Rajasthan

Ajmer

CC/96/2012

KELAWATI - Complainant(s)

Versus

NATIONAL INS COMPANY - Opp.Party(s)

ADV ANIL AIREN

26 May 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/96/2012
 
1. KELAWATI
NASIRABAD
...........Complainant(s)
Versus
1. NATIONAL INS COMPANY
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

 

 

 

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

1. श्रीमति कलावती पत्नी श्री अषोक कुमार सिंहल, उम्र- करीब 49 वर्ष
2. अषोक कुमार सिंह पुत्र स्व. श्री लक्ष्मीनारायण सिंहल
 सभी जाति से अग्रवाल, निवासियान -रामदयाल मौहल्ला, नसीराबाद, जिला-अजमेर ।  

                                                -         प्रार्थीगण
                            बनाम

नेषनल इन्ष्योंरस  कम्पनी लिमिटेड जरिए षाखा प्रबन्धक, पृथ्वीराज मार्ग, अजमेर। 

                                                -       अप्रार्थी 

                 परिवाद संख्या 96/2012  
                            समक्ष
          1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                  2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
          3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री अनिल ऐरन, अधिवक्ता, प्रार्थीगण
                  2.श्री जगतार सिंह , अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी 
                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 08.06.2016
 
 1.          प्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि  उन्हांेने  संयुक्त रूप से  कैषलेस सुविधा की एक बीमा पाॅलिसी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से  दिनंाक 16.6.2010से 15.6.2011 तक के लिए प्राप्त की । प्रार्थी संख्या 1  ने दिनंाक 30.5.2011 से 04.6.2011 तक मेदान्ता ग्लोबल हैल्थ प्राईवेट लिमिटेड़,नई दिल्ली में अपना इलाज करवाया । जिसमें उसके रू. 2,00,000/- खर्च हुए । बीमा पाॅलिसी के तहत अप्रार्थी बीमा कम्पनी को  कैषलेस व्यवहार के अन्तर्गत  ईलाज में खर्च हुई राषि का भुगतान संबंधित अस्पताल को करना था । किन्तु बार-बार निवेदन किए जाने पर भी जब अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने उक्त अस्पताल को राषि का भुगतान नहीं किया, तो उन्हंे उक्त अस्पताल को नगद भुगतान अपनी ओर से करना पड़ा । उन्हांेने  अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दिनांक 18.7.2011 के पत्र  भी दिया व दिनांक 15.10.11 को नोटिस भी दिया । किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कोई कार्यवाही नहीं की । प्रार्थीगण ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है। परिवाद के समर्थन में प्रार्थीगण ने अपने अपने ष्षपथपत्र पेष किए है । 
2.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत कर  प्रार्थी श्री अषोक कुमार सिंघल के पक्ष में एसबीबीजे नेषनल मेडीकवच बीमा पाॅलिसी संख्या 370701/48/10/8500000233 दिनांक 16.6.2010 से 15.6.2011 तक की अवधि के लिए  एक्सक्लूजन क्लाॅज के तहत  जारी किया जाना स्वीकार करते हुए दर्षाया है कि  कथित इलाज के प्रारम्भ की दिनांक 30.5.2011 से पूर्व इलाजकर्ता ग्लोबल हैल्थ प्रा.लि. को कैषलेस सुविधा हेतु वांछित एवं आवष्यक दस्तावेज प्रेषित करने के लिए अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से विपुल मेडकोर्प टीपीए प्रा.लि. द्वारा पत्र दिनंाक 29.5.2011, 16.6.2011  प्रेषित किए। किन्तु वांछित दस्तावेजात प्रेषित नहीं किए जाने के कारण प्रार्थीगण को कैषलेस सुविधा का लाभ नहीं दिया गया । 
