सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या- 1482/2016
(जिला उपभोक्ता फोरम द्धितीय आगरा, द्वारा परिवाद संख्या- 102/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23-06-2016 के विरूद्ध)
1- एच0डी0एफ0सी0 एरगो जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0, संजय पैलेस पी0एस0 हरी प्रभात जिला आगरा।
2- एच0डी0एफ0सी0 एरगो जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0, यूनिट नं0 502, 504, 506 पांचवा तल मगहटा टावर, बी-1 ब्लाक कम्यूनिटी सेन्टर जनकपुरी, न्यू दिल्ली।
दोनों अपीलार्थीगण द्वारा उनके असिस्टटेंट मैनेजर Ms. सास्वत बैनजी पोस्टेड एट आफिस सेकेण्ड फ्लोर, पी255बी, सीआईटी स्कीम- वीआईएम कंकुरगची कोलकाता-54
अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम
श्री नासिर खान पुत्र श्री नसरू खान, निवासी देव नगर पी०एस० कोतवाली, जिला मथुरा, उत्तर प्रदेश।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता, श्री टी0जे0एस0
मक्कड़
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता, श्री राम गोपाल
दिनांक- 12-03-2018
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या 102 सन् 2014 नासिर खान बनाम मुख्य प्रबन्धक, एच0डी0एफ0सी0 एरगो जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0 व एक अन्य में
2
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्धितीय आगरा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 23-06-2016 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुये निम्न आदेश पारित किया है:-
"परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह ट्रक का बीमित घोषित मूल्य 11,00,000/- (ग्यारह लाख रू०) मय 06 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक अदायगी तक एक माह के अन्दर परिवादी को अदा करें। मानसिक शारीरिक कष्ट वेदना एवं वाद व्यय के रूप में 10,000/- रू० (दस हजार रूपया) परिवादी को विपक्षीगण एक माह के अन्दर अदा करें। क्षतिग्रस्त ट्रक का मलबा/साल्वेज परिवादी, विपक्षीगण को वापस करें।
विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह निर्णय/आदेश के दिनांक से एक माह के अन्दर (उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि जिला फोरम द्धितीय आगरा में चेक अथवा ड्राफ्ट द्वारा जमा करें।
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी, एच0डी0एफ0सी0 एरगो जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0 ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री टी0जे0एस0 मक्कड़ और प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राम गोपाल उपस्थित आए।
3
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि वह ट्रक संख्या यू0पी0 85 एफ- 9010 का स्वामी है और उसका यह ट्रक दिनांक 11-08-2012 से दिनांक 10-08-2013 तक विपक्षी बीमा कम्पनी एच0डी0एफ0सी0 एरगो जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0 से बीमाकृत रहा है जिसकी पालिसी संख्या 23152003173262000000 है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसके उपरोक्त ट्रक को लेकर ड्राइवर सरवन खान क्लीनर बलवीर सिंह के साथ दिनांक 04-08-2013 को यमुना एक्सप्रेस-वे से होकर मथुरा से नोएडा जा रहे थे तभी रात में करीब 2.00 बजे स्पोर्ट सिटी के पास यमुना एक्सप्रेस-वे रोड पर ट्रक का अगला टायर फट गया और ट्रक अनियन्त्रित होकर आगे जाकर दूसरे वाहन से टकराने की स्थिति में हो गया। तभी चालक सरवन खान ट्रक से कूद गया और अपनी जान बचा ली। लेकिन कन्डक्टर बलवीर सिंह नहीं कूद पाया और ट्रक में ही फंस गया जिससे ट्रक के दूसरे वाहन से टकराते ही क्लीनर बलवीर सिंह बुरी तरह से घायल हो गया और ट्रक क्षतिग्रस्त हो गया।
परिवाद पत्र के अनुसार घटना की रिपोर्ट प्रत्यर्थी/परिवादी ने दिनांक 05-08-2013 को थाना दनकौर, जिला गौतमबुद्ध नगर में दर्ज कराया और जख्मी क्लीनर बलवीर सिंह को यथार्थ हास्पिटल ग्रेटर नोएडा में भर्ती कराया जहॉं उसकी दौरान उपचार मृत्यु हो गयी। तदोपरान्त क्लीनर बलबीर सिंह का पोस्टमार्टम भी कराया गया।
4
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि दुर्घटना के समय उसके वाहन के सभी कागजात वैध थे और चालक सरवन खान के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस था। सभी कागजात प्रत्यर्थी/परिवादी ने विपक्षी बीमा कम्पनी एच0डी0एफ0सी0 एरगो जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0 को उपलब्ध कराया और सारी औपचारिकताऍ पूरी की परन्तु विपक्षी बीमा कम्पनी टाल-मटोल करती रही और अंत में यह कहकर प्रत्यर्थी/परिवादी को क्लेम देने से मना कर दिया कि दुर्घटना के समय ट्रक ड्राइवर सरवन खान नहीं चला रहा था बल्कि क्लीनर बलवीर सिंह चला रहा था।
परिवाद पत्र के अनुसार दुर्घटना के समय ट्रक चालक सरवन खान था और बीमा कम्पनी ने प्रत्यर्थी/परिवादी का क्लेम न देने का गलत आधार दर्शित किया है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी ने जिला फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत कर ट्रक की क्षतिपूर्ति की धनराशि 17,28,560/- रू० 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित दिलाए जाने की मांग की है। साथ ही शारीरिक और मानसिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति और वाद व्यय की भी मांग की है। चालक व क्लीनर के मृत्यु पूर्व उपचार के लिए भी 50,000/- रू० की मांग परिवादी ने की है।
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है और कहा गया है कि मेसर्स सुरक्षा इण्टरप्राइजेज के सर्वेयर ने जांज में यह पाया है कि दुर्घटना के समय वाहन, चालक बलवीर सिंह द्वारा चलाया जा रहा था और चालक सीट पर बलबीर सिंह ट्रक में आगे बैठा था। परन्तु उसके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। अत: बीमा शर्त का उल्लंघन होने के कारण परिवादी का दावा खारिज किया गया है जो उचित है। लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि प्रश्नगत
5
वाहन के फाइनांसर को परिवाद में पक्षकार न बनाए जाने के कारण परिवाद पोषणीय नहीं है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं सर्वेयर आख्या और उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार कर यह निष्कर्ष निकाला है कि अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी यह साबित नहीं कर सकी है कि ट्रक दुर्घटना के समय बलवीर सिंह चला रहा था। अत: जिला फोरम ने परिवाद के कथन को मान्यता प्रदान करते हुए परिवाद स्वीकार किया है और उपरोक्त प्रकार से आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम का निर्णय त्रुटिपूर्ण है और साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है। जिला फोरम ने सर्वेयर आख्या को अस्वीकार कर गलती की है। जिला फोरम ने प्रत्यर्थी/परिवादी को जो क्षतिपूर्ति प्रदान की है वह बहुत अधिक और आधार रहित है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम का निर्णय सही है और साक्ष्य एवं विधि के अनुकूल है। इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने बहस के समय T.P. Reconstruction report प्रस्तुत कर यह दर्शाने का प्रयास किया है कि प्रश्नगत दुर्घटनाग्रस्त ट्रक की स्थिति देखने से यह स्पष्ट है कि बलवीर सिंह ही चालक सीट पर था।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
