Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/1030

U P Sahkari Gram Vikas Bank Ltd. - Complainant(s)

Versus

Nathu Lal - Opp.Party(s)

Hem Raj Mishra

13 Mar 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/1030
( Date of Filing : 11 May 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. U P Sahkari Gram Vikas Bank Ltd.
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Nathu Lal
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 13 Mar 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1030/2007

यू.पी. सहकारी ग्राम विकास बैंक लि0

 

बनाम

 

नत्‍थू लाल पुत्र श्री काशी राम तथा एक अन्‍य

 

समक्ष:-                                                  

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री हेमराम मिश्रा।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक : 13.03.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        परिवाद संख्‍या-178/2004, नत्‍थू लाल बनाम नेशनल इंश्‍योरेंस कं0लि0 तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, प्रथम बरेली द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 25.8.2006 के विरूद्ध विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रस्‍तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री हेमराज मिश्रा को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

2.        विद्वान जिला आयोग ने मृतक भैंस की बीमित राशि अंकन 15,000/-रू0 विपक्षी सं0-2, बैंक द्वारा अदा करने का आदेश पारित किया है।

3.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ने दिनांक 10.9.2002  एवं  दिनांक 25.9.2002 को अंकन 15–15 हजार रूपये

-2-

का ऋण विपक्षी सं0-2 से प्राप्‍त कर दो भैंस क्रय की थी। बीमा की औपचारिकताएं विपक्षी सं0-2 द्वारा पूर्ण की गयी थी और भैंस का टैग नम्‍बर क्रमश: 50293 एवं 87098 था। परिवादी की भैंसों का टैग निकलकर गिर गया था, जिसकी सूचना विपक्षी सं0-2 को दी गयी थी। विपक्षी सं0-2 के निर्देशानुसार पशु चिकित्‍साधिकारी से दो नये टैग क्रमश: 50216 एवं 50217 लगाये गये थे। परिवादी ने एक भैंस जिसका टैग नम्‍बर 50293 था तथा नया टैग नम्‍बर 50216 था, की दिनांक 7.1.2003 को मृत्‍यु हो गयी, इसी तिथि को पोस्‍ट मार्टम हुआ तथा विपक्षी सं0-2 को सूचना दी गयी, जिनके द्वारा विपक्षी सं0-1 को पत्र लिखा गया, परन्‍तु बीमा पालिसी प्राप्‍त नहीं हुई।

4.        विपक्षी सं0-1, बीमा कंपनी ने बीमा होना स्‍वीकार किया, परन्‍तु कथन किया कि टैग नम्‍बर 50216 नामक भैंस की मृत्‍यु दिनांक 7.1.2003 को नहीं हुई है और न ही उसका पोस्‍ट मार्टम हुआ है। टैग नम्‍बर 50216 वाली भैंस की मृत्‍यु दिनांक 6.1.2003 को हुई थी, उसका पोस्‍ट मार्टम दिनांक 7.1.2003 को हुआ था। बीमा पालिसी के अनुसार विस्‍तृत सूचना बीमा कंपनी को दिया जाना आवश्‍यक है, परन्‍तु विपक्षी ने भैंस का निरीक्षण नहीं करने दिया। इस प्रकार बीमा पालिसी का उल्‍लंघन किया गया है। भैंस की मृत्‍यु की सूचना प्रथम बार दिनांक 4.4.2003 को प्राप्‍त हुई है। टैग बदले जाने की कोई सूचना उन्‍हें प्राप्‍त नहीं हुई है।

5.        विपक्षी सं0-2, बैंक के विरूद्ध एकतरफा कार्यवाही की गयी तथा विद्वान जिला आयोग द्वारा विपक्षी सं0-2 को ही बीमा कंपनी

 

-3-

को समस्‍त सूचना उपलब्‍ध न कराये जाने के कारण उत्‍तरदायी ठहराया गया है।

6.        अपीलार्थी बैंक के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि परिवाद यू.पी. कोआपरेटिव सोसायटीज एक्‍ट 1965 से बाधित है। अपीलार्थी की अनुपस्‍िथति में एकतरफा निर्णय पारित किया गया है। वास्‍तविक विवाद बीमा कंपनी तथा परिवादी के मध्‍य है, जिसमें अपीलार्थी का कोई संबंध नहीं है।

7.        विद्वान जिला आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किये गये परिवाद में वर्णित तथ्‍यों का कोई खण्‍डन बैंक की ओर से नहीं किया गया है। विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय में उल्‍लेख किया है कि बैंक द्वारा कोई लिखित कथन सूचना के बावजूद प्रस्‍तुत नहीं किया गया। परिवादी द्वारा बैंक को ही टैग परिवर्तित करने की सूचना दी गयी थी, परन्‍तु यह सूचना कभी भी बीमा कंपनी को प्राप्‍त नहीं हुई है, इसलिए टैग परिवर्तन के संबंध में बीमा कंपनी द्वारा कोई निरीक्षण नहीं कराया जा सका और न ही मृत भैंस का निरीक्षण कराया जा सका। इस संबंध में भी बैंक द्वारा बीमा कंपनी को देरी से सूचना दी गयी। अत: इस स्थिति में बीमा कंपनी को बीमा धन अदा करने के लिए उत्‍तरदायी नहीं ठहराया जा सकता था। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधिसम्‍मत है, इसमें कोई त्रुटि नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

8.        प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

 

 

-4-

          प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार(

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-3

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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