Uttar Pradesh

Barabanki

CC/83/2019

Shailendra Kumar Awasthi - Complainant(s)

Versus

National Insurance Co. Ltd. etc. - Opp.Party(s)

Pankaj Nigam & Others

13 Apr 2023

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।

परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि       25.04.2019

अंतिम सुनवाई की तिथि            21.03.2023

निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि  13.04.2023

परिवाद संख्याः 83/2019

 

शैलेन्द्र कुमार अवस्थी बालिग पुत्र अयोध्या प्रसाद निवासी मकान नं0-196 विजय नगर पैसार देहात-2 जनपद-बाराबंकी।

द्वारा-श्री पंकज निगम, अधिवक्ता

श्री धीरज कुमार गुप्ता, अधिवक्ता

श्री हेमन्त कुमार जैन, अधिवक्ता

बनाम

 

1.         श्रीमान शाखा प्रबंधक नेशनल इंश्योरेन्स कं0 लि0 फैजाबाद रोड सतरिख नाका जनपद-बाराबंकी।

2.         श्रीमान प्रबंधक नेशनल इंश्योरेन्स कं0 लि0 पंजीकृत कार्यालय 3, मिडिलटन स्ट्रीट कोलकताा-700071

द्वारा-श्री शैलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, अधिवक्ता

श्री अर्जुन कुमार, अधिवक्ता

समक्षः-

माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष

माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य

माननीय डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य

उपस्थितः परिवादी की ओर से -श्री पंकज निगम, अधिवक्ता

              विपक्षीगण की ओर से-श्री अर्जुन कुमार, अधिवक्ता

द्वारा-संजय खरे, अध्यक्ष

निर्णय

 

            परिवादी ने यह परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्व धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत कर बीमा क्लेम की धनराशि तीन माह के अन्दर भुगतान न करने पर आर्थिक सहायता के रूप में रू0 1,50,000/-तथा फाइनेन्स कम्पनी में पेनाल्टी रू0 2,05,374/-तथा फाइनेन्स कम्पनी द्वारा परिवादी से लिया गया दंड ब्याज रू0 1,61,161/-, रोड टैक्स रू0 53,880/-व फिटनेस का रू0 12,000/-, पार्किंग का रू0 26,000/-तथा मानसिक, शारीरिक, आर्थिक क्षतिपूर्ति रू0 5,00,000/- अधिवक्ता शुल्क एवं वाद व्यय रू0 15,000/-दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।

