deshraj filed a consumer case on 11 Feb 2015 against national inshurance com. in the Tonk Consumer Court. The case no is cc/82/2014 and the judgment uploaded on 12 Mar 2015.
देशराज बैरवा बनाम नेशनल इन्श्योरेंस कम्पनी लि0
परिवाद संख्या 82/2014
11.02.2015
दोनों पक्षों को सुना जा चुका है। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
परिवादी ने विपक्षी कम्पनी का संक्षेप में यह सेवादोष बताया है कि उसके वाहन आॅटो आर.जे. 08 पी.ए. 0455 का बीमा निर्धारित प्रीमियम देकर कराया था। बीमा अवधि में वाहन दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गया जिसकी सूचना विपक्षी कम्पनी को दी गई जिन्होने सर्वेयर से मौके पर जांच कराई तथा उनके निर्देश पर वाहन की मरम्मत कराकर क्षतिपूर्ति बीमा क्लेम विपक्षी कम्पनी को प्रस्तुत किया, जिसका भुगतान नही करने पर विपक्षी कम्पनी को वकील के जरिए नोटिस भेजा गया जिसके जवाब में क्लेम निरस्त करने की सूचना दी गई। क्लेम गलत तौर पर निरस्त किया गया है जिससे उसे आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ है।
विपक्षी कम्पनी के जवाब का सार है कि दुर्घटना की विलम्ब से सूचना दी गई, वक्त दुर्घटना वाहन का संचालन परमिट के क्षेत्र से बाहर किया जा रहा था तथा फिटनेस प्रमाण-पत्र भी नही था। इस प्रकार बीमा पाॅलिसी की शर्तो एवं मोटर वाहन कानून के प्रावधानो का उल्लघंन होने के कारण क्लेम सही खारिज किया गया।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा आर.सी., परमिट, वाहन मरम्मत खर्चे के बिल, विपक्षी कम्पनी को प्रेषित नोटिस व प्राप्ति रसीद एवं क्लेम खारिज करने के पत्र आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की गई। विपक्षी कम्पनी ने साक्ष्य में अधिकृत अधिकारी अनिल लूथरा के शपथ-पत्र के अलावा बीमा पाॅलिसी, परिवादी द्वारा वाहन दुर्घटना के बाबत् दी गई सूचना, उसके परमिट , फिटनेस आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की है।
हमने विचार किया।
विपक्षी कम्पनी ने पत्र दिनांक 19.12.2013 के अनुसार परिवादी का बीमा क्लेम इस आधार पर खारिज किया कि दुर्घटना तिथि 27.10.2012 को उसके बीमित वाहन का फिटनेस प्रभाव में नही था इससे पूर्व ही प्रमाण-पत्र की अवधि समाप्त हो चुकी थी।
प्रश्न उठता है कि क्या उक्त कारण से परिवादी का क्लेम खारिज करके विपक्षी कम्पनी ने सेवा में कमी की है ?
विपक्षी कम्पनी ने परिवादी के बीमित वाहन के फिटनेस प्रमाण-पत्र की प्रति प्रस्तुत की है जिससे स्पष्ट है कि वह प्रमाण-पत्र दिनांक 19.06.2012 को समाप्त हो चुका था बीमित वाहन दिनांक 27.10.2012 को दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हुआ था उस समय वाहन का फिटनेस प्रमाण-पत्र प्रभावी था ऐसा कोई प्रमाण परिवादी ने पेश नही किया है। इस प्रकार यह विवादित नही रह जाता है कि दुर्घटना दिवस को बीमित वाहन का फिटनेस प्रमाण-पत्र प्रभाव में नही था।
विचारणीय प्रश्न है कि क्या इस आधार पर बीमित वाहन की क्षतिपूर्ति का सम्पूर्ण क्लेम खारिज होने योग्य है ?
हम पाते है कि फिटनेस प्रमाण-पत्र दुर्घटना दिवस को प्रभाव में नही होना पाॅलिसी की फंडामेन्टल शर्त का भंग नही है इसलिए इस आधार पर सम्पूर्ण क्लेम खारिज करने के बजाए विपक्षी कम्पनी द्वारा उसे नाॅन-स्टेंडर्ड आधार पर अर्थात ग्राह्य क्लेम की 75 प्रतिशत राशि के आधार पर तय करना चाहिए था। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक विनिश्च अमलेन्दु साहू बनाम ओरियन्टल इन्श्योरेंस कम्पनी लि0 ए.सी.टी.सी. 2010 (1) 433 में यही व्यवस्था दी है।
परिवादी ने वाहन क्षति के मरम्मत पेटे 20,415/- रूपये के बिल विपक्षी कम्पनी को प्रस्तुत किए है जिनको विपक्षी कम्पनी ने चुनौती नही दी है इसलिए हम पाते है कि परिवादी इस राशि की 75 प्रतिशत अर्थात 15,300/- बीमा क्लेम के पेटे प्राप्त करने का अधिकारी है। इसके अलावा इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत होने की तिथि से भुगतान होने तक 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज एंव मानसिक संताप व परिवाद व्यय की भरपाई पाने का भी अधिकारी है।
अतः विपक्षी बीमा कम्पनी को निर्देश दिये जाते है कि परिवादी के बीमित वाहन आर.जे. 08 पी.ए. 0455 के क्षतिपूर्ति बीमा क्लेम के पेटे उसे एक माह के अन्दर 15,300/- रूपये व इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत होने के तिथि 07.02.2014 से भुगतान होने तक 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज तथा मानसिक संताप एवं परिवाद व्यय की भरपाई हेतु 3,000/- रूपये सहित अदा किए जावें।
आदेश खुले मंच में सुनाया गया। पत्रावली फैसल शुमार होकर रिकार्ड में जमा हो।
विष्णु कुमार गुप्ता किरण चैरसिया भगवानदास खण्डेलवाल
(सदस्य) (सदस्या) (अध्यक्ष)
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