Rajasthan

Tonk

cc/37/2014

chetan prakash - Complainant(s)

Versus

national inshurance com. - Opp.Party(s)

navratan nama

23 Feb 2015

ORDER


चेतन प्रकाश शास्त्री बनाम नेशनल इन्श्योरेंस कम्पनी लि0 
परिवाद संख्या 37/2014
    
23.02.2015

 

 


        दोनों पक्षों को सुना जा चुका है। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
    परिवादी ने विपक्षी कम्पनी का संक्षेप में यह सेवादोष बताया है कि उसके वाहन आर.जे. 26 जी.ए. 1024 की पाॅलिसी संख्या 37070231126365000893 निर्धारित प्रीमियम लेकर जारी की गई बीमा अवधि में दिनांक 05.09.2012 को अन्य वाहन चालक की लापरवाही से दुर्घटना में उसका बीमित वाहन क्षतिग्रस्त हो गया जिसकी पुलिस को तत्काल सूचना दी गई जिसनें अनुसंधान के बाद अन्य वाहन ट्रक एच.आर. 68 ए. 5122 के चालक विरूद्ध चार्जशीट पैश कर दी। विपक्षी बीमा कम्पनी ने स्पोट सर्वे कराया तथा विपक्षी कम्पनी के निर्देश पर वाहन की मरम्मत टाटा कम्पनी के अधिकृत सर्विस सेन्टर (जिंदल मोटर्स देवली) पर कराई गई जिस पेटे 43,596/- रूपये अदा किए गये इसके अलावा लोड बोडी खत्म हो जाने के कारण नयी हाईडेक लोड बोडी एल.पी.टी. 407 व बाई तरफ की फाटक के पेटे कुल 46,500/- रूपये शमीम डेन्टिग एवं वेल्डिंग वक्र्स देवली को दिये गये दुर्घटना स्थल से जिंदल मोटर्स देवली तक वाहन को ले जाने के खर्चे पेटे सफारी क्रेन सर्विस को 4,800/- रूपये दिए गये तथा विपक्षी कम्पनी के निर्देश पर उनके सर्वेयर विजय कुमार को 1,820/- अदा किए गये। इस प्रकार दुर्घटना के फलस्वरूप बीमित वाहन में हुई क्षति की मरम्मत व खर्चे पेटे कुल 1,36,716/- रूपये परिवादी ने खर्च किए इसका क्लेम सभी औपचारिकताऐं पूरी करके दस्तावेजात सहित विपक्षी कम्पनी को भेजा गया विपक्षी कम्पनी नें पत्र दिनांक 31.03.2013 से गैरकानूनी रूप से क्लेम खारिज कर दिया। जिससे उसे आर्थिक नुकसान के साथ-साथ  मानसिक संताप भी हुआ। 
    विपक्षी कम्पनी के जवाब का सार है कि परिवादी से बीमित वाहन की दुर्घटना की सूचना मिलने पर तत्काल विपक्षी कम्पनी ने अपने सर्वेयर से उसका स्पोट सर्वे कराया तथा क्लेम प्रस्तुत होने पर सर्वेयर नीरज कुमार बंसल से फाईनल सर्वे भी कराया था लेकिन परिवादी नें क्लेम फार्म में ओवरराईटिंग/ करेक्शन/कटिंग करते हुए महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया। वाहन का उपयोग खतरनाक एवं मानव जीवन के लिए घातक माल के परिवहन के लिए किया जा रहा था जिस बाबत आवश्यक फिटनेस व डाईविंग लाईसेंस वक्त दुर्घटना नही होने से मोटर वाहन कानून एवं बीमा शर्तो का उल्लघंन किया गया। वक्त दुर्घटना वाहन में निर्धारित क्षमता से अधिक माल का परिवहन किया जा रहा था। दुर्घटना के वक्त वाहन में डाईवर के अलावा छः व्यक्ति बैठे थे जो मोटर वाहन कानून का उल्लघंन है। इसलिए बीमा शर्तो व मोटर वाहन कानून का उल्लघंन होने से परिवादी का क्लेम सही खारिज किया गया सेवा में कोई कमी नही की। 
    परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा विपक्षी कम्पनी को दी गई सूचना, प्रथम सूचना रिपोर्ट, वाहन मरम्मत एंव खर्चे से सम्बन्धित बिल, विपक्षी कम्पनी द्वारा क्लेम खारिज करने के पत्र, बीमा पाॅलिसी आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की है। विपक्षी कम्पनी ने साक्ष्य में प्राधिकृत अधिकारी सुरेन्द्र के. विजयवर्गीय के शपथ-पत्र के अलावा बीमा पाॅलिसी की शर्तो, प्रथम सूचना रिपोर्ट, क्लेम फार्म आदि दस्तावेजात की प्रति प्रस्तुत की है। 
    हमने विचार किया।