            परिवादी ने परिवाद में मुख्य रूप से अभिकथन किया है कि परिवादी ने अपने जीविकोपार्जन हेतु महिन्द्रा फाइनेन्स कम्पनी से ऋण लेकर वाहन क्रय किया था जिसका बीमा यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेन्स कम्पनी से कराया गया था। वाहन का पंजीयन संख्या-यू0 पी0-41 ए.टी. 3478 है। परिवादी किश्तों का बराबर भुगतान करता रहा। प्रश्नगत वाहन का दुबारा बीमा नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी से कराया गया था जिसकी पालिसी संख्या-450303/31/17/6300004728 तथा धनराशि रू0 22,00,000/-का है। बीमा दिनांक 08.09.2017 से 07.09.2018 तक प्रभावी है। परिवादी की गाड़ी दिनांक 03.12.2017 को न्यू मंडी बांदा एवं कबरई रोड पर वाहन संख्या यू0 पी0-95 टी. 8080 से अचानक टकरा कर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। दोनो वाहन से किसी भी व्यक्ति को चोट नहीं आई परन्तु वाहन काफी क्षतिग्रस्त हो गये। घटना घटित होने के समय कोहरा बहुत था। परिवादी ने बीमा कम्पनी को दुर्घटना की सूचना दी जिस पर सर्वेयर एस0 के0 गुप्ता दुर्घटना के स्पाट सर्वे हेतु पहुँचे। दिनांक 05.12.2017 को एक प्रार्थना पत्र थाना मटौंध जिला-बांदा में दिया गया। स्पाट सर्वेयर के निर्देशानुसार वाहन को टोचिंग करके महिन्द्रा कम्पनी के वर्कशाप में खड़ा किया गया। विपक्षी के दूसरे सर्वेयर विजय पाण्डेय जो गोरखपुर के थे परिवादी के घर आये और परिवादी के मित्र के वाहन यू0 पी0 41 ए. ई. 9898 से महोबा ले गया। प्रेम मोटर्स ने लगभग रू0 23,00,000/-का इस्टीमेट दिया। पांडेय जी सर्वेयर ने कहा कि बीमा कम्पनी का निर्देश है कि महिन्द्रा कम्पनी के वाहन को फुल साल्वेज पर आख्या न दें क्योंकि, महिन्द्रा कम्पनी के वाहन की रीसेल वैल्यू नहीं है। परिवादी ने कई प्रार्थना पत्र दिये जिस पर सर्वेयर पांडेय ने परिवादी को गोरखपुर अपने आवास बुलाया तथा रू0 100/-स्टाम्प पेपर पर जिसमे कुछ अंग्रेजी में लिखा हुआ था पर हस्ताक्षर कराया। विपक्षी बीमा कम्पनी का एक त्रुटिपूर्ण पत्र दिनांक 20.03.2018 को प्राप्त हुआ जिसमे तीन चीजों की मांग व जानकारी चाही गई। वाहन संख्या यू0 पी0-41टी 3478 पर वित्तीय संस्था महिन्द्रा एंड महिन्द्रा का नाम पंजीयन पत्र तथा जारी पालिसी पर अंकित है अतः वित्तीय संस्था का अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें। जब विपक्षी वाहन को फुल साल्वेज पर नहीं ले रहे है तो उसे एन. ओ. सी. माँगने का अधिकार नहीं है। परिवादी ने अपने दावा में स्पष्ट उल्लेख किया था कि किसी भी पक्ष को दुर्घटना में कोई चोट नहीं आई थी फिर भी विपक्षी अस्पताल का पर्चा मांग रहे थे। परिवादी के क्लेम का निस्तारण बीमा कम्पनी द्वारा तीन माह में कर देना चाहिये। बार-बार पत्राचार करके मामले को लम्बित रखा गया। परिवादी के वाहन से डेढ़ लाख प्रतिमाह की आय होती थी जिससे प्रीमियम का भुगतान करता था। परिवादी की आर्थिक स्थिति दयनीय थी ऐसे में मनोज कुमार गुप्ता को उपरोक्त वाहन साल्वेज रू0 8,25,000/-में विक्रय/अनुबन्ध पत्र लिख दिया जिसमे रू0 1,50,000/-मनोज कुमार गुप्ता ने नगद दिया बाकी रू0 6,75,000/-एन. ओ. सी. देने पर मनोज कुमार गुप्ता ने देने हेतु कहा। विपक्षी का एक पत्र दिनांक 05.06.2018 को प्राप्त हुआ जिसका उत्तर दिनांक 11.07.2018 को परिवादी ने दिया। परिवादी से बार-बार एन. ओ. सी. की माँग की जा रही है। दुर्घटनाग्रस्त वाहन के क्लेम धनराशि का भुगतान न करने के कारण  परिवादी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः परिवादी ने उक्त अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।

            परिवादी के तरफ से दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में सूची से बीमा पालिसी यूनाइटेड इंडिया इं0, बीमा पालिसी नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी, वाहन दुर्घटना सूचना प्रपत्र, थाना मटौंध जिला-बांदा को प्रेषित पत्र दिनांक 05.12.2017, मोटर दावा प्रपत्र दिनांक 13.12.2017 चार वर्क, मोटर दावा सूचना दिनांक 14.12.2017, पत्र दिनांक 11 जून 2018, दिनांक 15.02.2018 बीमा कनसेन्ट, बीमा कम्पनी का पत्र दिनांक 20.03.2018, पत्र दिनांक 26.03.2018, पत्र. दिनांक 02.05.2018, परिवादी का पत्र दिनांक 02.05.2018, विक्रय पत्र दिनांक 30.05.2018, पत्र दिनांक 05.06.2018, 11.07.2018, 23.08.2018, 04.09.2018, शपथपत्र दिनांक 31.10.2018, पत्र 02.11.2018, पत्र दिनांक 03.01.2019, उत्तर परिवादी दिनांक 18.01.2019, पत्र दिनांक 28.03.2019, प्रेम मोटर्स का इस्टीमेट छः वर्क, डी. एल., वाहन पंजीयन, माल यान परमिट तथा स्टेटमेन्ट आफ एकाउन्ट की छाया प्रतियाँ दाखिल किया है।

