जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्रीमति पत्तू वयस्क पत्नी श्री सीताराम , जाति- रेबारी, निवासी-ग्राम पोस्ट-माला वाया मसूदा, तहसील- मसूदा, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थिया
बनाम
1. ष्षाखा प्रबन्धक,नेषनल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, जालवाल सदन, चांग गेट बाहर, काॅलेज रोड, ब्यावर ।
2. वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक, नेषनल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, मण्डल कार्यालय, पटवार भवन, पंजाब नेषनल बैंक के उपर, कचहरी रेाड, अजमेर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 27/2014
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री ओम प्रकाष बारोलिया, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री जे.पी.ओझा, अधिवक्ता अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 16.08.2016
1. प्रार्थिया द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि
उसने बैंक आफ बडौदा ,षाखा किराप, तहसील-मूसदा, जिला-अजमेर से ऋण प्राप्त कर एक भैंस क्रय की । जिसका बीमा अप्रार्थी बीमा कम्पनी से जरिए बीमा पाॅलिसी संख्या 370702/47/13/9400000017 के दिनंाक 20.4.2013 से 19.4.2014 तक की अवधि के लिए करवाया और उसे टैग संख्या 16664 दिया । उक्त भैंस की दिनंाक 10.8.2013 को मृत्यु हो गई । जिसकी सूचना बैंक आफ बडौदा सहित अप्रार्थीगण को दी तथा मृत भैंस का पोस्टमार्टम राजकीय पषु चिकित्सालय, किराप में करवाया गया । तत्पष्चात् उसने समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम पेष किया । जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनांक 12.12.2013 के द्वारा इस आधार पर खारिज कर दिया कि जांचकर्ता द्वारा जांच किए जाने पर भैंस की मृत्यु होना स्पष्ट नहीं है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम खारिज करना सेवा में कमी का परिचायक बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थिया ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवाद का जवाब पेष कर प्रष्नगत भैंस का बीमा किया जाना व टैग जारी किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि बैंक द्वारा भैंस की दुर्घटना में मृत्यु होने की दिनंाक 22.08.2013 को सूचना प्राप्त होने पर श्री विनोद कुमार सर्वेयर से जांच कराई गई और सर्वेयर द्वारा की गई जांच के आधार पर बीमा क्लेम सहीं आधारों पर खारिज किया गया और इसमें उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी कारित नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में श्री सुरेन्द्र विजयवर्गीय तथा विनोद कुमार सर्वेयर के षपथपत्र पेष किए है ।
3. प्रार्थिया का तर्क रहा है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा उसकी बीमित भैंस के क्लेम को समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए भिजवाए जाने के बावजूद टैग के बाएं काने के स्थान पर दाएं काने में लगा होने को संदिग्ध मानते हुए जो क्लेम खारिज किया गया है वह उचित नहीं है । वास्तव में बीमित भैंस ही मरी थी जिसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट व गवाहों के बयानों से भी पुष्टि होती है ।
4. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने खण्डन में तर्क प्रस्तुत किया है कि मृत भैंस के लगा टैग बिल्कुल नया पाया गया व सर्वेयर द्वारा जांच दिए जाने के दौरान मृत पषु के दाहिने कान में टैग पाया गया है जो मृत्यु को संदिग्ध बना देता है । दावा सही रूप से खारिज किया गया है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुने हैं और पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
6. यह स्वीकृत तथ्य है कि मृत भैंस का बीमा अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां दिनंाक 20.4.2013 से 19.4.2014 तक के लिए कराया गया व टैग संख्या 16664 आवंटित किया गया । प्रार्थिया द्वारा भैंस की मौत दिनंाक 10.8.2013 को बताई गई है व इसका मौके पर उसकी उपस्थिति के अलावा ग्रामवासियों व पषु चिकित्सक श्री राहुल भार्गव की उपस्थिति में करवाया गया । मौत की पुष्टि प्रार्थिया के सषपथ कथनों के अलावा उसके पति छोटू राम के षपथपत्र, संरपंच, ग्राम पंचायत रायला, पंचायत समिति- मसूदा के प्रमाण पत्र के अलावा पोस्टमार्टम रिपोर्ट एवं पंचनामा जो दिनांक 10.8.2014 को तैयार किया गया है ,से भी होती है ।
7. अब विवाद मात्र मृत भैंस के कान में लगाए गए टैग बाबत् है । बीमा कम्पनी उक्त टैग मृत पषु के दाहिने कान में होना बताया है एवं इसका आधार उनके द्वारा नियुक्त सर्वेयर श्री विनोद कुमार की रिपोर्ट को बताया है । पत्रावली में उपलब्ध सर्वेयर की रिर्पोट जो दिनांक 28.9.2013 को तैयार की गई है तथा यह रिपोर्ट बीमा कम्पनी को बैंक द्वारा प्रार्थिया के क्लेम प्रस्तुत किए जाने के बाद दावे को अग्रेषित करते हुए प्रस्तुत किया गया है । स्पष्ट है कि सर्वेयर द्वारा मृत भैंस की तत्काल मृत्यु के बाद यह रिपोर्ट तैयार नहीं की गई है अपितु इसके अनुसार जांच के दौरान उसे प्रार्थिया द्वारा नई भैंस के टैग बाबत बताई गई स्थिति व मृत भैंस की फोटो में लगे दाएं कान को आधार मानते हुए अपना पक्ष कथन सिद्व करने का प्रयास किया गया हे । यहां यह उल्लेखनीय है कि मृत भैंस का दिनांक 10.8.2013 को पोस्टमार्टम किया गया है । जिसमें चिकित्सक ने गवाहों की मौजूदगी का टैग नं. 16664 बताया है । हां, यह अवष्य है कि यह किस कान में लगा हुआ था , के बारे में टिक मार्क नहीं करते हुए यह स्पष्ट नहीं किया है कि उक्त टैग दाएं कान में था अथवा बांए कान में था । इसके अलावा दावा फार्म जो बैंक द्वारा अग्रेषित किया गया है, में भी इसी चिकित्सक ने स्वास्थ्य प्रमाण पत्र में मृत भैंस का टैग बाएं कान में बताया है व मृत्यु प्रमाण पत्र , पंचनामें में भी प्रमाण पत्र जारी करते हुए मृत भैंस के टैग संख्या 16664 प्रमाणित किया है । बीमा कम्पनी का यह तर्क की फोटो में टैग को बांए की जगह दाए कान पर व पषुपालन विभाग के स्वास्थ्य प्रमाण पत्र में बांए कान में टैग का उल्लेख होना, दावे में सन्देह प्रदान करता है,स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है । स्वीकृत रूप् से उक्त फोटो भैंस की मौत के समय ली गई अथवा कब ली गई, यह सिद्व रूप नहीं माना जा सकता ।
8. सार यह है कि जिस प्रकार बीमा कम्पनी ने मात्र फोटो व जांचकर्ता की रिपोर्ट के आधार पर मृत्यु को संदिग्ध माना है वह उचित नहीं है व सेवाओं में दोष का परिचायक है । परिणामस्वरूप प्रार्थिया का परिवाद स्वीकार किए जाने येाग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
9. (1) प्रार्थिया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मृत भैंस के बीमा क्लेम पेटे राषि रू. 30,000/- मय 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित क्लेम खारिज करने की दिनंाक से तदायगी प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी ।
(2) प्रार्थिया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू.10,000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/- भी प्राप्त करने का अधिकारिणी होगी ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थिया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 16.08.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष