Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/263/13

RAJ KUMAR JAIN - Complainant(s)

Versus

NATIONAL INSORENCE COMPANY - Opp.Party(s)

VIJAI KUMAR MEHROTRA

04 Mar 2017

ORDER

 

                                              जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष        
    पुरूशोत्तम सिंह..............................................सदस्य
        

उपभोक्ता वाद संख्या-263/2013
राजकुमार जैन पुत्र स्व0 दुर्गा प्रसाद जैन निवासी मकान नं0-16/71 (ए-2) सिविल लाइन थाना कोतवाली, कानपुर।
                                  ................परिवादी
बनाम
1.    षाखा प्रबन्धक, नेषनल इंष्योरेन्स कंपनी लि0 गुमटी नं0-5 षाखा कानपुर नगर।
2.    मेसर्स अंलकित हेल्थ केयर टी.पी.एस. लि0 तृतीय तल, न्यू जनपथ काम्पलैक्स, 9-ए अषोक मार्ग लखनऊ।
                             ...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 21.05.2013
निर्णय की तिथिः 27.04.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.      परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षीगण से परिवादी को उसकी बीमित राषि के अंतर्गत बकाया राषि रू0 1,34,391.00 भुगतान करने हेतु आदेष किया जाये तथा मानसिक एवं षारीरिक क्षति व मुकद्मा खर्चा भी विपक्षीगण से परिवादी को दिलाया जाये।
2.     परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का संक्षेप में यह कथन है कि परिवादी द्वारा वर्श 2011-12 हेतु विपक्षी सं0-1 से एक मेडिक्लेम पॉलिसी सं0-451602/48/10/8500000947 जो कि दिनांक 18.02.11 से 17.02.12 तक प्रभावी थी, ली गयी थी। मेडिक्लेम पॉलिसी के समय-सीमा के अंदर परिवादी को कैंसर की बीमारी हो गयी। परिवादी द्वारा अपने इलाज के उपरान्त विपक्षी सं0-1 के समक्ष तीन क्लेम क्रमषः रू0 3,24,292.00, रू0 2,20,754.00 एवं रू0 4,36,443.00 प्रेशित किये गये। विपक्षी सं0-1 द्वारा उक्त तीनों क्लेम में से क्रमषः रू0 1,77,986.00, रू0 1,67,701.00 एवं रू0 3,54,193.00 की कटौती काटकर रू0 1,46,306.00, रू0 62,053.00
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एवं रू0 82,250.00 कुल रू0 2,90,609.00 की तीन चेक एच.डी.एफ.सी. बैंक के विपक्षी सं0-2 द्वारा परिवादी को भुगतान किये गये। विपक्षी ने बिना कोई कारण बताये परिवादी के तीन क्लेम की पूरी धनराषि का भुगतान न करके उससे रूपये काट लिये गये। जबकि बीमा पॉलिसी में कटौती करने का कोई जिक्र नहीं है। परिवादी की मेडिक्लेम पॉलिसी रू0 3,00,000.00 व बोनस रू0 1,25,000.00 कुल रू0 4,25,000.00 की थी। परिवादी के इलाज में रू0 9,90,509.00 खर्च हुआ। विपक्षी सं0-1 ने विपक्षी सं0-2 के द्वारा कुल रू0 2,90,609.00 का भुगतान वादी को कराया। जबकि उसे बीमित राषि रू0 4,25,000.00 का पूरा भुगतान विपक्षी सं0-1 को करना था। इस प्रकार रू0 1,34,391.00 कम भुगतान किया गया है। विपक्षीगण द्वारा बावजूद विधिक नोटिस परिवादी की बात नहीं सुनी गयी। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.    विपक्षी सं0-1 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया और यह कहा गया है कि परिवादी ने दिनांक 18.02.11 से 17.02.12 तक के लिए मेडीक्लेम पॉलिसी का नवीनीकरण कराते समय बीमित धनराषि रू0 2,50,000.00 में रू0 50,000.00 बढ़ा दिये थे, किन्तु बढ़ाई गयी धनराषि को अपवर्जन क्लाज 4.1 के अनुसार प्रतीक्षा अवधि 12 माह के बाद ही बीमित धनराषि में जोड़ा जा सकता है। अतः परिवादी की बीमारी के समय बीमित धनराषि रू0 2,50,000.00 व क्यूमिलेटिव बोनस रू0 1,25,000.00 कुल रू0 3,75,000.00 बीमा धन की पॉलिसी थी। जिसकी अवधि दिनांक 18.02.11 से 17.02.12 तक के लिए थी। बीमित धन में बढ़ाई गयी धनराषि एक वर्श बाद ही बीमा धन में जोड़ी जा सकती है। पॉलिसी विवरण पत्र में मेडीक्लेम भुगतान की सीमा निर्धारित है। मेडीक्लेम स्वीकृत होने पर ए0बी0सी0 तीन श्रेणीयों में भुगतान किया जाता है। प्रत्येक श्रेणी की सीमा निर्धारित है। ’’ए’’ श्रेणी के अंतर्गत अस्पताल में भर्ती होने पर कमरा व भोजन के मद में बीमा धन का 1 प्रतिषत व आई.
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सी.यू. में भर्ती होने पर बीमा धन का 2 प्रतिषत प्रतिदिन की दर से भुगतान किया जाता है। किन्तु उपरोक्त मदों में भुगतान की अधिकतम सीमा बीमा धन के 25 प्रतिषत तक एक बीमारी के लिए होगी। एक बीमारी का मतलब 45 दिन लगातार उपचार से 45 दिन के बाद भी उपचार जारी रहने पर नई बीमारी मानी जायेगी। ’’बी’’ श्रेणी के अंतर्गत सर्जन या डाक्टर की फीस के मद में बीमा धन के 25 प्रतिषत की सीमा निर्धारित है, जो एक बीमारी के लिए है। ’’सी’’ श्रेणी के अंतर्गत एनस्थेसिया, खून, आक्सीजन, ओ0टी0 चार्जेज, सर्जिकल सामान, एक्सरे, दवाइयां आदि के मद में बीमा धन का 50 प्रतिषत एक बीमारी के लिए भुगतान की सीमा निर्धारित है। उक्त बीमा धन के लिए उपरोक्त तीनों बीमारी उपरोक्त तीनों दावों का निस्तारण टी.पी.ए. द्वारा किया गया है। परिवादी के तीनों दावों में पॉलिसी की षर्तों के अंतर्गत कटौती की गयी है। उनका लिखित विवरण (कंप्यूटराइज्ड) विवरण संलग्न है। परिवादी को मेडीक्लेम पॉलिसी के अंतर्गत अधिकतम जो भुगतान नियमानुसार बनता था, विपक्षी उत्तरदाता द्वारा किया जा चुका है। अब कोई धनराषि उस पर षेश नहीं है। विपक्षी उत्तरदाता ने परिवादी को उसके तीनों दावों में की गयी कटौतियों व भुगतान की गयी धनराषि का लिखित विवरण प्राप्त करा दिया था। जिसे अनदेखा करके, परिवादी ने गलत तरीके से क्षतिपूर्ति लेने के लिए असत्य कथनों पर आधारित परिवाद प्रस्तुत किया है, जो पोशणीय नहीं है। अतः परिवाद सव्यय निरस्त किया जाये।
4.    परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके, विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रस्तुत जवाब दावा का खण्डन किया गया है और स्वयं के द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों की पुनः पुश्टि की गयी है।
5.    परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षी सं0-2 को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी, लेकिन पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद भी विपक्षी सं0-2 फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आया। अतः विपक्षी सं0-2 पर पर्याप्त तामीला मानते हुए दिनांक 16.10.14 को विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही किये जाने का आदेष पारित किया गया।
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परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.    परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 20.05.13 एवं 30.05.15 व 09.03.17 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में मेडिक्लेम पॉलिसी की प्रति, प्रीमियम जमा करने से सम्बन्धित रसीद की प्रति, बीमा से सम्बन्धित एक अन्य अभिलेख की प्रति, परिवादी द्वारा विपक्षी को प्रेशित पत्र की प्रति, नोटिस की प्रति एवं ई-मेल से प्राप्त अभिलेख की प्रति दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
7.    विपक्षी सं0-1 ने अपने कथन के समर्थन में दुर्गा प्रसाद, वरिश्ठ षाखा प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 25.03.17 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-2 के साथ संलग्न कागज सं0-2/1 लगायत् 2/8 दाखिल किया है।
निष्कर्श
8.    फोरम द्वारा परिवादी तथा विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
9.    उभयपक्षों की ओर से उपरोक्त प्रस्तर-6 व 7 में वर्णित षपथपत्रीय व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं। पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त साक्ष्यों में से मामले को निर्णीत करने में सम्बन्धित साक्ष्यों का ही आगे उल्लेख किया जायेगा।
10.    उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में प्रमुख विचाराणीय बिन्दु यह है कि क्या परिवादी याचित क्षतिपूर्ति पॉलिसी के नियम व षर्तों के अधीन प्राप्त करने का अधिकारी है, यदि हां तो प्रभाव?
11.    उपरोक्त वाद बिन्दु सिद्ध करने का भार परिवादी पर है। उपरोक्त विचारणीय बिन्दु के सम्बन्ध में विपक्षी सं0-1 की ओर से यह कथन किया गया है कि अपवर्जन क्लाज  4.1 के अनुसार  प्रतीक्षा  अवधि
