जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्रीमति किषनप्यारी गोयल वयस्क पत्नि श्री भगवान सहाय गोयल, जाति- अग्रवाल, निवासी- मकान नं. 14, महर्षि दयानन्द काॅलोनी, अजमेर रोड़, ब्यावर, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थिया
बनाम
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 547/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री जसवन्त तंवर, अधिवक्ता, प्रार्थिया
2.श्री जी.एल.अग्रवाल, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 26.10.2016
1. प्रार्थिया द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसका वाहन संख्या आर.ज.े.36 सी.ए. 3067 जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां जरिए बीमा पाॅलिसी संख्या 370702/31/12/6100003834 के दिनंाक 21.3.2013 से 20.3.2014 तक की अवधि के लिए बीमित था, का दिनंाक 25.4.2013 को छीतरोली के निकट हाईवे पर दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर उसने पुलिस थाना बगरू में रेाजनामचा रपट संख्या 1147 दिनांक 25.4.2013 को दर्ज करवाते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सूचित किया । तत्पष्चात् अप्रार्थी द्वारा सर्वेयर नियुक्त किया जाने के बाद अप्रार्थी बीमा कम्पनी के निर्देषानुसार उसने वाहन की चैसिस बदलवा कर इसकी सूचना अप्रार्थी को देकर बीमा क्लेम राषि रू. 2,01,505/- पेष किया । जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने पत्र दिनंाक 3.10.2013 के यह कहते हुए खारिज कर दिया कि प्रार्थिया ने पूर्व पाॅलिसी के आधार पर नो क्लेम बोनस प्राप्त कर रखा है और उसने यह तथ्य वर्तमान पाॅलिसी प्राप्त करते समय छिपाया । प्रार्थिया ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत कर दर्षाया है कि प्रार्थिया ने अपने प्रष्नगत वाहन पर पूर्व में मारूति डीलर के जरिए प्राप्त की गई बीमा पाॅलिसी दिनंाक 21.3.2012 से 20.3.2013 तक की अवधि में दिनंाक 19.5.2012 को राषि रू. 8100/- में क्लेम सेटल किया गया था । इस प्रकार प्रार्थिया ने उत्तरदाता से प्राप्त की गई बीमा पाॅलिसी दिनंाक 21.3.2013 से
20.3.2014 प्राप्त करते हुए ’’नो क्लेम बोनस’’ के तथ्य को छिपाते हुए प्राप्त की है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी का यह भी कथन है कि प्रार्थिया के प्रष्नगत वाहन का सर्वेयर द्वारा सर्वे कराए जाने पर उसके द्वारा प्रार्थिया के वाहन की क्षति रू. 1,58,606/- आंकलित की , जिसमें से साल्वेज वेल्यू की राषि रू. 25,500/- घटाए जाने पर कुल राषि रू. 1,33,106/- देय हुई । किन्तु प्रार्थिया ने बीमा षर्तो का उल्लंघन किए जाने पर बीमा दावा देय नहीं होने से क्लेम खारिज करते हुए जरिए पत्र दिनंाक 3.10.2013 के सूचित किया गया । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में श्री सुरेन्द्र के. विजयवर्गीय, सहायक प्रबन्धक का षपथपत्र पेष किया है ।
3. निर्णय लिखाए जाने से पूर्व हस्तगत प्रकरण में दिनांक 19.10.2016 को प्रार्थिया के विद्वान अधिवक्ता का एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत हुआ है। जिसमें उनके द्वारा यह निवेदन किया गया है कि उन्हांेने इस मामले में प्रार्थिया द्वारा पूर्व में अधिवक्ता श्री जसवन्त तंवर के निवेदन पर उनकी ओर से अंतिम बहस की थी तथा वक्त बहस उन्हें प्रार्थिया की मृत्यु हो जाने की जानकारी नहीं थी । अब उन्होंने निवेदन किया है कि प्रार्थिया के विधिक वारिसान को रिकार्ड पर लेकर ही न्याय हित में निर्णय पारित किया जाए। यहां यह उल्लेखनीय है कि सर्वप्रथम उक्त प्रार्थना पत्र प्रस्तुतकर्ता न तो प्रार्थिया की ओर से अधिकृत अधिवक्ता है और ना ही अधिकृत अधिवक्ता श्री जसवन्त तंवर की ओर से अधिकृत प्रतिनिधित्वकर्ता है । उनके अंतिम बहस के समय उपस्थित होने व बहस किए जाने पर मंच द्वारा उनकी बहस प्रार्थिया के प्रतिनिधि के रूप में न्यायहित में सुनी गई थी । चूंकि उक्त प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करते समय भी इनकी ओर से मंच को इस बाबत् अवगत नहीं कराया गया कि किस तिथि को प्रार्थिया की मृत्यु हुई तथा कौन कौन उसके विधिक वारिसान है । अतः ऐसी स्थिति में जब प्रकरण अंतिम स्टेज में पक्षकारान की बहस सुनी जाकर निर्णय हेतु नियत है, को स्थगित किए जाने का हम कोई औचित्य नहीं समझते है तथा प्रकरण में गुणावगुण के आधार पर निर्णय पारित किया जा रहा है ।
4. प्रार्थिया की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया है कि प्रष्नगत वाहन के अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां बीमित होने व दिनंाक 25.4.2013 को इसके दुर्घटनाग्रस्त होने , वाहन के क्षतिग्रस्त होने व पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने एंव बीमा कम्पनी को सूचित किए जाने के बाद सर्वेयर की नियुक्ति किए जाने व इसके बाद बीमा कम्पनी के निर्देषानुसार वाहन की मरम्मत करवाई गई व व्यय की राषि बाबत् जों क्लेम प्रस्तुत किया गया , को बीमा कम्पनी ने गलत रूप से यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि प्रार्थिया की ओर से पूर्व पाॅलिसी के आधार पर ’’ नो क्लेम बोनस ’’ प्राप्त कर रखा है ,इस कारण वह क्षतिपूर्ति की राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है । उनका तर्क रहा है कि जो बीमा प्रार्थिया द्वारा करवाया गया वह बीमा कम्पनी के एजेण्ट द्वारा प्रार्थिया से मात्र पूर्व बीमा पाॅलिसी/कवर नोट प्राप्त कर इसके आधार पर बीमा कम्पनी के अधिकृत अभिकर्ता ने बिना कोई जानकारी प्रार्थिया को दिए निरन्तर बीमा आगामी अवधि के लिए करवा दिया गया जो बीमा फार्म भरवाया गया था, उसके संबंध में प्रार्थिया के एजेण्ट द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गई थी तथा यही विष्वास दिलाया गया कि वह स्वयं अपने स्तर पर बीमा करवाकर पाॅलिसी उसे सम्भला देगा तथा उसी के अनुसारण में बीमा करवा कर पाॅलिसी सम्भलवाई थी। यदि बीमा कम्पनी के एजेण्ट द्वारा बीमा फार्म में
’’ नो क्लेम बोनस ’’ की छूट प्राप्त करना अंकित कर दिया है तो उससे प्रार्थिया द्वारा ’’ नो क्लेम बोनस’’ की छूट प्राप्त कर लेना कतई नहीं माना जा सकता है । परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए ।
5. अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से खण्डन में एक मात्र तर्क प्रस्तुत किया गया है कि प्रार्थिया द्वारा प्रस्ताव पत्र में पाॅलिसी लेते समय स्वयं को ’’ नो क्लेम बोनस ’’ प्राप्त करने का अधिकारी नहीं बताया था तथा पूर्व की पाॅलिसी पर कोई क्लेम लाॅज नहीं करने बाबत् घोषणा देकर ’’ नो क्लेम बोनस ’’ प्राप्त किया था तथा पाॅलिसी की षर्तो के उल्लंघन में खारिज किया गया क्लेम सही था । उनकी ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।
6. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं तथा पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
7. यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रार्थिया प्रष्नगत वाहन की स्वामी होकर उसने जरिए बीमा पाॅलिसी संख्या 370702/31/12/6100003834 के दिनंाक 21.3.2013 से 20.3.2014 तक की अवधि के लिए अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां बीमा करवाया । दिनंाक 25.4.2013 को उक्त वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने व इस बाबत् उसी दिन पुलिस थाना, बगरू में सूचना की गई व बीमा कम्पनी को भी इस आषय की सूचना दी गई । बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर श्री के.एल. गंुजल को रिपोर्ट बनाकर प्रस्तुत करने हेतु नियुक्त किया गया व उसके द्वारा सर्वे किया जाकर रिपोर्ट प्रस्तुत की गई ।
8. बीमा कम्पनी ने प्रार्थिया के क्लेम को इस आधार पर निरस्त किया है कि उसके द्वारा पूर्व पाॅलिसी में क्लेम को प्राप्त किया गया था तथा वर्तमान पाॅलिसी के तहत भरे गए प्रस्ताव पत्र में इस आषय की हस्तगत अण्डरटेकिंग में कोई उल्लेख नहीं किया गया कि पूर्व पालिसी में उनकी ओर से किसी प्रकार का कोई क्लेम प्राप्त किया गया है अथवा नहीं किया गया है । पत्रावली में हस्तगत पाॅलिसी का वह प्रस्ताव पत्र उपलब्ध है जिसके तहत पाॅलिसी होल्डर ने समस्त सूचनाएं भरी जा कर स्वीकृति स्वरूप अपने हस्ताक्षर अंकित किए है । उसका यह कथन इन हस्ताक्षरों की उपस्थिति में कतई स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है कि वर्तमान पाॅलिसी बीमा कम्पनी के एजेण्ट द्वारा मात्र पूर्व पाॅलिसी के कवर नोट को ध्यान में रख कर प्राप्त की गई है । पत्रावली में उपलब्ध पूर्व पाॅलिसी के संबंध में हालांकि ऐसी पाॅलिसी की कोई प्रति प्रस्तुत नहीं की गई है किन्तु जब बीमाधारक ने हस्तगत पाॅलिसी प्राप्त करते समय ’’ नो क्लेम बोनस ’’ का लाभ प्राप्त किया है तो इससे यही उपधारणा लगाई जा सकती है कि उसके द्वारा पूर्व में ली गई पालिसी में किसी प्रकार का कोई क्लेम प्राप्त नहीं किया गया है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने पूर्व में प्राप्त क्लेम के संबंध में प्रलेख प्रस्तुत किया है जिसके अनुसार प्रार्थिया द्वारा पूर्व पाॅलिसी में दिनंाक 19.5.2012 को क्लेम सेटल करवाया था । इसका अर्थ यह हुआ कि प्रार्थिया पूर्व में प्रष्नगत वाहन की पाॅलिसी में क्लेम प्राप्त कर चुकी थी तथा उसने इस तथ्य को छिपाते हुए हस्तगत पाॅलिसी के अन्तर्गत झूठा डिक्लेरेषन देते हुए ’’ नो क्लेम बोनस’ की रियायत प्राप्त की । फलतः बीमा कम्पनी ने इस कारण से उसका क्लेम अस्वीकृत कर दिया । हम इस संबंध में अप्रार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा माननीय राष्ट्रीय आयोग के त्मअपेपवद च्मजपजपवद छव 1255ध्2009 ज्।ज्। ।प्ळ ळमदमतंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ळनस्रंतप ैपदही व्तकमत क्ंजमक 26ण्02ण्2010 ;छब्द्ध में प्रतिपादित सिद्वान्तों से आदरपूर्वक सहमति व्यक्त करते है तथा इन हालात में जिस प्रकार अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थिया का क्लेम निरस्त किया गया है, में किसी प्रकार की कोई सेवा में कमी नहीं पाते हैं । अतः मंच की राय में उक्त परिवाद अस्वीकार कर खारिज होने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
9. प्रार्थिया का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 26.10.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष