जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 19/2013
भागूराम पुत्र श्री मंगलाराम, जाति-जाट, निवासी- जसवन्ताबाद, तहसील-मेडता, जिला-नागौर जरिए आम मुख्तयार दीपक कुमार पुत्र श्री सत्यनारायण, जाति-वैष्णव, निवासी-चांदारूण, तहसील-डेगाना, जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए शाखा प्रबन्धक, शाखा कार्यालय, प्रेरणा सदन, नया दरवाजा रोड, नागौर (राज.)।
-अप्रार्थी
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री शिवचन्द पारीक, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री लालसिंह जाखाणिया, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दिनांक 04.11.2015
1. परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अपने स्वामित्व के वाहन टर्बो ट्रक पंजीयन संख्या त्श्र-21/ ळ।-2617 का अप्रार्थी से बीमा करवाया गया। बीमित अवधि दिनांक 06.07.2011 से 05.07.2012 तक की है। प्रार्थी के मुताबिक दिनांक 02.09.2011 को उक्त वाहन को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 15 पर टर्बो ट्रक नम्बर त्श्र-21/ ळ। 1566 के चालक ने गफलत एवं लापरवाही से चलाकर टक्कर मार दी। जिससे परिवादी का उक्त वाहन क्षतिग्रस्त हो गया। उसकी मरम्मत करवाई गई। उस पर 13,50,819/- रूपये खर्च हुए। परिवादी के यहां क्लेम पेश किया। परन्तु अप्रार्थी ने अभी तक क्लेम का निस्तारण नहीं किया है। अप्रार्थी का यह सेवा दोष है। प्रार्थी को काफी शारीरिक एवं मानसिक परेषानी का सामना करना पडा है। उसे परिवाद भी पेश करना पडा है।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी का मुख्य रूप से यह कहना है कि अप्रार्थी के सर्वेयर रिपोर्ट के अनुसार 7,57059/- रूपये की क्षति होना माना है। परिवादी के उक्त वाहन का वैद्य व प्रभावी फिटनेस प्रमाण-पत्र नहीं होने के कारण बीमा पाॅलिसी की शर्तों का उल्लंघन होने के कारण यह राशि देय नहीं है।
3. बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया। उक्त वाहन का बीमित होना एवं दुर्घटनाग्रस्त होना विवादित नहीं है। विवाद फिटनेस प्रमाण-पत्र एवं क्षतिपूर्ति राशि को लेकर है। जहां तक फिटनेस प्रमाण-पत्र का प्रश्न है। परिवादी की ओर से सब डीटीओ मेडतासिटी के कार्यालय से जारी रसीद दिनांक 30.08.2011 प्रस्तुत की है। जिसके विवरण काॅलम में नम्बर 1 पर फिटनेस जारी करने बाबत् 500/- रूपये फीस लेना अंकित है। दुर्घटना दिनांक 02.09.2011 की है। इससे स्पष्ट है कि दुर्घटना से पूर्व सम्बन्धित कार्यालय से फिटनेस सम्बन्धी कार्रवाई हुई थी। इस प्रकार से उक्त वाहन को सडक पर चलने के योग्य नहीं पाया था अर्थात् उक्त वाहन फिट था, संचालित करने के योग्य था। इस रसीद पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है।
जहां तक क्षतिपूर्ति का प्रश्न है परिवादी ने 13,50,819/- रूपये मरम्मत पर व्यय करना बताया है एवं प्रदर्श 6 उक्त राशि के बिल प्रस्तुत किये हैं। इसके विपरित अप्रार्थी ने सर्वेयर रिपोर्ट प्रस्तुत की है। जिसमें 7,57,059/- रूपये क्षति राशि आंकी गई है। माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण आयोग एवं राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग ने विभिन्न मामलों में यह सिद्धांत प्रतिपादित किया है कि क्षतिपूर्ति के मामलों में सर्वेयर की रिपोर्ट को मान्यता दी जानी चाहिए जब तक कि उसका विशिष्ट रूप में खण्डन नहीं होता। वर्तमान मामले में ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है कि सर्वेयर रिपोर्ट का अविश्सनीय माना जावे।
4. हमारी राय में सर्वेयर रिपोर्ट के आधार पर क्षतिपूर्ति राशि दिलाया जाना न्यायोचित एवं विधि सम्मत है। अप्रार्थी का सेवा दोष होने के कारण एवं परिवादी द्वारा अपना परिवाद विरूद्ध अप्रार्थी साबित होने के कारण परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है। निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता हैः-
आदेश
5. आदेष दिया जाता है कि परिवादी, अप्रार्थी से 7,57,059/- रूपये (सात लाख सतावन हजार उनसठ रूपये) एवं इस रकम पर अप्रार्थी, परिवादी को परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख 04.01.2013 से तारकम वसूली 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर से ब्याज भी अदा करें। साथ ही अप्रार्थी, परिवादी को परिवाद व्यय के 5,000/- रूपये एवं मानसिक क्षति के 5,000/- रूपये भी अदा करें।
आदेश आज दिनांक 04.11.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या