राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-193/2020
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता आयोग, झॉंसी द्वारा परिवाद संख्या 477/2016 में पारित आदेश दिनांक 28.01.2020 के विरूद्ध)
मैनेजर, श्री राम राजा कार्स प्रा0लि0, अधिकृत विक्रेता होण्डा कार्स इण्डिया प्रा0लि0, 741, ग्राम : दिगारा, कानपुर रोड, झॉंसी
.....................अपीलार्थी/विपक्षी सं02
बनाम
1. नरेश कुमार सोनी पुत्र श्री गोवर्धन दास सोनी निवासी- मकान नं0 10, न्यू प्रगति नगर, नाल गंज, पी0एस0 : सीपरी बाजार, झॉंसी
2. मैनेजिंग डायरेक्टर, होण्डा कार इण्डिया लि0 रजिस्टर्ड आफिस 409, टावर बी, डी0एल0एफ0 कामर्शियल काम्पलेक्स, जसोला, नई दिल्ली
3. मैनेजर, इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 कस्टमर सर्विस सेन्टर, 214, प्रथम तल, भगवान काम्पलेक्स, एस0पी0 नगर-1, भोपाल 462011
............प्रत्यर्थीगण/परिवादी तथा विपक्षी सं01 व 3
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री पंकज पाण्डेय,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री आलोक सिन्हा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं02 की ओर से उपस्थित : श्री विनीत सहाय बिसारिया,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं03 की ओर से उपस्थित : श्री विवेक कुमार सक्सेना,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 30.05.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता
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आयोग, झॉंसी द्वारा परिवाद संख्या-477/2016 नरेश कुमार सोनी बनाम प्रबन्ध निदेशक होण्डा कार इण्डिया लि0 व दो अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.01.2020 के विरूद्ध योजित की गयी।
उल्लेखनीय है कि प्रस्तुत प्रकरण में जिला उपभोक्ता आयोग, झॉंसी के पुरूष सदस्य एवं महिला सदस्य द्वारा मत भिन्नता प्रकट करते हुए अलग-अलग भिन्न-भिन्न आदेश पारित किये गये।
जिला उपभोक्ता आयोग, झॉंसी के पुरूष सदस्य द्वारा परिवाद खारिज करते हुए निम्न आदेश दिनांकित 14.06.2019 पारित किया गया:-
''परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है, तथा परिवादी विपक्षी सं02 को 6-10-2016 से 50/-रू0 प्रतिदिन के हिसाब से हाल्टिंग चार्ज/गैराज खर्च वास्तविक वाहन प्राप्त करने की तिथि तक अदा कर वाहन प्राप्त कर लें।
पक्षकार वाद व्यय अपना-अपना स्वयं वहन करेगें।''
जिला उपभोक्ता आयोग, झॉंसी की महिला सदस्य द्वारा परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश दिनांकित 06.01.2020 पारित किया गया:-
''परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है, एवं विपक्षी सं02 को निर्देशित किया जाता है, कि वह परिवादी को वाहन की कीमत 12,00,000/-रू0 (बारह लाख रूपये) दावा दायर करने की तिथि 23-11-2016 से भुगतान की तिथि तक 6प्रतिशत ब्याज सहित 30दिन के अन्दर अदा करें। मानसिक कष्ट के लिये 3000/-रू0 (तीन हजार रूपये) एवं वाद व्यय के लिये 2000/-रू0 (दो हजार रूपये) अदा करें।
विपक्षी सं01 एवं 3 के विरूद्ध दावा खारिज किया जाता है।''
राज्य अयोग के आदेश दिनांक 16.01.2020 के द्वारा जिला
