Rajasthan

Ajmer

CC/295/2013

SHYAR - Complainant(s)

Versus

NATIONAL INS COMPANY - Opp.Party(s)

ADV SURENDRA KUMAR

22 Jun 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/295/2013
 
1. SHYAR
KISHANGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. NATIONAL INS COMPANY
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Gautam prakesh sharma PRESIDENT
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

1. श्री सायर पुत्र  स्व. श्री नारायण 
2. श्री नीर स्व. श्री नारायण
3. श्रीमति मांगी देवी पत्नी स्व. श्री नारायण
जाति- कुम्हार (प्रजापति) निवासीगण- ग्राम टिकावडा, तहसील- किषनगढ, जिला- अजमेर । 
                                                         प्रार्थीगण

                            बनाम

नेषनल इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, षाखा कार्यालय- गोकुल मित्र छाया स्टेषन रोड, किषनगढ, जिला-अजमेर जरिए षाखा प्रबन्धक । 

                                                           अप्रार्थी 
                    परिवाद संख्या 295/2013

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
           2.  श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी,अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री जी.एल. अग्रवाल,  अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 22.06.2015

          
1.             परिवाद के तथ्य सक्षंेप में इस प्रकार है कि प्रार्थी ने  अपने ट्रेक्टर संख्या आर.जे.01.आर.ए. 1279 का बीमा अप्रार्थी  बीमा कम्पनी के यहां परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित अनुसार बीमा पाॅलिसी के जरिए  दिनंाक 1.7.2010 से 30.6.2011 तक की अवधि के लिए करवाया । उक्त वाहन दिनंाक 20.4.2012 को  प्रातः 8.30 बजे चोरी चला गया  जिसकी  प्रार्थी नीर ने संबंधित थाने में रिर्पोट दर्ज करवाई  किन्तु पुलिस ने बाद जांच दिनंाक 12.5.2011 को मुकदमा दर्ज किया । प्रार्थीगण ने चोरी गए वाहन की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को चोरी के दूसरे दिन दे दी  और क्लेम पेष किया जिसे  अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनंाक 1.5.2012 के इस आधार पर खारिज कर दिया कि  वाहन चोरी की प्रथम सूचना रिर्पोट  देरी से दर्ज करवाई  और वाहन को औद्योगिक कार्य के उपयोग में लिया जा रहा था ।  तत्पष्चात् प्रार्थीगण ने  अप्रार्थी बीमा कम्पनी को नोटिस दिनंाक 22.8.2012 देते हुए  चोरी की घटना का वर्णन किया और क्लेम पर पुर्नविचार करने की प्रार्थना की किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कोई जवाब नहीं दिया । प्रार्थीगण ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा उनके क्लेम को खारिज करना सेवा में कमी दर्षाते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष की मांग की है । 
2.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से जवाब पेष हुआ जिसमें अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थीगण के  वाहन का रू. 2,94,000/-आईडीवी राषि के साथ बीमित होने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे कथन किया है कि प्रार्थीगण ने वाहन चोरी की  प्रथम सूचना रिर्पोट  वाहन चोरी होने के 22 दिन बाद दर्ज   करवाई है । 
    अप्रार्थी का कथन है कि प्राथीग्ण ने  पुलिस में जो रिर्पेाट दी उसमें  अंकित अनुसार  प्राथीगण का कथन है कि  थोडी देर बाद में उसे लक्ष्मण पुत्र जगन्नाथ गुर्जर मिला और उसने बतलाया कि  उसका ट्रेक्टर श्री कैलाष माली पुत्र मोती माली , निवासी- इन्दिरा काॅलोनी ले जा रहा था । यदि प्रार्थीगण तुरन्त इसकी सूचना पुलिस को देते तो  वाहन चोर को पकडा जा सकता था किन्तु प्रार्थीगण ने ऐसा नहीं किया । 
