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MUSTAQIM AHMAD filed a consumer case on 27 Nov 2020 against NATIONAL INSURANCE CO.LTD. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/32/2018 and the judgment uploaded on 01 Dec 2020.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 32 सन् 2018
प्रस्तुति दिनांक 03.02.2018
निर्णय दिनांक 27.11.2020
मुस्तकीम अहमद पुत्र स्वo अब्दुल लतीफ, साकिन चांदपट्टी (मेहरा), तहसील- सगड़ी, जनपद- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने दिनांक 06.08.2016 को अपनी बोलेरो वाहन संख्या यू.पी. 50 ए.पी-2361 का बीमा मुo 6,00,000/- का विपक्षी संख्या 01 से कराया, जो दिनांक 05.08.2017 तक वैध था, जिसकी पॉलिसी संख्या 452201/31/16/6100011710 है। परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 18.03.2017 को रात्रि में परिवादी के दरवाजे से चोरी हो गया। काफी तलाश करने के बाद उक्त वाहन परिवादी को नहीं मिला तो परिवादी ने स्थानीय थाना रौनापर आजमगढ़ में दिनांक 21.03.2017 को प्रथम सूचना रिपोर्ट स्टेट बनाम अज्ञात में दर्ज कराया, जिसका मुoअoसंo 78/2017 था। विपक्षी को दिनांक 23.03.2017 को उक्त गाड़ी के चोरी के बाबत लिखित सूचना दिया। विवेचक ने उक्त वाद में फाईनल रिपोर्ट लगा दिया जो दिनांक 08.07.2017 न्यायालय ए.सी.जे.एम. कोर्ट नं.10 आजमगढ़ द्वारा मुoनं. 81/2017 मुस्तकीम बनाम अज्ञात स्वीकार कर लिया गया। परिवादी सभी औपचारिकताओं को पूर्ण करके विपक्षी के यहाँ क्लेम निस्तारित करने के लिए निवेदन किया, विपक्षीगण ने क्लेम को निस्तारित नहीं किया। परिवादी को काफी दौड़ाया, हैरान व परेशान किया। परिवादी ने विपक्षीगण को अपने अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक 29.09.2017 को कानूनी नोटिस भेजा। कानूनी नोटिस पाने के बाद विपक्षी ने दिनांक 04.10.2017 को पत्र के
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माध्यम से परिवादी के अधिवक्ता को सूचित किया कि परिवादी की क्लेम पत्रावली का निस्तारण हेतु क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ को प्रेषित की जा चुकी है। पत्रावली प्राप्त होने के बाद तद्नुसार सूचित किया जाएगा। दिनांक 02.11.2017 को विपक्षी ने परिवादी को सूचित किया कि पिछली बीमा पॉलिसी पर कोई क्लेम दर्ज नहीं है। इस आधार पर प्रीमियम पर 20 प्रतिशत एन.सी.बी. की छूट दी गयी है। जिसके जवाब में परिवादी ने दिनांक 23.11.2017 को विपक्षी को सूचित किया कि विपक्षी के कर्मचारी द्वारा फार्म भरकर परिवादी से हस्ताक्षर करवा लिया गया। परिवादी को पढ़कर न तो कुछ सुनाया गया और न तो कुछ बताया गया। परिवादी ने कुछ छिपाया नहीं है। दिनांक 31.01.2018 को विपक्षीगण ने पत्र द्वारा परिवादी को सूचित किया कि आपका क्लेम निरस्त कर दिया गया है। अतः परिवादी को विपक्षीगण से मुo 6,00,000/- रूपए मय 12% वार्षिक ब्याज पर दिलवाया जाए और आर्थिक व मानसिक कष्ट हेतु 2,00,000/- रुपया दिलवाया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 6/1 क्लेम निरस्त करने के बाबत विपक्षीगण द्वारा परिवादी को दी गयी सूचना, कागज संख्या 26ग दुर्घटनाग्रस्त वाहन के सर्वे हेतु दिया गया पत्र, कागज संख्या 26/2 नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिo को दिया गया क्लेम फार्म, कागज संख्या 26/3 बीमा कम्पनी का सर्टिफिकेट इन्श्योरेन्स कम पॉलिसी सेड्यूल, कागज संख्या 26/4 एफ.आई.आर. की प्रतिलिपि, कागज संख्या 26/6 लगायत 26/9 ए.सी.जे.