Uttar Pradesh

Barabanki

CC/118/2017

Renu Bajpai - Complainant(s)

Versus

National Ins. Co. Ltd. etc. - Opp.Party(s)

Vivek Srivastav

22 Jul 2023

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।

परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि       13.10.2017

अंतिम सुनवाई की तिथि            17.07.2023

निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि  22.07.2023

परिवाद संख्याः 118/2017

श्रीमती रेनू बाजपेयी पत्नी स्व0 श्री कृपाशंकर बाजपेयी ग्राम व पोस्ट-बड़ागांव परगना व तहसील नवाबगंज जिला-बाराबंकी

द्वारा-श्री विवेक श्रीवास्तव, अधिवक्ता

बनाम

1. शाखा प्रबंधक नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड शाखा कार्यालय फैजाबाद रोड नाका सतरिख परगना व तहसील

    नवाबगंज जिला-बाराबंकी।

2. प्रबंधक, नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लि0 पंजीकृत कार्यालय 3, मिडिलटाउन स्ट्रीट कोलकाता-700071

...............विपक्षीगण,

समक्षः-

माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष

माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य

माननीय श्री एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य

उपस्थितः परिवादिनी की ओर से -श्री विवेक श्रीवास्तव, अधिवक्ता

             विपक्षीगण की ओर से-श्री शैलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, अधिवक्ता

द्वारा -संजय खरे, अध्यक्ष

निर्णय

            परिवादिनी ने यह परिवाद, विपक्षी के विरूद्व अंतर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत कर विपक्षी से बीमा पॉलिसी के अंतर्गत देय रू0 1,00,000/-दावा क्लेम की तिथि से दस प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित तथा मानसिक, सामाजिक एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति रू0 3,00,000/-तथा परिवाद व्यय व अधिवक्ता शुल्क रू0 11,000/-दिलाये जाने का अनुतोष चाहा है।

            परिवादिनी ने परिवाद में अभिकथन किया है कि विपक्षीजन के यहां से निर्गत वाहन संख्या-यू0 पी0-41 जी 7580 में वह नामिनी है। परिवादिनी को बतौर नामिनी भारतीय जीवन बीमा निगम की पालिसी में दुर्घटना में मृत्यु के आधार पर सम्पूर्ण धनराशि का भुगतान प्राप्त हो चुका है। जबकि उसी दुर्घटना के अंतर्गत विपक्षीजनो द्वारा अत्यधिक समय परिवादिनी के सी.पी.ए. दावा संख्या-45030334567980000044 के निस्तारण हेतु जो भी प्रपत्र माँगे गये वह उपलब्ध कराने के बावजूद विधि विरूद्व तरीके से दावा निरस्त करने की सूचना दिनांक 19.07.2017 के माध्यम से विपक्षी संख्या-01 द्वारा दी गई जिसके कारण परिवादिनी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः परिवादिनी ने उक्त अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।

            परिवादी ने सूची से बीमा प्रमाण पत्र, अंतिम रिपोर्ट, उत्तराधिकार प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, पी.ए. क्यू प्रमाण पत्र दो वर्क, प्रथम सूचना रिपोर्ट, पंचनामा, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, परिवार रजिस्टर नकल, वाहन पंजीयन प्रमाण पत्र, ड्राईविंग लाइसेन्स, पत्र दिनांक 19.07.2017, 12.04.2020, 27.06.2020, 06.10.2020 तथा परिवादिनी का प्रार्थना पत्र दिनांक 12.02.2016, 29.09.2016, 26.10.2016, 27.11.2016,28.12.2016, 14.06.2017, 13.04.2017, 24.04.2017, 05.05.2017, 03.07.2017   की छाया प्रति दाखिल किया है।