    अप्रार्थी बीमा कम्पनी का यह भी कथन है कि  प्रार्थी पक्ष के इलाजकर्ता द्वारा  या प्रार्थी पक्ष द्वारा  इलाज से संबंधित कोई मेडिकल बिल्स का विवरण  या मूल मेडिकल बिल्स, मूल इलाज के खर्चे के बिल, क्लेम फार्म व अन्य आवष्यक वांछित दस्तावेजात अप्रार्थी बीमा कम्पनी अथवा उनके टीपीए के समक्ष प्रस्तुत नहीं किए गए, इसलिए प्रार्थीगण कोई क्लेम प्राप्त करने के हकदार नहीं है । उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब परिवाद के समर्थन में श्री आर.सी.जाजू, सहायक प्रबन्धक ने अपना षपथपत्र पेष किया है । 
3.    प्रार्थी पक्ष की प्रमुख रूप से  बहस रही है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा उनके बीमित होने  व समयावधि  अन्दर इलाज व आॅपरेषन  आदि के खर्चे बाबत् बीमा कम्पनी ने कैषलेस व्यवहार के अन्तर्गत संबंधित अस्पताल को भुगतान नहीं किया । प्रार्थी पक्ष द्वारा बार बार निवेदन किया गया, किन्तु किसी प्रकार का कोई भुगतान नहीं किया गया । अस्पताल का भुगतान प्रार्थी पक्ष द्वारा स्वयं नगद किया गया ।  अप्रार्थी बीमा कम्पनी के उक्त कृत्य के कारण प्रार्थी पक्ष को अत्यधिक मानसिक परेषानी व आर्थिक हानि का सामना करना पड़ा है । परिवाद स्वीकार  किए जाने योग्य है ।  प्रार्थी पक्ष ने अपने तर्को के समर्थन में 
प्प्;2011द्धब्च्श्रण्383  च्ंदरंइ ैजंजम बवदेनउमत क्पेचनजमे त्मकतमेेंस ब्वउउपेेपवद छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्वण्स्जक टे डवदं व्ीतप - ।दतण्ए प्;2011द्धब्च्श्र  25 ;छब्द्ध  डंीमेी ब्ींदक ळीपलं टे छमू प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक  विनिष्चय प्रस्तुत किए है । 
4.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने इन तर्को का खण्डन करते हुए प्रमुख रूप से तर्क प्रस्तुत किया है कि प्रार्थी पक्ष ने स्वयं बीमा क्लेम की औपचारिकताएं पूर्ण नहीं की । उनके द्वारा कोई बीमा क्लेम फार्म अथवा  इलाज के खर्चे के बिल व रसीदे आदि अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत नहीं किए गए ।  अतिरिक्त कथनों में बताया कि  बीमा कम्पनी ने इलाजकर्ता को कैषलेस सुविधा हेतु वांछित आवष्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने हेतु पत्र के जरिए मांग की गई।  किन्तु उक्त   विवरण उपलब्ध नहीं करवाया गया ।  बीमित की डिस्चार्ज टिकिट के अनुसार जिस बीमारी  का उसके द्वारा इलाज करवाया एवं  जिसका बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया , उस बीमारी के खर्चे की अदायगी बीमा पाॅलिसी के नियम व ष्षर्तो के अनुसार  बीमा कवरेज के अन्तर्गत  नहीं होने के कारण प्रार्थी पक्ष को बीमा क्लेम की अदायगी हेतु अप्रार्थी बीमा  किसी तरह से जिम्मेदार नहीं है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने तर्को के समर्थन में त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 2086ध्2013  च्ंलंस ळंतह टे व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्व स्जक  व्तकमत क्ंजमक  13.01.2015ए  2015 छब्श्र 533;छब्द्ध ठंरंर ।ससपंद्र ळमदमतंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ।ेीपेी ैंगमदं विनिष्चय प्रस्तुत किए है ।       
5.    हमने परस्पर तर्को को सुन लिया हैं एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों व विनिष्चयों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
