Rajasthan

Jaipur-IV

CC/1232/2013

Moh. Ishak - Complainant(s)

Versus

National Insurance Co, Ltd. - Opp.Party(s)

Shaukat Ali

26 Feb 2015

ORDER

         

          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

             पीठासीन अधिकारी
                                 डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा अध्यक्ष
                        डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
                        श्री अनिल रूंगटा, सदस्य

परिवाद संख्या:-1232/2013 (पुराना परिवाद संख्या 246/2011)
1.मौहम्मद ईशाक वल्द श्री नूर मौहम्मद, जाति मुसलमान, निवासी- प्लाॅट संख्या 6,  
 कमला नेहरू नगर, हसनपुरा-सी, खातीपुरा रोड, जयपुर ।       (मृतक)
 1/1.श्रीमती रेशमा बानो पत्नी स्वर्गीय श्री मौहम्मद ईशाक
1/2.मौहम्मद रहीश पुत्र स्वर्गीय श्री मौहम्मद ईशाक
1/3.मौहम्मद फरीद पुत्र स्वर्गीय श्री मौहम्मद ईशाक
1/4.मौहम्मद हनीफ पुत्र स्वर्गीय श्री मौहम्मद ईशाक
1/5.नीलोफर पुत्री स्वर्गीय श्री मौहम्मद ईशाक
निवासीयान - प्लाॅट संख्या 6,कमला नेहरू नगर, हसनपुरा-सी, खातीपुरा रोड,   जयपुर ।
परिवादीगण
बनाम
01. महाप्रबन्धक, नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, पंजीकृत कार्यालय-3, मिडिलटन स्ट्रीट, कोलकाता।
02. शाखा प्रबन्धक, नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटड, शाखा कार्यालय- बी-498, महेश नगर, जयपुर ।
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री शौकत अली, एडवोकेट
विपक्षीगण बीमा कम्पनी की ओर से श्री जे.पी.आसीवाल, एडवोकेट

निर्णय    
          दिनांकः- 26.02.2015
 यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण बीमा कम्पनी के विरूद्ध दिनंाक          13.02.2010 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी मौहम्मद ईशाक आॅटो पाटर््स का व्यवसाय करता था। उसने अपने व्यवसाय का विपक्षीगण बीमा कम्पनी से शाॅपकीपर इन्श्योरेन्स करवाया । जिसका बीमा पाॅलिसी नम्बर 378/11/48/08/980000617, अवधि 10.07.2008 से 09.07.2009 एवं बीमा धन तीन लाख रूपये था । इस बीमा पाॅलिसी में स्टाॅक आॅटो पाटर््स, फर्नीचर, फिक्चर्स फिटिंग अर्थात् स्टाॅक इन ट्रेड की क्षतियां कवर की हुई थी । दिनांक           12.07.2008 की रात्रि को असामाजिक तत्वों से मिलकर मकान मालिक ने परिवादी मौहम्मद ईशाक की किरायेशुदा दुकान के पीछे की दीवार तोड़कर दुकान में रखा सारा सामान चोरी करवा दिया तथा कुछ सामान बाहर सड़क पर पटकवा दिया और आवश्यक महत्वपूर्ण कागजात आदि भी गायब करवा दिये । उस दिन जयपुर में भारी वर्षा भी आयी थी जिसे काफी सामान व कागजात वर्षा में बह गये तथा कुुछ सामान जो बचा वह सड़क पर पड़ा रहा । परिवादी मौहम्मद ईशाक के लड़के ने इस घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 222/08 पुलिस थाना श्याम नगर, जयपुर में दर्ज करवाई । परिवादी मौहम्मद ईशाक ने इस घटना की सूचना तुरन्त विपक्षीगण बीमा कम्पनी को दी । इस पर बीमा कम्पनी ने सर्वेयर नियुक्त किया । इसके बाद परिवादी मौहम्मद ईशाक ने समस्त औपचारिकताऐं पूर्ण करते हुए मय आवश्यक दस्तावेज बीमा क्लेम विपक्षीगण बीमा कम्पनी के समक्ष पेश किया । लेकिन विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने परिवादी मौहम्मद ईशाक द्वारा बार-बार निवेदन करने के बावजूद उसे बीमा क्लेम राशि अदा नहीं की तो परिवादी मौहम्मद ईशाक ने बीमा कम्पनी को दिनांक         22.10.2010 को विधिक नोटिस दिया । 
इस प्रकार विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने परिवादीगण को बीमा क्लेम राशि का भुगतान नहीं करके सेवादोष कारित है और इस सेवादोष के आधार पर परिवादीगण अब विपक्षीगण बीमा कम्पनी से परिवाद के मद संख्या 13 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने के अधिकारी हैं ।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि परिवाद के लम्बित रहने के दौरान परिवादी मौहम्मद ईशाक की मृत्यु हो गई तो उसके उत्तराधिकारियों को मंच के आदेश दिनंाकित 15.10.2013 के क्रम में परिवादी के रूप में पक्षकार बनाया गया ।
विपक्षीगण बीमा कम्पनी की ओर से दिये गये जवाब मेें कथन किया गया है कि परिवादी प्रथम सूचना रिपोर्ट में अपना नाम मौहम्मद फरीद वल्द मौहम्मद ईशाक बताकर आया हैं जबकि परिवाद मौहम्मद ईशाक वल्द नूर मौहम्मद के नाम से प्रस्तुत किया गया है । इस स्थिति में परिवाद प्रथम स्टेज पर ही चलने योग्य नहीं हैं । चोरी की घटना परिवादी मौहम्मद ईशाक द्वारा बीमा करवाने के मात्र दो दिन बाद अर्थात् दिनंाक 10.07.2008 को हुई है । जो अपने आप में संदेह उत्पन्न करती हैं । परिवादी         मौहम्मद ईशाक ने दुकान में माल का स्टाॅक का विवरण पाॅलिसी करते समय पेश नहीं किया न ही प्रति माह स्टाॅक रजिस्टर मैन्टेन करता था । जिसके कारण वास्तविक सामान का मूल्यांकन किया जाना सम्भव नहीं है । बीमा पाॅलिसी की शर्तों के अनुसार पाॅलिसी में नुकसान कवर नहीं किया गया है । सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में 41,596/-रूपये का नुकसान आंकलित किया है । साथ ही मौहम्मद फरीद, प्रोपराईटर ने भी अपना सहमति पत्र दिनांक 09.09.2009 को फाईनल सेटलमेन्ट हेतु पेश किया था । परिवादी ने दुकान मालिक से चल रहे झगड़ें बाबत् बीमा कम्पनी को कभी कुछ नहीं बताया । परिवादी मौहम्मद ईशाक ने अपनी दुकान पर एस.बी.बी.जे. बैंक से 60,000 रूपये का ऋण लिया था और अभी भी उस पर 59,854/-रूपये का ऋण बकाया हैं । इस कारण नाजायज लाभ अर्जित करने के दुराश्य से परिवादीगण ने यह परिवाद पेश किया हैं । जिसे खारिज किया जावें ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी मौहम्मद ईशाक का शपथ पत्र एवं कुल 15 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये गये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षीगण बीमा कम्पनी की ओर से श्री महेश कुमार चित्तौडि़या का शपथ पत्र एवं कुल 12 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये गये  ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी मौहम्मद ईशाक ने विपक्षीगण बीमा कम्पनी से विवादित दुकान का बीमा दिनंाक 10.07.2008 से 09.07.2009 की अविध के लिए करवा रखा था और इस परिसर में दिनांक 12.07.2008 को अर्थात् बीमा अवधि के दौरान ही चोरी हो गई । जिसकी एफ.आई.आर. परिवादी मौहम्मद ईशाक के पुत्र मौहम्मद फरीद ने पुलिस थाना श्याम नगर, जयपुर में दर्ज करवाई थी । इस चोरी के संबंध में विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने बापना राजेश एण्ड कम्पनी से ठनतहसंतल स्वेे ैनतअमल त्मचवतज प्रदर्श एन-2/1 दिनांकित 09.07.2009 तैयार करवाई । जिसके अनुसार परिवादी मौहम्मद ईशाक की दुकान से चोरी होने से 41,596/-रूपये का नुकसान होना बताया गया हैं । जबकि परिवादी मौहम्मद ईशाक द्वारा चोरी के फलस्वरूप दुकान में 3,09,865/-रूपये का नुकसान होना बताया हैं । लेकिन अंत में परिवादी मौहम्मद ईशाक के पुत्र मौहम्मद फरीद ने दिनांक 09.07.2009 को जरिये स्वीकृति पत्र विपक्षीगण बीमा कम्पनी से 41,596/-रूपये का क्लेम प्राप्त करने के लिए थ्नसस - थ्पदंस ैमजजसमउमदज कर लिया हैं । यह तथ्य प्रदर्श एनए-1 स्वीकृति पत्र दिनांकित     09.07.2009 से प्रमाणित हैं ।
इसलिए हमारे विनम्र मत में मौहम्मद फरीद पुत्र स्वर्गीय मौहम्मद ईशाक ने जब विपक्षीगण बीमा कम्पनी से स्वीकृति पत्र प्रदर्श एनए-1 दिनांकित 09.07.2009 के माध्यम से थ्नसस - थ्पदंस ैमजजसमउमदज कर लिया हैं तो उक्त राशि ैमजजसमउमदज राशि के रूप में प्राप्त करने के कारण परिवादीगण न्याय सिद्धान्त प् ;2013द्ध ब्च्श्र 637 ;छब्द्ध के प्रकाश में विपक्षीगण बीमा कम्पनी के उपभोक्ता नहीं रह जाते  हैं । इस न्याय सिद्धान्त का संदर्भित भाग निम्नानुसार हैंः-
श्क्पेजतपबज थ्वतनउ कपेउपेेमक बवउचसंपदजे दृ ैजंजम ब्वउउपेेपवद कपेउपेेमक ंचचमंस दृ भ्मदबम त्मअपेपवद दृ च्मजपजपवदमत ींे ेजंजमक जींज जव ंअवपक ंदल नितजीमत सवेे व िपदबवउम ंदक बसवेनतम व िइनेपदमेे ीम ींक ंबबमचजमक बीमुनम ंदक मदबंेीमक ेंउम दृ ज्ीमतम पे दवजीपदह जव ेीवू जींज चमजपजपवदमत ूंे बवउचमससमक इल तमेचवदकमदज ंज ंदल ेजंहम जव ेमजजसम बसंपउ ंज समेेमत      ंउवनदज दृ व्दबम चमजपजपवदमत ींे तमबमपअमक ंउवनदज नदबवदकपजपवदंससलए जीमद ीम बमंेमे जव इम ं ष्बवदेनउमतष् ंे चमत ।बज दृ च्तपअपजल व िबवदजतंबज ेंउम जव ंद मदक दृ बवेजे ंूंतकमकण्
अतः उक्त न्याय सिद्धान्त के प्रकाश में परिवादी, परिवादीगण चलने योग्य नहीं पाया जाता हैं और अस्वीकार किया जाता हैं ।  यहां यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि परिवादीगण को विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने अभी तक थ्नसस - थ्पदंस ैमजजसमउमदज की राशि 41,596/-रूपये अदा नहीं की हैं तो परिवादीगण उक्त राशि विपक्षीगण बीमा कम्पनी से नियमानुसार प्राप्त करने के अधिकारी हैं । 
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादीगण विपक्षीगण बीमा कम्पनी के विरूद्ध निरस्त किया जाता हैं । लेकिन न्याय हित में यह आदेश दिया जाता है कि यदि परिवादीगण को विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने अभी तक थ्नसस - थ्पदंस ैमजजसमउमदज की राशि 41,596/-रूपये अदा नहीं की हैं तो परिवादीगण उक्त राशि विपक्षीगण बीमा कम्पनी से नियमानुसार प्राप्त करने के अधिकारी हैं । 

अनिल रूंगटा              डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य             सदस्या              अध्यक्ष


निर्णय आज दिनांक 26.02.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।

अनिल रूंगटा              डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य             सदस्या              अध्यक्ष

 

 

 

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