    इस बारे में विवाद की स्थिति नही है कि परिवादी का बीमित वाहन बीमा अवधि में दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हुआ जिसकी तत्काल परिवादी नें पुलिस के साथ-साथ विपक्षी कम्पनी को सूचना दी। विपक्षी कम्पनी ने स्पोट सर्वे के अलावा अपने सर्वेयर से क्षति का फाईनल आंकलन कराया लेकिन परिवादी को वाहन क्षति क्लेम का भुगतान करने के बजाय उसे निरस्त करने का पत्र दिनांक 31.03.2013 भेजा जिसमें क्लेम खारिज करने का यह कारण बताया गया कि - ‘‘प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार दुर्घटना के समय वाहन में डाईवर के अलावा छः यात्री बैठे थे जबकि क्लेम फार्म में केवल तीन व्यक्ति होना बताया है इस प्रकार सारभूत तथ्यों के बारे में गलत सूचना दी गई‘‘। 
    प्रश्न उठता है कि क्या उक्त कारण से क्लेम खारिज करके विपक्षी कम्पनी ने सेवा में कमी की है ?
    हम पाते है कि केवल क्लेम फार्म में दुर्घटना के वक्त वाहन में बैठे व्यक्तियों की संख्या सात के बजाए तीन अंकित करने मात्र से बीमा पाॅलिसी की किसी शर्त या किसी कानून का उल्लघंन नही हुआ। यह भी उल्लेखनीय है कि वक्त दुर्घटना बीमित वाहन में ड्राईवर के अलावा अन्य छ‘ व्यक्ति बैंठे होने से दुर्घटना का कोई सम्बन्ध नही है अपितु प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार अन्य वाहन ट्रक के चालक की ही एक मात्र लापरवाही से दुर्घटना हुई थी तथा उसके विरूद्ध ही पुलिस ने जांच के उपरांत चार्जशीट पेश की थी। ऐसी स्थिति में उक्त कारण से विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के बीमित वाहन की क्षति का क्लेम खारिज करके निश्चित रूप से सेवा में कमी की गई है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय नें बी.वी. नागराजू बनाम मै0 ओरियन्टल इन्श्योरेंस क0लि0 ए.आई.आर. 1996 एस.सी. 2054 में भी यही व्यवस्था दी है कि वाहन में दुर्घटना के वक्त व्यक्तियों का यात्रा कराना वाहन का अनियमित उपयोग हो सकता है लेकिन यह बीमा पाॅलिसी के सम्बन्ध में ऐसा मोलिक शर्त भंग नही माना जा सकता कि उससे बीमा संविदा ही समाप्त हो जाये क्योंकि न तो वह व्यक्ति दुर्घटना होने के लिए जिम्मेदार थे न ही वाहन क्षति के जोखिम में उनका अंशदान था। प्रस्तुत मामले में यह दृष्ठांत भलीभांति लागू होता है इस दृष्ठांत में राज्य उपभोक्ता आयोग ने बीमा कम्पनी के सर्वेयर की क्षति आंकलन के अनुसार बीमित वाहन के स्वामी को क्लेम अदायगी के लिए बीमा कम्पनी को उत्तरदायी माना जिसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सही ठहराया गया। 
    प्रस्तुत मामले में यद्यपि विपक्षी कम्पनी ने परिवादी के वाहन की क्षति के आंकलन के सम्बन्ध में अपने सर्वेयर से जांच कराई लेकिन उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत नही की है। हम पाते है कि परिवादी विपक्षी कम्पनी के सर्वेयर की जांच रिपोर्ट के अनुसार अपने बीमित वाहन की क्षति का क्लेम पाने का अधिकारी है तथा यदि उसे तर्कसंगत नही पाता है तब चुनौती देने के लिए भी स्वतंत्र है। 
    अतः विपक्षी बीमा कम्पनी को निर्देश दिये जाते है कि परिवादी के बीमित वाहन की क्षति के सम्बन्ध में सर्वेयर से कराये गये आंकलन की प्रति परिवादी को रजिस्टर्ड डाक से भेजते हुए उसके अनुसार तत्काल क्लेम का भुगतान उसी रिपोर्ट के साथ जरिए चैक उस राशि पर परिवाद प्रस्तुत होने की तिथि 24.01.2014 से भुगतान करने तक 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित दो माह के अन्दर परिवादी को भेजा जावे इसके अलावा मानसिक संताप एवं परिवाद व्यय के पेटे पृथक से 5,000/- रूपये की अदायगी भी परिवादी को की जावे। परिवादी को स्वतंत्रा है कि वह सर्वेयर की रिपोर्ट को विधिनुसार चुनौती दे सकता है। 
    आदेश खुले मंच में सुनाया गया। पत्रावली फैसल शुमार होकर रिकार्ड में जमा हो। 

विष्णु कुमार गुप्ता          किरण चैरसिया        भगवानदास खण्डेलवाल
   (सदस्य)                  (सदस्या)                 (अध्यक्ष)
    

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.