऋण खाता में परिवादी से लिए गए ब्याज न लेने का आदेश पारित किया जाए। 2,000/- रुपये उसे प्रतिकर भी दिलवाया जाए। परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्यों में परिवादी द्वारा चोरी गए सामान के विवरण की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है।
विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र में किए गए कथनों से इन्कार किया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा है कि मुकदमा टाइम बार्ड है। दुकान में चोरी किए जाने का कथन सरासर गलत है। परिवादी के दरखास्त पर बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि 22 अप्रैल एवं 05 मई 1989 को उपरोक्त तथाकथित चोरी के सम्बन्ध में सर्वे करने हेतु शिकायत कर्ता के दुकान पर गए तो उसके बड़े भाई सभाजीत ने बताया कि दिनांक 13 अप्रैल को दुकान खोला सामान विखरा, लेकिन गायब नहीं था न ही दरवाजा टूटा था। सर्वेक्षण के समय दुकान सही थी, कारोबार सुचारू रूप से चल रहा था। घटना के सन्दर्भ में थाने में कोई सूचना नहीं दी गयी थी। परिवादी ने असत्य कथनों पर परिवाद पत्र प्रस्तुत किया है। विपक्षी द्वारा जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है। विपक्षी ने अपनी लिखित बहस प्रस्तुत किया है। इस पत्रावली के साथ एक अन्य पत्रावली संलग्न है, जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट हो रहा है कि परिवादी द्वारा इसके पूर्व भी एक परिवाद संख्या 05/1992 दाखिल किया गया था जो कि दिनांक 31.08.2001 को खारिज हो गया और उस मुकदमें को रजिस्टर न कराकर और तथ्यों को छिपाकर परिवादी द्वारा यह दूसरा परिवाद पत्र प्रस्तुत कर दिया गया है। चूँकि परिवादी
3
ने इसके पूर्व परिवाद पत्र प्रस्तुत किया था जो खारिज हो गया है। अतः ऐसी स्थिति में यह परिवाद चलने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)