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12 माह के बाद ही बीमित धनराषि में जोड़ा जा सकता है। परिवादी की बीमारी के समय बीमित धनराषि रू0 2,50,000.00 व क्यूमिलेटिव बोनस रू0 1,25,000.00 कुल रू0 3,75,000.00 बीमा धन की पॉलिसी थी। पॉलिसी विवरण पत्र में मेडीक्लेम पॉलिसी की षर्तें निर्धारित हैं। मेडीक्लेम स्वीकृत होने पर ए0बी0सी0 तीन श्रेणीयों में भुगतान किया जाता है। प्रत्येक श्रेणी की सीमा निर्धारित है। ’’ए’’ श्रेणी के अंतर्गत अस्पताल में भर्ती होने पर कमरा व भोजन के मद में बीमा धन का 1 प्रतिषत व आई.सी.यू. में भर्ती होने पर बीमा धन का 2 प्रतिषत प्रतिदिन की दर से भुगतान किया जाता है। किन्तु उपरोक्त मदों में भुगतान की अधिकतम सीमा बीमा धन के 25 प्रतिषत तक एक बीमारी के लिए होगी। एक बीमारी का मतलब 45 दिन लगातार उपचार से 45 दिन के बाद भी उपचार जारी रहने पर नई बीमारी मानी जायेगी। ’’बी’’ श्रेणी के अंतर्गत सर्जन या डाक्टर की फीस के मद में बीमा धन के 25 प्रतिषत की सीमा निर्धारित है, जो एक बीमारी के लिए है। ’’सी’’ श्रेणी के अंतर्गत एनस्थेसिया, खून, आक्सीजन, ओ0टी0 चार्जेज, सर्जिकल सामान, एक्सरे, दवाइयां आदि के मद में बीमा धन का 50 प्रतिषत एक बीमारी के लिए भुगतान की सीमा निर्धारित है। उक्त बीमा धन के लिए उपरोक्त तीनों बीमारी उपरोक्त तीनों दावों का निस्तारण टी.पी.ए. द्वारा किया गया है। परिवादी के तीनों दावों में पॉलिसी की षर्तों के अंतर्गत कटौती की गयी है। उनका लिखित विवरण (कंप्यूटराइज्ड) विवरण संलग्न है। परिवादी को मेडीक्लेम पॉलिसी के अंतर्गत अधिकतम जो भुगतान नियमानुसार बनता था, विपक्षी उत्तरदाता द्वारा किया जा चुका है। अब कोई धनराषि उस पर षेश नहीं है। विपक्षी की ओर से अपने कथन के समर्थन में वरिश्ठ मेडीक्लेम बावत वरिश्ठ नागरिक पॉलिसी की प्रति कागज सं0-2/1 लगायत् 2/3, पॉलिसी कवर कागज सं0-2/4 लगायत् 2/7 दाखिल की गयी है। पॉलिसी षर्त के प्रस्तर सं0-1.0, 3.0, 4.1 के अवलेकन से विदित होता है कि परिवादी का अपेक्षित क्लेम उपरोक्त नियम व षर्तों के अनुसार देय नहीं है। परिवादी की ओर से प्रस्तुत वाद बिन्दु के सम्बन्ध  में यह कथन  किया गया है कि
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बीमा पॉलिसी कराते समय विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा बीमा नियमों व षर्तों की प्रतियां परिवादी को भेजी जाती हैं। पॉलिसी कराने के दौरान कंपनियां प्रलोभन देकर पॉलिसी करा लेती हैं।
    उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को उपरोक्त वाद बिन्दु पर सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि विपक्षी द्वारा अपने कथन को साबित किया गया है। परिवादी की ओर से विपक्षी की ओर से किये गये कथन के विरूद्ध कोई सारवान साक्ष्य अथवा सारवान तथ्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
    अतः प्रस्तुत वाद बिन्दु विपक्षी उत्तरदाता के पक्ष में तथा परिवादी के विरूद्ध निर्णीत किया जाता है।
    उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में तथा उपरोक्त विचारणीय वाद बिन्दु में दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
7.     परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।


      (पुरूशोत्तम सिंह)                  (डा0 आर0एन0 सिंह)
        वरि0सदस्य                              अध्यक्ष
    जिला उपभोक्ता विवाद                     जिला उपभोक्ता विवाद       
         प्रतितोश फोरम                           प्रतितोश फोरम
         कानपुर नगर।                            कानपुर नगर।

    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।

      (पुरूशोत्तम सिंह)                  (डा0 आर0एन0 सिंह)
        वरि0सदस्य                              अध्यक्ष
    जिला उपभोक्ता विवाद                     जिला उपभोक्ता विवाद       
         प्रतितोश फोरम                           प्रतितोश फोरम
         कानपुर नगर।                            कानपुर नगर।

 

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