जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 100/2014
चुतराराम पुत्र श्री मूलाराम, जाति-जाट, निवासी गांव-कालडी, तहसील व जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. नेषनल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिये अध्यक्ष/प्रबन्ध निदेषक, प्रधान कार्यालय-3, मिडलटन स्ट्रीट कोलकाता-700071 (प.बं.)।
2. षाखा प्रबन्धक, नेषनल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, षाखा कार्यालय-नया दरवाजा रोड, नागौर।
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री मामराज गुणपाल, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री ठाकुर प्रसाद राठी, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थीगण।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
निर्णय
दिनांक 29.03.2016
1. यह परिवाद अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से अपने वाहन टाटा नैनो त्श्र 21 ब्। 5642 का बीमा 4,943/- रूपये प्रीमियम देकर दिनांक 14.06.2013 से दिनांक 13.06.2014 तक के लिए मूल्य राषि 1,28,060/- रूपये का करवाया। बीमा पाॅलिसी की वैधता अवधि में दिनांक 27.09.2013 को परिवादी का वाहन आग लगने से जल गया। घटना के वक्त परिवादी का वाहन उसके निवास स्थान कालडी से दूर ढाणी में खडा था तथा वाहन में अचानक आग लग गई। घटना के वक्त परिवादी ढाणी में अकेला था तथा वाहन में लगी आग को बुझाने का पूरा प्रयास किया। इसके बावजूद वाहन जलकर नश्ट हो गया। घटना की सूचना परिवादी ने अप्रार्थीगण के कार्यालय में एवं पुलिस थाना श्रीबालाजी में भी दी। जिस पर अप्रार्थीगण का सर्वेयर मौके पर आया तथा कार्यवाही कर गया। परिवादी ने बीमित वाहन के क्षतिग्रस्त होने पर क्षति बाबत् क्लेम आवेदन अप्रार्थीगण के कार्यालय में प्रस्तुत किया। परिवादी द्वारा अप्रार्थीगण को समस्त वांछित दस्तावेजात भी उपलब्ध करवा दिये। इसके बाद भी परिवादी अप्रार्थी संख्या 2 के कार्यालय में क्लेम पत्रावली निस्तारण व क्लेम भुगतान के लिए उपस्थित हुआ। अन्त में दिनांक 01.04.2014 को अप्रार्थी संख्या 2 ने गलत तौर पर यह लिखते हुए बीमा क्लेम खारिज कर दिया कि परिवादी ने घटना की कोई पुलिस सूचना नहीं दी, गाडी में लगी आग को बुझाने का कोई प्रयास नहीं किया तथा गाडी में आग लगने का कोई स्पश्ट कारण नहीं बताया। इस तरह अप्रार्थीगण ने उसका क्लेम गलत आधार बनाते हुए खारिज किया है जिससे व्यथित होकर परिवादी को मंच में आना पडा। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवा में कमी एवं अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस की श्रेणी में आता है। अतः परिवाद में अंकितानुसार अनुतोश दिलाया जावे।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत जवाब परिवाद के सार संकलन के अनुसार परिवादी के अभिकथनों को अस्वीकार करते हुए वाहन का बीमा करना स्वीकार किया तथा परिवादी के बीमा क्लेम के निरस्तीकरण को सही ठहराते हुए कथन किया कि परिवादी ने घटना की कोई पुलिस सूचना नहीं दी, गाडी में लगी आग को बुझाने का कोई प्रयास नहीं किया तथा गाडी में आग लगने का कोई स्पश्ट कारण नहीं बताया। इस आधार पर ही परिवादी का क्लेम खारिज किया गया तथा इसकी सूचना विधिवत रूप से परिवादी को दे दी गई। जिसमें अप्रार्थीगण का कोई सेवा दोश नहीं है। अतः परिवाद परिवादी मय खर्चा खारिज किया जावे।
3. दोनों पक्षों की ओर से अपने-अपने षपथ-पत्र एवं दस्तावेजात पेष किये गये।
4. बहस अंतिम योग्य अधिवक्ता पक्षकारान सुनी गई एवं अभिलेख का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
5. बीमा पाॅलिसी की प्रति अभिलेख पर है, जिसके अनुसार परिवादी ने अप्रार्थीगण को बीमा प्रीमियम अदा कर उसकी सेवायें प्राप्त की है। अतः परिवादी अप्रार्थीगण का उपभोक्ता होना पाया जाता है।
6. मंच के समक्ष मुख्य विचारणीय प्रष्न यह है कि अप्रार्थीगण द्वारा परिवादी का क्लेम निरस्त करना युक्तियुक्त है?