    अप्रार्थीगण ने अपने अतिरिक्त कथन में यह दर्षाया है कि  चोरी की घटना की जांच सर्वेयर श्री ओ.पी. माहेष्वरी से करवाई गई  और जांच में पाया गया कि वाहन मार्बल सेलेरी के काम में लिया जा रहा था और वाहन फैक्टरी के अन्दर ही खडा किया जाता था । प्रार्थीगण  वाहन का व्यावसायिक उपयोग कर रहे थे । इस प्रकार प्रार्थीगण ने बीमा पाॅलिसी की षर्तो का उल्लंघन किया है  इसलिए प्रार्थीगण का क्लेम सहीं आधारों पर खारिज कर अप्रार्थी ने कोई सेवा में कमी कारित नही ंकी । अन्त में परिवाद खारिज होना दर्षाया । 
3.    हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया । 
4.                प्रार्थी का वाहन ट्रेक्टर संख्या आर.जे.01-आर.ए. 1279 अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां अवधि दिनांक  1.7.2010से 30.6.2011 तक बीमित था, यह तथ्य स्वीकृतषुदा है ।  प्रार्थी के अनुसार यह ट्रेक्टर हमेषा की तरह दिनांक 19.4.2011 को  दिन में कार्य कर कृषि फार्म हाउस पर खडा किया हुआ था । दिनांक 20.4.2011 को प्रातः 8.30 बजे वहां गया तो उसका ट्रेक्टर नहीं मिला । इस तरह से यह वाहन दिनांक 19.4.2011/20.4.2011 की दरम्यानी रात में चोरी होना प्रार्थी ने दर्षाया है ।  प्रार्थी के अनुसार ट्रेक्टर चोरी की रिर्पोट उसी रोज थाने पर दे दी गई थी किन्तु पुलिस वालो ने उक्त् रिर्पोट को जांच में रख लिया । काफी दिन बाद दिनांक 12.5.2011 को मुकदमा दर्ज किया  तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी को भी दूसरा दूसरे दिन  देना भी दर्षाया है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के इस क्लेम को प्रार्थी द्वारा वाहन चोरी की घटना की सूचना बीमा कम्पनी को देरी से देना व इसी तरह से प्रथम सूचना रिर्पोट भी देरी से दर्ज करवाए जाने के आधार पर एवं  ट्रेक्टर कृषि कार्य हेतु बीमित था , का उपयोग व्यावसायिक कार्य के लिए काम में लिया जा रहा था, के आधार पर अस्वीकार किया है । 
5.         प्रार्थी का कथन रहा है कि उसने इस चोरी की घटना की सूचना चोरी वाले  दिन ही थाने पर दे दी थी एवं बीमा कम्पनी को भी दूसरे दिन सूचित् कर किया गया था । अतः हमारे विनम्र मत में इन तथ्यों को सिद्व करने का भार प्रार्थी पर है ।  
6.         अधिवक्ता प्रार्थी की बहस रही है कि प्रथम सूचना रिर्पोट पुलिस को उसी रोज  दे दी थी लेकिन पुलिस ने कहा कि प्रार्थी वाहन की तलाष करें एवं  वे भी जांच कर रहे है । इस प्रकार मुकदमा  20.4.2011 को दर्ज नही ंकर दिनांक 12.5.2011 को दर्ज किया । अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सूचना दिनांक 20.4.2011 को दे दी थी जिसकी  सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी के ष्षाखा कार्यालय ,मदनगंज-किषनगढ द्वारा प्राप्त की गई एवं प्राप्ति के रूप में सूचना जो दी गई , पर  सील 20.4.2011 अंकित है एवं प्रार्थी द्वारा इसकी फोटोप्रति पेष की गई है । इस प्रकार चोरी की घटना की सूचना पुलिस को भी समय पर दे दी गई थी एवं बीमा कम्पनी को भी चोरी वाले दिन ही दे दी गई थी । 
