जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी..........................सदस्या
पुरूशोत्तम सिंह..............................................सदस्य
उपभोक्ता वाद संख्या-598/2013
विजय कुमार श्रीवास्तव पुत्र स्व0 बी0सी0 श्रीवास्तव निवासी-117पी/389, हितकारी नगर, काकादेव, कानपुर-208025
................परिवादी
बनाम
नेशनल इंष्योरेन्स कंपनी लि0 मुख्य षाखा-25/1, दि माल कानपुर- 208001 द्वारा ब्रांच मैनेजर।
...........विपक्षी
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 27.11.2013
निर्णय की तिथिः 05.02.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षी बीमा कंपनी को आदेषित किया जाये कि विपक्षी, रू0 40,425.00 जो परिवादी द्वारा अपने क्षतिग्रस्त वाहन की मरम्मत में व्यय किया गया है, को 12 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से दावा की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक अदा करे तथा रू0 10000.00 मानसिक क्षति व परिवादी के हैरानी व परेषानी के लिए अदा करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय अदा करे।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी का वाहन सं0-न्च्.78.ठच्.1888 दिनांक 24.04.12 से 23.04.13 तक जरिये पाॅलिसी नं0-450401/31/12/6100000551 विपक्षी बीमा कंपनी से बीमित था। बीमा अवधि में दिनांक 28.03.13 को परिवादी का वाहन मिनी ट्रक से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कंपनी के अभिकर्ता को सूचना दी गयी। क्षतिग्रस्त वाहन को मेसर्स खन्ना आटो सेल्स प्रा0लि0 वर्कषाप नं0-2 पनकी औद्योगिक क्षेत्र कानपुर
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में दिनांक 29.03.13 को बावत निरीक्षण क्षतिपूर्ति तथा बावत मरम्मत ;म्ेजपउंजमद्ध इस्टीमेट लाया गया। परिवादी द्वारा उक्त दुर्घटना की सूचना विपक्षी बीमा कंपनी को लिखित रूप से भी दी गयी और क्षतिपूर्ति के ;म्ेजपउंजमद्ध इस्टीमेट की प्रति जारी द्वारा खन्ना आटो सेल्स प्रा0लि0 भी दी गयी। विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा श्री एस0के0 बाजपेई को सर्वेयर के रूप में नियुक्त किया गया। परिवादी द्वारा सर्वेयर श्री बाजपेई से यह कहा गया कि जब वह क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण करने जाये तो परिवादी को भी सूचित करें, जिससे मरम्मत के उपरान्त वर्कषाप को मरम्मत की धनराषि अदा की जा सके। किन्तु विपक्षी बीमा कंपनी के सर्वेयर द्वारा परिवादी को बिना सूचना दिये ही क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण तथा पुनरीक्षण उक्त वर्कषाप में परिवादी की अनुपस्थिति में किया गया। चूॅकि परिवादी को कोई सूचना नहीं दी गयी, इसलिए परिवादी का उक्त वाहन, बिना परिवादी के, उक्त वर्कषाप में पड़ा रहा। जब विपक्षी बीमा कंपनी के षाखा प्रबन्धक से परिवादी द्वारा संपर्क किया गया, तो षाखा प्रबन्धक द्वारा परिवादी को यह कहा गया कि वह क्षतिग्रस्त वाहन की मरम्मत करा ले और तदोपरान्त कंपनी को क्षतिपूर्ति के लिए बिल उपलब्ध कराये। इसके पष्चात परिवादी द्वारा अपने क्षतिग्रस्त वाहन की मरम्मत करायी गयी। मरम्मत का व्यय रू0 40,425.00 आया, जिसे परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कंपनी को भुगतान हेतु दिनांक 24.04.13 को प्रस्तुत किया गया। काफी लंबे अंतराल के बाद विपक्षी के द्वारा एक भुगतान सूचना बाउचर नं0-450401/31/13/61/ 90000001 क्रम सं0-1 दिनांक षून्य विपक्षी के क्षेत्रीय कार्यालय माल रोड कानपुर नगर द्वारा भेजा गया, जिसमें रू0 18,724.00 समझौता दावा प्रस्तावित किया गया था। जबकि परिवादी द्वारा वास्तविक रूप में वर्कषाप को रू0 40,425.00 अदा किये गये थे। फलस्वरूप परिवादी द्वारा उक्त समझौता सूचना बाउचर दिनांक 12.05.13 को वापस कर दिया गया तथा सर्वेयर रिपोर्ट की मांग की गयी। किन्तु विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा कोई जवाब परिवादी को नहीं दिया गया। दिनांक 11.08.13 को परिवादी द्वारा आई.आर.डी.ए. को ई-मेल के माध्यम से षिकायत की गयी। इसके पष्चात