7. अभिलेख पर अप्रार्थीगण द्वारा परिवादी को प्रेशित क्लेम दावा निरस्तीकरण पत्र दिनांक 01.04.2014 अभिलेख पर है, जिसके अनुसार अप्रार्थीगण ने दावा निरस्तीकरण के तीन कारण अंकित किए हैः-
(1.) कि आपने उपरोक्त घटना की कोई पुलिस में सूचना नहीं दी।
(2.) कि आपने गाडी में आग लगने के बाद उसे बुझाने का कोई प्रयास नहीं किया।
(3.) कि आपने गाडी में आग लगने का कोई स्पश्ट कारण नहीं बताया।
8. जहां तक घटना की सूचना पुलिस में दिये जाने का प्रष्न है तो इस सम्बन्ध में परिवादी द्वारा अपने परिवाद की मद संख्या 4 में स्पश्ट रूप से अभिकथन किया गया है कि घटना बाबत् अप्रार्थीगण के कार्यालय में सूचना दिये जाने पर अप्रार्थीगण ने मौके पर अपना सर्वेयर भेजकर कार्यवाही की, इसके अलावा परिवादी ने घटना की रिपोर्ट पुलिस थाना, श्रीबालाजी को भी दी, जिस पर थानाधिकारी व सिपाही मौके पर आये और मौके की स्थिति देखकर वापिस गये थे। इसका परिवादी द्वारा आगे परिवाद के मद संख्या 6 में भी स्पश्ट किया है कि थानाधिकारी द्वारा यह बताया गया कि इस मामले में कोई अपराध घटित नहीं हुआ है, ऐसी स्थिति में एफआईआर दर्ज नहीं होगी। यद्यपि यह सत्य है कि इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है लेकिन पत्रावली पर उपलब्ध समस्त सामग्री को देखते हुए यह नहीं माना जा सकता कि परिवादी द्वारा घटना की सूचना पुलिस को न दी गई हो। पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री को देखते हुए यह स्वीकृत स्थिति है कि परिवादी द्वारा घटना बाबत् अप्रार्थीगण के कार्यालय को सूचना दी गई थी तथा अप्रार्थीगण द्वारा इस बाबत् सर्वे एवं अन्वेशण भी किया गया, जिसकी रिपोर्ट पत्रावली पर उपलब्ध है।
9. इसी प्रकार जहां तक गाडी में आग लगने पर परिवादी द्वारा उसे बुझाने का कोई प्रयास नहीं किये जाने का तर्क है तो ऐसा तर्क भी विष्वसनीय नहीं माना जा सकता। यह स्वीकृत स्थिति है कि परिवादी वाहन का पंजीकृत स्वामी रहा है ऐसी स्थिति में अपने ही वाहन में दुर्घटना स्वरूप आग लग जाने की स्थिति में वाहन स्वामी द्वारा अपनी सम्पति की रक्षा हेतु आग बुझाने का प्रयास करना स्वाभाविक है तथा परिवादी द्वारा भी ऐसा अवष्य किया गया होगा। अप्रार्थी पक्ष द्वारा प्रस्तुत अन्वेशण रिपोर्ट प्रदर्ष ए 3 से भी स्पश्ट है कि पूछे जाने पर परिवादी ने आग बुझाने की कोषिष करना बताया है, इसी रिपोर्ट से यह भी स्पश्ट है कि घटनास्थल सुनसान क्षेत्र था ऐसी स्थिति में आग बुझाने हेतु आवष्यक साधनों की कमी होने के कारण परिवादी आग बुझाने में सफल नहीं हुआ तथा आग से जलकर वाहन क्षतिग्रस्त हो गया।
