View 23915 Cases Against National Insurance
SANJAY YADAV filed a consumer case on 11 Mar 2022 against NATIONAL INSURANCE CO. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/22/2022 and the judgment uploaded on 25 Mar 2022.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 22 सन् 2022
प्रस्तुति दिनांक 22.02.2022
निर्णय दिनांक 11.03.2022
संजय यादव पुत्र श्री श्यामराज यादव ग्राम व पोस्ट- राउतमऊ, थाना- सिधारी, जनपद- आजमगढ़ (उoप्रo)
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड शाखा कार्यालय ठण्डी सड़क आजमगढ़ द्वारा शाखा प्रबन्धक।
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
निस्तारण देरी माफी प्रार्थना पत्र कागज संख्या 6ग²
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
इस प्रार्थना पत्र को परिवादी द्वारा प्रस्तुत कर यह कहा गया है कि दिनांक 07.03.2014 को गाड़ी संख्या यू.पी. 50 ए.टी. 4813 के चोरी हो जाने पर विपक्षी के यहाँ दिनांक 10.03.2014 को एफ.आई.आर. की प्रति, गाड़ी की आर.सी., बीमा की प्रति तथा परमिट की छायाप्रति प्राप्त कराकर उसे इस प्रकरण में उचित कार्यवाही करने हेतु कहा गया। विपक्षी द्वारा दिनांक 10.03.2014 को प्राप्त किए गए प्रार्थना पत्र के सन्दर्भ में आजतक मात्र मौखिक आश्वासन दिया जाता रहा, परन्तु इस सन्दर्भ में कोई लिखित जवाब नहीं दिया गया है और न ही क्लेम का भुगतान आजतक किया गया। इसलिए यह याचना पत्र प्रस्तुत करने में विलम्ब हुआ। अतः विलम्ब माफ कर याचना स्वीकार की जाए।
सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। मामला सन् 2014 का है और परिवाद सन् 2022 में लगभग आठ साल बाद प्रस्तुत किया गया है। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “रामलाल एवं अन्य बनाम रीवा कोल फील्ड्स लिमिटेड ए.आई.आर. 1962 (सुप्रीम कोर्ट) 361” का अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि विलम्ब का फायदा प्राप्त करने का अधिकार याची के पास नहीं होता है, बल्कि यह आयोग के विवेक पर निर्भर करता है। इस सन्दर्भ में यदि हम एक दूसरा न्याय निर्णय “आर.बी. राम लिंघम बनाम आर.बी. भवनेश्वरी सी.एल.टी. 188 (सुप्रीम कोर्ट) 2009 (2)” का यदि अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि विलम्ब के प्रार्थना पत्र में विलम्ब में हुए देरी को माफ करने में विलम्ब का जो कारण प्रस्तुत किया गया है उस पर गम्भीरता से विचार किया जाना अत्यन्त आवश्यक है।
याची ने यह याचना पत्र लगभग आठ साल बाद क्यों प्रस्तुत किया, इसका संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है, जबकि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम- 2019 की धारा- 69 के अन्तर्गत राष्ट्रीय आयोग/राज्य आयोग/ जिला आयोग में परिवाद दाखिल करने की समय सीमा दो साल ही निर्धारित की गयी है। अतः हमारे विचार से यह देरी माफी प्रार्थना पत्र कागज संख्या 6ग² निरस्त होने योग्य है।
आदेश
कागज संख्या 6ग² (देरी माफी प्रार्थना पत्र) निरस्त किया जाता है। तद्नुसार याचना पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.