Rajasthan

Tonk

cc/223/2013

ramesh tak - Complainant(s)

Versus

national inshurance com. - Opp.Party(s)

naveen chodhry

24 Feb 2015

ORDER


    
रमेश टाॅक बनाम नेशनल इन्श्योरेंस क0लि0
परिवाद संख्या 223/2013
    
24.02.2015

 

 


        दोनों पक्षों को सुना जा चुका है। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
    परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी का संक्षेप में यह सेवादोष बताया है कि उसके वाहन आर.जे. 06 यू.ए. 2122 का बीमा निर्धारित प्रीमियम लेकर किया गया था बीमित अवधि में वाहन दुर्घटना ग्रस्त हो गया जिसमें परिवादी को भी चोंटे आई जिसकी दूरभाष पर अगले दिन ही विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचना दे दी गई तथा पुलिस थाना बसोली जिला बून्दी में रिपोर्ट भी करा दी गई। वाहन क्षति क्लेम सभी औपचारिकताऐं पूरी करके दस्तावेजात के साथ विपक्षी बीमा कम्पनी को भेंजा गया लेकिन उसे भुगतान नही किया गया। बार-बार सम्पर्क करने, दिनांक 02.04.2013 को आवेदन प्रस्तुत करने एवं अधिवक्ता के जरिये दिनांक 09.05.2013 एवं दिनांक 12.07.2013 को नोटिस भेजनें के बावजूद भुगतान नही किया गया। जिससे आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ। 
    विपक्षी बीमा कम्पनी के जवाब का सार है कि बीमित वाहन की दुर्घटना दिनांक 12.05.2012 को हुई विपक्षी कम्पनी को इसकी सूचना तत्काल नही दी गई अपितु 160 दिन बाद दिनांक 19.10.2012 को दी गई जो पाॅलिसी की शर्त का उल्लघंन है। इसलिए परिवादी के क्लेम को सही खारिज करते हुए दिनांक 31.03.2013 को उसे सूचना भेज दी गई। परिवादी की ओर से दिनांक 02.04.2013 का कोई आवेदन अथवा वकील के जरिये प्रेषित कोई नोटिस विपक्षी कम्पनी को नही मिला। विपक्षी कम्पनी ने सेवा में कोई कमी नही की है। 
    परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा विपक्षी कम्पनी को वकील के जरिये प्रेषित नोटिस दिनांक 09.05.2013 एवं 12.07.2013, विपक्षी कम्पनी की ब्यावर शाखा को नोटिस प्राप्ति की ए.डी., परिवादी के उपचार परिपत्र, एवरग्रीन मोटर्स का इन्वोईज दिनांक 21.01.2013 एवं रकम प्राप्ति रसीद दिनांक 21.01.2013 आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की गई है। विपक्षी कम्पनी ने साक्ष्य में प्राधिकृत अधिकारी सुरेन्द्र के. विजयवर्गीय के शपथ-पत्र के अलावा प्राईवेट कार पेकेज ओर परिवादी की ओर से प्रस्तुत विपक्षी कम्पनी को प्रस्तुत सूचना पत्र, क्लेम फार्म एवं एम.एन. चतुर्वेदी की फाईनल सर्वे रिपोर्ट आदि की प्रति प्रस्तुत की गई है। 
    हमने विचार किया।
    विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी को उसका क्लेम खारिज करने के तथाकथित पत्र दिनांक 31.03.2013 की कोई प्रति प्रस्तुत नही की है व परिवादी को भेजनें का कोई प्रमाण भी प्रस्तुत नही किया है। परिवादी नें दिनांक 17.09.2013 को परिवाद प्रस्तुत किया है जिसमें अंकित किया है कि उसके क्लेम पर निर्णय करके अवगत नही कराया है। चूंकि विपक्षी कम्पनी नें मंच के समक्ष भी परिवादी का क्लेम निस्तारण करने के पत्र की कोई प्रति प्रस्तुत नही की है इस प्रकार युक्तियुक्त अवधि में क्लेम निस्तारण करके परिवादी को अवगत नही कराना स्पष्ट सेवादोष है। 
    जहां तक दुर्घटना की विपक्षी कम्पनी को तत्काल सूचना नही देने से बीमा पाॅलिसी की किसी शर्त का उल्लघंन होने का प्रश्न है, परिवादी नें परिवाद के पेरा नम्बर 4 में स्पष्ट अंकित किया है कि स्वयं चोटग्रस्त होने से उसने दुर्घटना की सूचना विपक्षी कम्पनी के देवली कार्यालय को दुर्घटना होने के अगले दिन ही दूरभाष पर दे दी थी। इसका जवाब में विपक्षी कम्पनी नें स्पष्ट रूप से खण्डन नही किया है। लिखित सूचना देने के दस्तावेज की प्रति विपक्षी कम्पनी ने प्रस्तुत की है इस सूचना पत्र के काॅलम संख्या 9 में परिवादी ने दुर्घटना की सूचना तिथि 13.05.2012 स्पष्ट रूप से अंकित की है तथा यह लिखित प्रपत्र दिनांक 19.10.2012 को विपक्षी कम्पनी के कोटा कार्यालय में प्रस्तुत हुआ है। विपक्षी कम्पनी नें इस तथ्य का भी खण्डन नही किया है कि उक्त पत्र में अंकित तिथि 13.05.2012 को उन्हे दुर्घटना की सूचना नही दी गई थी। 
    इस प्रकार हम पाते है कि परिवादी द्वारा यह सिद्ध कर दिया गया है कि दुर्घटना होने के अगले दिन दिनांक 13.05.2012 को ही विपक्षी कम्पनी वाहन दुर्घटना में क्षतिग्रस्त होने की सूचना दे दी थी। विपक्षी कम्पनी का यह केस गलत है कि दुर्घटना की तत्काल सूचना नही दी तथा 160 दिन बाद दी। वस्तुतः दिनांक 19.10.2012 को लिखित सूचना दी गई जबकि दिनांक 13.05.2012 को दूरभाष पर सूचना दे दी गई। इसलिए विलम्ब से सूचना देने की कहानी सिद्ध नही है तथा इस आधार पर क्लेम खारिज करना स्पष्ट रूप से सेवादोष है। 
    जहां तक बीमित वाहन के दुर्घटना में क्षतिग्रस्त होने के फलस्वरूप क्लेम राशि का प्रश्न है विपक्षी कम्पनी ने सर्वेयर द्वारा किए गये फाईनल सर्वे की रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसने कुल 65,690/- रूपयें की क्षति होना आंकलित की है। यह सुस्थापित विधि है कि सर्वेयर स्वतंत्र एवं विशेषज्ञ एजेन्सी है उसकी क्षति आंकलन रिपोर्ट महत्वपूर्ण दस्तावेज है इसे तब तक नहीं नकारा जा सकता जब तक कि ठोस एवं तर्कसंगत आधारो पर चुनौती न हो। प्रस्तुत मामले में उक्त रिपोर्ट के सम्बन्ध में कोई चुनौती हमारे समक्ष परिवादी पक्ष की ओर प्रस्तुत नही की गई है। इसलिए हम पाते हैं कि परिवादी विपक्षी कम्पनी से सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार वाहन क्षति के क्लेम पेटे राशि प्राप्त करने का अधिकारी है यदि वह इससे अधिक राशि चाहता है तब वह विधिनुसार सक्षम सिविल न्यायालय से उपचार प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र है। 
    अतः विपक्षी बीमा कम्पनी को निर्देश दिये जाते है कि परिवादी को दो माह के अन्दर उसके बीमित वाहन आर.जे. 06 यू.ए. 2122 के क्षति क्लेम पेटे 65,690/- रूपये एवं इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 17.09.2013 से भुगतान करने तक 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित भुगतान किया जावे। इसके अलावा परिवादी को मानसिक संताप एवं परिवाद व्यय की भरपाई हेतु अलग से 5,000/- रूपये की अदायगी भी की जावें। 
    आदेश खुले मंच में सुनाया गया। पत्रावली फैसल शुमार होकर रिकार्ड में जमा हो। 

विष्णु कुमार गुप्ता          किरण चैरसिया        भगवानदास खण्डेलवाल
   (सदस्य)                  (सदस्या)                 (अध्यक्ष)
    

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.