              विपक्षीगण द्वारा वादोत्तर में कहा गया है कि वाहन संख्या-यू0 पी0 41 ए टी 3478 का बीमा अवधि 08.09.2017 से 07.09.2018 तक की अवधि के लिये किया गया था। परिवादी द्वारा उपलब्ध गई सूचना के अनुसार दिनांक 03.12.2017 को प्रश्नगत वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गई जिस पर विपक्षी ने स्पाट सर्वेयर को जांच हेतु भेजा तथा नियमानुसार क्लेम हेतु आवश्यक औपचारिकतायें पूरी की गई। दुर्घटना की सूचना प्राप्त होने पर नियमानुसार बीमा प्राविधानों के आनुसार औपचारिकताओं की पूर्ति की जाती है। बीमा कम्पनी द्वारा जानबूझकर देरी नहीं की गई। सर्वेयर द्वारा आंके गये लॉस के अनुसार रू0 13,73,500/-का भुगतान महिन्द्रा एंड महिन्द्रा फाइनेन्स कम्पनी को दिनांक 13.02.2019 को जरिये आर. टी. जी. एस. भुगतान कर दिया गया। बकाया किश्त, अर्थ दंड व पार्किंग चार्ज से विपक्षी का कोई संबंध नहीं है। उक्त स्थिति में परिवाद को निरस्त किये जाने की याचना की गई है।

                परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र दाखिल किया है।

                परिवादी ने अपनी लिखित बहस दाखिल की है।

                विपक्षीगण द्वारा लिखित बहस दाखिल की गई है।

                उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्को को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों/अभिलेखों का गहन परिशीलन किया।

             वर्तमान प्रकरण में परिवादी के वाहन महिन्द्रा टोरो मालवाहक यू0 पी0 41 ए टी 3478 के फाइनेन्सर महिन्द्रा एंड महिन्द्रा फाइनेन्शियल सर्विसेज लिमिटेड से ऋण लेकर परिवादी द्वारा क्रय किया गया है। वाहन क्रय करने के पश्चात दिनांक 09.09.2016 को इसका पंजीयन परिवहन विभाग, बाराबंकी में कराया गया है। यह माल वाहक वाहन है। पंजीयन प्रमाण पत्र के अनुसार इसकी फिटनेस दिनांक 08.09.2018 तक वैध थी। माल यान परमिट दिनांक 14.09.2016 से 13.09.2021 तक वैध थी। इस वाहन का प्रथम बीमा न्यू इंडिया एसोरेन्स कम्पनी लिमिटेड से दिनांक 08.09.2016 से 07.09.2017 तक वैध था। इस वाहन के द्वितीय वर्ष का बीमा नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड से दिनांक 08.09.2017 से 07.09.2018 तक वैध था। इस वाहन के द्वितीय वर्ष के बीमा प्रपत्रों में वाहन का आंकलित मूल्य रू0 22,00,000/-अंकित है। इस वाहन की दुर्घटना दिनांक 03.12.2017 को रात्रि 10ः20 मिनट पर न्यू मंडी बांदा कबरई रोड पर दूसरे वाहन से टक्कर होने पर घटित होना स्वीकृत तथ्य है। घटना के समय परिवादी के वाहन पर गिट्टी ले जाई जा रही थी। दुर्घटना के बाद परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी विपक्षीगण को सूचना दी गई। बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा मौके पर जाकर वाहन का प्रथम सर्वे किया गया। इसके पश्चात वाहन को विपक्षी बीमा कम्पनी के वर्कशाप प्रेम मोटर महोबा में बनने के लिये खड़ा कर दिया गया। विपक्षी बीमा कम्पनी की लिखित बहस के प्रस्तर-3 में यह अंकित है कि सूचना मिलते ही तत्काल सर्वेयर को मौके पर भेज कर दुर्घटना ग्रस्त वाहन को सड़क के किनारे खड़ा कराया गया। दुर्घटना ग्रस्त वाहन को  बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा घटना स्थल से टोचिंग कराकर प्रेम मोटर महोबा में बनने के लिये खड़ा किया गया। बीमा कम्पनी द्वारा क्षतिग्रस्त वाहन का दूसरा सर्वे प्रेम मोटर्स महोबा में सर्वेयर विजय पांडेय से कराया गया।