              विपक्षीगण द्वारा जवाबदावा दाखिल करते हुये कहा है कि विपक्षी उत्तरदाता द्वारा वाहन मोटर साइकिल यू0 पी0 41 क्यू 7580 का बीमा जरिये पालिसी सं0-450303/31/15/6700006259 के माध्यम से किया गया जो दिनांक 28.08.2015 से 27.08.2016 तक प्रभावी था। परिवादिनी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को कथित दुर्घटना में कृपाशंकर बाजपेयी की मृत्यु की सूचना दुर्घटना होने के 83 दिन बाद दी गई है जो पालिसी की शर्तो के विरूद्व है। दुर्घटना की तिथि 23.11.2015 समय लगभग रात 10 बजे की बतायी जाती है और प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 09.01.2016 को लिखाया जाता है। विपक्षी द्वारा कई पत्र प्रेषित कर सूचना देर से दिये जाने तथा रिपोर्ट देर से लिखाये जाने का कारण पूछा गया परन्तु उत्तर नहीं दिया गया। दिनांक 19.07.2017 को परिवादिनी का दावा निरस्त कर दिया गया। परिवादिनी किसी भी अनुतोष को पाने की अधिकारी नहीं है। अतः परिवाद को निरस्त किये जाने की याचना की गई है।

                  परिवादिनी ने साक्ष्य तथा अपनी लिखित बहस प्रस्तुत की है।

                  विपक्षीगण ने अपनी लिखित बहस प्रस्तुत की है।

                  उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गई तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया।

            वर्तमान प्रकरण में प्रस्तुत परिवाद पत्र, जवाबदावा, उभयपक्षों द्वारा प्रस्तुत अभिलेखीय साक्ष्य तथा लिखित/मौखिक बहस से स्पष्ट है कि परिवादिनी श्रीमती रेनू बाजपेयी के पति श्री कृपाशंकर बाजपेयी की दिनांक 23.11.2015 को रात लगभग 10 बजे सफेदाबाद हाइवे सरथरा के पास अज्ञात वाहन द्वारा कृपाशंकर की मोटर साईकिल में टक्कर मारने से दुर्घटना में आई चोटों के परिणामस्वरूप मृत्यु हुई। दुर्घटनाग्रस्त मोटर साईकिल संख्या-यू0 पी0 41 जी 7580 दिनांक 28.08.2015 से 27.08.2016तक विपक्षी नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड से बीमित थी। इस बीमा में वाहन स्वामी/चालक के व्यक्तिगत दुर्घटना का रू0 1,00,000/-का बीमा किया गया था। परिवादिनी के पति कृपाशंकर की मार्ग दुर्घटना में मृत्यु के आधार पर परिवादिनी ने विपक्षी के समक्ष रू0 1,00,000/-भुगतान हेतु दुर्घटना बीमा क्लेम दिनांक 12.02.2016 को प्रस्तुत किया जिसकी विपक्षी की शाखा बाराबंकी में प्राप्ति मुहर दिनांक 15.02.2016 की अंकित है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादिनी का बीमा क्लेम निम्न लिखित आधारों पर दिनांक 19.07.2017 के पत्र से अस्वीकार कर दिया हैः-

1. मालिक/चालक की मृत्यु संबंधित सूचना कार्यालय में मृत्यु से 83 दिनो बाद दिनांक 15.02.2016 को प्राप्त हुई जबकि, सूचना घटना के तुरन्त बाद ही दी जानी चाहिये, जो पालिसी के नियमों एवं शर्तो के विपरीत है।

2. मालिक/चालक के मृत्यु के 42 दिनो बाद प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 09.01.2016 को लिखाई गई है। विवेचक द्वारा विवेचना पश्चात अंतिम रिपोर्ट दुर्घटना कारित करने वाले वाहन व उसके चालक का पता न लगने के आधार पर जांच समाप्त करते हुये प्रस्तुत की गई है, जिसके आधार पर बीमा कम्पनी ने अंकित किया है कि वास्तव में दुर्घटना किसी वाहन से हुई अथवा किसी अन्य कारण से हुई, यह स्पष्ट नहीं है।

            उपरोक्त आधारों पर विपक्षी द्वारा बीमा क्लेम अस्वीकार करने के पत्र में यह अंकित किया है कि यह स्पष्ट नहीं है कि मृत्यु का कारण सड़क दुर्घटना है। निष्कर्ष में अंकित किया गया है कि दावा पालिसी के नियमो व शर्तो का अनुपालन न करने के कारण दावा निरस्त किया जाता है।

            विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी के मृतक पति का बीमा क्लेम निस्तारित करने में यह आधार अंकित किया गया कि मालिक/चालक की मृत्यु के 42 दिनों बाद प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाई गई है। परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत अभिलेखीय साक्ष्य प्रति पंचायतनामा के अवलोकन से स्पष्ट है कि मृतक कृपाशंकर के शव का पंचायतनामा थाना कोतवाली नगर, बाराबंकी की पुलिस द्वारा दिनांक 24.11.2015 को किया गया है। पंचायतनामा में अंकित विवरण से यह स्पष्ट है कि थाने में मृत्यु की सूचना दिनांक 24.11.2015 को रात्रि 1.00 बजे प्राप्त हुई है। थाने में सूचना जिला अस्पताल के वार्ड व्वाय शिव शंकर द्वारा देना, पंचायतनामें में अंकित है। पंचायतनामे में 5 पंचान/गवाहो में से क्रम संख्या-01 पर मृतक कृपा शंकर के पुत्र अंकित बाजपेयी है, क्रम संख्या-02 पर अंशुमान मृतक के भतीजा, क्रम संख्या-3 पर अमित कुमार मृतक के साले तथा शेष क्रम संख्या-4 व 5 पर अंकित नवीन शुक्ला व प्रवीन शुक्ला का भी मृतक के रिश्तेदार होना अंकित है। यह पंचायतनामा जिला चिकित्सालय, बाराबंकी की मार्चरी से शव को बाहर निकालकर पंचान के समक्ष तैयार किया गया है। मृतक के सिर के पीछे गर्दन के ऊपर घाव का निशान होना और उससे खून बहना अंकित है। मृतक की नाक से खून आना भी अंकित है। राय पंचान में मृतक कृपा शंकर बाजपेयी की मृत्यु किसी अज्ञात वाहन से आई चोटों के कारण होना अंकित किया गया है फिर भी मृत्यु का कारण सही जानने के लिये पोस्टमार्टम करवाने की राय दी गई है। पुलिस उप निरीक्षक की राय में भी कृपाशंकर बाजपेयी की मृत्यु अज्ञात वाहन से आई चोटो के कारण होना अंकित है। पंचायतनामा पश्चात शव को सील सर्व मुहर करके पोस्टमार्टम के लिये भेजा गया है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रति संलग्न है जिसके अवलोकन से विदित है कि पोस्टमार्टम दिनांक 24.11.2015 को दिन 2 बजकर 30 मिनट पर पूरा हुआ है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सर पर पीछे की ओर दायीं तरफ चोट होना तथा सीने पर भी दाहिने तरफ चोट होना अंकित है। फोटोनाश चित्र में भी इन दोनो चोटो को सर के पिछले भाग दाहिनी ओर तथा सीने पर दाहिनी ओर दर्शाया गया है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के निष्कर्ष में मृत्यु पूर्व आई चोटो के कारण मृत्यु होना अंकित है। पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का संभावित समय लगभग आधे दिन से एक दिन के मध्य होना अंकित है। पोस्टमार्टम में अंकित मृत्यु का समय भी परिवादिनी द्वारा कृपाशंकर बाजपेयी की मृत्यु होने के बताये गये समय की पुष्टि करता है। उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि पुलिस को मृत्यु की सूचना दिनांक 24.11.2015 को रात्रि 1.00 बजे ही जिला अस्पताल के वार्ड व्वाय द्वारा सूचना देने पर हो गई थी और दिनांक 24.11.2015 को दिन में पंचायतनामे, पोस्टमार्टम होने पर पुलिस को यह भी जानकारी हो गई कि कृपाशंकर की मृत्यु किसी अज्ञात वाहन द्वारा टक्कर लगने से आई चोटो के परिणामस्वरूप हुई है। किसी वाहन चालक द्वारा वाहन को लापरवाही से चलाते हुये किसी अन्य को टक्कर मारकर चोट पहुंचाना या मृत्यु कारित करना धारा-304 ए भारतीय दंड संहिता में संज्ञेय अपराध है। पुलिस को जैसे ही मार्ग दुर्घटना में आई चोटो के फलस्वरूप कृपाशंकर के मृत्यु होने की जानकारी दिनांक 24.11.2015 को हुई थी, यह जानकारी ही पुलिस द्वारा दुर्घटना के संबंध में विवेचना करने के लिये प्रथम सूचना है। पुलिस को यह सूचना मिलने के पश्चात् स्वयं ही दुर्घटना की जांच यदि घटना स्थल कोतवाली बाराबंकी के क्षेत्राधिकार में आता था तो, कोतवाली बाराबंकी की पुलिस द्वारा कर देना चाहिये था और यदि किसी अन्य थाने के क्षेत्राधिकार में आता था तो उक्त थाने को सूचना देकर उसकी जांच करायी जानी चाहिये थी। पत्रावली पर प्रस्तुत प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति के अवलोकन से विदित है कि मृतक कृपाशंकर के पुत्र अंकित कुमार बाजपेयी द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट थाने पर दिनांक 09.01.2016 को कराई गई है। यही अंकित बाजपेई पंचायतनामे का पंचान/गवाह क्रम संख्या-01 है। जब पंचायतनामे में यह तथ्य पुलिस की कार्यवाही में आ गया कि मार्ग दुर्घटना में आई चोटो से कृपाशंकर की मृत्यु हुई है ऐसी स्थिति में लिखित प्रथम सूचना रिपोर्ट थाने पर देना महज एक औपचारिकता है। इन परिस्थितियों में अंकित बाजपेयी द्वारा लिखित प्रथम सूचना रिपोर्ट देने की औपचारिकता यदि 42 दिन बाद भी पूरी की गई है तो उसका कोई विपरीत प्रभाव कृपाशंकर की मृत्यु मार्ग दुर्घटना में किसी अज्ञात वाहन द्वारा टक्कर मारने के परिणामस्वरूप होने के तथ्य की सत्यता पर नहीं पड़ता है। क्योंकि, अज्ञात वाहन द्वारा ही टक्कर मारने की चोटो के परिणामस्वरूप कृपाशंकर की मृत्यु होना पंचायतनामे में अंकित है और यही तथ्य 42 दिन बाद लिखायी गई प्रथम सूचना रिपोर्ट में भी अंकित है। यदि घटना के तथ्यो के संबंध में कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट में परिवर्तन होता तो निश्चित रूप से उक्त परिवर्तन पर आपत्ति हो सकती थी परन्तु तथ्य में कोई परिवर्तन न होने से प्रथम सूचना रिपोर्ट देरी से लिखाये जाने का कोई विपरीत प्रभाव नहीं है। उपरोक्त तथ्यों के परिपेक्ष्य में प्रथम सूचना रिपोर्ट देरी से लिखाया जाना मार्ग दुर्घटना में मृत्यु होने के संबंध में कोई भ्रम उत्पन्न नहीं करता है।