एम. द्वारा अन्तिम रिपोर्ट स्वीकार करने के सम्बन्ध में छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या 01 व 02 द्वारा प्रस्तुत कागज संख्या 11क जवाबदावे में यह कहा गया है कि याची ने गलत परिवाद प्रस्तुत किया है। अतिरिक्त कथन में यह कहा गया कि परिवादी को परिवाद प्रस्तुत करने का अधिकार नहीं था। तथाकथित चोरी की घटना के सम्बन्ध में याची द्वारा तीन दिन पश्चात् थाना में रिपोर्ट किया जाना स्वयं में घटना को संदिग्ध करता है। याची द्वारा सम्बन्धित वाहन का प्रीमियम बीमा दि न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड से दिनांक 03.08.2015 से 02.08.2016 के लिए कराया गया था। उक्त अवधि में परिवादी द्वारा गाड़ी के नुकसान दिनांक 17.08.2015 की सूचना दिनांक 19.08.2015 को उक्त कम्पनी को देकर ओ.डी. क्लेम स्वरूप मुo 29626/- रुपए प्राप्त किया गया है, जो पत्रावली में संलग्न है। परिवादी द्वारा विपक्षीगण की बीमा कम्पनी से बीमा दिनांक 06.08.2016 से
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05.08.2017 तक के लिए कराया गया है, जिसमें पूर्ववर्ती पॉलिसी पर कोई क्लेम प्राप्त न करने की सूचना व प्रोपोजल फार्म पर उक्त आशय की उद्घोषणा करने के आधार पर जी.आर. 27 के अन्तर्गत 20% प्रीमियम से कम की धनराशि अदा किया। परिवादी द्वारा तथाकथित चोरी की घटना की सूचना विपक्षीगण को दिए जाने पर जाँचोपरान्त तथा दि न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड से प्राप्त सबूतों व रिपोर्ट के आधार पर परिवादी द्वारा पूर्ववर्ती पॉलिसी पर क्लेम धनराशि प्राप्त करने तथा 0 प्रतिशत एन.सी.बी. होने के बावजूद फ्राड के जरिए विपक्षीगण की बीमा कम्पनी से प्रीमियम की धनराशि में 20 प्रतिशत लाभ प्राप्त करके फ्राड के आधार पर 20 % कम प्रीमियम अदा किया है, जिसके कारण परिवादी द्वारा किया गया एग्रीमेन्ट वायड एबइनिसियो है। परिवादी का एग्रीमेन्ट फ्राड व जी.आर.27 का उल्लंघन करके होने के कारण एग्रीमेन्ट फार विडेन वाई लॉ तथा अनलॉफुल है। परिवादी की लोकस स्टैण्डी बेनेफिसरी ऑफ फ्राड है जो दि न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड द्वारा दिए गए कागजात से पुष्ट है, जिसके कारण परिवादी कोई धनराशि हम विपक्षीगण की कम्पनी से प्राप्त करने हेतु अधिकृत नहीं है। तथाकथित चोरी की घटना का अभिकथन बिल्कुल गलत है। परिवादी द्वारा सम्पूर्ण कार्यवाही साजिशी है। परिवादी की उपरोक्त याचित बीमा धनराशि विधि विरूद्ध तथा शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति की धनराशि अतिरंजित, काल्पनिक एवं मिथ्या होने के कारण परिवादी प्राप्त करने हेतु विधिक रूप से अधिकृत नहीं है। अतः परिवादी खारिज किया जाए।
प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी की ओर से कागज संख्या 13ग परिवादी द्वारा शाखा प्रबन्धक को दी गयी सूचना की प्रतिलिपि, कागज संख्या 13/2 नो क्लेम बोनस सर्टिफिकेट, कागज संख्या 13/3 क्लेम हिस्ट्री रिपोर्ट, कागज संख्या 13/4 बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को जारी पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 13/5-6 बीमा फार्म, कागज संख्या 13/7 कम्पनी द्वारा पत्र प्राप्ति का एक सप्ताह के अन्तर्गत स्पष्टीकरण देने के आदेश की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है।
विपक्षी संख्या 03 द्वारा प्रस्तुत कागज संख्या 21ग जवाबदावे में यह कहा गया है कि याचिका की दफा 01, 02 व 03 स्वीकार है शेष सभी कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी के अनुरोध एवं लिखित प्रार्थना पत्र पर यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा चांदपट्टी आजमगढ़ द्वारा वादी को चार पहिया वाहन खरीदने के लिए दिनांक 31.07.2015 को मुo5,50,000/- रुपया मात्र मियादी ऋण निर्धारित ब्याज दर एवं निर्धारित नियम व शर्तों के साथ ऋण दिया गया, जिसका ऋण खाता संख्या 459306520200066 है तथा ऋण सुविधा की ब्याज दर देय किश्तों