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पुनः विपक्षी बीमा कंपनी से पूर्व में प्रस्तावित रू0 18,724.00 को बढ़ाकर रू0 20,655.00 तथा डिस्चार्ज बाउचर भेजा गया। तदोपरान्त परिवादी द्वारा दिनांक 22.08.13 को पुनः विपक्षी बीमा कंपनी से सर्वे रिपोर्ट मांगी गयी। किन्तु विपक्षी द्वारा सर्वे रिपोर्ट परिवादी को नहीं दी गयी। विपक्षी की ओर से अनुस्मारक पत्र दिनांक 16.08.13 तथा 04.09.13 के माध्यम से परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कंपनी की ओर से प्रेशित समझौता प्रस्ताव न स्वीकार करने से सम्बन्धित सूचना प्राप्त होती रही। इस प्रकार विपक्षी द्वारा मनमाने तरीके से कार्य करके सेवा में कमी की जा रही है। विवष होकर परिवादी द्वारा दिनांक 12.09.13 को इस आषय का पत्र लिखा गया कि रू0 20,655.00 यथा प्रस्तावित, परिवादी के खाते में डाल दिया जाये। किन्तु परिवादी द्वारा उक्त धनराषि अंडर प्रोटेस्ट स्वीकार किया जाना माना जाये। परिवादी द्वारा सर्वे रिपोर्ट की मंाग पुनः की गयी। इसके पष्चात विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा दिनांक 25.09.13 को परिवादी के दावे का समझौता करने के बजाय परिवादी पर इस आषय का, मनमाने तरीके से, दबाव पत्र भेजा गया कि यदि परिवादी प्रस्तावित समझौता स्वीकार नहीं करता है, तो उसके क्लेम की पत्रावली बन्द कर दी जायेगी। विपक्षी के उपरोक्त पत्र दिनांकित 15.09.13 के जवाब में परिवादी द्वारा दिनांक 10.10.13 को विपक्षी के प्रस्ताव को अंडर प्रोटेस्ट स्वीकार करने का पत्र भेजा गया। पुनः विपक्षी द्वारा पत्र दिनांकित 18.10.13 के द्वारा परिवादी के क्लेम की पत्रावली बन्द करने की धमकी दी गयी। परिवादी द्वारा दिनांक 24.10.13 प्रष्नगत क्लेम रू0 40,425.00 स्वीकार किये जाने की सहमति भेजी गयी। तत्पष्चात दिनांक 30.10.13 के पत्र द्वारा, विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा, परिवादी के क्लेम की पत्रावली बन्द करके व परिवादी का क्लेम इंकार करके परिवादी को सूचना दी गयी। फलस्वरूप विवष होकर परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि विपक्षी बीमा कंपनी
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के द्वारा सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी है। अंतिम रूप से परिवादी का परिवाद रू0 20,655.00 स्वीकार करते हुए परिवादी को सूचना दी गयी, किन्तु परिवादी द्वारा तत्संबंधी डिस्चार्ज बाउचर प्रतिहस्ताक्षरित नहीं किया गया। परिवादी का प्रस्तुत परिवाद, समुचित वाद कारण के अभाव में खारिज किये जाने योग्य है। परिवाद पूर्णतयः असत्य तथा आधारहीन तथ्यों पर दुर्भावनाग्रस्त मंषा से विधि के बेजा इस्तेमाल के लिए प्रस्तुत किया गया है। सर्वेयर की रिपोर्ट के निरीक्षणोपरान्त परिवादी का क्लेम रू0 18,724.00 पारित किया गया, किन्तु परिवादी के पुनः अनुरोध पर परिवादी के दावे का पुर्न निरीक्षण करने के उपरान्त दावे की धनराषि रू0 20,655.00 स्वीकृत की गयी। सर्वे रिपोर्ट एक गोपनीय अभिलेख है, जिसे परिवादी को प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 26.11.13 एवं 04.10.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-1, 2 व 3 दिनांकित 26.11.13 के साथ संलग्नक कागज सं0-1 लगायत् 19 दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में के0बी0 सिंह, षाखा प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 21.07.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-2 दिनांकित 21.07.15 के साथ संलग्नक कागज सं0-2/1 लगायत् 2/11 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
6. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का एवं विपक्षी द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
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उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि स्वीकार्य रूप से परिवादी का वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ। प्रष्नगत वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने से दुर्घटना की तिथि से तथा मरम्मत से विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा कोई इंकार नहीं किया गया। विपक्षी बीमा कंपनी का मुख्य कथन यह है कि परिवादी सर्वेयर रिपोर्ट प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा परिवादी का क्लेम बावत रू0 20,655.00 सही पारित किया गया है। इसके अतिरिक्त दावाकृत राषि परिवादी प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