6.    स्वीकृत तथ्य अनुसार प्रार्थी पक्ष की संयुक्त रूप  से उनके जीवन पर  अप्रार्थी बीमा कम्पनी  से बीमा पाॅलिसी दिनंाक 16.6.2010 से 15.6.2011 तक की प्राप्त की गई । बीमा वैधता अवधि के दौरान प्रार्थी श्रीमति कलावती द्वारा दिनंाक 30.5.3011 से 30.6.2011 तक मेदान्ता  ग्लोबल  हेल्थ प्राईवेट लिमिटेड, न्यू दिल्ली में इलाज व आपरेषन इत्यादि करवाया  गया । हालांकि प्रार्थी पक्ष ने उक्त इलाज के संदर्भ में खर्च रू. 2,00,000/-  का विवरण अप्रार्थी बीमा कम्पनी को केषलैस व्यवहार के तहत  करवाए गए इलाज का समस्त भुगतान संबंधित अस्पताल को करना बताया है व उनके द्वारा  बीमा कम्पनी के विकास अधिकारी व अजमेर स्थित कार्यालय पर बार बार निवेदन करना बताया है । किन्तु इनके प्रमाण स्वरूप उनकी ओर से इस तथ्य को सिद्व नहीं किया गया है । हालांकि उनकी ओर से बीमा कम्पनी को भेजे गए रजिस्टर्ड पत्र में इसका हवाला सामने आया है । यह भी प्रकट  होता है कि बीमा कम्पनी ने बीमित के इलाज करने वाले  संबंधित अस्पताल से उसके इलाज के संबंध में  समस्त विवरण की मांग की है व इसके प्रतिउत्तर में संबंधित अस्पताल ने बीमा कम्पनी को कोई ऐसा बिल इत्यादि  भेजा हो, ऐसा सामने नहीं आ पाया है । किन्तु यदि हम बीमा पाॅलिसी की षर्तांे की ओर निगाह डाले तो प्रार्थी पक्ष द्वारा ली गई एसबीबीजे नेषनल मेडिक्लेम कवच की षर्त संख्या 4 में म्ग्ब्स्न्ैप्व्छै  के अन्तर्गत  4.3 के  तहत  बीमा  की अवधि के दौरान इसमें वर्णित बीमारियों  के ग्रसित होने पर किसी प्रकार का कोई भुगतान देय नहीं होगा , यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है । इन बीमारियों में भ्लेजमतमबजवउल वित भ्मउवततींहपबए वत पिइतवउलवउं  सम्मिलित बताई गई है ।  प्रार्थी  पक्ष को जो बीमारी बताई गई है वह मेदान्ता ग्लोबल हेल्थ प्राईवेट लिमिटेड, नई दिल्ली के जो डिस्चार्ज टिकिट के अनुसार ज्वजंस स्ंचंतवेबवचपब  ीलेजमतमबजवउल  बताई गई है । इस प्रकार जो बीमारी प्रार्थीपक्ष को  हुई है व जिसका क्लेम प्राप्त किया जाना अभिकथित है, वह बीमारी उनके द्वारा ली गई पाॅलिसी की परिधि से बाहर है । स्पष्ट है इस बीमारी के लिए यदि किसी प्रकार का खर्चा  प्रार्थी पक्ष द्वारा किया गया है तो वह खर्चा बीमा पाॅलिसी के अन्तर्गत देय नहीं माना जा सकता । परिणामस्वरूप यदि उक्त ग्रसित बीमारी के संबंध में बीमित को किसी प्रकार का कोई क्लेम नहीं मिला है अथवा उसका क्लेम खारिज किया गया है, तो वह बीमा पाॅलिसी की षर्तो के अधीन कहा जा सकता है । इस संबंध में अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से जो विनिष्चय त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 2086ध्2013  च्ंलंस ळंतह टे व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्व स्जक  व्तकमत क्ंजमक  13.01.2015 उद्वरत किया गया है, में यही दिषा निर्देष प्रदान करते हुए बीमा क्लेम की अदायगी को  उचित नहीं पाया है । 
7.    उपरोक्त विवेचन के प्रकाष में  प्रार्थी पक्ष का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है । अतः आदेष है कि 
                          -ःः आदेष:ः-
8.            प्रार्थीपक्ष का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
            आदेष दिनांक 08.06.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।


 (नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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