10. अप्रार्थीगण की यह भी आपति रही है कि परिवादी द्वारा वाहन में आग लगने का कोई स्पश्ट कारण नहीं बताया। इस सम्बन्ध में सर्वे रिपोर्ट प्रदर्ष ए 1 तथा अन्वेशण रिपोर्ट प्रदर्ष ए 3 का एक साथ अवलोकन करें तो यह स्पश्ट है कि घटना के समय वाहन खुले स्थान पर खडा था, जो परिवादी द्वारा दोपहर के समय बीकानेर से आकर घटनास्थल पर खडा किया गया था। ऐसी स्थिति में कुछ समय पष्चात् ही वाहन में षाॅर्ट सर्किट के कारण आग लगने की सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार इस सम्भावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि वाहन बीकानेर से चलाकर घटनास्थल पर लाकर खडा करने की अवधि के दौरान वाहन में आई किसी तकनीकी खराबी के कारण वाहन के गर्म होने या षाॅर्ट सर्किट होने से वाहन में आग लग गई हो। अन्वेशण रिपोर्ट प्रदर्ष ए 3 में स्पश्ट है कि घटनास्थल सुनसान क्षेत्र होने के कारण किसी बच्चे या असामाजिक तत्व द्वारा आग लगाया जाना भी संभव नहीं था तथा न ही पत्रावली पर ऐसा कोई तथ्य आया है कि परिवादी द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी को नुकसान पहुंचाने के आषय से स्वयं द्वारा वाहन में आग लगा दी गई हो।
11. पत्रावली पर उपलब्ध सर्वे रिपोर्ट प्रदर्ष ए 1 व प्रदर्ष ए 2 के अवलोकन से स्पश्ट है कि वाहन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो चुका है। अप्रार्थीगण द्वारा परिवादी पक्ष का क्लेम मात्र इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि परिवादी ने घटना बाबत् पुलिस को सूचना नहीं दी, वाहन में आग लगने का कोई स्पश्ट कारण नहीं बताया तथा आग बुझाने का प्रयास नहीं किया। लेकिन पूर्व में किये गये विवेचन से स्पश्ट है कि अप्रार्थीगण की आपति निराधार है। यह स्वीकृत स्थिति है कि परिवादी का वाहन अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां बीमित था तथा बीमा पाॅलिसी प्रदर्ष 2 के अनुसार वाहन बीमा के समय 1,28,060/- के मूल्य का रहा है। ऐसी स्थिति में परिवादी वाहन के क्षतिग्रस्त होने से हुई क्षति बाबत् अप्रार्थीगण से बीमित राषि 1,28,060/- रूपये प्राप्त करने का अधिकारी है। अप्रार्थीगण द्वारा परिवादी के निवेदन के बावजूद उसका क्लेम खारिज करने के कारण परिवादी को मानसिक परेषानी होना भी स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति में परिवादी इस मद में भी 2,500/- तथा परिवाद व्यय के रूप में भी 2,500/- रूपये प्राप्त करने का अधिकारी है।
आदेश
12. परिणामतः परिवाद परिवादी विरूद्ध अप्रार्थीगण स्वीकार कर आदेष है कि परिवादी चुतराराम, अप्रार्थीगण से वाहन की क्षतिपूर्ति बाबत् 1,28,060/- रूपये प्राप्त करने का अधिकारी है। यह भी आदेष दिया जाता है कि परिवादी इस राषि पर परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 02.06.2014 से 9 प्रतिषत वार्शिक साधारण ब्याज की दर से ब्याज भी प्राप्त करने का अधिकारी है। अप्रार्थीगण परिवादी को मानसिक संताप के 2,500/- रूपये अदा करें एवं परिवाद व्यय के भी 2,500/- रूपये अदा करें। आदेष की पालना एक माह में की जावे।
13. आदेष आज दिनांक 29.03.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
नोटः- आदेष की पालना नहीं किया जाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 27 के तहत तीन वर्श तक के कारावास या 10,000/- रूपये तक के जुर्माने से दण्डनीय अपराध है।
।बलवीर खुडखुडिया। ।ईष्वर जयपाल। राजलक्ष्मी आचार्य
सदस्य अध्यक्ष सदस्या