राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-450/2019
अधिशासी अभियंता, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0, विद्युत वितरण खण्ड-1, सुकवां-ढुकवा, सिविल लाईन, झॉसी।
........... अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
नसीम बेगम पुत्री स्व0 अब्दुल करीम, निवासी म0नं0-122 गुसांईपुरा, झॉसी।
…….. प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :- 27.3.2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/ अधिशासी अभियंता, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, झॉसी द्वारा परिवाद सं0-312/2016 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.02.2019 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी के स्व0 पिता द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के यहॉ से घरेलू विद्युत कनेक्शन बुक सं0-23351191 8359 एस0सी0 संख्या-44419 एवं एकाउण्ट आई0डी0 5984182000 द्वारा 02 किलोवाट का ले रखा था एवं पिता की मृत्यु के पश्चात प्रत्यर्थी/परिवादिनी ही उक्त कनेक्शन का उपभोग करती है एवं अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा जो भी बिल प्रत्यर्थी/परिवादिनी को भेजे जाते हैं उक्त सभी बिलों का भुगतान प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा किया जाता है। दिनांक 02.11.2015 को विभागीय नियमानुसार पुराने
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मीटर को उतारकर नया मीटर लगा दिया गया एवं प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पक्ष में सीलिंग प्रमाण पत्र जारी किया गया तथा उक्त सीलिंग प्रमाण पत्र में अपीलार्थी/विपक्षी के कर्मचारियों द्वारा मीटर जॉच करने की तिथि दिनांक 04.12.2015 लिखी गई थी जबकि सीलिंग प्रमाण पत्र में अपीलार्थी/विपक्षी के कर्मचारियों को जॉच तिथि लिखने का अधिकार नहीं है एवं अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा दिनांक 13.4.2016 से 15.6.2016 तक का कुल बिल 36,776.00 रू0 का दिया गया, जिसमें 35,820.00 रू0 डेबिट एमाउण्ट के तहत जुडे थे, जिसके भुगतान का दायित्व प्रत्यर्थी/परिवादिनी का नहीं है तथा प्रत्यर्थी/परिवादिनी उक्त बिल के संशोधन हेतु अपीलार्थी/विपक्षी के पास गई तो अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा कि जो 35,820.00 रू0 बिल में जोड़ा गया है वह राजस्व निर्धारण के तहत जोड़ा गया है। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादिनी को कोई भी राजस्व निर्धारण का पत्र नहीं दिया गया और न ही प्रत्यर्थी/परिवादिनी को अपनी आपत्ति देने का कोई अवसर दिया गया, अत्एव क्षुब्ध होकर प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कथन किया गया कि स्थापित विद्युत मीटर को निकाल कर नया विद्युत मीटर स्थापित किया गया था तथा इस संबंध में सीलिंग प्रमाण पत्र उपभोक्ता को दिया गया एवं निकाले गये विद्युत मीटर की जॉच दिनांक 04.12.2015 को करने के पश्चात सीलिंग प्रमाण पत्र में लिखकर उपभोक्ता को सूचित किया गया कि जॉच तिथि पर उपस्थित न होने पर कार्यवाही किये जाने हेतु सूचित किया गया। विद्युत मीटर की जॉच में बाहय रजिस्ट्रेंस लगे पाये गये और मीटर के साथ छेडछाड की गई और इस प्रकार प्रत्यर्थी/परिवादिनी
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उपभोक्ता को विद्युत मीटर के साथ छेडछाड़ करके तथा मीटर को क्षतिग्रस्त करके विद्युत चोरी करते पाया गया। यह भी कथन किया गया कि परिवाद विद्युत चोरी से सम्बन्धित है, जिसको सुनने का क्षेत्राधिकार जिला उपभोक्ता आयोग को नहीं है। परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के क्षेत्राधिकार से बाधित है और खारिज होने योग्य है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
"परिवाद आंशिक रूप से आज्ञप्त किया जाता है। विपक्षीगण द्वारा परिवादी के संयोजन सं0-5984182000 पर दिनांक 15.6.2016 के बिल में अवैध रूप से जोडी गयी कथित राजस्व निर्धारण राशि मुब. 35,820.00 रू0 को मय ब्याज निरस्त किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादिनी से भविष्य में इस आधार पर कोई वसूलयाबी या संयोजन विच्छेद की कार्यवाही न करें तथा प्रतिमाह केवल उपभोक्त शुदा रीडिग के बिल बिना ब्याज, सरचार्ज एवं निरस्त कथित राजस्व निर्धारण राशि को छोडकर उपलब्ध कराते हुए जमा कराये।"
जिला उपभोक्ता आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/ विपक्षी द्वारा प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
प्रस्तुत अपील विगत लगभग पॉच वर्षों से लम्बित है एवं अनेकों तिथियों पर पूर्व में स्थगित की जाती रही। अपीलार्थी के अधिवक्ता पुन: आज अनुपस्थित है।
मेरे द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग
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द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि सम्मत है तथा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जो अनुतोष अपने प्रश्नगत निर्णय/आदेश में प्रत्यर्थी/परिवादिनी को प्रदान किया गया है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि नहीं है, तद्नुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट नं0-1