निर्विवाद रूप से प्रत्यर्थी/परिवादी का प्रश्नगत ट्रक प्रश्नगत दुर्घटना के समय अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से बीमित था। अपीलार्थी बीमा कम्पनी ने
6
प्रत्यर्थी/परिवादी का दावा बीमा मात्र इस आधार पर अस्वीकार किया है कि दुर्घटना के समय ट्रक का चालक बलवीर सिंह था जिसके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था।
प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि दुर्घटना के समय ट्रक का चालक सरवन खान था और उसके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस था। प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार सरवन खान चालक था और बलवीर सिंह कन्डक्टर था। प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार जब ट्रक का टायर फटा और ट्रक दुर्घटना की स्थिति में आया तभी चालक ट्रक से कूद गया परन्तु कन्डक्टर ट्रक से कूद नहीं पाया और ट्रक में फंसकर रह गया। उभय पक्ष के अभिकथन एवं विपक्षी बीमा कम्पनी के सर्वेयर की आख्या से स्पष्ट होता है कि दुर्घटना के बाद ट्रक में बलवीर सिंह अकेला पाया गया है और कोई ट्रक में नहीं था।
दुर्घटना के बाद प्रत्यर्थी/परिवादी ने रिपोर्ट दिनांक 05-08-2013 को पुलिस थाना में दर्ज कराया है और इस रिपोर्ट में यह भी कहा है कि ट्रक सरवन खान चला रहा था परन्तु ट्रक का टायर फटने पर वह ट्रक से कूद गया परन्तु क्लीनर ट्रक के अन्दर फंसकर गम्भीर रूप से घायल हो गया। प्रत्यर्थी/परिवादी ने दुर्घटना का जो विवरण प्रथम सूचना रिपोर्ट में दिया है वही विवरण परिवाद पत्र में दिया है और स्वयं अपना एवं चालक सरवन खान का शपथपत्र प्रस्तुत कर साबित किया है।
बीमा कम्पनी के सर्वेयर श्री अरविन्द कुमार सक्सेना ने सरवन खान को दुर्घटना के समय प्रश्नगत ट्रक का चालक न होने और बलवीर सिंह को चालक होने का निष्कर्ष अपनी रिपोर्ट में निम्न आधार पर अंकित किया है-
7
1- ट्रक मुख्य रूप से सामने दाहिनी तरफ क्षतिग्रस्त है। अत: चालक सरवन खान को गम्भीर चोट आनी चाहिए थी परन्तु उसे कोई चोट नहीं आयी है। इसके विपरीत बलवीर सिंह क्लीनर ट्रक में बाए प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार बैठा था परन्तु ट्रक में बायीं तरफ कोई क्षति नहीं है। अत: निष्कर्ष यही निकलता है कि बलवीर सिंह दाहिनी तरफ चालक की सीट पर था।
2- मृतक बलवीर सिंह की पत्नी एवं पड़ोसियों ने बताया कि मृतक बलवीर सिंह प्रत्यर्थी/परिवादी के यहॉं चालक के रूप में सेवा योजित था।
जिला फोरम के निर्णय से स्पष्ट है कि मृतक बलवीर सिंह की पत्नी व पड़ोसी जिनका नाम सर्वेयर आख्या में है, ने शपथपत्र प्रस्तुत कर कहा है कि बीमा कम्पनी के कर्मचारी ने उनके हस्ताक्षर कोरे कागज पर कराए थे।
सर्वेयर श्री अरविन्द कुमार सक्सेना ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि यमुना एक्सप्रेस-वे से उन्हें कोई सी०सी०टी०वी० फुटेज नहीं मिला है। सुरक्षा इण्टरप्राइजेज की आख्या से भी स्पष्ट है कि यमुना एक्सप्रेस-वे का कोई सी०सी०टी०वी० फुटेज चालक का नहीं मिला है।
सर्वेयर अरविन्द कुमार सक्सेना एवं सुरक्षा इण्टरप्राइजेज दोनों की आख्या से स्पष्ट है कि दुर्घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी साक्षी नहीं मिला है।
सुरक्षा इण्टरप्राइजेज की आख्या में उल्लेख है कि सरवन खान को Minor injures आना बताया गया है परन्तु मेसर्स यथार्थ हास्पिटल नोएडा में उसके उपचार का कोई अभिलेख प्रत्यर्थी/परिवादी ने प्रस्तुत नहीं किया है। सर्वेयर अरविन्द कुमार सक्सेना एवं सुरक्षा इण्टरप्राइजेज दोनों ने यथार्थ हास्पिटल नोएडा से सम्पर्क कर इस बात का खण्डन नहीं किया है कि इस इस्पताल में सरवन खान का कोई इलाज नहीं हुआ है।