              परिवादी का कथन है कि विपक्षी बीमा कम्पनी से दुर्घटना में वाहन का पूर्ण क्षतिग्रस्त मानते हुये टोटल लास के आधार पर बीमा क्लेम तय करने की याचना की गई। जबकि बीमा कम्पनी का कथन है कि टोटल लास के आधार पर क्लेम नहीं निर्णीत किया जा सकता। बीमा सर्वेयर द्वारा की गई क्षति के अनुसार रू0 13,73,500/-महिन्द्रा एंड महिन्द्रा फाइनेन्स कम्पनी को दिनांक 13.02.2019 को जरिये आर टी जी एस भुगतान कर दिया गया। परिवादी का कथन है कि बीमा कम्पनी को परिवादी द्वारा बीमा क्लेम प्रस्तुत करने से तीन माह के अंदर निस्तारित कर देना चाहिये था। परिवादी का यह भी तर्क है कि बीमा कम्पनी ने बीमा क्लेम तय करने में अत्यधिक विलम्ब किया। पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखीय साक्ष्य से स्पष्ट है कि बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा घटना स्थल पर दुर्घटना ग्रस्त वाहन का मुआयना सूचना मिलने के पश्चात किया है। बीमा दावा क्लेम विहित प्रोफार्मा पर परिवादी द्वारा दिनांक 13.12.2017 को हस्ताक्षारित कर प्रस्तुत किया गया है। मोटर दावा सूचना पत्र दिनांकित 14.12.2017 है। परिवादी ने एक टंकित प्रार्थना पत्र दिनांक 11.01.2018 को विपक्षी बीमा कम्पनी के कार्यालय में इस आशय का प्राप्त कराया कि उसके दुर्घटना ग्रस्त वाहन का टोटल लास पर विचार करके पूर्ण क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाय। परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को दुर्घटना ग्रस्त वाहन को साल्वेज के आधार पर रू0 13,73,500/-के आधार पर बीमा क्लेम का अंतिम निस्तारण किये जाने की अंग्रेजी में टंकित सहमति रू0 100/-के स्टाम्प पेपर पर दिनांक 15.02.2018 को दी गई है। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के बीमा क्लेम के आधार पर पहली नोटिस दिनांकित 20.03.2018, कुछ प्रपत्रों को प्रस्तुत किये जाने के लिये दी गई। परिवादी ने उसका लिखित जवाब दिनांक 26.03.2018 को दिया। इसके बाद विपक्षी बीमा कम्पनी ने दिनांक 02.05.2018 को प्रथम सूचना रिपोर्ट के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण दिये जाने के संबंध में अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के लिये नोटिस दी, जिसका लिखित जवाब परिवादी ने दिनांक 02.05.2018 को दिया। इसके बाद विपक्षी बीमा कम्पनी ने दिनांक 05.06.2018 को घटना के समय वाहन चालक को चोट आने के बिन्दु पर तथ्यों के विरोधाभास के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण माँगा। परिवादी ने अपना स्पष्टीकरण दिनांक 02.05.2018 को प्रस्तुत किया है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने दिनांक 23.09.2018 को पुनः कुछ बिन्दुओं पर जवाब माँगा। परिवादी ने अपने जवाब के साथ शपथपत्र भी लगाया है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने दिनांक 03.01.2019 को परिवादी से पुनः कुछ अभिलेख माँगें जिसका जवाब परिवादी ने दिनांक 15.01.2019 को दिया है उसके बाद दिनांक 13.02.2019 को परिवादी का बीमा क्लेम वाहन को हुई क्षति के आधार पर रू0 13,73,500/-वाहन की फाइनेन्स कम्पनी को भुगतान कर दिया गया। उपरोक्त से स्पष्ट है कि बीमा क्लेम दिनांक 13.12.2017 को प्रस्तुत किया गया है। बीमा कम्पनी ने एक या दो बार में नोटिस देकर सभी आवश्यक प्रपत्र प्राप्त नहीं किए बल्कि बार-बार नोटिस देकर उसका लिखित स्पष्टीकरण आदि लेने के पश्चात बीमा क्लेम प्रस्तुत करने के लगभग चैदह महीने पश्चात निर्णीत किया है।

            विपक्षी बीमा कम्पनी को परिवादी का बीमा क्लेम तीन माह की अवधि में सामान्य रूप से निस्तारित कर देना चाहिये जबकि विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी का क्लेम लगभग चैदह माह की अवधि पश्चात तय किया।

            परिवादी का कथन है कि इस मध्य दुर्घटना पश्चात और बीमा क्लेम तय होने की अवधि के लिये प्रश्नगत ट्रक दुर्घटना ग्रस्त होने और विपक्षी बीमा कम्पनी के अधिकृत गैराज में खड़ा रहने से ट्रक संचालन नहीं हुआ और कोई आय न हो पाने के कारण फाइनेन्स कम्पनी को किश्तें नहीं दी जा सकी। परिवादी को पेनाल्टी स्वरूप रूपये 1,61,161/-फाइनेन्स कम्पनी को दंड ब्याज के रूप में देने पड़े। इस अवधि में प्रेम मोटर्स में वाहन खड़ा रहने के कारण प्रेम मोटर्स ने रू0 200/-प्रतिदिन के हिसाब से पार्किंग चार्ज भी माँगें जो परिवादी के कथनानुसार उसके द्वारा अदा किये गये है।

           परिवादी ने साल्वेज बेसिस पर क्लेम तय करने के लिये लिखित सहमति दी थी। बीमा कम्पनी को दिनांक 31.02.2018 को दिये गये शपथपत्र के अंतिम पैरा में परिवादी द्वारा यह अंकित किया गया है कि शपथकर्ता अब अपनी उपरोक्त गाड़ी को बीमा कम्पनी से भुगतान हो जाने के बाद गाड़ी को रिपेयर कराकर अपने कार्य में चलायेगा और उपरोक्त गाड़ी बनवाने के बाद बीमा कम्पनी को बिल प्रेषित करेगा और गाड़ी अपने कार्य में रखेगा। दिनांक 02.11.2018 को भी परिवादी ने टंकित प्रार्थना पत्र विपक्षी बीमा कम्पनी को क्षतिग्रस्त वाहन की सर्वेयर रिपोर्ट के आधार पर रू0 13,73,500/-का भुगतान का दिया। परिवादी ने दिनांक 15.01.2019 को हिन्दी में टंकित प्रार्थना पत्र विपक्षी बीमा कम्पनी को इस आशय का दिया कि लगभग एक वर्ष की आर्थिक क्षति हुई है। वित्त संस्था का ब्याज, दंड ब्याज, पेनाल्टी जो बीमा कम्पनी द्वारा नहीं दिया जा रहा है, उसका क्लेम प्रार्थी अलग से करेगा। प्रार्थी रू0 13,73,500/-अंडर प्रोटेस्ट प्राप्त करने के लिये तैयार है। परिवादी ने अपने बैंक पासबुक को संलग्न कर प्रेषित किया है। इसके पश्चात दिनांक 13.02.2019 को बीमा कम्पनी ने रू0 13,73,500/-फाइनेन्स कम्पनी को बतौर क्षतिपूर्ति भुगतान किया है। जिससे स्पष्ट है कि परिवादी क्षतिपूर्ति की धनराशि रू0 13,73,500/-अंतिम रूप से अंडर प्रोटेस्ट दिये जाने पर सहमत हुआ।

           उपरोक्त समस्त तथ्यों से स्पष्ट है कि विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी का बीमा क्लेम लगभग 14 माह की अवधि के पश्चात निर्णीत किया। परिवादी ने परिवाद पत्र में बीमा क्लेम तय करने की अवधि तीन माह होना कहा है। बहस के दौरान परिवादी पक्ष का तर्क है कि बीमा क्लेम तीस दिन की अवधि में निस्तारित किया जाना चाहिये। इस संबंध में आई. आर. डी. ए. (इंश्योरेन्स रेगुलेटरी एण्ड डेवलपमेन्ट एथारिटी आफ इंडिया) रेगुलेशन 2002 के नियम 8 व 9 का परिशीलन किये जाने से स्पष्ट है कि क्षति के मामलों में सर्वेयर की रिपार्ट प्राप्त होने से तीस दिन के अंदर बीमा क्लेम का निस्तारण किया जाना चाहिये। इस संबंध में मेसर्स ज्योति इम्पेक्ट बनाम न्यू इंडिया एसोरेन्स कम्पनी लिमिटेड, माननीय राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, महाराष्ट्र, मुम्बई द्वारा पारित निर्णय दिनांकित 29.04.2013 में स्पष्ट रूप से विधि सिद्वान्त प्रतिपादित किया गया है कि आई.आर.डी.ए. रेगुलेशन 2002 के लागू होने के बाद से नियम 8 व 9 के अनुसार तीस दिन में बीमा क्लेम का निस्तारण किया जाना आवश्यक है।

              वर्तमान प्रकरण में उभय पक्षों के साक्ष्य व तथ्य से स्पष्ट है कि दुर्घटना की दिनांक 03.12.2017 को परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी को सूचित किये जाने पर बीमा कम्पनी के सर्वेयर एस0 के0 गुप्ता द्वारा वाहन का स्पाट सर्वे किया गया व फोटोग्राफ व मौके पर बयान आदि लेकर सर्वे आख्या बीमा कम्पनी को दी गई। क्षतिग्रस्त वाहन बीमा कम्पनी द्वारा टोचिंग कराकर फाइनेन्स कम्पनी के वर्कशाप प्रेम मोटर्स महोबा में खड़ा कराया गया। बीमा कम्पनी ने दूसरा सर्वे वर्कशाप प्रेम मोटर्स महोबा में अपने सर्वेयर विजय पांडेय से कराया। सर्वेयर विजय पांडेय ने क्षति के संबंध में अपनी आख्या बीमा कम्पनी को प्रस्तुत की। इस सर्वे रिपोर्ट के आने से तीस दिन के अंदर विपक्षी बीमा कम्पनी को परिवादी का बीमा क्लेम निस्तारित कर देना चाहिये था। पत्रावली पर बीमा कम्पनी के दूसरे सर्वेयर विजय पांडेय द्वारा सर्वे करने और सर्वे रिपोर्ट बीमा कम्पनी में प्रस्तुत करने की कोई तिथि बीमा कम्पनी ने स्पष्ट नहीं की है। बीमा कम्पनी ने परिवादी को पहली नोटिस दिनांक 20.03.2018 को दी है जिससे स्पष्ट होता है कि सर्वेयर विजय पांडेय की सर्वे रिपोर्ट (द्वितीय सर्वे रिपोर्ट) प्राप्त होने के पश्चात ही बीमा कम्पनी ने परिवादी को कागजात आदि दाखिल करने की नोटिस दी। यदि दिनांक 20.03.2018 से भी तीस दिन का समय आंकलित किया जाय तो परिवादी का क्लेम दिनांक 19.04.2018 तक निस्तारित हो जाना चाहिये था। इसके बाद भी विपक्षी की ओर से लगभग साढ़े नौ महीने का अतिरिक्त समय निस्तारण हेतु लिया गया। परिवादी ने बीमा क्लेम साल्वेज आधार पर रू0 13,73,500/-भुगतान किये जाने हेतु तय कराने के लिये तीन पत्रों क्रमशः दिनांक 04.09.2018, 31.10.2018, 02.11.2018 को दिया। यह सभी प्रार्थना पत्र निश्चित रूप से बीमा क्लेम निस्तारण में देरी होने के कारण परिवादी द्वारा परिस्थितियों के दबाव में दिये गये है। अंततः परिवादी ने दिनांक 15.01.2019 के प्रार्थना पत्र से यह स्पष्ट कर दिया कि वह रू0 13,73,500/-अंडर प्रोटेस्ट प्राप्त करने के लिये तैयार है। वित्त संस्था का ब्याज, दंड ब्याज, पेनाल्टी आदि का क्लेम प्रार्थी अलग से करेगा और इसके अंडर प्रोटेस्ट स्वीकार करने की सहमति देने के पश्चात दिनांक 13.02.2019 को बीमा कम्पनी ने रू0 13,73,500/-फाइनेन्स कम्पनी को बतौर क्षतिपूर्ति भुगतान किया जिससे स्पष्ट हो जाता है कि परिवादी द्वारा साल्वेज आधार पर उक्त भुगतान अंडर प्रोटेस्ट प्राप्त किया गया है। अतः शेष देयता के संबंध में विपक्षीगण बीमा कम्पनी के विरूद्व में प्रस्तुत वर्तमान परिवाद विवंधन के सिद्वान्त से बाधित नहीं है। इसी आशय का विधि सिद्वान्त परिवादी द्वारा संदर्भित मा0 राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश लखनऊ के अपील संख्या-1037/2011 ओरियन्टल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड बनाम सतीराम वर्मा आदि में पारित निर्णय दिनांकित 23.05.2017 तथा यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड बनाम मेसर्स जिन्दल पाली इंडस्ट्री 2002 (।।) सी. पी. आर. 291 मा0 राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा पारित निर्णय दिनांकित 16.01.2002 में प्रतिपादित किये गये है।

             वर्तमान प्रकरण में आई आर डी ए रेगुलेशन 2002 के नियम 8 व 9 (उपरोक्त) के प्राविधान के अनुसार क्षति के मामले में सर्वे रिपोर्ट दाखिल होने के तीस दिन के अंदर बीमा क्लेम का निस्तारण किया जाना चाहिये। उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि बीमा कम्पनी ने सर्वे रिपोर्ट दाखिल होने के पश्चात परिवादी को भेजी गई प्रथम नोटिस दिनांक 20.03.2018 से तीस दिन दिनांक 19.04.2018 के अंद क्लेम निस्तारित नहीं किया अतः दिनांक 19.04.2018 से वास्तविक भुगतान किये जाने के दिनांक से साल्वेज बेसिस पर भुगतान किये जाने के दिनांक 19.02.2019 के मध्य परिवादी को अपने ऋण की धनराशि पर जो भी ब्याज या दंड ब्याज देना पड़ा है वह निश्चित रूप से विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम निस्तारित करने में हुई देरी का परिणाम है। विपक्षी यदि दिनांक 19.04.2018 तक परिवादी का बीमा क्लेम निस्तारित कर देते और धनराशि का भुगतान फाइनेन्स कम्पनी को कर देते तो परिवादी क्षतिग्रस्त वाहन फाइनेन्स कम्पनी को देकर अपनी ऋण देयता समय से शेष बहुत कम धनराशि अदा करके उन्मोचित हो जाता। पत्रावली पर फाइनेन्स कम्पनी महिन्द्रा एंड महिन्द्रा कम्पनी बाराबंकी द्वारा परिवादी के ऋण खातें का विवरण दाखिल किया गया है जिसमे दिनांक 15.05.2018 से अंतिम भुगतान दिनांक 25.02.2019 को (रू0 13,73,500/-)बीमा कम्पनी से प्राप्त होने तक के मध्य का ब्याज तथा अतिरिक्त दण्ड ब्याज का भुगतान करने का उत्तरदायित्व विपक्षी बीमा कम्पनी का है। तद्नुसार परिवादी परिवाद में माँगे गये अनुतोष , को आंशिक रूप से प्राप्त करने के अधिकारी है।

              परिवादी ने परिवाद पत्र के पैरा-29 में प्रतिमाह रू0 1,50,000/-आर्थिक क्षति को भी दिलाये जाने की याचना की है। परिवादी ने बीमा क्लेम निस्तारित होने के बाद ट्रक की रिपेयरिंग कराकर उसका संचालन नहीं कराया बल्कि क्षतिग्रस्त ट्रक को उसी हालत में फाइनेन्स कम्पनी को रू0 8,25,000/-मूल्य के आधार पर ऋण अदायगी में समायोजित करने हेतु दे दिया। ऐसी स्थिति में दुर्घटना के बाद से ट्रक का संचालन न हो पाने का कारण, विपक्षी फाइनेन्स कम्पनी या बीमा कम्पनी नहीं है बल्कि जिस वाहन से परिवादी का ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हुआ, उक्त वाहन स्वामी/उसकी बीमा कम्पनी, यदि परिवादी के वाहन चालक की कोई लापरवाही नहीं थी तो, से इस मद की क्षतिपूर्ति प्राप्त किया जाना चाहिये जिसके लिये उपभोक्ता आयोग में नहीं बल्कि सम्बन्धित सक्षम मोटर दुर्घटना प्रतिकर न्यायालय/अधिकरण में कार्यवाही करनी चाहिये। अतः दुर्घटना के पश्चात ट्रक संचालित न होने से परिवादी को हुई आय की हानि की देयता के लिये विपक्षीगण उत्तरदायी नहीं है।