            विपक्षी बीमा कम्पनी ने वर्तमान प्रकरण में बीमा क्लेम प्रस्तुत होने पर सर्वेयर से प्राप्त आख्या की प्रति प्रस्तुत नहीं की है। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा ऐसा कोई अभिलेखीय साक्ष्य, जैसे सर्वेयर की रिपोर्ट आदि, नहीं दाखिल किया गया है जिससे कृपाशंकर की अज्ञात वाहन द्वारा टक्कर होने के परिणामस्वरूप मृत्यु होने में कोई शंका उत्पन्न होती हो। दुर्घटना स्थल से अस्पताल लाने में जो युक्ति युक्त समय लगा होगा उसके दृष्टिगत मृत्यु की थाने पर अस्पताल से सूचना भी समय से प्रेषित की गई है। शव का पंचायतनामा व पोस्टमार्टम बिना देरी के किया गया है।

            प्रथम सूचना रिपोर्ट में अंकित है कि मोटर साइकिल क्षतिग्रस्त हो गई है। मोटर साइकिल का क्षतिग्रस्त होने का तथ्य भी मार्ग दुर्घटना होने की पुष्टि करता है। इसी मोटर साइकिल पर घटना की दिनांक को कृपाशंकर का बतौर चालक जाना साक्ष्य में अंकित है। उपरोक्त समस्त साक्ष्य के विवेचन से स्पष्ट है कि दिनांक 23.11.2015 को रात 10.00 बजे कृपाशंकर बाजपेयी के मोटर साइकिल पंजीयन संख्या-यू0 पी0-41 क्यू 7580 से अपने घर जाते समय सफेदाबाद हाइवे सरथरा के पास अज्ञात वाहन द्वारा टक्कर मारने से आई चोटो के फलस्वरूप मृत्यु हुई।

            ओम प्रकाश बनाम रिलायन्स जनरल इंश्योरेन्स कम्पनी एवं अन्य 2017, 9 एस सी सी 724 के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह विधि सिद्वान्त प्रतिपादित किया गया है कि सही बीमा क्लेम को केवल बीमा क्लेम देरी से प्रस्तुत करने के आधार पर बीमा कम्पनी द्वारा अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिये।

            वर्तमान प्रकरण में विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा बीमा क्लेम निरस्त करने में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि किस साक्ष्य के आधार पर बीमा कम्पनी इस निष्कर्ष पर पहुँची है कि कृपाशंकर की मृत्यु मार्ग दुर्घटना में आई चोटो से नहीं हुई या पोस्टमार्टम में जो चोटे कृपाशंकर के सिर व सीने पर पाई गई है उक्त चोटे मार्ग दुर्घटना में किसी अज्ञात वाहन के टक्कर मारने से नहीं आई।

            सम्पथ बनाम सुन्दरमूर्ति, सिविल प्रकीर्ण अपील संख्या-955/2019 में माननीय मद्रास उच्च न्यायालय के निर्णय दिनांक 14.02.2019 में यह विधि सिद्वान्त प्रतिपादित किया है कि यदि घटना के तथ्यों में कोई बनावटी, झूठे या मनगढ़न्त तथ्य नहीं है, तो यदि प्रथम सूचना रिपोर्ट देरी से भी लिखायी गई है तो ऐसे मामले में बीमा क्लेम प्रथम सूचना रिपोर्ट देरी से लिखाये जाने के आधार पर निरस्त नहीं किया जाना चाहिये।

            उपरोक्त साक्ष्य के विवेचन से यह स्पष्ट है कि कृपाशंकर की मृत्यु अज्ञात वाहन द्वारा टक्कर माने से मार्ग दुर्घटना में होने का तथ्य पंचायतनामा में प्रारम्भ से ही अंकित है। यही तथ्य प्रथम सूचना रिपोर्ट में भी अंकित है और परिवादिनी साक्ष्य में इन तथ्यों की पुष्टि की गई है। परिवादिनी के मौखिक तथा अभिलेखीय साक्ष्य में घटना के संबंध में कोई भी तथ्य बनावटी, झूठा व मनगढ़न्त होना सिद्व नहीं है। अतः प्रथम सूचना रिपोर्ट देरी से लिखाये जाने का कोई विपरीत प्रभाव बीमा क्लेम पर नहीं पड़ता है।

            परिवादिनी द्वारा कृपाशंकर के बीमा क्लेम प्रस्तुत करने पर विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी को दिनांक 27.06.2016, 06.10.2016 तथा 16.05.2016 को इस आशय के पत्र प्रेषित किये गये जिसमे परिवादिनी से सक्षम अधिकारी का उत्तराधिकार प्रमाण पत्र, मृत्यु की तिथि 23.11.2015 है या 24.11.2015 तथा बीमा क्लेम 83 दिन पश्चात देरी से प्रस्तुत किये जाने के संबंध में लिखित स्पष्टीकरण माॅगा गया है। जिसका अलग-अलग दिनांक में उत्तर परिवादिनी द्वारा दिया गया है। मृत्यु प्रमाण पत्र में कृपाशंकर की मृत्यु दिनांक 24.11.2015 को होना अंकित है। उत्तराधिकार प्रमाण पत्र में मृतक कपाशंकर के उत्तराधिकारियों में पत्नी, एक पुत्र तथा तीन पुत्री व मृतक की माता जीवित होना अंकित है। यह उत्तराधिकार प्रमाण पत्र उप जिलाधिकारी द्वारा केवल मृतक के उत्तराधिकारियों को जांच पर अंकित करते हुये जारी किया जाता है। साक्ष्य में केवल इसका इसी उद्देश्य से महत्व भी है। उत्तराधिकार प्रमाण पत्र में अंकित पत्नी, पुत्र, पुत्री, माता के अतिरिक्त मृतक का कोई और भी उत्तराधिकारी है, इस संबंध में विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।

            देरी के संबंध में परिवादिनी द्वारा बीमा कम्पनी को लिखे गये पत्र दिनांकित 12.02.2016 में यह स्पष्ट रूप से अंकित किया है कि अत्यंत दुःख के कारण दावा प्रस्तुत करने में विलम्ब हुआ। निश्चित रूप से परिवार के मुखिया की असामयिक मृत्यु होने पर परिवार दुखित होता है। साथ ही केवल सूचना देरी से देना और बीमा क्लेम देरी से प्रस्तुत करना ही बीमा क्लेम निरस्त करने का आधार नहीं हो सकता है।

            पूर्व के विवेचन से स्पष्ट है कि कृपाशंकर की मृत्यु मोटर साइकिल पर जाते समय अज्ञात वाहन द्वारा टक्कर मारने से मार्ग दुर्घटना में आई चोटो के परिणामस्वरूप होना पुष्ट हुई है। परिवादिनी ने बीमा क्लेम देरी से प्रस्तुत किये जाने का लिखित कारण भी अपने पत्र में स्पष्ट किया है।

            विपक्षी का यह तर्क कि लिखाई गई प्रथम सूचना रिपोर्ट के आधार पर पुलिस विवेचना में दुर्घटना कारित करने वाले वाहन का नम्बर व चालक का नाम पता न चलने के आधार पर पुलिस द्वारा अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। इस आधार पर विपक्षी बीमा कम्पनी का तर्क है कि अंतिम रिपोर्ट में भी टक्कर मारने वाले वाहन तथा उसके चालक का पता न लगने के कारण मार्ग दुर्घटना में चोटें आने से कृपाशंकर की मृत्यु होने के संबंध में शंका होना कहा है। मोटर साइकिल के बीमा में स्वामी/चालक के व्यक्तिगत दुर्घटना के अंतर्गत रू0 1,00,000/-तक का बीमा कवर्ड है। ऐसे बीमा क्लेम की प्राप्ति के लिये केवल वाहन के पंजीकृत स्वामी/चालक का मार्ग दुर्घटना में घायल होना या मृत्यु होना सिद्व किया जाना आवश्यक है। इस बीमा क्लेम के भुगतान के लिये टक्कर मारने वाले वाहन और उसके चालक का पता न चलने का कोई विपरीत प्रभाव बीमा क्लेम के स्वीकार किये जाने पर नहीं है क्योंकि, परिवादिनी के साक्ष्य से कृपाशंकर की मृत्यु घटना के समय अज्ञात वाहन द्वारा मोटर साइकिल में टक्कर मारने से आई चोटों के परिणामस्वरूप होना सिद्व होता है।

            उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षी का यह तर्क भी स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है कि कृपाशंकर की मृत्यु मोटर साइकिल पर जाते समय मार्ग दुर्घटना के अतिरिक्त किसी अन्य कारण से हुई हो।

            उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि परिवादिनी के पति कृपाशंकर की मृत्यु दिनांक 23.11.2015 की रात्रि 10.00 बजे मोटर साइकिल संख्या-यू0 पी0 41 क्यू 7580 से जाते समय स्थान सफेदाबाद के पास सरथरा में अज्ञात वाहन द्वारा टक्कर मारने के परिणामस्वरूप  आई चोटों के कारण हुई। जिससे स्पष्ट है कि विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा मृतक कृपाशंकर के मार्ग दुर्घटना में आई चोटो के परिणामस्वरूप मृत्यु के आधार पर परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत बीमा क्लेम को अस्वीकार कर विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में कमी कारित की गई है।

            परिवादिनी परिवाद सिद्व करने में सफल रहीं है। परिवादिनी बीमा क्लेम की धनराशि रू0 1,00,000/-परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से छः प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर से, मानसिक क्षतिपूर्ति के मद में रू0 5,000/- तथा वाद व्यय के मद में रू0 2,000/-प्राप्त करने की अधिकारिणी है। तद्नुसार परिवादिनी का वर्तमान परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।

आदेश

परिवाद संख्या-118/2017 अंशतः स्वीकार किया जाता है।

विपक्षी बीमा कम्पनी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को बीमा क्लेम की धनराशि रू0 1,00,000/-परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 13.10.2017 से अदायगी की तिथि तक 6% साधारण वार्षिक ब्याज की दर से, रू0 5,000/-मानसिक क्षतिपूर्ति तथा रू0 3,000/-वाद व्यय आदेश की तिथि से 45 दिवस के अन्दर अदा करें। समयान्तर्गत भुगतान न किये जाने की स्थिति में रू0 1,00,000/-पर 9% की दर से ब्याज देय होगा। 

(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

        सदस्य                      सदस्य               अध्यक्ष

यह निर्णय आज दिनांक को  आयोग  के  अध्यक्ष  एंव  सदस्य द्वारा  खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।

(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

        सदस्य                      सदस्य               अध्यक्ष

दिनांक 22.07.2023

 

 

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