(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या:-1406/2022
आशुतोष पुत्र श्री दयाराम शंकर लाल, निवासी 389 दिनेश नगर एटा, जिला एटा (उ0प्र0)
बनाम
शाखा प्रबन्धक, नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड शाखा कार्यालय श्री राम दरबार के सामने जी0टी0 रोड एटा, जिला एटा।
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री संजय कुमार वर्मा
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री दीपक कुमार अग्रवाल
दिनांक: 04.10.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी/परिवादी श्री आशुतोष द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, एटा द्वारा परिवाद संख्या-34/2018 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.6.2022 के विरूद्ध अनुतोष में अभिवृद्धि हेतु योजित की गयी है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा अपनी जायलो कार पंजीकरण सं0-यू०पी० 82वी/9624 का बीमा प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से कराया था। बीमा पालिसी कवर नोट सं० 461703/31/17/6160000395 से बीमा दिनांक 18.5.2017 से 17.5.2018 तक की अवधि के लिए वैध था। अपीलार्थी/परिवादी उक्त वाहन को लेकर दिनांक 21.8.2017 को जब शिकोहाबाद से एटा वापिस आ रहा था कि तभी एक भैंस अचानक सामने से आ गई और उसे बचाने में वाहन असंतुलित होकर खाई में जाकर पलट गया और क्षतिग्रस्त हो गया।
यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा अपने उक्त क्षतिग्रस्त वाहन को कमलेश आटो व्हीकल प्रा0लि0 विरामपुर
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जी.टी. रोड एटा पर क्रेन के माध्यम से भिजवाया और प्रश्नगत वाहन की मरम्मत में अपीलार्थी/परिवादी का कुल 5,30,000/-रु० कमलेश आटो व्हीकल के यहॉ खर्च हुआ।
प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कंपनी के सर्वेयर श्री पवन कुमार द्वारा अपीलार्थी/परिवादी के दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में फाइनल सर्वे किया गया तथा अपनी फाइनल सर्वे रिपोर्ट 5,07,510.85 रु0 के संबंध में प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कंपनी को प्रदान की गई। अपीलार्थी/परिवादी ने प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कंपनी के निर्देश पर उन्हें सभी आवश्यक प्रपत्र उपलब्ध करा दिये थे। प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा वाहन की फाइनल सर्वे रिपोर्ट दिनांक 23.11.2017 को कराकर पूर्ण संतुष्टि कर ली गयी, फिर भी अपीलार्थी/परिवादी को क्षतिपूर्ति की धनराशि की अदायगी में प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा कोई रूचि नहीं दिखाई गयी। तब अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कंपनी को अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भेजकर क्षतिपूर्ति की धनराशि की अदायगी का अनुरोध किया।
तदोपरांत प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी ने दिनांक 01.5.2018 को अपीलार्थी/परिवादी को पत्र के माध्यम से सूचित किया कि क्षतिपूर्ति दावा रु0 4,10,028.00 स्वीकृत कर दिया जबकि अपीलार्थी/परिवादी को अपने वाहन की मरम्मत में 5,30,000.00 रु० खर्चे हुये हैं। अपीलार्थी/परिवादी उपभोक्ता के साथ धोखाधड़ी व उत्पीडन किया गया है। अत्एव क्षुब्ध होकर परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख अपना लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए यह कथन किया गया
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कि बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर से सर्वे कराया, जिसके अनुसार क्षतिपूर्ति की धनराशि रू0 4,12,528.50 की गणना की गई। रिपोर्ट मण्डलीय कार्यालय, अलीगढ़ स्वीकृति हेतु भेजी गयी तो प्रशासनिक अधिकारी, मण्डलीय प्रबन्धक व सहायक प्रबन्धक ने विस्तार से उपलब्ध आंकडों के आधार पर विचार कर 4,10,028.00 रु० के लिए संस्तुति की गयी। तदानुसार अपीलार्थी/परिवादी को अपने पत्रों द्वारा दिनांक 09.4.2018 व 01.5.2018 के द्वारा उपरोक्त धनराशि प्राप्त करने के लिए सूचित किया गया है, परन्तु अपीलार्थी/परिवादी ने पत्रों को ध्यान न देकर अकारण परिवाद प्रस्तुत कर दिया। यह भी कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी सर्वेयर की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर आज भी धनराशि देने को तैयार है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
"परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है।
विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को उसके बीमित वाहन में मरम्मत के मद में व्यय की गयी धनराशि मु० 4,10,028/-रु० (चार लाख दस हजार अटठाइस रुपये) निर्णय की तिथि से -दो माह के अन्दर भुगतान किया जाना सुनिश्चित करें।
उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।''
जिला उपभोक्ता आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/परिवादी की ओर से प्रस्तुत अपील अनुतोष में अभिवृद्धि हेतु योजित की गई है।
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अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश में मात्र वाहन की मरम्मत में खर्च की गई धनराशि को ही प्रत्यर्थी/बीमा कम्पनी से दिलाये जाने हेतु आदेशित किया गया है तथा उपरोक्त धनराशि पर कोई ब्याज नहीं दिलाया गया है, जो कि अनुचित है अत्एव 12 प्रतिशत वार्षित ब्याज परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से दिलाये जाने की प्रार्थना की गई।
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि सम्मत है। जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश के अनुपालन में बीमा कम्पनी आज भी अपीलार्थी को धनराशि की अदायगी हेतु तत्पर है, परन्तु अपीलार्थी धनराशि को प्राप्त करने में कोई रूचि नहीं ले रहे है।
मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री संजय कुमार वर्मा तथा प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक कुमार अग्रवाल को सुना गया तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि सम्मत है तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने प्रश्नगत आदेश में बीमित वाहन की मरम्मत में हुए खर्च की धनराशि के रूप में रू0 4,10,028.00 अपीलार्थी/परिवादी को प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से दिलाया गया है, परन्तु उपरोक्त
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धनराशि पर कोई ब्याज नहीं दिलाया गया है, जो कि अनुचित प्रतीत हो रहा है अत्एव मेरे विचार से सम्पूर्ण तथ्य एवं परिस्थितियों तथा उभय पक्ष के अधिवक्ता द्व्य के कथनों को दृष्टिगत रखते हुए अपीलार्थी/परिवादी को प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से न्यायहित में उपरोक्त आदेशित धनराशि पर परिवाद संस्थित किये जाने की तिथि से, परिवाद निर्णीत किये जाने की तिथि तक 08 (आठ) प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है, तद्नुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। शेष निर्णय/आदेश यथावत कायम रहेगा।
प्रत्यर्थी/बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि़ में किया जाना सुनिश्चित करें।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट नं0-1