जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
माणकचन्द साहू पुत्र श्री पन्ना लाल साहू, जाति- तेली, निवासी- पिनारी चैक, पुराना षहर, किषनगढ, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
नेषनल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए डिविजनल मैनेजर, गणेष भवन, कचहरी रोड, अजमेर ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 254/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री प्रतीक मेहता, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री जी.एल.अग्रवाल, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 18.10.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसका वाहन ट्रेलर संख्या एच.आर. 55सी.7026 जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां जरिए बीमा पाॅलिसी संख्या 370703/31/10/6300000198 के दिनंाक 9.4.2010 से 8.4.2011 तक की अवधि के लिए रू. 8,00,685/- में बीमित था । दिनांक
8.7.2010 को अन्य वाहन से दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के कारण पूर्णतया जल कर नष्ट हो गया । जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना वकेवर ईटावा(मध्यप्रदेष ) में दर्ज करवाई गई तथा मोटर व्हीकल विभाग, हरियाणा से दिनांक 29.4.2011 तक का फिटनेस प्रमाण पत्र दिनंाक 30.4.2010 को प्राप्त किया गया, अप्रार्थी को उपलब्ध कराया गया । उसने समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम पेष किया । जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने पत्र दिनांक 1.5.2012 के इस आधार पर खारिज कर दिया कि वक्त दुर्घटना वाहन का फिटनेस प्रमाण पत्र का सत्यापन नहीं होना पाया गया । उसने दिनंाक
6.3.2010 को नोटिस भी दिया इसके बावजूद भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने क्लेम राषि अदा नहीं कर सेवा में कमी कारित की है । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत करते हुए उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी के पक्ष में प्रष्नगत वाहन पेटे बीमा पाॅलिसी जारी किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे यह दर्षाया है कि प्रार्थी के दुर्घटनाग्रस्त वाहन के संबंध में श्री वीरेन्द्र कुमार बहल, सर्वेयर द्वारा नेट लाॅस बेसिस पर रू. 4,74,185/- की क्षति आंकलित की गई । किन्तु प्रार्थी द्वारा वाहन का जो फिटनेस प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया गया उसकी जांच जांचकर्ता श्री ईष्वर सिंह से जांच कराए जाने पर प्रमाण पत्र जारी कर्ता परिवहन विभाग, गुड़गांव ने उक्त प्रमाण पत्र को उनके यहां से जारी होना नहीं पाया । इसलिए प्रार्थी द्वारा बीमा पाॅलिसी की षर्तो व मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन किए जाने के कारण जरिए पत्र दिनांक 1.5.2012 केे प्रार्थी का क्लेम खारिज कर सूचित कर दिया गया । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी कारित नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में आर.सी. जाजू, सहायक प्रबन्धक का ष्षपथपत्र पेष किया है ।
3. प्रार्थी का प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि प्रष्नगत वाहन के अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमित होने, बीमा षर्तो के अनुसार वैध आज्ञाप्तिधारी द्वारा वाहन संचालित किए जाने व दिनंाक 8.7.2010 को अन्य वाहन से दुर्घटनाग्रस्त होने व आग लगने के बाद समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए क्लेम हेतु आवेदन किए जाने के बाद बीमा कम्पनी द्वारा उनके पत्र दिनंाक 1.5.2012 के जरिए क्लेम अस्वीकृत करना उचित नहीं है । यह क्लेम उक्त वाहन के फिटनेस प्रमाण पत्र फर्जी रूप से जारी किए जाने का आधार लेते हुए खारिज किया गया है । वास्तव में उक्त फिटनेस प्रमाण पत्र सही रूप से जारी किया गया है तथा दुर्घटना के समय यह प्रभावी था । विनिष्चय 2008;3द्धब्च्त्ण्128 च्ंदरंइ ैजंजम बवदेनउमत क्पेचनजमे त्मकतमेेंस ब्वउउपेेपवदण् छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे श्रंह त्ंर ए ;2008द्ध1 ब्च्त्;छब्द्ध50 ळण् ज्ञवजींपदंबीपंस टे न्दपजपमक प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक ंदक व्ते पर अवलम्ब लिया गया है ।