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उपभोक्ता आयोग, जालौन स्थान उरई के अध्यक्ष को तृतीय सदस्य के रूप में नामित किया गया, जिनके द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग, झॉंसी की महिला सदस्य द्वारा पारित आदेश दिनांक 06.01.2020 से पूर्णतया सहमत होते हुए निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.01.2020 पारित किया गया, जिसके विरूद्ध प्रस्तुत अपील योजित की गयी।
अपील की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर अपीलार्थी मैनेजर, श्री राम राजा कार्स प्रा0लि0 की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री पंकज पाण्डेय, प्रत्यर्थी संख्या-1/परिवादी नरेश कुमार सोनी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक सिन्हा, प्रत्यर्थी संख्या-2 मैनेजिंग डायरेक्टर, होण्डा कार इण्डिया लि0 की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री विनीत सहाय बिसारिया तथा प्रत्यर्थी संख्या-3 बीमा कम्पनी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री विवेक कुमार सक्सेना को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परीक्षण व परिशीलन किया गया।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-1 द्वारा निर्मित वाहन होण्डा मोबाइलो अधिकृत विक्रेता विपक्षी संख्या-2 के यहाँ से दिनांक 09.11.2015 को 12,00,000/-रू0 में क्रय किया था। परिवादी द्वारा उपरोक्त क्रय किया गया वाहन विपक्षी संख्या-2 के यहाँ से 35,206/-रू० प्रीमियम लेकर दिनांक 09.11.2015 से 08.11.2016 तक का कुल आई.डी.बी. 11,46,650/-रू0 का बीमा कराया गया। परिवादी द्वारा क्रय किये गये वाहन पर विपक्षी संख्या-1 व 2 द्वारा दो वर्ष की अथवा 40000 किलोमीटर तक की, जो पहले हो, वारंटी उपलब्ध करायी गयी थी। परिवादी द्वारा वाहन की प्रथम सर्विस दिनांक 22.11.2015 को 1,016 किलोमीटर पर करायी गयी, द्वितीय सर्विस दिनांक 21.01.2016 को 5,150 किलोमीटर पर करायी गयी, तृतीय
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सर्विस दिनांक 22.02.2016 को 10,157 किलोमीटर पर करायी गयी तथा चौथी सर्विस दिनांक 24.07.2016 को 19,713 किलोमीटर पर करायी गयी।
परिवादी का कथन है कि दिनांक 24.07.2016 को जब परिवादी के वाहन की चौथी सर्विस कर दी गयी तब परिवादी अपने वाहन को विपक्षी संख्या-2 के यहाँ से दिनांक 25.07.2016 को ले गया। दिनांक 26.07.2016 को अचानक परिवादी का उपरोक्त वाहन सीपरी बाजार थाने पर बंद हो गया एवं कई बार स्टार्ट करने के बावजूद भी स्टार्ट नहीं हुआ, तब परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-2 को फोन किया गया, जिसके उपरान्त परिवादी का वाहन दिनांक 26.07.2016 को विपक्षी संख्या-2 द्वारा अपने टोचिंग वाहन से खींचकर ले जाया गया तथा उक्त वाहन को दो माह बाद सर्विस करके दिया गया, परन्तु वाहन के इंजन में आवाज आ रही थी।
परिवादी द्वारा जब दिनांक 13.10.2016 को विपक्षी के यहाँ वाहन खराब होने का प्रार्थना पत्र दिया गया, तब विपक्षी द्वारा दिनांक 21.10.2018 को जवाब दिया गया कि इंजन क्षतिग्रस्त होने के कारण वाहन को वर्कशाप भेजा गया एवं इंश्योरेंस कम्पनी से स्वीकृत क्लेम के अनुसार उक्त वाहन के इंजन को क्षतिग्रस्त भाग कम्पनी के द्वारा नया लगाकर दिनांक 26.09.2016 को परिवादी को वाहन भेजा गया, जबकि परिवादी के वाहन का इंजन सीज हुआ था, न कि क्षतिग्रस्त हुआ था। इंजन सीज होने की शिकायत परिवादी द्वारा प्रारम्भ से ही की जा रही थी तथा वाहन में प्रारम्भ से ही समस्या आ रही थी। वाहन दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुआ था तथा न ही परिवादी द्वारा वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने की विपक्षी संख्या-3 बीमा कम्पनी को कोई जानकारी दी गयी।
परिवादी का कथन है कि परिवादी का वाहन दिनांक 26.07.2016 को विपक्षी संख्या-2 के कर्मचारी ले गये तथा उसके पश्चात् विपक्षी संख्या-2 के यहाँ कई बार वाहन को ठीक करने के
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संबंध में जानकारी की गयी तो विपक्षी संख्या-2 द्वारा कहा गया कि इंजन खराब है व उत्पादकीय दोष के अन्तर्गत आता है, इसलिए विपक्षी संख्या-1 को नया इंजन भेजने कि लिए पत्र लिखा गया, जैसे ही नया इंजन आ जायेगा तब परिवादी के वाहन में लगा दिया जायेगा। परिवादी द्वारा जब वाहन चलाया गया तब वाहन पिकअप नहीं ले रहा था एवं इंजन में आवाज आ रही थी। तब परिवादी द्वारा दिनांक 06.10.2016 को विपक्षी संख्या-2 के यहाँ इंजन में आवाज आने की शिकायत दर्ज करायी गयी तथा वाहन विपक्षी संख्या-2 के यहाँ जमा कर दिया गया।
परिवादी का कथन है कि विपक्षी संख्या-3 बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसके माध्यम से परिवादी को यह जानकारी हुई कि विपक्षी संख्या-2 द्वारा विपक्षी संख्या-3 को यह सूचना दी गयी कि परिवादी का वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। अत: विपक्षी संख्या-3 के यहाँ विपक्षी संख्या-2 द्वारा बीमा पालिसी के तहत, जो कैशलैस पालिसी थी, क्लेम प्रस्तुत किया गया। विपक्षी संख्या-3 का परिवादी को यह पत्र प्राप्त हुआ कि परिवादी वाहन का रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, कैंसिल चैक, मूल रिपेयर के बिल, फिटनेस सर्टीफिकेट इत्यादि भेजे, जिससे क्लेम का पैसा परिवादी को भेजा जा सके, परन्तु विपक्षी संख्या-3 के पत्र को पढ़ कर परिवादी आश्चर्यचकित हुआ। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-2 से सम्पर्क किया गया तथा विपक्षी संख्या-2 से पूछा गया कि उपरोक्त वाहन कभी दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुआ तथा न ही परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-3 को वाहन दुर्घटना के सम्बन्ध में कोई सूचना दी गयी, तब विपक्षी संख्या-3 द्वारा उपरोक्त पत्र क्यों भेजा गया। विपक्षी संख्या-3 यह सुनिश्चित करे कि परिवादी द्वारा कब आपको वाहन दुर्घटना होने के सम्बन्ध में सूचना दी गयी तथा कौन से सर्वेयर से उपरोक्त वाहन का सर्वे कराया गया तथा यदि परिवादी के ब्यान लिये गये तो उसके सम्बन्ध में भी विस्तृत उत्तर प्रदान करे एवं
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एजेण्ट के विरूद्ध भी जाँच कराकर परिवादी को अवगत कराये।
परिवादी का कथन है कि विपक्षी संख्या-2 द्वारा परिवादी को जबाब दिया गया कि परिवादी का वाहन दिनांक 26.07.2016 को ग्वालियर रोड पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसकी सूचना परिवादी द्वारा दी गयी थी, जबकि परिवादी का वाहन ग्वालियर रोड में दुर्घटनागस्त नहीं हुआ, बल्कि सीपरी थाने के पास वाहन बंद हो गया था, जिसकी सूचना परिवादी द्वारा दी गयी थी तथा विपक्षी संख्या-2 के कर्मचारी टोचिंग करके उपरोक्त वाहन ले गये थे। परिवादी द्वारा जो नोटिस विपक्षी संख्या-3 को भेजा गया था, उसे विपक्षी संख्या-2 ने वापस कर दिया। इस प्रकार क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षी संख्या-1 द्वारा जवाबदावा दाखिल किया गया तथा मुख्य रूप से यह कथन किया गया कि प्रश्नगत वाहन परिवादी द्वारा 09 माह चलाने एवं लगातार 04 बार सर्विस कराने के बाद यह दर्शाना कि वाहन में उत्पादकीय दोष है, बिल्कुल गलत है। परिवादी का प्रश्नगत वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण विपक्षी संख्या-2 के द्वारा ठीक किया गया। परिवाद खारिज होने योग्य है।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षी संख्या-2 द्वारा जवाबदावा दाखिल किया गया तथा मुख्य रूप से यह कथन किया गया कि प्रश्नगत वाहन विपक्षी संख्या-2 की कम्पनी में रिपेयर होने के लिए आया था तथा परिवादी द्वारा रिपेयर होने के पश्चात् अपना वाहन विपक्षी संख्या-2 के गैराज से संतुष्ट होने के बाद ही प्राप्त किया गया था। परिवादी द्वारा मूल तथ्यों को छिपाकर दावा प्रस्तुत किया गया।
दिनांक 26.07.2016 को झॉसी शहर में भीषण बारिश होने पर परिवादी अपने वाहन को चलाये जाने में सचेत नहीं था तथा
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उसकी उदासीनता के चलते वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ। जब परिवादी उक्त वाहन से उक्त दिनांक को ग्वालियर रोड से आ रहा था तो सीपरी पुल के नीचे वाहन को निकालने लगा, सीपरी पुल के नीचे काफी पानी भरा हुआ था, वहाँ पर फ्लाई ओवर का निर्माण हो रहा था, जिस कारण सर्विस लेन में बहुत बड़े-बड़े गड्ढे थे तथा परिवादी द्वारा इस तथ्य को नजर अंदाज करके लापरवाही पूर्वक वाहन को भरे हुए पानी में से निकालने का प्रयास किया गया, जिससे वाहन का चैम्बर नीचे किसी पत्थर से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया तथा उसके चैम्बर में पानी भर गया। इसके बावजूद परिवादी बार-बार अपने वाहन में सैल्फ लगाता रहा तथा धक्का दिलाकर वाहन को स्टार्ट करने की कोशिश की, जिससे वाहन का इंजन सीज को गया। चूँकि चेम्बर में पानी जाने से और इंजन सीज होने के कारण उक्त वाहन का हाफ इंजन चेंज होना था, इसलिए होण्डा कम्पनी से नया इंजन मंगाकर इंजन बदला गया और हाफ इंजन बदल जाने से वाहन पुनः नयी स्थिति में आ गया।
परिवादी का यह कथन कि उसका वाहन दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुआ, परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-3 को यह गलत सूचना देकर अपना वाहन विपक्षी संख्या-2 से क्यों रिपेयर कराया गया। वस्तुतः स्वयं परिवादी द्वारा विपक्षीगण से मूल तथ्य छिपाकर धोखाधड़ी एवं बेईमानी की गयी, जिसके लिए परिवादी के विरूद्ध संबंधित सक्षम न्यायालय में फौजदारी कार्यवाही की जायेगी। परिवादी का वाहन सही हालत में विपक्षी संख्या-2 के गैराज में खड़ा है। परिवादी द्वारा बेवजह परिवाद प्रस्तुत करने से बीमा कम्पनी को काफी परेशानी व हैरानी हुई, इसलिए परिवादी से 10,000/-रू0 विशेष हर्जा दिलाये जाने की मांग की गयी।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षी संख्या-3 बीमा कम्पनी द्वारा जवाबदावा दाखिल किया गया तथा मुख्य रूप से यह कथन किया गया कि परिवाद मनगढ़न्त आधारों पर संस्थित किया
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गया है। विपक्षी संख्या-2 के द्वारा परिवादी के हस्ताक्षर युक्त मोटर क्लेम फार्म भरकर वाहन दुर्घटना की सूचना पर सर्वेयर की नियुक्ति पर सर्वे कराने के उपरान्त भुगतान विपक्षी संख्या-2 को कर दिया तथा यह कथन किया कि परिवादी के अनुसार दुर्घटना दिनांक 26.07.2016 की है, जबकि परिवादी बीमा कम्पनी को दुर्घटना दिनांक 31.07.2016 की दर्शाते हुए विपक्षी संख्या-2 से मिलकर दुर्घटना राहत की चेक मु०1,91,309/-रू० विपक्षी संख्या-2 को दिलवाया गया। उक्त राशि विपक्षी को परिवादी से दिलायी जाये। यह भी कथन किया गया कि परिवादी का विवाद विपक्षी संख्या-1 व 2 से है तथा विपक्षी बीमा कम्पनी को अनावश्यक पक्षकार बनाया गया है। विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त अपने निर्णय में निम्न तथ्य उल्लिखित किये गये:-
''सम्पूर्ण साक्ष्य से यह स्पष्ट हो जाता है कि विपक्षी संख्या 2 के कब्जे में प्रश्नगत वाहन था। उपरोक्त वाहन का प्रयोग स्वयं विपक्षी संख्या 2 ने स्वयं के लिए किया और वाहन को दुर्घटनाग्रस्त कर दिया इतना ही नहीं फर्जी क्लेम फार्म भरकर परिवादी के फर्जी हस्ताक्षर कर रिपेयरिंग के एवज में धनराशि भी प्राप्त कर ली। क्योंकि बीमा कैशलेश योजना के अन्तर्गत था। इसप्रकार विपक्षी संख्या 2 द्वारा गम्भीर, अनुचित व्यापार प्रथा अपनायी गयी और परिवादी को अंधेरे में रख कर उसे किसी प्रकार की कोई सूचना नहीं दी गयी। अतः इस मामले में विपक्षी संख्या 2 को गम्भीर अनुचित व्यापार प्रथा का दोषी पाया जाता है। इसलिए विपक्षी पर किसी प्रकार की कोई नरमी बरता जाना उचित नहीं है। अब प्रश्न यह उठता है कि परिवादी को अपना वाहन प्राप्त करने हेतु विवश किया जा सकता है। जब यह तथ्य स्पष्ट हो गया कि विपक्षी
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संख्या 2 के कब्जे में वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ है विपक्षी संख्या 02 द्वारा स्वीकार किया जाता है कि दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण वाहन का हाफ इंजन बदलाया गया। वाहन का महत्वपूर्ण भाग इंजन ही होता है। परिवादी का कथन है कि हाफ इंजन बदले जाने से इंजन में आवाज आने की शिकायत थी और उसने वाहन को विपक्षी संख्या 2 के गैराज में खड़ा कर दिया था। यदि इंजन दुर्घटनाग्रस्त था तो सम्पूर्ण इंजन बदला जा सकता था। हाफ इंजन बदले जाने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता। वैसे भी जब वाहन के इंजन की रिपेयरिंग की गयी है तो निश्चिततौर पर परिवादी को अपना वाहन लिए जाने हेतु विवश नहीं किया जा सकता है।''
तदनुसार जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद निर्णीत करते हुए निम्न आदेश दिनांकित 28.01.2020 पारित किया गया:-
''परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है एवं विपक्षी संख्या 2 को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी के वाहन की कीमत 12,00,000/-रूपये (बारह लाख रूपये) परिवादपत्र प्रस्तुत करने की तिथि 23.11.2016 से भुगतान की तिथि तक 6प्रतिशत साधारण सालाना ब्याज 30 दिन के अन्दर अदा करे। मानसिक कष्ट के लिए परिवादी 3000/-रूपये एवं वाद व्यय के लिए 2000/-रूपये भी विपक्षी संख्या 2 से प्राप्त करेगा। धनराशि प्राप्त होने पर परिवादी उपरोक्त वाहन को स्थानान्तरित करने की पूर्ण औपचारिकाए पूर्ण करेगा।''
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने तथा समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया, जिसमें हस्तक्षेप हेतु पर्याप्त आधार नहीं है।
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तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1