Uttar Pradesh

StateCommission

A/303/2019

Ex. Engineer Dakshinanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd - Complainant(s)

Versus

Nathu Ram - Opp.Party(s)

Isar Husain

18 Jan 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/303/2019
( Date of Filing : 05 Mar 2019 )
(Arisen out of Order Dated 04/01/2019 in Case No. C/45/2018 of District Kanshiram Nagar)
 
1. Ex. Engineer Dakshinanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd
Through its Executive Engineer Electricity Distribution Division Kasganj Distt. Kasganj
...........Appellant(s)
Versus
1. Nathu Ram
S/O Sri Mihilal R/O Maanpur Nagariya Thana Soron Distt. Kasganj
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 18 Jan 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-303/2019

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, कासगंज द्धारा परिवाद सं0-45/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04.01.2019 के विरूद्ध)

अधिशासी अभियंता, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, द्वारा अधिशासी अभियंता, इलैक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन कासगंज, जिला कासगंज।

                                              ........... अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम              

नाथू राम पुत्र श्री मिहीलाल, निवासी मानपुर नगरिया, थाना-सोरों, जिला कासगंज।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष              

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री इसार हुसैन

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : कोई नहीं।

दिनांक :- 18.01.2023

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/ अधिशासी अभियंता, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, कासगंज द्वारा परिवाद सं0-45/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04.01.2019 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कभी भी घरेलू कनेक्‍शन हेतु विद्युत विभाग को आवेदन नहीं किया एवं न ही कभी आवेदन पत्र पर हस्‍ताक्षर किये। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के घर से करीब 70 मीटर की दूरी तक कोई खम्‍भा या लाइन भी नहीं है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अनुसार शिकायत करने पर विभाग द्वारा कहा गया कि भूल वश कनेक्‍शन हो गया है, आपका बिल काटकर सही कर देंगे, उक्‍त आश्‍वासन पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी घर बैठ गया एवं दिनांक 15.01.2018 को अपीलार्थी/विपक्षी आये एवं कहा कि बिल अदा नहीं किया जबकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने

-2-

कभी कोई कनेक्‍शन नहीं लिया है, जिसकी शिकायत उच्‍च अधिकारियों से की गई परन्‍तु कोई कार्यवाही नहीं हुई, अत्एव विवश होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर परिवाद का विरोध किया गया और यह कथन किया गया कि अपीलार्थी/विपक्षी के कर्मचारियों द्वारा कभी भी कोई आश्‍वासन प्रत्‍यर्थी/परिवादी को नहीं दिया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी का संयोजन नियमानुसार किया गया है एवं बकाये का भुगतान न करने की नियत से परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है, जो कि निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते परिवादी के विरूद्ध जारी बिल को निरस्‍त किया गया है।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विद्युत विभाग द्वारा प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। यह भी कथन किया गया कि परिवाद कालबाधित है, चूंकि परिवाद लगभग 24 वर्ष के विलम्‍ब से प्रस्‍तुत किया गया है। यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी द्वारा विद्युत बिल की धनराशि का भुगतान नहीं किया गया है एवं विद्युत की देयता से बचने के लिए परिवाद योजित किया गया है, जो कि अनुचित है। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी द्वारा सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है। अपीलार्थी की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश को अपास्‍त कर अपील को स्‍वीकार किये जो की प्रार्थना की गई है।

 

-3-

मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

मेरे द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि अनुकूल है तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा जो अनुतोष अपने प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान किया गया है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अपीलीय स्‍तर पर इंगित नहीं की जा सकी है, अत्एव प्रस्‍तुत अपील बलहीन होने के कारण निरस्‍त की जाती है।

      अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त निर्णय/आदेश का अनुपालन 30 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वइ इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                  (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                     

                                            अध्‍यक्ष                                                                                                                            

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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