Rajasthan

Nagaur

CC/28/2015

Abdul Mannan - Complainant(s)

Versus

National Ins Com Ltd - Opp.Party(s)

Sh DR Kalla

01 Dec 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/28/2015
 
1. Abdul Mannan
Noor Colony, Street No.1 Jusri Road,Makrana
Nagaur
Rajasthan
...........Complainant(s)
Versus
1. National Ins Com Ltd
Gokul Matrichaya,Station Road Madangang,Kisangargh
Ajmer
Rajasthan
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:Sh DR Kalla, Advocate
For the Opp. Party: Sh Kundan Singh Achina, Advocate
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

 

परिवाद सं. 28/2015

 

अब्दुल मन्नान पुत्र श्री जाफर अली, जाति-मुसलमान, निवासी-नूर काॅलोनी, गली नं. 1, पानी की टंकी के पास, जूसरी रोड, मकराना, तहसील-मकराना, जिला-नागौर (राज.)।                                                                                                                                                 -परिवादी     

 

बनाम

 

1.            नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, जरिये शाखा प्रबन्धक, शाखा कार्यालय, गोकुल मातृ छाया, स्टेशन रोड, मदनगंज-किशनगढ, जिला-अजमेर-305801

2.            नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, जरिये शाखा प्रबन्धक, शाखा कार्यालय, प्रेरणा सदन, नया दरवाजा रोड, नागौर (राज.)।

3.            प्रोपराइटर/मालिक स्वीफ्ट मोटर्स, मंगलाना रोड, मकराना, जिला-नागौर (राज.)।

                               

               

                                                                     -अप्रार्थीगण 

 

समक्षः

1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।

2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।

3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1.            श्री देवेन्द्र राज कल्ला, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।

2.            श्री कुन्दनसिंह आचीणा, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी संख्या 1 व 2।

 

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                    

                             

                                आ  दे  श                दिनांक 01.12.2015

1.            परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थी ने अपनी मोटरसाइकिल त्श्र 37/ैम् 0294 का अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमा करवाया था। बीमित अवधि में दिनांक 29.09.2014 को रात्रि के 8.30 बजे मोटरसाइकिल चोरी हो गई। जिसकी एफआईआर दिनांक 29.09.2014 को पुलिस थाना मकराना में लिखाई। अप्रार्थी संख्या 3 को तुरन्त सूचना दी। अप्रार्थीगण के यहां क्लेम पेश किया, परन्तु यह कहकर कि एफआईआर तीन दिन की देरी से दर्ज करवाई गई एवं अप्रार्थीगण को 21 दिन की देरी से सूचना दी गई। इस आधार पर प्रार्थी का क्लेम निरस्त कर दिया गया। प्रार्थी की रिपोर्ट पर अदम पता माल मुलजिम में एफआर प्रस्तुत की गई। प्रार्थी को क्लेम नहीं देना, अप्रार्थीगण का पूर्णतः सेवा दोश है। अतः प्रार्थना-पत्र मय हर्जा-खर्चा स्वीकार किया जावे।

 

2.            अप्रार्थीगण का जवाब संक्षेप में निम्न प्रकार है। मुख्य रूप से कहना है कि चोरी की रिपोर्ट तीन दिन की देरी से दर्ज करवाई एवं 21 दिन बाद बीमा कम्पनी को सूचना दी। इसलिए बीमा पाॅलिसी की षर्तों के उल्लंघन के कारण क्लेम सही निरस्त किया है। परिवाद खारिज किया जावे।

 

3.            बहस उभयपक्षकारान सुनी गई। दस्तावेजात के मुताबिक चोरी दिनांक 29.09.2014 को रात्रि के 8.30 बजे होना बताया है। रिपोर्ट दिनांक 02.10.2014 को दर्ज करवाई गई है। विद्वान अधिवक्ता प्रार्थी का कहना है कि चोरी रात को हुई सुबह थाने पर गये, वहां पुलिस ने यह कहा कि आप तलाष कर लें रिपोर्ट दर्ज कर लेंगे। प्रार्थी उसी दिन रिपोर्ट करने गया। अपनी मोटरसाइकिल की तलाषी की परन्तु मोटरसाइकिल नहीं मिली। उसके दूसरे दिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की। इसमें प्रार्थी का कोई दुराष्य नहीं है, ना ही इसमें कोई उसकी लापरवाही है।

 

4.            हमारी राय में प्रार्थी की मोटरसाइकिल चोरी होना रिपोर्ट एवं एफआर से प्रमाणित है। ऐसा कोई तथ्य पत्रावली पर नहीं आ सका है कि प्रार्थी ने झूंठा क्लेम प्राप्त करने के लिए झूंठी रिपोर्ट दर्ज करवाई हो। सामान्यतः पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने में टालमटोल करती है। तहरीरी रिपोर्ट को भी अपने यहां अनावष्यक रूप से लम्बित रखती है। पुलिस के इस रवैये के कारण पीडित को उसे प्राप्त होने वाले विधिक लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता। प्रार्थी ने बीमा कम्पनी के एजेंट अप्रार्थी संख्या 3 को घटना की सूचना समय पर दे दी थी। किसी अनियमितता के आधार पर प्रार्थी के क्लेम को निरस्त नहीं किया जा सकता। हमारी राय में नाॅन स्टेण्डर्ड बेसिस पर प्रार्थी को क्लेम राषि दिलाया जाना न्यायोचित है। इस प्रकार से प्रार्थी का क्लेम अप्रार्थीगण के विरूद्व स्वीकार किया जाता है तथा आदेष दिया जाता है किः-

 

 

आदेश

 

5.            अप्रार्थी बीमा कम्पनी परिवादी को बीमित राशि 30,733/- रूपये का नाॅन स्टेण्डर्ड बेसिस पर 75 प्रतिशत राषि एक माह के अन्दर अदा करंे। साथ ही अप्रार्थीगण, परिवादी को मानसिक संताप के पेटे 2,500/- रूपये एवं 2,500/- रूपये ही परिवाद व्यय के रूप में भी अदा करें।

 

 

                आदेश आज दिनांक 01.12.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

       ।बलवीर खुडखुडिया।       ।बृजलाल मीणा।       ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।

                     सदस्य                  अध्यक्ष                   सदस्या

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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