Mohd. Shahid filed a consumer case on 30 Jan 2023 against National Insurance Co. Ltd. in the Barabanki Consumer Court. The case no is CC/198/2018 and the judgment uploaded on 31 Jan 2023.
Uttar Pradesh
Barabanki
CC/198/2018
Mohd. Shahid - Complainant(s)
Versus
National Insurance Co. Ltd. - Opp.Party(s)
Irshad Ali Siddiqui
30 Jan 2023
ORDER
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 19.12.2018
अंतिम सुनवाई की तिथि 20.01.2023
निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि 30.01.2023
परिवाद संख्याः 198/2018
मो0 शाहिद आयु करीब 56 वर्ष पुत्र मो0 जुबेर कुरैशी निवासी मकान संख्या-147, स्टेशन रोड, घर के सामने जमुरिया पुल घोसियाना तहसील नवाबगंज थाना कोतवाली नगर जिला-बाराबंकी (उ0 प्र0) पिन कोड-225001
द्वारा-श्री इरशाद अली सिद्दीकी, अधिवक्ता
बनाम
श्रीमान शाखा प्रबंधक महोदय, नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड शाखा कार्यालय भारत पेट्रोल पम्प के सामने लखनऊ फैजाबाद रोड नाका सतरिख तहसील नवाबगंज जिला-बाराबंकी 225001
द्वारा-श्री शैलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, अधिवक्ता
श्री अर्जुन कुमार, अधिवक्ता
समक्षः-
माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष
माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य
माननीय डाॅ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य
उपस्थितः परिवादी की ओर से -श्री इरशाद अली सिद्दीकी, अधिवक्ता
विपक्षी की ओर से-श्री अर्जुन कुमार, अधिवक्ता
द्वारा- डाॅ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य
निर्णय
परिवादी ने यह परिवाद, विपक्षी के विरूद्व दिनांक 19.12.2018 को धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत कर विपक्षी से रू0 7,65,000/-बारह प्रतिशत साधारण ब्याज सहित दिलाये जाने का अनुतोष चाहा है।
संक्षेप में परिवादी ने अपने परिवाद में मुख्य रूप से अभिकथन किया है कि वह वाहन संख्या यू0 पी0 41 वी/8081 बोलेरो (महिन्द्रा) का पंजीकृत स्वामी है जिसका इंजन नं.-ळभ्क्1क्29654 एवं चेचिस नं0-ड।प्ग्।2ळभ्ज्ञक्5क्65424 है। परिवादी आलू का व्यापार करता है एवं बाराबंकी से मुजफफ्रपुर व सीतामढ़ी (बिहार प्रान्त) में आलू भेजने का काम करके स्वयं व अपने परिवार का जीवन यापन करता है। परिवादी ने दिनांक 24.11.2015 को आलू के व्यापार से सम्बन्धित लेन-देन का हिसाब करने के लिए उक्त बोलेरो से मुजफ्फरपुर बिहार गया था और उसी दिन समय 10ः30 बजे रात में आर्या होटल एण्ड रेसीडेन्सियल निकट अखाड़ा घाट रोड कृष्णा टाकीज के बगल में जाकर रूके। परिवादी उक्त वाहन को स्वयं चलाकर ले गया था और वाहन को होटल के पार्किंग में खड़ा कर दिया तथा होटल में रूक गया। जब सुबह सोकर उठा तो देखा कि पार्किंग के स्थान पर उनकी गाड़ी नहीं खड़ी है। परिवादी को पूर्ण विश्वास हो गया कि उसकी बोलेरो चोरी हो गई है। परिवादी स्थानीय थाने आदर्श थाना मुजफ्फरपुर में जाकर बोलेरो चोरी की सूचना लिखित रूप में दी। उक्त तहरीर के आधार पर थाना स्थानीय पर मु0 अ0 सं0-901/2015 अं0 धारा-379 आई0 पी0 सी0 में अभियोग पंजीकृत हुआ। परिवादी ने अपने बीमा एजेन्ट को वाहन चोरी होने की सूचना उसी दिन दी। तत्पश्चात् बीमा एजेन्ट द्वारा बताया गया कि सूचना बीमा कम्पनी को दे देगें। परिवादी उक्त बोलेरो को काफी तलाश किया किन्तु चोरी हो गयी बोलेरो का कही पता नहीं चला। परिवादी बिहार से अपने प्रदेश बाराबंकी तक काफी भाग-दौड़ किया। कई बार विवेचनाधिकारी द्वारा थाने बुलाये जाने पर मुजफ्फरपुर गया। उक्त मु0 अ0 सं0-901/2015 से सम्बन्धित आई0 ओ0 द्वारा मा0 न्यायालय मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी महोदय मुजफ्फरपुर बिहार के समक्ष एफ0 आर0 नं0-522/2017 दिनांक 28.07.2017 को दाखिल किया। परिवादी की चोरी गई बोलेरो का बीमा नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लि0 नाका सतरिख भारत पेट्रोल पम्प के सामने बाराबंकी से पालिसी संख्या-450303/31/15/6100002886 दिनांक 04.06.2015 है जो दिनांक 04.06.2015 से मिडनाइट 03.06.2016 तक आच्छादित (कवर्ड) है। परिवादी ने प्रश्नगत बीमा कम्पनी को कई बार लिखित एवं मौखिक रूप से सूचित किया एवं दिनांक 12.05.2017 को एवं अन्य तिथियों में बोलेरो चोरी की सूचना से अवगत कराया। परिवादी ने जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो नई दिल्ली से उक्त चोरी गये वाहन के संबंध में सूचना हेतु प्रार्थना पत्र प्रेषित किया। परिवादी ने अपने अधिवक्ता श्री इरशाद अली सिद्दीकी के माध्यम से दिनांक 04.09.2018 को जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मुजफ्फरपुर, बिहार प्रान्त से पाॅच बिन्दुओं पर सूचना माॅगी किन्तु कोई जबाब नहीं प्राप्त हुआ। उक्त बीमा कम्पनी के द्वारा लेटर पैड पर दिनांकित 03.09.2017, 04.10.2017 एवं अंतिम पत्र 16.08.2018 के पते पर नो क्लेम के आधार पर प्रेषित किया गया और कहा गया कि औपचारिकताओं को न पूरा करने पर आपकी दावा पत्रावली बन्द की जाती है। क्लेम अवैधानिक रूप से नो क्लेम किया गया है, जो विधि विरूद्व है। विपक्षीगण के उक्त कृत्य से परिवादी को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः परिवादी ने उक्त अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया है। परिवादी ने परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया है।
परिवादी के तरफ से दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में सूची से (1) पंजीकरण प्रमाण पत्र की छाया प्रति (2) पालिसी प्रमाण पत्र की छाया प्रति (3) स्वस्थता प्रमाण पत्र की छाया प्रति (4) ड्राइविंग लाइसेन्स की छाया प्रति (5) प्रार्थना पत्र दिनांक 25.11.2015 की छाया प्रति (6) प्रथम सूचना रिपोर्ट की छाया प्रति (7) होटल आर्या रेसीडेन्सी का तीन बिल की छाया प्रति (8) अंतिम रिपोर्ट की छाया प्रति (9) पत्र दिनांक 04.11.2015 की छाया प्रति (10) पत्र दिनांक 17.07.2020 की छाया प्रति (11) एन सी आर बी को प्रेषित आवेदन पत्र की छाया प्रति (12) सूचना अधिकार अधिनियम का प्रार्थना पत्र दिनांक 04.09.2018 की छाया प्रति (13) बीमा कम्पनी का पत्र दिनांक 13.09.2017, 04.10.2017 व 16.08.2018 की छाया प्रति (14) आधार कार्ड की छाया प्रति (15) पत्र परिवादी दिनांक 12.05.2017 की छाया प्रति (16) सूचना अधिकार के तहत प्राप्त सूचना दिनांक 06.02.2019 की छाया प्रति दाखिल किया है।
विपक्षी द्वारा वादोत्तर दाखिल करते हुये परिवाद पत्र की धारा-1 व 9 को स्वीकार किया है तथा शेष कथन परिवादी परिवाद पत्र इन्कार किया है। विपक्षी द्वारा वाहन संख्या यू0 पी0-41वी./8081 का बीमा किया गया था। परिवादी द्वारा अपने वाहन को चोरी होने की सूचना काफी विलम्ब से उत्तरदाता विपक्षी को दी थी और विलम्ब से सूचना देने का कोई उचित कारण भी नहीं बताया गया था जो पालिसी की शर्तो का उल्लंघन है। विपक्षी को सूचना प्राप्त होने पर क्लेम पंजीकृत कर सर्वेयर नियुक्त किया गया और सर्वेयर द्वारा अपनी विस्तृत रिपोर्ट कम्पनी में उपलब्ध कराई गई। विपक्षी द्वारा दिनांक 10.08.2017 को परिवादी को पत्र भेजकर प्रपत्र की माॅग की गई किन्तु परिवादी द्वारा प्रपत्र उपलब्ध नहीं कराये गये। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा दिनांक 13.09.2017, 04.10.2017 व 16.08.2018 को परिवादी को कई रिमाइन्डर पत्र भेजकर प्रपत्रों की मांग की गई किन्तु कोई प्रपत्र नहीं उपलब्ध कराये गये। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के क्लेम निस्तारित करने में न तो कोई विलम्ब किया गया और न ही कोई गलती की गई। परिवादी द्वारा क्लेम को निस्तारित कराने में स्वयं घोर लापरवाही बरती गई है। परिवादी द्वारा प्रपत्र उपलब्ध न कराने के कारण विपक्षी द्वारा परिवादी की क्लेम पत्रावली बन्द कर दी और उसकी सूचना परिवादी को दी गई। परिवादी किसी प्रकार का अनुतोष बीमा कम्पनी से प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है अतः क्लेम निरस्त किये जाने की याचना की गई है।
विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा सूची दिनांक 02.06.2022 से पत्र दिनांक 10.08.2017, 04.10.2017 व 16.08.2018 की छाया प्रति योजित किया है।
परिवादी तथा विपक्षी ने अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल की है।
उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क सुने गये तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों/साक्ष्यांे का गहन परिशीलन किया गया।
परिवादी का कथन है कि उसके नाम पंजीकृत वाहन संख्या-यू0 पी0 41 वी/8081 बोलेरो (महिन्द्रा) मुजफ्फरपुर (बिहार) से दिनांक 24.11.2015 को चोरी हो गई थी जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या-901/2015 दिनांक 25.11.2015 को सम्बन्धित थाने में दर्ज करा दी गई थी। उक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट में बिहार पुलिस द्वारा जांचोपरान्त अंतिम आख्या भी दिनांक 28.07.2017 को दाखिल कर दी गयी थी अंतिम आख्या को स्वीकृत करने के संबंध में न्यायालय द्वारा पारित कोई आदेश पत्रावली पर उपलब्ध नहीं है और न ही परिवादी ने अपने परिवाद कथानक/लिखित बहस में इसका कोई उल्लेख किया है। बीमा क्लेम के निस्तारण के लिये अंतिम आख्या का न्यायालय में स्वीकार होना भी आवश्यक है।
इसके अतिरिक्त विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा वादोत्तर/लिखित बहस में यह उल्लेख किया है कि परिवादी द्वारा अपने वाहन चोरी होने की सूचना बीमा कम्पनी को काफी विलम्ब से दी गई थी तथा विलम्ब से सूचना देने का कोई उचित कारण भी नहीं बताया गया था। परिवादी द्वारा वाहन चोरी की सूचना घटना दिनांक 24.11.2015 से बीमा कम्पनी को दिनांक 12.05.2017 को जरिये रजिस्टर्ड डाक से लगभग एक वर्ष छह माह बाद दिये जाने के संबंध में परिवाद पत्र की धारा-6 में यह कहा गया है कि परिवादी ने उक्त बोलेरो चोरी होने की सूचना अपने बीमा एजेन्ट को उसी दिन ही दे दी थी। बीमा एजेन्ट द्वारा बताया गया कि हम जल्द ही बोलेरो चोरी की सूचना बीमा कम्पनी को दे देगें। किन्तु बीमा एजेन्ट को भी सूचना देने के संबंध में कोई लिखित प्रमाण परिवादी द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया। उक्त बीमा एजेन्ट का परिवादी के कथन के समर्थन में कोई शपथपत्र भी साक्ष्य में नहीं है। एजेन्ट का नाम भी स्पष्ट नहीं किया है। यदि परिवादी बीमा कम्पनी को वास्तव में सूचित करना चाहता तो प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति के साथ दुर्घटना या प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाने के कुछ समय उपरान्त भी युक्ति युक्त समय में रजिस्टर्ड डाक से सूचना प्रेषित कर सकता था। एक वर्ष छह माह पश्चात बीमा कम्पनी को सूचना देना किसी भी प्रकार से युक्ति युक्त समयावधि में सूचना देना नहीं है। देरी से सूचना देने का कोई समुचित स्पष्टीकरण नहीं है।
यह भी उल्लेखनीय है कि बीमा कम्पनी द्वारा अनेक पत्रों के माध्यम से परिवादी से 7-8 अभिलेखों की मांग की गई जिसमे चोरी किये गये वाहन की दोनो चाभियों के साथ उपरोक्त घटना से सम्बन्धित अन्य आवश्यक प्रपत्रों की मांग की गयी थी किन्तु परिवादी द्वारा उक्त पत्र के जबाब में लिखित बहस में मात्र इतना कहा गया कि परिवादी ने पेपर उपलब्ध करा दिये थे किन्तु कौन सा पेपर उपलब्ध कराया था और किस पत्र के माध्यम से उपलब्ध कराया था उनकी भी कोई सूची प्रस्तुत नहीं किया गया है। परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी को वाहन की चाभियां समर्पित करने के भी साक्ष्य नहीं है। विपक्षी बीमा कम्पनी को परिवादी द्वारा चोरी गये वाहन की चाभियाॅ समर्पित न करने से यह स्पष्ट है कि वाहन की दोनो चाभियाॅ या तो परिवादी के पास सुरक्षित नहीं रखी गयी या परिवादी की लापरवाही से वाहन में ही छूट जाने के कारण वाहन चोरी हो गया। ऐसी स्थिति में प्रश्नगत वाहन की सुरक्षा के सम्बन्ध में परिवादी की लापरवाही के लिये विपक्षी बीमा कम्पनी को दायित्वाधीन नहीं ठहराया जा सकता। ऐसी परिस्थिति में विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी का बीमा क्लेम निरस्त करके सेवा में कोई कमी नहीं की है।
अतः उपरोक्त विवेचन के आलोक में वर्तमान परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद संख्या-198/2018 निरस्त किया जाता है।
(डाॅ0 एस0 के0 त्रिपाठी) (मीना सिंह) (संजय खरे)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
यह निर्णय आज दिनांक को आयोग के अध्यक्ष एंव सदस्य द्वारा खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(डाॅ0 एस0 के0 त्रिपाठी) (मीना सिंह) (संजय खरे)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
दिनांक 30.01.2023
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