Uttar Pradesh

Barabanki

08/14

Mohan Lal - Complainant(s)

Versus

National Ins. Co. Ltd. - Opp.Party(s)

06 Dec 2022

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।
         उपस्थितः माननीय श्री मो0 रईस सिद्दीकी, अध्यक्ष
                   माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य
          माननीय डाॅ0 शिव कुमार त्रिपाठी, सदस्य
परिवाद संख्याः 08/2014
मोहन लाल उम्र करीब 35 वर्ष पुत्र उमाशंकर निवासी ग्राम व पोस्ट बड्डूपुर तहसील फतेहपुर जिला-बाराबंकी।
.....................परिवादी,
बनाम
1. नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लि0 कार्यालय पता नाका सतरिख निकट पेट्रोल पम्प फैजाबाद रोड, बाराबंकी द्वारा प्रबंधक।
2. नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लि0 डिवीजनल कार्यालय XV8 इन्डिया इक्सचेन्ज प्लेस प्रथम फ्लोर नेशनल इन्श्योरेन्स बिल्डिंग कलकत्ता 700001 द्वारा प्रबंधक।
3. मैग्मा फिनकार्प लि0 एम0 सी0 ए0 बिल्डिंग 13 महाराण प्रताप मार्ग लखनऊ द्वारा प्रबंधक।
 
...............विपक्षीगण,
परिवादिनी की ओर से-श्री चन्द्रेश कुमार, एडवोकेट
विपक्षी संख्या-01 व 02 की ओर से-श्री शैलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, एडवोकेट
विपक्षी संख्या-03 की ओर से-श्री अनुराग शुक्ला, एडवोकेट
दिनांकः 06.12.2022
मो0 रईस सिद्दीकी, अध्यक्ष
निर्णय
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्व धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत कर ट्रक की बनवाई रू0 2,04,500/-मय 18 प्रतिशत ब्याज तथा मानसिक सामाजिक आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 50,000/-एवं परिवाद व्यय व अधिवक्ता शुल्क रू0 11,000/- दिलाये जाने का अनुतोष चाहा है।
संक्षेप में परिवादी ने अपने परिवाद में मुख्य रूप से अभिकथन किया है कि परिवादी ने एक किता ट्रक रजिस्ट्रेशन संख्या यू0 पी0 41 टी 2339 मैग्मा फिन कार्प लि0 लखनऊ से वित्तीय सहायता प्राप्त कर क्रय किया था। उक्त ट्रक का बीमा विपक्षी संख्या-03 फाइनेन्स कम्पनी के माध्यम से विपक्षी संख्या-02 के पैकेज पालिसी के माध्यम से कम्प्रीहेन्सिव कराया था जिसकी पालिसी संख्या-150100/31/11/63000547032 है। पालिसी दिनांक 14.03.2012 से 13.03.2013 तक वैध एवं प्रभावी था। उपरोक्त ट्रक ओमकार पुत्र नौमी लाल चला रहा था। परिवादी का ट्रक दिनांक 11.03.2013 को गुड़ लेकर जा रहा था समय लगभग 11.20 पी.एम. पर अंतर्गत थाना सकरन जिला सीतापुर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसकी रिपोर्ट दिनांक 12.01.2013 को थाना सकरन जिला सीतापुर में दर्ज करायी गई एवं दुर्घटना की सूचना विपक्षीगण को दिया। दुर्घटना में ट्रक पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो गई थी। परिवादी की सूचना पर विपक्षी ने क्षतिग्रस्त वाहन का सर्वे भी तत्काल कराया। परिवादी ने समस्त कागजात आर0 सी0, बीमा, ड्राइविंग लाइसेन्स, पुलिस रिपोर्ट फिटनेस, परमिट, कागजात की छाया प्रति सर्वेयर को दिया। दुर्घटनाग्रस्त वाहन का विपक्षीजन के आश्वासन पर परिवादी ने अयूब बाडी मेकर बिस्वा सीतापुर के यहाॅ मरम्मत कराया जिसमे रू0 2,04,500/-व्यय हुआ। परिवादी ने वाहन से संबंधित समस्त प्रपत्र सर्वेयर को उपलब्ध करा दिया था। परिवादी विपक्षी संख्या-01 व 03 के कार्यालय चक्कर लगाता रहा परन्तु उसे क्लेम का भुगतान नहीं किया गया। विपक्षी संख्या-03 से परिवादी अगस्त 2013 में पूछताछ किया तो उन्होंने कहा कि मेरा टाइअप समाप्त हो गया है अब मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है। परिवादी परेशान होकर विपक्षी संख्या-02 व 03 हेतु अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक 10.09.2013 को लीगल नोटिस भेजी जिसके जबाब में विपक्षी संख्या-02 द्वारा प्रेषित पत्र में अवगत कराया गया कि हमसे आपने बीस प्रतिशत एन0 सी0 बी0 का लाभ लिया है इस लिये आपका क्लेम क्यों न निरस्त कर दिया जाय। विपक्षी संख्या-02 द्वारा दिनांक 29.10.2013 को परिवादी का क्लेम निरस्त कर दिया जिससे परिवादी को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः परिवादी ने उक्त अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।
परिवादी के तरफ से दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में सूची दिनांक 04.01.2014 से (1) वाहन का पंजीयन प्रमाण पत्र की छाया प्रति (2) मालयान परमिट की छाया प्रति (3) लीगल नोटिस दिनांक 10.09.2013 की छाया प्रति (4) पत्र दिनांक 05.09.2013 की छाया प्रति (5) पत्र दिनांक 29.10.2013 की छाया प्रति (6) सर्वे रिपोर्ट दिनांक 27.03.2013 की छाया प्रति 04 वर्क (7) परिवादी द्वारा प्रेषित पत्र की छाया प्रति (8) जी0 डी0 नकल की छाया प्रति (9) ड्राइविंग लाइसेन्स की छाया प्रति दाखिल किया है। परिवादी ने दूसरी सूची से (1) पाॅच बिल दिनांक 02.03.2013 की छाया प्रति (2) दिनांक 03.03.2013 की एक बिल की छाया प्रति (3) बिल दिनांक 13.01.2013 की छाया प्रति दाखिल किया है। 
विपक्षी संख्या-01 व 02 द्वारा वादोत्तर दाखिल करते हुये परिवाद पत्र की धारा-1 से 18 को इंकार किया है। अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि ट्रक संख्या-यू0 पी0 41 टी-2339 जो विपक्षी संख्या-03 मैग्मा फिन कारपोरेशन लि0 लखनऊ से एच.पी.ए. था, का बीमा विपक्षी संख्या-02 नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी द्वारा पाॅलिसी संख्या-150100/31/11/6300054703 के द्वारा बीमा वैधता अवधि 14.03.2012 से 13.03.2013 हेतु करवाया था। विपक्षी संख्या-02 द्वारा उपरोक्त बीमा पालिसी के अंतर्गत क्लेम की सूचना प्राप्त होते ही अविलम्ब करार्यवाही करते हुये कथित दुर्घटना वाहन का सर्वे करवाया। श्री विनोद सिंह पाल ने अपनी रिपोर्ट दिनांक 27.03.2013 में बीमा पालिसी की टर्मस व कंडीशन्स के अधीन बीमा दायित्व रू0 57,500/-का अंकित किया। विपक्षी संख्या-02 ने परिवादी व विपक्ष्ी संख्या-03 मैग्मा फिनकार्प लि0 को पत्र दिनांक 03.09.2013 द्वारा बीमा क्लेम के दौरान पाई गई कमियों के बारे में पन्द्रह दिन में अपना पक्ष रखने हेतु अनुरोध किया। विपक्षी संख्या-03 द्वारा पत्र का कोई उत्तर नहीं दिया गया। प्रश्नगत पत्र के अनुसार पालिसी की नियम व शर्तो के अनुसार दावा दिनांक 24.10.2013 को नो क्लेम करते हुये परिवादी को सूचना उपलब्ध करा दिया गया। बीमा करवाते समय ट्रान्सफर केस होने की बात विपक्षी संख्या-02 से अनुचित लाभ प्राप्त करने की बदनीयती से छिपाते हुये 20 प्रतिशत नो क्लेम बोनस प्राप्त किया गया। विपक्षी संख्या-01 को अनावश्यक पक्षकार बनाया गया है। प्रश्नगत वाहन कामर्शिलय है तथा वाणिज्यक प्रयोजन से उपयोग किया जा रहा है। परिवाद में पक्षकार के असंयोजन का दोष है अतः परिवाद पोषणीय न होने के कारण निरस्त किये जाने योग्य है। विपक्षी संख्या-01 व 02 ने वादोत्तर के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया है। 
विपक्षी संख्या-02 व 03 द्वारा सूची से (1) बीमा प्रमाण पत्र की छाया प्रति (2) न्यू इंडिया इंश्योरेन्स पालिसी का ट्रान्सफर पालिसी डाक्यूमेन्ट की छाया प्रति (3) नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लि0 का पत्र दिनांक 03.09.2013 की छाया प्रति (4) नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लि0 का पत्र दिनांक 25.02.2013 की छाया प्रति (5) मोटर फाइनल सर्वे दिनांक 27.03.2013 की छाया प्रति (6) बीमा पालिसी की नियम व शर्तो की छाया प्रति दाखिल किया है। दूसरी सूची से जी. आर. की छाया प्रति दाखिल किया है। 
विपक्षी संख्या-03 द्वारा वादोत्तर दाखिल करते हुये परिवाद पत्र की धारा-1 से 14 को इंकार किया है। यह भी कथन किया है कि वांछित अनुतोष का प्रत्यक्ष सम्बन्ध विपक्षी संख्या-01 व 02 से है इससे उत्तरदाता का कोई संबंध नहीं है। परिवादी को वित्तीय सहायता ऋण के रूप में दिया गया था। वाहन स्वामी के रूप में परिवादी ने अपने वाहन का बीमा करवाया था परिवादी का सीधा सम्बन्ध बीमा कम्पनी से है। परिवादी का खाता बन्द कर अनापत्ति प्रमाण पत्र दिनांक 29.04.2013 को जारी किया गया है। परिवादी उपभोक्ता की परिधि में नहीं आता अतः परिवाद निरस्त किये जाने की याचना की गई है। विपक्षी संख्या-03 ने वादोत्तर के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया है। 
परिवादी ने साक्ष्य शपथपत्र व लिखित बहस दिनांक 13.08.2022 को दाखिल किया है।
विपक्षी संख्या-01 व 02 ने अपनी लिखित बहस दिनांक 18.11.2022 दाखिल किया है।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्क सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों का परिशीलन किया। उभय पक्षों को परिवादी के वाहन का यू0 पी0 41 टी 2339 का बीमा किया जाना स्वीकार है। यह भी स्वीकार है कि दिनांक 14.03.2012 से 13.03.2013 की अवधि तक बीमा वैध एवं प्रभावी था। दिनांक 11.01.2013 को दुर्घटना कारित होना भी उभय पक्षों को स्वीकार है। पक्षों को यह भी स्वीकार है कि दुर्घटना ग्रस्त वाहन् का सर्वे श्री विनोद सिंह पाल द्वारा किया गया जिन्होंने दिनांक 27.03.2013 को अपनी रिपोर्ट कम्पनी को सौपी। 
प्रश्नगत प्रकरण में मुख्य रूप से यह विवाद है कि परिवादी के कथनानुसार उसके वाहन की मरम्मत में रू0 2,04.500/-का व्यय हुआ जबकि विपक्षी बीमा कम्पनी का यह अभिकथन है कि सर्वेयर द्वारा अपनी आख्या में रू0 57,500/-का दायित्व निर्धारित किया है जिस पर कुछ बिन्दुओं के निस्तारण के संबंध में परिवादी को पत्र प्रेषित किया गया था परन्तु परिवादी द्वारा तय समय में पत्र का उत्तर नहीं दिया गया जिसके कारण उसके क्लेम को निरस्त कर दिया गया। परिवादी द्वारा सर्वेयर की रिपोर्ट के विरूद्व ऐसा कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया है जिससे सर्वेयर की रिपोर्ट को खंडित किया जा सके। अतः परिवादी, विपक्षी बीमा कम्पनी से सर्वेयर के रिपोर्ट के आधार पर इंगित धनराशि रू0 57,500/-पाने का अधिकारी है। परिवाद विपक्षी संख्या-01 व 02 के विरूद्व इसी आशय का आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य पाया गया। 
आदेश
परिवाद संख्या-08/2014 आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या-01 व 02 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को बीमा धनराशि रू0 57,500/-(रू0 सत्तावन हजार पाॅच सौ) तथा उस पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 18.01.2014 से अदायगी की तिथि तक छह प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित तथा वाद व्यय के रूप में रू0 2,000/-(रूपये दो हजार) निर्णय की तिथि से पैतालिस दिन में अदा करें। विपक्षी संख्या-03 के विरूद्व परिवाद निरस्त किया जाता है। 
 
(डाॅ0 एस0 के0 त्रिपाठी)           (मीना सिंह)         (मो0 रईस सिद्दीकी)
सदस्य                             सदस्य                     अध्यक्ष
यह निर्णय आज दिनांक को  आयोग  के  अध्यक्ष  एंव  सदस्य द्वारा  खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
 
 (डाॅ0 एस0 के0 त्रिपाठी)          (मीना सिंह)            (मो0 रईस सिद्दीकी)
सदस्य                         सदस्य                    अध्यक्ष

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