7.             जहां तक वाहन का  व्यावसायिक उपभोग  हो रहा था के संबंध में प्रार्थी अधिवक्ता की बहस है कि इस आषय की कोई साक्ष्य पत्रावली पर नहीं हे । इस आषय का अन्वेषण किसी ओ.पी. माहेष्वरी द्वारा करवाया जाना अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने दर्षाया है ।  लेकिन उक्त ओ.पी. माहेष्वरी  का कोई षपथपत्र पत्रावली पर नहीं है । अधिवक्ता  प्रार्थी की बहस है कि घटना की प्रथम सूचना रिर्पेाट पुलिस को दिनांक 20.4.2011 को ही दे दी थी एवं यह  अवष्य है  कि पुलिस ने प्रथम सूचना रिर्पोट लिख ली एवं मामले में जांच षुरू की एवं मुकदमा बाद में दर्ज करने को कहा लेकिन प्रार्थी ने पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज करने के पूर्व जो जांच की गई पुलिस से मंगवा कर पत्रावली पर पेष नहीं की है ।  प्रथम सूचना रिर्पोट जो पेष की उसमें भी ऐसा उल्लेख नहीं है कि उसके द्वारा रिर्पोट  पहले  से ही दे दी गई थी एवं मामले को जांच में रखा गया। प्रथम सूचना रिर्पोट प्रस्तुत होने की दिनंाक 12.5.2011 है इसके अतिरिक्त प्रार्थी की ओर से ऐसी कोई साक्ष्य पेष नहीं हुई  जिससे यह माना जा सके कि प्रार्थी ने घटना की रिर्पोट  पुलिस में दिनंाक 20.4.2011 को ही दे दी थी । अतः घटना की रिर्पोट पुलिस को दिनांक 12.5.2011 को प्रस्तुत हुई यही तथ्य सिद्व पाया गया है । 
8.            इसी तरह से अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सूचना भी दिनांक 20.4.2011 को दे दी, के संबंध में  अधिवक्ता की बहस रही है कि ऐसी कोई सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दिनंाक 20.4.2011 को प्राप्त नहीं हुई । प्रार्थी द्वारा पेष रसीद जिस पर  अप्रार्थी ष्षाखा की सील मय तिथी के अंकित है, को उनके द्वारा जारी नहीं करना दर्षाया । अधिवक्ता की बहस है कि प्रार्थी ने यह रसीद कहां से प्राप्त की अपने परिवाद व षपथपत्र में कहीं नहीं दर्षाया है। यदि प्रार्थी द्वारा पेष सूचना संबंधी पत्र जिस पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी के कार्यालय की सील है, फर्जी तैयार की हुई है इस सील पर प्राप्तकर्ता के कोई हस्ताक्षर नहीं है  तथा पेष की गई फोटो प्रति प्रार्थी ने कहा से प्राप्त की ऐसा भी उल्लेख नहीं है और  ना ही अप्रार्थी बीमा कम्पनी के कार्यालय द्वारा यह प्रति जारी हुई है । 
9.    प्रार्थी द्वारा  इस संबंध मे ंबैंक आफ बडौदा जहां से प्रार्थी ने ऋण ले रखा था, के माध्यम से  क्लेम मय प्रथम सूचना रिर्पोट की प्रति के प्राप्त होने पर दिनंाक 19.5.2011 को ही प्रथम बार अप्रार्थी को चोरी की सूचना हुई है । प्रार्थी ने  बैंक आफ बडौदा ष्षाखा, सिलोरा को भी दिनांक 19.5.2011 को ही सूचित किया है । अधिवक्ता  की यह भी बहस  है कि प्रार्थी मीर पुत्र नारायण के बयान जो अन्वेषण  के क्रम  पर श्री ओ.पी. माहेष्वरी, अन्वेषणकर्ता द्वारा लिए गए उसमें भी प्रार्थी का यह कथन नहीं है कि उसने बीमा कम्पनी को सूचना दिनंाक 20.4.2011 को ही  देेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेे दी थी । इस तरह से प्रकरण में घटना की सूचना देरी से दर्ज करवाना एवं पुलिस को भी देरी से सूचित करना सिद्व हुआ है ।  अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने तर्को के समर्थन में निम्न न्यायिक दृष्टान्त पेष किए है:-
1ण्      थ्पतेज ।चचमंस छवण् 321ध्2005 छमू प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक टे  ज्तपसवबींद    श्रंदम व्तकमत क्ंजमक 09.12.2009
2ण्    ।चचमंस छवण् 1085ध्2007 ैउज ज्ञंउसं - ।दतण् टे न्दपजपमक  प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक  व्तकमत क्ंजमक 03.02.2011
3ण्    ।चचमंस छवण् 770ध्2007 न्दपजपमक  प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक  टे त्ंदह स्ंस  व्तकमत क्ंजमक 24.01.2011
4ण्    2013 क्छश्र;ब्ब्द्ध10 ;छब्द्ध ब्ींदकमतं च्तंांेी टे प्ब्प्ब्प् स्वउइंतक प्देनतंदबम ब्व स्जक

10.    अधिवक्ता प्रार्थी की बहस है कि प्रथम सूचना रिर्पोट यदि देरी से दर्ज हुई हो एवं बीमा कम्पनी को भी सूचना देने में देरी हुई हो तब भी प्रार्थी के क्लेम को अस्वीकार नहीं किया जा सकता इस संबंध में उन्होने निम्नाकिंत न्यायिक दृष्टान्त पेष किए है:-
1ण्       प्ट ;2014द्ध ब्च्श्र 62 ;छब्द्ध छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ज्ञनसूंदज ैपदही 
2ण्       2012;4द्ध ब्च्त् 196;छब्द्ध व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ैउज ब्ींदकतंांदज ज्ञपेंद ज्ञींजंसम
3.     प्ट ;2008द्ध ब्च्श्र 1;ैबद्ध छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे छपजपद ज्ञींदकमसूंस 
4      2013;3द्ध ब्च्त् 641;ैब्द्ध ।उंसमदकन ैंीवव टे व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्व स्जक
5ण्      प्ट;2012द्धब्च्श्र 107;छब्द्ध ैींदांत ब्ींांतूंतजप टे छमू प्दकपं प्देनतंदबम    ब्व 
11.    हमने बहस पर गौर किया ।  प्रार्थी का यह कथन अवष्य है कि उसने वाहन चोरी की प्रथम सूचना रिर्पेाट चोरी के दिन ही पुलिस को दे दी थी लेकिन  पुलिस ने प्रथम सूचना रिर्पेाट दर्ज नहीं कर मामला जांच में रख लिया एवं प्रार्थी को भी  वाहन तलाष करने को कहा । प्रार्थी की ओर से पुलिस ने चोरी की रिर्पोट को जांच में रख लिया, संबंधी कोई दस्तावेज या जांच के कागजात संबंधित थाने से पेष नहीं करवाए है । दिनंाक 12.5.2011 को जो प्रथम सूचना रिर्पोट थाने पर पेष हुई एवं मुकदमा दर्ज हुआ में भी कहीं भी उल्लेख नहीं है कि प्रार्थी ने पूर्व में एवं चोरी के दिन ही प्रथम सूचना रिर्पोट दे दी थी किन्तु मामले को जांच में रखा गया । इस तरह से हम पाते है कि इस चोरी की घटना की सूचना प्रार्थी ने  पुलिस में दिनंाक 12.5.2011 को ही दी इससे पूर्व चोरी के दिन ही पुलिस को सूचना दे दी, तथ्य प्रार्थी की ओर से सिद्व नहीं हुआ है । 
12.     अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सूचना भी प्रार्थी द्वारा दिनंाक 20.4.2011 को दे दिए जाने का कथन किया है एवं उक्त कथन के समर्थन में प्रार्थी की ओर से उक्त सूचना जो अप्रार्थी को दी गई, की फोटोप्रति  पेष  की हे ।  इस पर दिनंाक 20.4.2011 अंकित है एवं प्रार्थी का कथन रहा है कि इस फोटो प्रति पर अप्रार्थी कम्पनी की डाक प्राप्ति संबंधी सील लगी हुई है एवं इस सील में प्राप्ति की तिथी दिनंाक 20.4.2011 मुद्रित है । हम पाते है कि  प्राप्ति की सील पर प्राप्तकर्ता के हस्ताक्षर नहीं है इसके अतिरिक्त प्रार्थी द्वारा यह फोटो प्रति दिनांक 5.2.2012 को पेष की गई है एवं प्रार्थी इस फोटोप्रति  को उक्त सूचना जो उसने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी एवं उस पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्राप्ति स्वरूप सील लगाई की फोटोप्रति  होना बतलाया  है।  स्वाभाविक तौर पर  यह कहा जा सकता है कि प्रार्थी ने यह फोटो प्रति उसके द्वारा पत्र जो बीमा कम्पनी को दे दिया गया था के बाद में अप्रार्थी कार्यालय से प्राप्त की होगी एवं  की जा सकती है किन्तु यह प्रति अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा सत्यापित या उसके द्वारा जारी किए जाने का उल्लेख नहीं है एवं प्रार्थी का यह कथन नहीं है कि यह फोटाप्रति सूचना के अधिकार के तहत अप्रार्थी बीमा कम्पनी से प्राप्त की थी ।  