उपरोक्तानुसार उपरोक्त बिन्दु पर उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी की ओर से क्षतिग्रस्त वाहन की सर्वे रिपोर्ट प्राप्त करने के सम्बन्ध में फोरम का ध्यान विधि निर्णय 2014 ;3द्ध ब्च्त् 786 ;छब्द्ध रिलायन्स जनरल इंष्योरेन्स कंपनी लि0 बनाम डा0 पी.एस. प्रमोद में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत की ओर आकृश्ट किया गया है, जिसमें मा0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा यह विधिक सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि सर्वेयर को क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण परिवादी की उपस्थिति में करना चाहिए तथा निरीक्षण की प्रति पर परिवादी के हस्ताक्षर भी कराना चाहिए। मा0 राश्ट्रीय आयोग का संपूर्ण सम्मान रखते हुए स्पश्ट करना है कि उपरोक्त विधि निर्णय का लाभ परिवादी को प्राप्त होता है। क्योंकि विपक्षी द्वारा प्रष्नगत वाहन की सर्वे रिपोर्ट को गोपनीय रिपोर्ट बताते हुए रिपोर्ट की प्रति परिवादी को देने से इंकार किया गया है। इसके अतिरिक्त प्रष्नगत क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण सर्वेयर द्वारा परिवादी की उपस्थिति में नहीं किया गया। परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में विधि निर्णय 2015 ;2द्ध ब्च्त् 592 ;छब्द्ध निहाल कुमार हसमुख राय गांधी बनाम डिवीजनल मैनेजर न्यू इंडिया एष्योरेन्स कंपनी लि0 में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत की ओर फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है, जिसमें मा0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा यह विधिक सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि, ’’परिवादी को यह अधिकार है कि वह अंडर प्रोटेस्ट विपक्षी बीमा कपंनी से प्रस्तावित दावे की धनराषि प्राप्त
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कर सकता है।’’ मा0 राश्ट्रीय आयोग का संपूर्ण सम्मान रखते हुए स्पश्ट करना है कि उपरोक्त विधि निर्णय में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत से भी परिवादी को लाभ प्राप्त होता है। विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा परिवादी को निरन्तर अंडर प्रोटेस्ट प्रस्तावित दावे की धनराषि उसके खाते में हस्तांतरित करने हेतु लिखा गया है। किन्तु विपक्षी द्वारा उक्त प्रस्तावित धनराषि परिवादी के खाते में जमा न करके परिवादी के क्लेम की पत्रावली ही बन्द कर दी गयी। विपक्षी बीमा कंपनी का यह कृत्य सेवा में कमी की कोटि में आता है। विपक्षी की ओर से विधि निर्णय प्प् ;2015द्ध ब्च्श्र 10 ;छब्द्ध वाटोर गार्ड केमिकल्स प्रा0 लि0 बनाम नेषनल इंष्योरेन्स कंपनी लि0 में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत की ओर फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है। जिसमें मा0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा सर्वेयर रिपोर्ट को एक महत्वपूर्ण अभिलेख बताया गया है। किन्तु उक्त सर्वेयर रिपोर्ट को गोपनीय अभिलेख नहीं बताया गया है। अतः उपरोक्त विधि निर्णय में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत का लाभ विपक्षी बीमा कंपनी को प्राप्त नहीं होता है।
विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा प्रथम बार परिवादी का क्लेम बावत रू0 18,724.00 तथा बाद में रू0 20,655.00 किये जाने से सम्बन्धित कोई आधार नहीं बताया गया है। जबकि परिवादी अपने क्षतिग्रस्त वाहन की मरम्मत में रू0 40,425.00 व्यय होना बताया गया है। परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र दाखिल किया है तथा सूची के साथ संलग्न कागज सं0-6 दाखिल किया गया है। जिससे सिद्ध होता है कि परिवादी द्वारा अपने क्षतिग्रस्त वाहन की मरम्मत में रू0 40,425.00 व्यय किया गया है। परिवादी के क्षतिग्रस्त वाहन का बीमा कम्प्रहेन्सिव रिस्क के लिए किया गया है।
अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से विपक्षी बीमा कंपनी से रू0 40,425.00 तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय दिलाये जाने के लिए स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादी द्वारा याचित उपषम रू0 10000.00 बावत षारीरिक व
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मानसिक क्षति के लिए है, के सम्बन्ध में परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी के द्वारा यचित उपरोक्त उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
7. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी, परिवादी को रू0 40,425.00 बावत क्षतिग्रस्त वाहन की मरम्मत धनराषि 10 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से प्रस्तुत परिवाद दाखिल करने की तिथि से तायूम वसूली अदा करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय अदा करे।
(श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी) (पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर। कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी) (पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर। कानपुर नगर।