8
उपरोक्त सम्पूर्ण विवेचना एवं सम्पूर्ण तथ्यों एवं साक्ष्यों पर विचार करने से स्पष्ट है कि दुर्घटना के समय से ही प्रत्यर्थी/परिवादी का यह कथन रहा है कि ट्रक चालक सरवन खान ट्रक चला रहा था जो टायर फटने पर ट्रक से कूद गया परन्तु क्लीनर बलवीर सिंह ट्रक में रह गया और घायल हो गया।
प्रत्यर्थी/परिवादी का यह कथन स्वयं उसके और चालक सरवन खान के शपथपत्र से समर्थित है। कोई प्रतिकूल तथ्य पुलिस विवेचना में पाया जाना नहीं बताया गया है। सर्वेयर आख्या एवं T.P. Reconstruction report आख्या मात्र अनुमान है और अनुमान के आधार पर प्रत्यक्ष साक्ष्य को नकारा नहीं जा सकता है।
उपरोक्त विवेचना के आधार पर मैं इस मत का हॅूं कि जिला फोरम ने जो यह निष्कर्ष निकाला है कि अपीलार्थी बीमा कम्पनी यह साबित करने में असफल रहीं है कि चालक सरवन खान नहीं वरन बलवीर सिंह था, वह उचित एवं आधारयुक्त है। उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी का दावा बीमा अस्वीकार किये जाने हेतु उचित आधार नहीं है।
फाइनांसर को पक्षकार न बनाए जाने से परिवाद दूषित नहीं है। फाइनांसर लोन करार के अनुसार वसूली करने हेतु स्वतंत्र है।
सर्वेयर श्री अरविन्द कुमार सक्सेना ने प्रत्यर्थी/परिवादी के वाहन में हुयी क्षति का आकलन 740096.12 रू० किया है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में उल्लेख किया है कि सर्वेयर द्वारा असेसमेण्ट सीट में एक कालम में 1759000.04/- रू० और दूसरे कालम में 790096.12/- रू० क्षति आकलित है और प्रत्यर्थी/परिवादी ने टाटा मोटर्स के अधिकृत सर्विस स्टेशन नवल मोटर्स से जो क्षति आकलन कराया है उसके अनुसार आकलित क्षति
9
1728650/- रू० है। अत: जिला फोरम ने वाहन का आई०डी०वी 11,00,000/- रू० मानते हुए प्रत्यर्थी/परिवादी को 11,00,000/- रू० क्षतिपूर्ति हेतु दिया है।
प्रश्नगत वाहन का बीमित मूल्य 11,00,000/- रू० है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जो आगणन नवल मोटर्स का प्रस्तुत किया गया है वह अधिक एवं दिखावटी प्रतीत होता है। सर्वेयर श्री अरविन्द सक्सेना ने वाहन की क्षति 740096.12/- निर्धारित किया है। उन्होंने प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा आगणित धनराशि 1759000.04/- रू० अपनी रिपोर्ट के एक कालम में लिखा है। वाहन में हुयी क्षति के विवरण एवं फोटोग्राफ को देखते हुए सर्वेयर द्वारा आकलित क्षतिपूर्ति 740096/- रू० उचित एवं युक्तिसंगत है। जिला फोरम ने इसे मान्यता प्रदान न कर गलती की है। अत: मेरी राय में जिला फोरम का निर्णय संशोधित कर सर्वेयर आख्या के अनुसार 740096/- रू० क्षतिपूर्ति अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाया जाना उचित है। अत: जिला फोरम का निर्णय तदनुसार संशोधित किया जाना उचित है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम का निर्णय संशोधित करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह 740096/- रू० परिवाद पस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करें। साथ ही जिला फोरम द्वारा मानसिक एवं शारीरिक कष्ट वेदना एवं वाद व्यय हेतु प्रदान की गयी धनराशि 10,000/- रू० भी प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करें।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
10
धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि 25,000/- रू० अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01