4. अप्रार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता ने खण्डन में तर्क प्रस्तत किया है कि बीमित द्वारा जो फिटनेस प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया है, वह बीमा कम्पनी द्वारा जांच करवाए जाने पर फर्जी पाया गया तथा इस आषय की उक्त प्रमाण पत्र में प्रविष्ठि भी दर्षाई गई है । अतः बीमा ष्षर्तो के उल्लंघन में खारिज किया गया क्लेम उचित है । यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रष्नगत वाहन वाणिज्यिक उद्देष्य के लिए चलाया जा रहा था तथा प्रार्थी उपभोक्ता की परिभाषा में नहीं माना जा सकता । विनिष्चय 2015 क्छश्र;ब्ब्द्ध103 न्दपजपमक प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ज्ञपेीवतम ैींतउंए थ्पतेज ।चचमंस छवण् थ्।ध्08ध्905 डंींतंेीजतं ैजंजम बवदेनउमत क्पेचनजमे त्मकतमेेंस ब्वउउपेेपवदए ैीतप ज्ञनेहंइं क्दलंइकमव क्ींूंकम टे न्दपजपमक प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक पर अवलम्ब लिया है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुन लिए है व प्रस्तुत नजीरों में प्रतिपादित सिद्वान्तों के साथ साथ उपलब्ध अभिलेखों का भी अवलोकन कर लिया है ।
6. वाहन का बीमित होना, बीमा ष्षर्तो के अनुसार वैध अनुज्ञप्तिधारी द्वारा वाहन संचालित किए जाने व दिनांक 8.7..2010 को प्रष्नगत वाहन के अन्य वाहन से टकरा जाने के फलस्वरूप दुर्घटनाग्रस्त होना विवादित नहीं है । विवाद का बिन्दु मात्र वाहन के फिटनेस बाबत् है । इस संबंध में अप्रार्थी का तर्क है कि प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत फिटनेस प्रमाण पत्र की संबंधित विभाग मोटर व्हीकल इन्सपेक्टर, गुड़गांव से जानकारी प्राप्त की गई व उनके द्वारा बताया गया कि उक्त वाहन का दिनांक 30.4.2010 को फिटनेस प्रमाण पत्र उनके द्वारा जारी नहीं हुआ था । पत्रावली में बीमा कम्पनी का दिनंाक 1.5.2012 का वह क्लेम खारिज पत्र उपलब्ध है, जिसके अन्तर्गत उन्होने निम्नअनुसार अंकित किया है:-
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इसका एक मात्र आधार बीमा कम्पनी के किन्ही इन्वेस्टीगेटर श्री ईष्वर सिंह की तहकीकात है, जिन्होने गुडगांव में जाकर संबंधित विभाग से जानकारी प्राप्त कर यह पाया है कि उक्त प्रमाण पत्र उनके अर्थात सक्षम अधिकारी मोटर व्हीकल इन्सपेक्टर, गुड़गांव की ओर से जारी नहीं किया गया है । प्रष्नगत फिटनेस प्रमाण पत्र पत्रावली में उभय पक्षकारान द्वारा प्रस्तुत हुआ है । बीमा कम्पनी द्वारा इसके पृष्ठांकन में मोटर व्हीकल इन्सपेक्टर, गुड़गांव की रिपोर्ट अंकित की गई है जिसके तहत यह बताया गया है कि प्रष्नगत वाहन की पासिंग दिनांक 30.4..2010 को जारी नहीं की गई है, जो कि गलत है । यदि हम इस अभ्युक्ति का ष्षब्दिक अर्थ निकालंे तो यह नोट अपने आप में भ्रामक है । इसका षाब्दिक अर्थ यूॅं निकाला जा सकता है कि दिनांक 30.4.2010 को उक्त प्रमाण पात्र जारी किया गया था । बहरहाल ष्षब्दों के मकड़जाल में उलझने के बजाय यदि विभागीय स्तर पर जारी यह टिप्पणी सही मानी जाए तो प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत प्रमाण पत्र को क्यों नहीं सही माना जाए । यदि यह प्रमाण पत्र उक्त सक्षम अधिकारी द्वारा जारी किया गया था तो इसमें डिस्पेच नम्बर व प्रमाण पत्र जारी करने की तिथि भी अंकित की जानी चाहिए थी । प्रमाण पत्र में इन तथ्यों का सर्वथा अभाव है । जिस इन्वेस्टीगेटर श्री ईष्वर सिंह ने तहकीकात कर इस प्रमाण पत्र को प्राप्त किया है, का इस आषय का कोई षपथपत्र भी संलग्न नहीं किया गया है । फलस्वरूप इस प्रमाण पत्र को पूर्ण सत्य (ळवेचमस ज्तनजीद्ध नहीं माना जा सकता ।
7. ं वाणिज्यिक उद्देष्य के संदर्भ में उपभोक्ता नहीं होने बात् जो आपत्ति उठाई गई है, के संदर्भ में इतन ही लिखना पर्याप्त होगा कि अप्रार्थी द्वारा इस बाबत् उनके जवाब व अभिवचनों में कोई आपत्ति नहीं उठाई गई है । अतः अब इस बाबत् आपत्ति उठाए जाने से म्ेजवचचमक है । इस बाबत् प्रस्तुत नजीर भी उनकी कोई सहायता नहीं करती ।
8. मंच की राय में जिस प्रकार इन्वेस्टीगेटर की रिपोर्ट को देखते हुए फिटनेस प्रमाण पत्र की प्रमाणिकता को चुनौती दी गई है, वह उचित प्रतीत नहीं होती है व खारिज किया गया क्लेम उनकी सेवाओं में कमी का परिचायक है । प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
9. (1) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमा क्लेम राषि रू. 8,00,685/- क्लेम खारिज करने की दिनांक से तदायगी 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से ं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/-भी प्राप्त करने के अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 18.10.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष