Satyanarayan carpaintar filed a consumer case on 11 Jun 2015 against Narrotam Pareta in the Kota Consumer Court. The case no is CC/171/2009 and the judgment uploaded on 16 Jul 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, मंच, झालावाड केम्प कोटा ( राजस्थान )
पीठासीनः-
01. अध्यक्ष ः नंदलाल शर्मा
02. सदस्य ः महावीर तंवर
परिवाद संख्या:-171/09
सत्यनारायण कारपेन्टर पुत्र प्रहलाद कारपेन्टर जाति खाती आयु 55 साल निवासी गेंता हाल निवासी गुलाब बाग निहारिका रेस्टोरेन्ट के पास,केनाल रोड, पुलिस लाईन कोटा।
परिवादी
बनाम
01. नरोत्तम पारेता मुशी पुत्र रामगोपाल पेशा मुंशी का कार्य, केयर आॅफ श्री विजेन्द्र सिंह एडवोकेट कचहरी इटावा अदालत परिसर, इटावा कोटा।
02. अधिवक्ता विजेन्द्र सिंह अदालत परिसर, इटावा। अप्रार्थीगण
प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति:-
01. श्री पूरण मल शर्मा, अधिवक्ता, परिवादी की ओर सें।
02. श्री बद्री प्रसाद जैठानी, अधिवक्ता, अप्रार्थी सं. 1 की ओर से।
03. श्री विकास पारेता, अधिवक्ता, अप्रार्थी सं. 2 की ओर से।
निर्णय दिनांक 11.06.2015
परिवादी का यह परिवाद जिला मंच कोटा से स्थानान्तरण होकर वास्ते निस्तारण जिला मंच, झालावाड, केम्प कोटा को प्राप्त हुआ, जिसमें अंकित किया कि उसने अप्रार्थीसं.1 से अपने मकान के स्टे के संबंध में बात की तो उसने स्टे दिलाने के वकील फीस 5,000/- रूपये, 2,000/- रूपये कागजात का खर्चा तथा 2,000/- रूपये मौका मजिस्ट्रेट कोटा से दिखाने के कुल 9,000/- रूपये अप्रार्थी सं.1 को नकद दिये थे। अप्रार्थी सं.1 ने यह भी कहा था कि आपको पेशी पर उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है। अप्रार्थी सं.1 ने न तो स्टे दिलवाया और ना ही मौका दिखाया। अप्रार्थी सं. 1 अप्रार्थी सं. 2 का मुंशी है। अप्रार्थीगण ने परिवादी को न तो न्यायालय में बुलाया और उसका परिवाद अदम हाजरी अदम पैरवी में खारिज करवा दिया। अप्रार्थीगण की लापरवाही के कारण परिवादी का परिवाद अदम हाजारी अदम पैरवी में खारिज करवा कर व स्टे नही दिलवाकर उसकी सेवा में कमी की, इसलिये परिवादी को उसके द्वारा अप्रार्थी सं. 1 को दिये गये 9 हजार रूपये मय ब्याज वापस दिलवाये जावे, मानसिक संताप, परिवाद खर्च दिलवाया जावे।
अप्रार्थी सं. 1 ने परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया है कि वह वकील श्री विजेन्द्र सिंह का मुंशी है और उसका कार्य तो केवल वकील साहब के द्वारा दिये गये निर्देशों की पालना करना है। परिवादी वकील श्री विजेन्द्र सिंह से मिलना चाहता था, इसलिये मैने उसे मिलवाया था, उनकी वकील साहब से क्या बात हुई किस संबंध में हुई और फीस ली या नही मुझे किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं है क्योंकि परिवादी ने जब वकील साहब से बात की तब वह बाहर था। वकालत वकील साहब करते है। मैं नही करता हॅू। परिवादी का परिवाद सव्यय खारिज किया जावे।
अप्रार्थी सं.2 ने परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया कि मुंशी नरोतम ने परिवादी को उनसे मिलवाया था। परिवादी के गैंता स्थित मकान के संबंध में वाद करने के लिये उसके पास आया था, उक्त वाद पेश करने की 2,000/- रूपये फीस तय की थी, जिसमें से परिवादी ने 1,000/- रूपये फीस व 400/- रूपये कागजात के दिये थे। उसने परिवादी का परिवाद इटावा न्यायालय में 2005 में पेश किया था। स्टे दिलवाने की कोई बात नहीं की। कोई भी अधिवक्ता स्टे दिलवाने का आश्वासन नहीं दे सकता। दिनांक 07.01.06 को न्यायालय के पीठासीन अधिकारी के विरूद्ध न्यायिक बहिष्कार चल रहा था, उससे पूर्व से ही परिवादी को जर्ये पत्र सूचित कर दिया था कि वकील साहबान कार्य स्थगन पर चल रहे है इसलिये आप तारीख पेशी पर उपस्थित आवे। परिवादी के नहीं आने के कारण उसका परिवाद अदम हाजारी अदम पैरवी में दिनांक 17.01.06 को खारिज कर दिया गया, जिसकी सूचना भी उसने परिवादी को पत्र द्वारा दे दी थी। परिवादी प्रकरण को चलाने में रूचि नहीं ले रहा था, इसलिये वह बावजूद सूचना न्यायालय में नहीं आया। परिवादी ने अन्य अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक 21.07.06 को परिवाद नम्बर पर लेने का प्रार्थना पत्र पेश करवाया। उक्त परिवाद को परिवादी ने तत्परता से नहीं चलाया और दिनांक 08.08.11 को स्वयं की इच्छा से खारिज करवा लिया। परिवादी यदि मेरे पास आता तो मै भी उक्त पत्रावली का नम्बर पर लेने की कार्यवाही करता। अप्रार्थी सं. 2 ने परिवादी की सेवा में कोई कमी नहीं की । परिवादी का परिवाद न्यायालय दिनांक 17.01.06 को अदम हाजरी अदम पैरवी में खारिज कर दिया था और परिवादी ने उक्त प्रकरण को नम्बर पर लेने की दरख्वास्त अन्य अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक 21.07.06 को पेश करवा दी थी। परिवादी ने परिवाद मंच में दिनांक 09.03.09 को पेश किया है, जो 2 वर्ष बाद पेश किया है, इसलिये परिवादी का परिवाद मियाद बाहर होने खारिज किये जाने योग्य है। परिवादी ने परिवाद मिथ्या कारणों से पेश किया जो सव्यय खारिज किया जावे।
उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-
01. आया परिवादी अप्रार्थीगण का उपभोक्ता है ?
उभय पक्षों को सुनने व पत्रावली का अवलोकन अध्य्यन करने से स्पष्ट होता है कि परिवादी से 1,000/- रूपये फीस लेना अप्रार्थी सं. 2 ने अपने जवाब में स्वीकार किया है। अप्रार्थी सं. 1 ने किसी भी प्रकार की फीस लेने से स्पष्ट रूप से इंकार किया है परिवादी ने अप्रार्थी सं. 1 को कोई राशि दी हो ऐसी कोई रसीद मंच में पेश नहीं की है, इसलिये परिवादी अप्रार्थी सं. 1 का उपभोक्ता नहीं है। अप्रार्थी सं. 2 का उपभोक्ता है।
02. आया परिवादी का परिवाद मियाद बाहर है?
उभय पक्षों को सुनने व पत्रावली का अध्य्यन अवलोकन करने से स्पष्ट होता है कि परिवादी का परिवाद न्यायालय में दिनांक 17.01.06 को अदम हाजरी अदम पैरवी में खारिज कर दिया था। परिवादी ने परिवाद मंच में दिनांक 09.03.09 को पेश किया है, जो 2 वर्ष बाद पेश किया है। परिवादी ने मंच में देरी को क्षमा करने का प्रार्थना पत्र भी मंच में पेश नहीं किया, उपरोक्त विवेचन, विश्लेषण से हमारे विनम्र मत में परिवादी का परिवाद मियाद बाहर पाया जाता है।
03. आया अप्रार्थीगण ने सेवा दोष किया है ?
परिवादी ने बिन्दु संख्या 1 व 2 अपने पक्ष में साबित नहीं किया है, इसलिये इस बिन्दु पर विवेचन, विशलेषण करने की आवश्यकता नहीं है।
04. अनुतोष ?
परिवादी का परिवाद अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी सत्यनारायण कारपेन्टर का परिवाद अप्रार्थीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है। परिवादी खर्च पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।
(महावीर तंवर) (नंदलाल शर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
निर्णय आज दिनांक 11.06.2015 को खुले मंच में लिखाया जाकर सुनाया गया।
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
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