             अनुतोष प्रस्तर-29 में परिवादी ने विपक्षीगण से रोड टैक्स की धनराशि रू0 53,600/-व फिटनेस धनराशि रू0 12,000/-की माँग की है। रोड टैक्स व फिटनेस कर अदायगी की जिम्मेदारी परिवादी की होती है। परिवादी यदि दुर्घटना के कारण ट्रक संचालित नहीं कर सके तो जिस ट्रक से दुर्घटना हुई है उसके स्वामी/बीमा कम्पनी, यदि परिवादी के ट्रक चालक की कोई लापरवाही न रही है तो, मोटर दुर्घटना प्रतिकर के लिये सम्बन्धित सक्षम न्यायालय/अधिकरण में परिवाद प्रस्तुत करके याचित करना चाहिये।

              परिवादी ने अनुतोष प्रस्तर 29 में प्रेम मोटर्स महोबा में गाड़ी 15 माह 20 दिन क्षतिग्रस्त हालत में खड़े रहने के संबंध में प्रेम मोटर्स द्वारा वाहन पांर्किंग की धनराशि रू0 200/-प्रतिदिन के हिसाब से विपक्षीगण से दिलाये जाने की याचना की है। पत्रावली पर ऐसा कोई समर्थनकारी अभिलेखीय साक्ष्य नहीं है कि परिवादी ने उक्त पार्किंग धनराशि प्रेम मोटर्स महोबा को भुगतान किया हो। अतः इस मद में भी परिवादी धनराशि प्राप्त करने के अधिकारी नहीं है।

            बीमा क्लेम विलम्ब से निस्तारित करके विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में कमी की गई है जिसके लिये परिवादी विपक्षी संख्या- 01 व 02 बीमा कम्पनी से मानसिक, शारीरिक क्षति हेतु रू0 10,000/-तथा परिवाद व्यय के मद में रू0 2,000/-भी प्राप्त करने के अधिकारी है।

          उपरोक्त विवेचन के आलोक में वर्तमान परिवाद आंशिक रूप से विपक्षी संख्या-01 व 02 (नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड) के विरूद्व स्वीकार किये जाने योग्य है।

आदेश

            परिवाद संख्या-83/2019 आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या-01 व 02 नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड को आदेशित किया जाता है कि बीमा क्लेम की निस्तारण अवधि समाप्ति पश्चात दिनांक 20.04.2018 से लेकर बीमा कम्पनी द्वारा बीमा क्लेम निस्तारण किये जाने की दिनांक 13.02.2019 तक ऋण पर देय ब्याज व अतिरिक्त दंड ब्याज परिवादी को परिवाद संस्थित करने की दिनांक 25.04.2019 से छः प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर से अदा करें। यदि विपक्षी संख्या-01 व 02 बीमा कम्पनी (नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड) द्वारा यह धनराशि 45 दिन में अदा नहीं की जाती है तो उस धनराशि पर 9% की दर से ब्याज देय होगा। विपक्षी संख्या-01 व 02 बीमा कम्पनी (नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड) परिवादी को मानसिक, आर्थिक, शारीरिक क्षति के मद में रू0 10,000/-तथा वाद व्यय के मद में रू0 2,000/-भी 45 दिन में अदा करेगें।

(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

          सदस्य                     सदस्य                  अध्यक्ष

 

यह निर्णय आज दिनांक को  आयोग  के  अध्यक्ष  एंव  सदस्य द्वारा  खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।

(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

          सदस्य                     सदस्य                  अध्यक्ष

दिनांक 13.04.2023

 

 

 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.