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की अदायगी आदि से परिवादी को भलीभांति बताया गया था। परिवादी द्वारा ऋण सुविधा की समस्त शरायतों को जान व समझकर वादी ने समस्त शर्तों का अनुपालन करते रहने व ऋण व ब्याज रकम की स्वीकृति शर्तों के अनुसार अदायगी करने के सम्बन्ध में बैंक के पक्ष में मांग वच-पत्र हाइपोथिकेशन एग्रीमेन्ट व अन्य सुसंगत कागजात आदि के अलावा ऋण रकम प्राप्त कर ऋण प्राप्ति पत्र पर हस्ताक्षरित व निष्पादित किया है। परिवादी ने यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया शाखा चांदपट्टी को गलत पक्षकार बनाया है। परिवादी को विपक्षी संख्या 03 यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया से न तो कोई शारीरिक एवं मानसिक क्षति पहुंची है और न ही विपक्षी संख्या 03 से परिवादी किसी मानसिक व आर्थिक क्षति पाने का अधिकारी है। अतः परिवादी का परिवाद पत्र खारिज किया जाए।
उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी द्वारा प्रस्तुत कागज संख्या 13/5-6 जो स्टैण्डर्ड प्रोपोजल फॉर्म फॉर लाइबिलटी ओनली पॉलिसी प्रस्तुत की गयी है जो छपा-छपाया फॉर्म है और इसमें कहीं भी कुछ भी हाथ से लिखा नहीं गया है, लेकिन इसके पृष्ठ 04 पर किसी ने कलम से यह बढ़ाया है कि ‘मैंने अपनी पिछली पॉलिसी में कोई भी दावा नहीं किया है अगर दावा पाया जाएगा तो इसके लिए स्वतः मैं जिम्मेदार होऊंगा।’ इस प्रकार यह जो हाथ से लिखा गया है इससे यह लगता है कि परिवादी का क्लेम निस्तारित करने हेतु बीमा कम्पनी ने यह सब किया है। क्योंकि जो बीमा हुआ है उसमें सब छपा-छपाया हुआ है और हां या नहीं भरने का विकल्प मौजूद है, परन्तु कहीं भी हाथ से कुछ भी नहीं लिखा गया है जो कि बीमा कम्पनी द्वारा फार्म भरने में अनियमितता, लापरवाही व साजिशी को दर्शाता है। बीमा पॉलिसी के अवलोकन से स्पष्ट है कि विपक्षी ने परिवादी का 6,00,000/- का बीमा स्वीकार किया था। परिवादी द्वारा जो यह कहा गया है कि याची 20% जो छूट पाया था उसका उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन विपक्षी द्वारा इस सन्दर्भ में कोई भी प्रलेख प्रस्तुत नहीं किया गया है। विपक्षी की ओर से जी.आर.27 नो क्लेम बोनस के सन्दर्भ में प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया है और विपक्षी द्वारा एक न्याय निर्णय “राम प्रीती यादव बनाम उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ हाई स्कूल एण्ड इण्टरमीडिएट एजूकेशन 2004 All.सी.जे. 129” प्रस्तुत किया गया है। यह न्याय निर्णय इस परिवाद के तथ्यों एवं परिस्थितियों में ग्राह्य नहीं है। विपक्षी ने जी.आर.27 नो क्लेम के सम्बन्ध में जो प्रमाण-पत्र दिया है इस परिवाद पत्र में लागू नहीं हुआ है।
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उपरोक्त विवेचन से हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 01 व 02 को संयुक्त रूप से व पृथकतः आदेशित किया जाता है कि वह अन्दर 30 दिन परिवादी को बीमित धनराशि मुo 6,00,000/-रुपए (रूपए छः लाख मात्र) का भुगतान करे, जिस पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से 09% वार्षिक ब्याज देय होगा तथा विपक्षी संख्या 01 व 02 को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति हेतु मुo 10,000/- रुपए (रूo दस हजार मात्र) भी अदा करे।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 27.11.2020
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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