सूचना  दिनांक  20.4.2011 के इस पत्र की फोटो प्रति प्रार्थी ने किस तरह से व कहां से प्राप्त की संबंधी भी कोई आधार नहीं बतलाया  है। अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने दिनांक 20.4.2011 को प्रार्थी द्वारा ऐसी कोई सूचना  दी हो,  इन्कार किया है । इन सभी तथ्यों को देखते हुए एवं इस पत्र पर प्राप्ति स्वरूप कोई हस्ताक्षर नहीं होने एवं प्रार्थी ने ऐसे हस्ताक्षर क्यों नहीं करवाए आदि का भी कोई कारण नहीं दर्षाया है तथा यह फोटो प्रति प्रार्थी ने किस तरह से  व कहां से प्राप्त की , भी नहीं दर्षाया है, के तथ्यों को देखते हुए हम पाते है कि  प्रार्थी ने उसके द्वारा पेष पत्र दिनंाक 20.4.2011 की फोटोप्रति पत्रावली पर है, से अप्रार्थी बीमा कम्पनी को चोरी की सूचना दी हो, तथ्य सन्देह से परे सिद्व नहीं है एवं एक तरह से संदिग्ध है । अन्वेषणकर्ता ने अन्वेषण के दौरान प्रार्थी के बयान लिए   लेकिन उन बयानेां में  भी प्रार्थी के ऐसे कथन नहीं रहे है । इसके अतिरिक्त बैंक आफ बडौदा द्वारा दिनांक 19.5.2011 को प्रार्थी के क्लेम को मय  प्रथम सूचना रिर्पोट के भिजवाया है, में भी प्रार्थी की ओर से दिनंाक 20.4.2011 को अप्रार्थी बीमा कम्पनी को कोई सूचना दी गई, का कोई उल्लेख नहीं है और ना ही इस पत्र की प्रति संलग्न है । प्रार्थी ने दिनंाक 19.5.2011 को बैंक आफ बडौदा, सिलोरा को वाहन चोरी की सूचना प्रस्तुत की है । उक्त सूचना में भी उसके द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी को भी दिनंाक 20.4.2011 को ही सूचित कर दिया, संबंधी कोई उल्लेख नहीं है । इसके अतिरिक्त प्रार्थी की ओर से दिनांक 22.8.2012 को अप्रार्थी बीमा कम्पनी को अधिवक्ता के जरिए नोटिस भेजा उक्त नोटिस में पुलिस को सूचना उसी रोज दे दी , का उल्लेख अवष्य किया है लेकिन बीमा कम्पनी को भी सूचना दिनांक 20.4.2011 को दे दी, का उल्लेख नहीं है । 
10.    उपरोक्त सारे विवेचना से हम पाते है कि प्रार्थी द्वारा उसके वाहन की चोरी की सूचना पुलिस को एवं बीमा कम्पनी को दिनांक 20.4.2011 को ही दे दी हो, तथ्य सिद्व नहीं हुआ है । जहां तक  प्रार्थी अधिवक्ता की बहस कि इस संबंध में दृष्टान्त जो पेष हुई है उनके दृष्टिगत  देरी होते हुए भी प्रार्थी के क्लेम को स्वीकार किया जाए, हमारे मत में प्रार्थी का यह कथन मानने योग्य नहीं है । पुलिस को सूचना 22 दिन बाद व बीमा कम्पनी को सूचना करीब 1 माह बाद दिया जाना पाया गया है । इसके अतिरिक्त प्रार्थी द्वारा प्रथम सूचना रिर्पेाट दर्ज करवाना व बीमा कम्पनी को सूचना संबंधी जो कथन किए है  एवं जो साक्ष्य पेष की है वह साक्ष्य भी संदिग्ध  पाई  गई है ।  एक तरह से  प्रार्थी स्वच्छ हाथों से इस मंच में नहीं आया है । अतः हम पाते  है कि अप्रार्थी  बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को सही रूप से अस्वीकार किया  एवं प्रार्थी का यह परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है । अतः आदेष है कि 
                        -ःः आदेष:ः-
11.         फलतः  प्रार्थीगण का परिवाद  अस्वीकार होने योग्य होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । 


  (श्रीमती ज्योति डोसी)                    ( गौतम प्रकाष षर्मा )
                 सदस्या                                 अध्यक्ष

12.        आदेष दिनांक  22.06.2015  को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                 सदस्या                                अध्यक्ष

 
 
[ Gautam prakesh sharma]
PRESIDENT
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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