Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/29/2014

JAI RAM GAUD - Complainant(s)

Versus

NATIONAL INSURANCE CO.LTD. - Opp.Party(s)

MAYANK TIWARI

26 Jul 2021

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 29 सन् 2014

प्रस्तुति दिनांक 23.01.2014

                                                                                              निर्णय दिनांक 26.07.2021

Jai Ram Gond aged about 51 Years, son of Late Shri Pati Raj Gond, resident of village- Unchi Godam Post Office- Bhaghan, Tehsil- Sadar, District- Azamgarh.     

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

     National Insurance Company Limited, 434, Thandi Sarak,    City and District- Azamgarh Through its Branch Manager.      

  1. ......विपक्षी।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह वाहन संख्या यू.पी. 50 डब्ल्यू 1731 का पंजीकृत स्वामी है जोकि नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी विपक्षी के यहाँ पूरी तरह से बीमित थी और वह बीमा 3 फरवरी, 2012 से 2 फरवरी, 2013 तक वैध थी। 21 जून, 2012 को परिवादी मोटरसाइकिल चला रहा था वह ऊंचीगोदाम से रानी की सराय बाजार के पास पहुँचा तो बैक साइड से तीन लोग ओवरटेक कर बाइक को छीन लिए जिसके कारण उसका भतीजा घायल हो गया और परिवादी ने धारा-394 आई.पी.सी. में मुकदमा लिखाया। जब विपक्षी के यहाँ उसकी सूचना गयी तो विपक्षी ने परिवादी को एक रजिस्टर्ड पत्र और कुछ प्रपत्र प्रस्तुत करने हेतु कहा तो परिवादी सभी प्रपत्र प्रस्तुत किया, लेकिन विपक्षी द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी। अतः विपक्षी से परिवादी को वाहन का पैसा दिलवाया जाए।    

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 7/1 आर.सी. की छायाप्रति, कागज संख्या 7/2 डी.एल. की छायाप्रति, कागज संख्या 7/3ता74 चालन अनुज्ञप्ति के प्रारूप की छायाप्रति, कागज संख्या 7/5ता7/6 बीमा के कागजात की छायाप्रति, कागज संख्या 7/7 प्रार्थी के प्रार्थना पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/8ता7/9 एफ.आई.आर. की छायाप्रति, कागज संख्या 7/10 आरोप पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/11 बीमा कम्पनी द्वारा जारी पंजीकृत पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/12 पुलिस का पर्चा तथा कागज संख्या 7/13व7/14 बीमा कम्पनी को दी गयी सूचना की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।

कागज संख्या 12 विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने यह कहा है कि परिवादी ने दिनांक 21.06.2012 को एफ.आई.आर. लिखवाया था। याची द्वारा क्लेम फार्म के साथ व बावजूद डिमाण्ड चार्ज शीट आदि सुसंगत सबूत न दिए जाने के कारण क्लेम फार्म अनिस्तारित होने के पूर्व ही उपरोक्त परिवाद संस्थित किया जाना स्वीकार है। पुलिस की रिपोर्ट साजिशन दी गयी है। इसके अलावा परिवाद के शेष कथनों से इन्कार किया है तथा अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादी को परिवाद संस्थित करने का कोई अधिकार नहीं था। परिवादी द्वारा घटना के समय वाहन नहीं चलाया जा रहा था। पुलिस ने घटना के सन्दर्भ मं दो व्यक्तियों के विरूद्ध चार्जशीट संस्थित किया। लेकिन अब तक पुलिस द्वारा किसी अभियुक्त अथवा मोटरसाइकिल की बरामदगी नहीं दिया। अतः उसे अनुतोष नहीं दिया जा सकता। परिवाद निरस्त किया जाए।   

विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

उभय पक्षों को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में बीमा कम्पनी को कब सूचना दिया इसके बारे में कुछ भी नहीं लिखा है बल्कि दिनांक 16.01.2013 को विपक्षी द्वारा कुछ कागजात परिवादी से मांगे गए थे, उसके बारे में उसने लिखा है। परिवादी ने बीमा कम्पनी को कब सूचित किया इसके बारे में उसने न तो अपने परिवाद पत्र में कुछ लिखा है न तो उसके बारे में कोई प्रलेख प्रस्तुत किया है जबकि नियमतः परिवादी को युक्त-युक्त समय में बीमा कम्पनी को सूचना देना चाहिए। जैसा कि परिवादी द्वारा नहीं किया गया। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद निरस्त होने योग्य है। 

आदेश

                                                             परिवाद पत्र निरस्त किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

                                                                    गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह  

                                                  (सदस्य)                           (अध्यक्ष)

 

          दिनांक 26.07.2021

 

                                                   यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

                                       गगन कुमार गुप्ता                  कृष्ण कुमार सिंह

                                                         (सदस्य)                             (अध्यक्ष)

 

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