जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 261/2015
भवानीसिंह षेखावत पुत्र श्री गुमानसिंह षेखावत, निवासी- करणी काॅलोनी, नागौर, तहसील व जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
नेषनल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, षाखा कार्यालय, प्रेरणा सदन, नया दरवाजा रोड, नागौर जरिये षाखा प्रबन्धक।
-अप्रार्थी
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री रमेष कुमार ढाका, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री अषोक पंडित, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थी।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे ष दिनांक 12.01..2016
1. परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से अपने वाहन संख्या त्श्र 21, ब्। 7140 की बीमा पाॅलिसी अवधि दिनांक 28.12.2014 से 27.12.2015 तक के लिए ली हुई थी। दिनांक 20.07.2015 को प्रार्थी की कार सुअर जानवर से टकरा गइर्, जिससे उक्त वाहन क्षतिग्रस्त हो गया। दुर्घटना की सूचना अप्रार्थी को दी गई। मौके पर सर्वेयर आया। सर्वेयर के कहने पर गैराज में उक्त वाहन की मरम्मत करवाई और उसका सर्वेयर ने फाइनल सर्वे किया। वाहन पर 15,290/- रूपये मरम्मत में खर्च हुए।
2. परिवादी ने अप्रार्थी के यहां क्लेम प्रस्तुत किया। अप्रार्थी ने इस आधार पर क्लेम खारिज कर दिया कि वाहन हायर एण्ड रिवार्ड में चल रहा था। जबकि परिवादी हमेंषा उक्त वाहन को निजी उपयोग में ही काम लेता था। कभी अन्य काम में नहीं लिया। गलत आधार पर क्लेम निरस्त किया है। मरम्मत एवं क्षतिपूर्ति राषि दिलाई जावे।
3. अप्रार्थी का मुख्य रूप से कहना है कि परिवादी ने कथित दुर्घटना की कोई एफआईआर दर्ज नहीं करवाई। परिवादी द्वारा बीमित वाहन को वक्त दुर्घटना वाणिज्यिक उपयोग में लिया जा रहा था जबकि बीमित वाहन केवल निजी उपयोग के लिए ही अधिकृत है। बीमित वाहन के साइड में दोनों ओर ब्रांडिग व्हील्स कम्पनी के स्टीकर और सिंडीकेट बैंक के स्टीकर लगाकर नाजायज प्रकार से विधि विरूद्ध लाभ प्राप्त करने के लिए इस कार का उपयोग हो रहा था, जो मोटर वाहन अधिनियम एवं पाॅलिसी षर्तों का उल्लंघन है। ब्रांडिग व्हील्स कम्पनी सभी प्रकार के वाहनों पर अपनी कम्पनी के स्टीकर और अन्य कम्पनी के स्टीकर लगाकर वाहन स्वामी को मासिक कुछ राषि का भुगतान करती है। इस प्रकार से इन वाहनों का उपयोग वाणिज्यिक उद्देष्य के लिए हो रहा है। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ। अतः परिवादी के परिवाद को सही खारिज किया गया है। सर्वेयर ने बीमा कम्पनी का दायित्व 12,523/- रूपये निर्धारित किया है। यही राषि भुगतान योग्य है।
4. बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया। उक्त वाहन का बीमित होना एवं दुर्घटनाग्रस्त होना विवादित नहीं है। अप्रार्थीगण ने प्रदर्ष 1 के मुताबिक परिवादी के क्लेम को इस आधार पर खारिज किया कि परिवादी उक्त वाहन को किराये पर एवं ब्रांडिग व्हील्स कम्पनी के विज्ञापन के लिए संचालित कर रहा था जो कि बीमा पाॅलिसी की टर्मस एवं कंडिषन्स के विरूद्ध है।
5. हमारी राय में अप्रार्थी ने परिवादी के बीमा क्लेम को गलत आधार पर खारिज किया है क्योंकि लेष मात्र भी इस बात की साक्ष्य बीमा कम्पनी की ओर से पत्रावली पर प्रस्तुत नहीं की है कि उक्त वाहन को परिवादी उक्त कम्पनी के प्रचार-प्रसार के लिए किराये पर चलाता था। ना तो सर्वेयर की कोई इस सम्बन्ध में जांच रिपोर्ट तैयार हुई है कि परिवादी उक्त वाहन को ब्रांडिग व्हील्स कम्पनी के विज्ञापन बाबत् संचालित कर रहा था कोई बयान सम्बन्धित कम्पनी के कर्मचारी/अधिकारियों के नहीं लिए गए हैं। अन्य किसी तृतीय व्यक्ति के भी बयान नहीं लिए गए हैं। ना ही कोई इस आषय की रसीद प्रस्तुत हुई है कि परिवादी को ब्रांडिग व्हील्स कम्पनी ने अपने विज्ञापन के लिए कोई भुगतान किया हो। इस प्रकार से बीमा कम्पनी ना तो इस बात को साबित कर पाई है कि उक्त वाहन निजी उपयोग के अलावा किराये पर चल रहा था या किसी वाणिज्यिक उपयोग में काम आ रहा था। इस प्रकार से बिना किसी आधार के क्लेम निरस्त कर सेवा दोश किया है। जहां तक क्षतिपूर्ति का प्रष्न है स्वयं बीमा कम्पनी ने अपने जवाब में सर्वेयर की रिपोर्ट के मुताबिक स्वयं को 12,523/- रूपये की राषि को दायित्वाधीन माना है, अर्थात् 12,523/- रूपये तक अपनी क्षतिपूर्ति राषि के लिए खुद को जिम्मेदार माना है। परिवादी ने प्रदर्ष 3 बिल पेष किया है। जिसमें 15,290/- रूपये मरम्मत पर व्यय होना बताया है। परन्तु हमारी राय में सर्वेयर की रिपोर्ट के मुताबिक क्लेम की राषि दिलाया जाना न्यायोचित है। इस प्रकार से परिवादी, अप्रार्थी के विरूद्ध अपना क्लेम साबित करने में सफल रहा है। परिवादी का परिवाद विरूद्ध अप्रार्थी निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता है तथा आदेष दिया जाता है किः-
आदेश
6. अप्रार्थी बीमा कम्पनी, परिवादी को क्लेम राषि 12,523/- रूपये परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख 17.11.2015 से तारकम वसूली 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर से अदा करें। साथ ही अप्रार्थी, परिवादी को परिवाद व्यय के 3,000/- रूपये एवं मानसिक क्षति के 3,000/- रूपये भी अदा करें।
आदेश आज दिनांक 12.01.2016 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा।
सदस्य अध्यक्ष