(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद सं0- 67/2003
M/s Gulzar cold storage & Ice factory G.T. road, Bhongaon Distt. Mainpuri through its partner Arif ali khan.
………Comp.
Versus
National insurance co. ltd. Station road, District Mainpuri through its Branch Manager.
………O.P.
समक्ष:-
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादी की ओर से : श्री एम0एच0 खान, विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से : श्री एस0पी0 सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 07.04.2021
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. यह परिवाद परिवादी मे0 गुलजार कोल्ड स्टोरेज एण्ड आइस फैक्ट्री द्वारा विपक्षी नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 के विरुद्ध अंकन 20,39,884/-रू0 की क्षतिपूर्ति के लिए तथा अंकन 15,29,913/-रू0 आलू किराया की हानि हेतु 12 प्रतिशत ब्याज सहित प्राप्त करने के लिए धारा 17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। बीमा क्लेम देरी से करने के कारण अंकन 1,00,000/-रू0 तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 25,000/-रू0 की मांग की गई है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने का व्यापार करता है। कोल्ड स्टोरेज के चैम्बर नं0- 1, 2 व 3 में आलू की सुरक्षा के लिए अंकन 59,50,000/-रू0 का बीमा कराया।
3. परिवाद पत्र में तीन बीमा पालिसियों का उल्लेख किया गया है, परन्तु यह परिवाद केवल पालिसी सं0- 142482 के सम्बन्ध में प्रस्तुत किया गया है। अत: इस निर्णय में इस संख्या की पालिसी के अंतर्गत देय क्षतिपूर्ति तथा इसी पालिसी के तथ्यों का उल्लेख किया जायेगा।
4. परिवाद पत्र में उल्लेख है कि पालिसी सं0- 142482 दि0 26.03.2002 लगायत दि0 25.03.2003 की अवधि के लिए विधि मान्य है। बीमा राशि 1,05,30,000/-रू0 है। यह पालिसी कोल्ड स्टोरेज के भवन, चैम्बर सं0- 1, 2 व 3, प्लांट तथा मशीनरी के साथ-साथ लकड़ी के फर्नीचर की हानि से सुरक्षा के लिए है।
5. दि0 15.10.2002 को मशीन KC-6 आयल पम्प में ब्रेक डाउन हो गया जिसके कारण पाइप लाइन में भारी गैस भर गई और अमोनिया का रिसाव होने लगा जो चैम्बर नं0- 3 में फैल गई और इस चैम्बर में रखे गए आलू खराब हो गए। दि0 16.10.2002 को ब्रेक डाउन के सम्बन्ध में सूचना दी गई तथा चैम्बर नं0- 3 में लीकेज की सूचना दि0 23.10.2002 को दी गई।
6. विपक्षी बीमा कम्पनी ने दि0 16.10.2002 एवं दि0 23.10.2002 की घटना के सम्बन्ध में श्री एस0 मजीठिया को सर्वेयर नियुक्त किया जिन्होंने निरीक्षण में पाया कि मशीन KC-6 विनष्ट हो गई है। इस रिपोर्ट के आधार पर परिवादी को अंकन 48,366/-रू0 की क्षतिपूर्ति अदा कर दी गई है। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा द्वितीय सर्वेयर श्री एम0एस0 भद्रा एण्ड एसोसिएट्स दि0 05.11.2002 को नियुक्त किया, जिन्होंने दि0 06.11.2002 को स्थलीय निरीक्षण किया और दि0 04.03.2003 को अत्यधिक देरी से अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। बीमा कम्पनी द्वारा दि0 26.05.2003 के पत्र द्वारा बीमा क्लेम अवैध एवं मनमाने रूप से नकार दिया गया, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
7. विपक्षी बीमा कम्पनी का कथन है कि परिवाद पत्र में वर्णित तथ्य असत्य हैं। चैम्बर नं0- 3 में रखे गए आलू की खराब होने की सूचना दि0 23.10.2002 को दी गई जिस समय सर्वेयर नियुक्त किए गए थे सर्वेयर द्वारा अपनी रिपोर्ट दि0 04.03.2003 को प्रस्तुत की गई। आलू खराब होने के सम्बन्ध में यह रिपोर्ट दी गई कि आलू में आयी खराबी के अंतर्गत कवर नहीं है। चैम्बर नं0- 3 में अमोनिया गैस के रिसाव के कारण आलू खराब हुए हैं यह स्थिति स्वयं परिवादी को स्वीकार है कि अमोनिया गैस के रिसाव के कारण आलू खराब होने की घटना संरक्षित नहीं है, अपितु अपवर्जित है। इसलिए बीमा क्लेम विधि सम्मत आधार पर नकारा गया है।
8. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री एम0एच0 खान और विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता श्री एस0पी0 सिंह को सुना गया। पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
9. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि अमोनिया गैस के रिसाव के कारण ही बीमा कम्पनी कोल्ड स्टोरेज के चैम्बर नं0- 3 में रखे गए आलू के खराब होने पर क्षतिपूर्ति अदा करने के लिए उत्तरदायी है। उनका यह भी तर्क है कि नोट में एक्सक्लूजन क्लाज नहीं है, इसलिए बीमा कम्पनी बाद में एक्सक्लूजन क्लाज का सहारा नहीं ले सकती। परिवादी द्वारा अपने तर्क के समर्थन में नजीर III(1996) CPJ 8 (SC) प्रस्तुत की गई है। इस केस के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा दो बीमा पालिसी ली गई थीं। हड़ताल के कारण लेजर खराब गया था। बीमा क्लेम स्वीकार नहीं किया गया। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत प्रस्तुत किया गया परिवाद स्वीकार किया गया। इस केस में यह निर्णय दिया गया कि पालिसी के अंतर्गत परिवादी को जो नुकसान हुआ वह कवर था। यह भी निष्कर्ष दिया गया कि बीमा एजेंट का दायित्व है कि वह सभी तथ्यों से बीमा प्राप्तकर्ता को अवगत करा दे। इसी नजीर में यह भी निष्कर्ष दिया गया है कि पश्चातवर्ती अपवर्जित लिखा गया। बीमा प्राप्तकर्ता बाध्य नहीं है। उपरोक्त नजीर में दी गई व्यवस्था के आलोक में प्रश्नगत बीमा पालिसी में बीमा पालिसी के अंतर्गत परिवादी को कारित नुकसान की क्षतिपूर्ति के बिन्दु पर आयोग द्वारा विचार किया गया।
10. ब्रेक डाउन के कारण मशीनरी में जो क्षति कारित हुई है उसका भुगतान परिवादी को दिया जा चुका है। प्रथम सर्वेयर द्वारा केवल मशीनरी ब्रेक डाउन के कारण कारित क्षति की प्रतिपूर्ति की अनुशंसा की गई थी। मशीनरी ब्रेक डाउन के पश्चात अमोनिया गैस के रिसाव के कारण चैम्बर नं0- 3 में रखे गए आलू की क्षति के सम्बन्ध में क्षति का आंकलन करने के लिए नियुक्त किए गए सर्वेयर द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि अमोनिया गैस के रिसाव के कारण चैम्बर नं0- 3 में रखे गए आलू का नुकसान हुआ है। सर्वेयर द्वारा यह भी पाया गया कि लाग बुक के अनुसार कोल्ड स्टोरेज के तीनों चैम्बर्स में दि0 17 अक्टूबर 2002 तक 33 डिग्री से 35 डिग्री F. का टेम्प्रेचर पाया गया जो धीरे-धीरे बढ़ते हुए 45 डिग्री F. तक पहुँच गया। दि0 21 अक्टूबर 2002 के पश्चात से चैम्बर नं0- 3 की कोई लाग बुक नहीं है। सर्वेयर द्वारा पाया गया कि अमोनिया गैस के रिसाव के कारण चैम्बर नं0- 3 का टेम्प्रेचर उच्च दर तक पहुँचा, इसलिए 21 अक्टूबर 2002 के बाद लाग बुक नहीं भरी गई। सर्वेयर द्वारा यह भी पाया गया कि अमोनिया गैस का रिसाव गैस किट के विफल होने के कारण हुआ। गैस किट का फेल होना दुर्घटना की श्रेणी में नहीं आता, इसलिए पालिसी के अंतर्गत कोई क्षतिपूर्ति देय नहीं है।
11. परिवादी को यह स्थिति स्वीकार है कि जो बीमा पालिसी ली गई थी वह दुर्घटना से संरक्षा के लिए ली गई थी। प्रस्तुत केस में मशीनरी के फेल होने पर परिवादी द्वारा प्रथम सूचना दि0 16.10.2002 को दी जा चुकी थी। इस सूचना के आधार पर सर्वेयर नियुक्त कर दिया गया था और सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार क्षति का भुगतान कर दिया गया। मशीनरी ब्रेक डाउन के कारण चैम्बर नं0- 3 में रखे गए आलू की सूचना दि0 16.10.2002 को नहीं दी। यह सूचना दि0 23.10.2002 को दी गई। यानी दि0 23.10.2002 को मशीनरी ब्रेक डाउन के कारण आलू खराब नहीं हुआ। अमोनिया गैस के रिसाव के कारण आलू खराब हुआ। विपक्षी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि गैस किट का विफल होना दुर्घटना की श्रेणी में नहीं माना जा सकता। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि मशीनरी चालू रखने के लिए कुछ उपकरण बेल्ट्स, गैसकेट्स, पैकिंग मटेरियल, ज्वाइंट उपकरणों के जोड़ के कारण होने वाली हानि बीमा पालिसी के अंतर्गत कवर नहीं है, क्योंकि इन सभी उपकरणों की नियमित रूप से मरम्मत की आवश्यकता होती है। विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क विधि सम्मत है कि किसी भी मशीनरी को चालू रखने के लिए उपरोक्त वर्णित सभी उपकरणों की नियमित रूप से मरम्मत होती है। इन उपकरणों के खराब होने के कारण यदि कोई नुकसान होता है तब ऐसे नुकसान को दुर्घटना के कारण हुआ नुकसान नहीं माना जा सकता।
12. उपरोक्त विवेचना का निष्कर्ष यह है कि विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा वैधानिक रूप से बीमा क्लेम नकारा गया है, अत: परिवाद खारिज होने योग्य है।
आदेश
13. परिवाद खारिज किया जाता है।
उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0
कोर्ट नं0- 2